अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अधिसूचित सरकारी सेवाओं की निर्धारित समय-सीमा में डिलीवरी न कर पाने पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। आयोग ने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा सेवा डिलीवरी में जरूरत से ज्यादा देरी के सभी मामलों के लिए दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग की सचिव श्रीमती मीनाक्षी राज ने बताया कि यह निर्णय आज यहां आयोग के सम्मुख दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक की पेशी के दौरान लिया गया।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा निर्देश दिए हैं कि सरकारी विभाग अपने यहां ‘राइट टू सर्विस एक्ट’ के तहत अधिसूचित सरकारी सेवाओं को निर्धारित समय-अवधि में देना सुनिश्चित करें। अधिकारी अपने कार्यालय के बाहर तथा ऐसे स्थानों पर डिस्पले बोर्ड लगवाएं, जहां लोगों की आवाजाही अपेक्षाकृत अधिक होती हो। डिस्पले बोर्ड पर सम्बन्धित विभाग द्वारा अधिसूचित सेवाओं की समयावधि समेत उनसे जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारी दी होनी चाहिए । अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे फस्र्ट ग्रीवेंस रिडे्रसल अथॉरिटी तथा सैकंड ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी समेत ‘राइट टू सर्विस एक्ट’में निर्धारित समयावधि संबंधी तमाम जानकारी अपने कार्यालय के अंदर व बाहर चस्पा करें। उन्होंने बताया कि यह कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए क्योंकि कमीशन के प्रतिनिधियों द्वारा इसका निरीक्षण किया जाएगा। इस मामले में लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि सम्बन्धित सरकारी विभाग द्वारा व्यक्ति को एक्नॉलेजमेंट स्लिप भी दी जानी आवश्यक है, जिसमें यह जानकारी होनी चाहिए कि उस व्यक्ति को अमुक सरकारी सेवा का लाभ कितने दिन में मिल जाएगा। य
दि आवेदनकर्ता के आवेदन में कोई कमी रह गई हो तो इसकी जानकारी उसे तुरंत दी जानी चाहिए। अगर निर्धारित समयावधि में वह सेवा व्यक्ति को नहीं मिलती तो 30 दिन के अंदर फस्र्ट रिड्रेसल अथॉरिटी को इसकी शिकायत की जा सकती है। फस्र्ट रिड्रेसल अथॉरिटी से कार्य का निष्पादन नहीं होता तो वह व्यक्ति 60 दिन के अंदर सैकंड ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी को अपनी शिकायत दे सकता है। आवेदनकर्ता की शिकायत जायज पाए जाने पर अथॉरिटी द्वारा नामित अधिकारी को 7 दिन में समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए जाएंगे। श्रीमती मीनाक्षी राज ने बताया कि कार्य में अनियमितता पाए जाने पर ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी द्वारा नामित अधिकारी पर 250 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, अधिकारी की गलती पाए जाने पर अथॉरिटी द्वारा आवेदनकर्ता को एक हजार रुपये का मुआवजा दिलवाने के आदेश दिए जाने का भी प्रावधान है। इसके अलावा, एक्ट में दोनों ग्रीवेंस रिड्रेसल अथॉरिटी द्वारा संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने का भी प्रावधान है। यदि फिर भी व्यक्ति संतुष्ट नहीं है तो वह ‘राइट टू सर्विस कमीशन’ को अपनी शिकायत दे सकता है। उन्होंने बताया कि यदि इस दौरान किसी व्यक्ति का आवेदन रद्द हो जाता तो इसकी जानकारी कारण सहित आवेदनकर्ता तक पहुंचाई जानी आवश्यक है।
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