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हरियाणा

चंडीगढ़: निर्धारित समय-सीमा में काम न करने वाले अधिकारियों पर लगेगा जुर्माना

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चण्डीगढ़: हरियाणा में अब विभिन्न प्रकार की सेवाओं के लिए लोगों के आवेदनों को बिना किसी ठोस कारण के रद्द करना सम्बन्धित अधिकारी को महंगा पड़ेगा। ऐसे मामलों पर सेवा का अधिकार आयोग द्वारा कड़ा संज्ञान लिया जाएगा। आयोग के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने चेतावनी दी कि अधिकारी बेवजह आवेदनों को रद्द करने की आदत को बदल लें। टी.सी. गुप्ता ने आज सोनीपत में सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों की बैठक के दौरान ऐसे विभागीय अधिकारियों को तलब करते हुए विस्तार से कारणों की पड़ताल की, जिनके पास लंबित आवेदनों की संख्या अधिक है।

इनमें खास तौर पर कृषि विभाग, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, परिवहन, एचएसआईआईडीसी, यूएचबीवीएन, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, शहरी स्थानीय निकाय शामिल हैं।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और आयोग का एकमात्र उद्देश्य है कि आमजन को सरकारी सेवाओं तथा योजनाओं का पूरा लाभ मिले। लोगों के काम बिना किसी परेशानी के समय पर तथा उनकी तसल्ली के साथ पूरे हों। अगर ऐसा नहीं होता तो आयोग सख्त कदम उठाने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि 31 विभागों की 546 सेवाओं को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से 277 सेवाएं ऑनलाइन हैं। शेष सेवाओं को भी ऑनलाइन किया जाएगा। इन सेवाओं की डिलीवरी में लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए। निर्धारित समय-सीमा में लोगों को इन सेवाओं का लाभ मिलना चाहिए। इसकी उल्लंघना करने वाले अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाएगा और यदि किसी अधिकारी पर तीन बार जुर्माना लगता है तो यह उसकी नौकरी पर भारी पड़ सकता है।मुख्य आयुक्त ने कहा कि कुछ सेवाओं में प्रथम अपीलीय अधिकारी उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त और एसडीएम होते हैं, जिन्हें स्वयं भी जुर्माना लगाने की शक्ति प्राप्त है। किंतु कुछ मामलों में इन पर भी आयोग की ओर से जुर्माना लगाया जा सकता है।  उन्होंने कहा कि पहली जनवरी, 2022 से अधिसूचित सेवाओं में विस्तार किया जाएगा, ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त ने इस दौरान नागरिकों से फीडबैक भी ली और अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिले की रैंकिंग में सुधार के लिए कटिबद्ध हैं। रैंकिंग में जिले का स्कोर 10 में से 9.5 से कम नहीं होना चाहिए। साथ ही, लोगों से सेवाओं के संदर्भ में मिलने वाली फीडबैक में 5 में से 4 अंक अवश्य होने चाहिए। उन्होंने कहा कि विभाग का स्कोर भले ही सही हो किंतु फीडबैक में कम अंक मिले हैं तो इसका अर्थ है कि लोगों को सेवाओं का लाभ संतोषजनक ढंग से नहीं मिला।इस दौरान उपायुक्त ललित सिवाच, पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा, नगर निगम के आयुक्त धर्मेंद्र सिंह और सेवा का अधिकार आयोग की सचिव मीनाक्षी राज समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे।

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