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दिल्ली नई दिल्ली

देशभक्ति पाठ्यक्रम के जरिए बच्चों को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया जाएगा- अरविंद केजरीवाल

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि दिल्ली के दो करोड लोगों की मेहनत की वजह से दिल्ली आज गवर्नेंस की प्रयोगशाला बन गई है। दिल्ली में लगातार नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। दिल्ली के बच्चों को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए शहीद-ए-आजम भगत सिंह के जन्मदिन पर 27 सितंबर से दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। मैं उम्मीद करता हूं कि जल्द ही ऐसा समय आएगा, जब देश के सभी स्कूलों में देशभक्ति का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। सीएम ने कहा कि अब हमें ओलंपिक में 7 नहीं, बल्कि 70 मेडल चाहिएं और इन्हीं मकसदों को पूरा करने के लिए हमने स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाई है। सीएम ने देश के सारे खिलाड़ियों से आह्वान करते हुए कहा कि आप दिल्ली में आएं और आपको सारी सुविधाएं दिल्ली के दो करोड़ लोग देंगे। साथ ही, योग को जन आंदोलन बनाने के लिए हम दो अक्टूबर से पूरी दिल्ली में योग की क्लासेज शुरू करने जा रहे हैं। इस अवसर पर सीएम ने दिल्ली वालों से अपील की कि आइए, हम सभी दिल्लीवासी यह संकल्प लें कि हमें आने वाले समय के अंदर दिल्ली को दुनिया का सबसे बेस्ट शहर बनाना है।
दिल्ली सचिवालय में आज 75वें स्वतंत्रता दिवस का आयोजन बड़ी धूमधाम के साथ किया गया। सचिवालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल मुख्य अतिथि रहे। इस दौरान उन्होंने ध्वजारोहण कर दिल्ली और पूरे देशवासियों को 75वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। इस दौरान दिल्ली सरकार के सभी मंत्री, विधायक समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज पूरा देश खुशी से देशभक्ति में सराबोर है। इस अवसर पर मैं उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को दिल्ली के दो करोड़ों लोगों और सभी देश वासियों की तरफ से नमन करता हूं, जिन लोगों ने देश को आजाद कराने के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दीं, तरह-तरह की यातनाएं सहीं, अपने करियर बर्बाद किए, पूरी जिंदगी संघर्ष किया। उन लोगों की वजह से हमारा देश 1947 में आजाद हुआ। आज मैं सभी दिल्ली वासियों और सभी देश वासियों की तरफ से, उन सभी लोगों को नमन करता हूं, जिन लोगों ने 1947 के बाद से लेकर आज तक पिछले 74 साल में इस देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए देश की सरहदों के ऊपर अपनी कुर्बानियां दीं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से हमारा देश ही नहीं, पूरी दुनिया एक ऐसी त्रासदी और महामारी से गुजर रही है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। किसी की कल्पना में भी नहीं आया था कि कोरोना नाम की कोई बीमारी आएगी। पिछले डेढ़ साल से लोग इस बीमारी की वजह से परेशान हैं और ऐसे कई डॉक्टर, नर्सेज पैरामेडिकल स्टाप और फ्रंटलाइन वर्कर्स ने लोगों की सेवा करते हुए अपनी जान गंवाई है। आज मैं दिल्ली वासियों और देश वासियों की तरफ से उन सबको नमन करता हूं। पिछले डेढ़ साल के अंदर देश में कोरोना की दो लहर आई, लेकिन दिल्ली में कोरोना की चार लहर आयीं। बीते अप्रैल के महीने में जो लहर आई, वह दिल्ली के लिए वह चौथी लहर थी। पहली लहर पिछले साल जून महीने में आई। दूसरी लहर पिछले साल सितंबर में आई और फिर नवंबर में आई और अब इस साल अप्रैल के महीने में आई। लेकिन इस साल अप्रैल के महीने में जो लहर आई, वह इतनी खतरनाक थी कि शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा, जिसमें किसी न किसी को कोरोना न हुआ हो और न जाने कितने ऐसे लोग हैं, जिनकी सभी कोशिशों के बावजूद जान चली गई। कितने ऐसे परिवार हैं, जिनके अंदर कमाने वाले चले गए और कितने ऐसे बच्चे हैं, जो अनाथ हो गए। मुझे याद है कि अप्रैल का महीने हमारे लिए भावनात्मक रूप से कितना मुश्किल समय था। मैं खुद हमारे मंत्री, हमारे विधायक, हमारे सभी अधिकारी रात-रात भर जागकर एक-एक जान बचाने की कोशिश करते थे। कोशिश करते थे कि जहां भी कोई कमी है, उस कमी को पूरा किया जाए और लोगों की जान बचाई जा सके। सबसे ज्यादा मैं आज इस मौके पर डॉक्टर्स, नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ को सलाम करता हूं। ऐसे-ऐसे कई लोगों को मैं जानता हूं, जो कई-कई दिनों तक अपने घर नहीं गए और अस्पताल में ही रहे। उसकी वजह से उन्हें कोरोना हो गया और उनकी जान चली गई। आज सब लोग दिल से उन लोगों का आभार व्यक्त करना चाहते हैं। 

सीएम ने कहा कि हमने उन्हें किसी सिपाही, किसी सैनिक से कम नहीं माना। दिल्ली सरकार की एक योजना है कि अगर दिल्ली का रहने वाला कोई सैनिक बॉर्डर पर शहीद होता है, तो दिल्ली सरकार उनको एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि देती है। वही सम्मान हमने अपने डॉक्टरर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सेज और फ्रंटलाइन वर्कर को दिया। दिल्ली सरकार की तरफ से उन सभी लोगों को, जिन डॉक्टर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ ने लोगों की सेवा करते हुए कोरोना के वक्त अपनी जान गवाई, ऐसे ढेरों लोगों को दिल्ली सरकार ने एक-एक करोड़ रुपए देने के लिए नामित किया। हम उनके जान की कीमत नहीं लगा सकते। किसी की जान की कीमत नहीं हो सकती है और ऐसे निःस्वार्थी लोग आज इस दुनिया में मिलते कहां हैं? जो दूसरों के लिए अपनी जान दे दें, लेकिन यह एक करोड़ रुपए की राशि उनके परिवार को देकर देश की तरफ से और दिल्ली की तरफ से यह कहना चाहते हैं कि हम उनके आभारी हैं और हम उनके साथ खड़े हैं और देश उनका सम्मान करता है। जिन मरीजों ने कोरोना से ग्रसित होकर जान गंवाई, उन लोगों के साथ भी दिल्ली सरकार खड़ी है। उनके लिए सरकार ने तरह-तरह की योजनाएं बनाई हैं, जो बच्चे अनाथ हो गए, वह हमारे बच्चे हैं, वह हमारी दिल्ली और हमारे देश के बच्चे हैं। हम उन्हें ऐसे अनाथ नहीं छोड़ सकते हैं। उनके भविष्य के लिए भी सरकार ने योजना बनाई है। जिन परिवारों के कमाने वाले लोग चले गए, उनके लिए भी सरकार ने योजना बनाई है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज 74 साल आजादी के पूरे हो गए और 75 साल में हम लोग प्रवेश कर रहे हैं। सीएम ने इस खुशी के मौके पर एक खुशखबरी देते हुए कहा कि पिछले 74 साल में हमने अपने देश के स्कूलों में बच्चों को फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ, जियोग्राफी और हिस्ट्री पढ़ाई, सब कुछ पढ़ाया, लेकिन देश भक्ति नहीं पढ़ाई। पढ़ाने में थोड़ी सी कमी रह गई। हमने यह मान लिया कि देशभक्ति तो अपने आप ही आ जाएगी। मुझे बेहद खुशी है कि आज 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर दिल्ली सरकार देश के अंदर यह शुरुआत करने जा रही है। दिल्ली के स्कूलों के अंदर अब देशभक्ति का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इस पाठ्यक्रम में हम अपने बच्चों को देश के प्रति गर्व करने के लिए प्रेरित करेंगे। यह कोई रटने वाला पाठ्यक्रम नहीं होगा। जैसे स्कूलों के अंदर रटा जाता है। इसमें रटने वाला कोर्स नहीं होगा। यह गतिविधि वाला कोर्स होगा। इसमें बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना भरी जाएगी। देश के प्रति गर्व करने की भावना भरी जाएगी। बच्चों को देश की गौरव गाथाएं सुनाई जाएंगी। आजादी की गाथाएं सुनाई जाएंगी। बच्चों को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया जाएगा। उनको उनकी ड्यूटी बताई जाएगी कि हर बच्चे की देश के प्रति क्या ड्यूटी है? उसके लिए उनको तैयार किया जाएगा। उनको अपनी देश के प्रति जिम्मेदारी पूरी करने के लिए बताया जाएगा। हर बच्चे को देश के विकास में योगदान देने के लिए तैयार किया जाएगा। और हर बच्चे के अंदर देश के लिए मर-मिटने के लिए और अपना तन, मन और धन जरूरत पड़ने पर देश के लिए कुर्बान करने के लिए बच्चों को इस पाठ्यक्रम के जरिए स्कूलों में तैयार किया जाएगा। 27 सितंबर को शहीद ए आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। शहीद ए आजम भगत सिंह ने सबसे बड़ी कुर्बानी दी थी। 23 साल की उम्र में वह नौजवान खुशी-खुशी फांसी के फंदे पर चढ गया। उनका पूरा जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है। उस शख्स ने अपने समय के ही नहीं, तब से लेकर आज तक जितने भी युवा इस देश में पैदा हुए हैं, उन सब को शहीद भगत सिंह से प्रेरणा मिलती आई है। 27 सितंबर से दिल्ली के सरकार सभी सरकारी स्कूलों के अंदर देशभक्ति पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। यह हम लोगों की शहीद ए आजम भगत सिंह के प्रति श्रद्धांजलि है। 75वें स्वतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर मैं सभी अभिभावकों का आह्वान करता हूं कि बच्चा जब स्कूल से वापस घर आए तो उनके साथ बैठ कर थोड़ी देर देश की चर्चा करना। उनसे पूछें कि आज देशभक्ति के अंदर क्या पढ़ाया गया है? इससे अभिभावकों को भी प्रेरणा मिलेगी और बच्चों के अंदर भी प्रेरणा जागेगी। आइए इस 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम सब लोग मिलकर के पूरे देश को देशभक्ति में सराबोर कर दें। मैं उम्मीद करता हूं कि जो यह देशभक्ति पाठ्यक्रम काम दिल्ली के लोगों ने शुरू किया है, जल्द ही एक ऐसा समय आएगा, जब पूरे देश के अंदर सभी स्कूलों में देशभक्ति का यह पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। हमारे बच्चे आने वाले भविष्य हैं। आने वाले भारत की बागडोर हमारे बच्चों को संभालनी है। अगर आज हम अपने बच्चों को देश की बागडोर संभालने के लिए तैयार कर दिया, तो देश का भविष्य सुनहरा होगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से 6-7 साल पहले दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने मिलकर दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति का आगाज किया। एक नई किस्म की शिक्षा प्रणाली शुरुआत की। हमारे देश में दो किस्म की शिक्षा प्रणाली है। एक अमीरों के लिए और एक गरीबों के लिए। जिसके पास पैसा है, वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजता है। गरीब आदमी मजबूरी में अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजा करता था। मजबूरी में इसलिए, क्योंकि उन दिनों सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बहुत खराब हुआ करती थी, लेकिन पिछले 6-7 साल के अंदर दिल्ली के लोगों ने कमाल करके दिखा दिया। एक ऐसी शिक्षा क्रांति की कि आज लोग दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से अपने बच्चों को निकाल कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई कि दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों के 12वीं क्लस के नतीजे 99.97 फीसद आए हैं। प्राइवेट स्कूलों के इतने अच्छे नतीजे नहीं आए। लोग यकीन नहीं करते हैं कि सरकारी स्कूलों के इतने अच्छे नतीजे आ सकते हैं। यह सब उस शिक्षा क्रांति का नतीजा है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले दिनों एक और बड़ी बात हुई है। जैसे हर राज्य का अपना शिक्षा बोर्ड है। दिल्ली ने भी अपना शिक्षा बोर्ड बनाया, दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन। हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना सरकार समेत हर राज्य का अपना शिक्षा बोर्ड है, लेकिन दिल्ली में अपना शिक्षा बोर्ड नहीं था और इसे हम लोगों ने बनाया। ऐसे ही केंद्र सरकार का भी सीबीएसई बोर्ड है। इसके अलावा, एक बोर्ड इसके ऊपर भी है। उसका नाम इंटरनेशनल बोर्ड है। अंग्रेजी में उसे इंटरनेशनल बैकोलॉरिएट कहते हैं। वह इंटरनेशनल बोर्ड ऐसा है, जिसमें शिक्षा पाने के लिए बड़े-बड़े स्कूल बेताब रहते हैं। बड़े-बड़े अमीरों के बच्चे बेताब रहते हैं। उस बोर्ड से शिक्षा पाने के लिए पूरी दुनिया के स्कूल और अमीरों के बच्चे लालायित रहते हैं। 159 देशों के अंदर वह बोर्ड काम कर रहा है। 159 देशों की सरकारों और स्कूलों के साथ मिलकर काम कर रहा है। फ्रांस, जापान, अमेरिका, कनाडा इन सरकारों के साथ काम कर रहा है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि अभी पिछले हफ्ते दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन और इंटरनेशनल बोर्ड के बीच में एग्रीमेंट हुआ है। अब हमारे दिल्ली सरकार के जितने भी सरकारी स्कूल हैं, उन सारे सरकारी स्कूलों के अंदर इंटरनेशनल बोर्ड की शिक्षा दी जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा दी जाएगी। वह शिक्षा दी जाएगी, जिसको पाने के लिए देश ही नहीं, पूरी दुनिया के बच्चे तरसते हैं। अब वह शिक्षा हमारे दिल्ली के बच्चों को दी जाएगी। मुझे आज 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर यह एलान करते हुए बेदह गर्व हो रहा है। सीएम  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 6-7 साल के अंदर दिल्ली के दो करोड लोगों की मेहनत की वजह से आज दिल्ली एक गवर्नेंस की लेबोरेटरी बन गई है। दिल्ली में किस्म- किस्म के प्रयोग हो रहे हैं। दिल्ली में अलग-अलग क्षेत्रों के अंदर प्रयोग हो रहे हैं। अभी पिछले हफ्ते हमने आरटीओ के दफ्तर पर ताला लगा दिया। लोग कहने लगे कि यह अजीब सरकार है। सरकारें तो नए-नए दफ्तर खोलती हैं, यह ताले लगा रही हैं। दफ्तर पर ताला लगाने का मतलब यह नहीं कि दफ्तर बंद कर रहे हैं। ताला लगाने का मतलब यह है कि अब आपको अपना काम कराने के लिए दफ्तरों में आने की जरूरत नहीं है। लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है। दलालों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। एक समय ऐसा था कि जब लर्निंग लाइसेंस बनवाना होता था, तो आप दफ्तर से छुट्टी लेते थे। आरटीओ के दफ्तर जाते थे। लाइन में लगते थे। फिर जब नंबर आता था, तो कोई न कोई आपत्ति लगा देते थे। फिर वापस जाते थे और फिर दुबारा आते थे। कई बार चक्कर काटने के बाद लोग दलाल पकड़ कर काम कराते थे। अब आपको यह सब करने की जरूरत नहीं है। अब आपको दलालों को पैसे देने की जरूरत नहीं है। अब आपको लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है। अब आप अपना इंटरनेट पर जाओ, ट्रांसपोर्ट विभाग की वेबसाइट पर जाओ और आधे घंटे के अंदर आपका काम हो जाएगा। अगर आपको इंटरनेट इस्तेमाल करने नहीं आता है तो आप 1076 पर कॉल करो और आपका काम घर बैठे हो जाएगा। हमारा आदमी आपके घर आएगा और आपका काम करके जाएगा। ऐसी चीज कभी सुनने को नहीं मिलीं। अभी ट्रांसपोर्ट विभाग से हमने शुरू किया है और धीरे-धीरे करके हम सारी दिल्ली सरकार आपके घर ही भेज देंगे। अब आपको सचिवालय या अन्य दफ्तरों में आने की जरूरत नहीं होगी। मैं उम्मीद करता हूं कि अब दिल्ली ने एक मॉडल दिया है और यह मॉडल जल्द ही पूरे देश के अंदर लागू होगा। जब अलग किस्म की गवर्नेंस की परिभाषा होगी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि तीन-चार साल पहले हमने डोर स्टेप डिलीवरी शुरू की थी। तब भी लोगों को यकीन नहीं हो रहा था। जैसे आप पिज्जा ऑर्डर करते हो और वह पिज्जा वाला आपके घर पर डिलीवर करके जाता है। ऐसे ही तीन साल पहले हमने डोर स्टेप डिलीवरी सेवा शुरू की थी। इसमें करीब 150 से ज्यादा दिल्ली सरकार की सेवाएं घर बैठे मिल रही हैं। आप 1076 पर फोन करो, दिल्ली सरकार का कर्मचारी आपके घर आएगा और आपका काम करके जाएगा। लोगों को यकीन नहीं होता था कि इस किस्म की भी सरकार हो सकती है। सीएम ने कहा कि शिक्षा के अंदर दिल्ली के लोगों ने नए-नए प्रयोग किए। नतीजे तो अच्छे आ ही रहे हैं। हमने एक हैप्पीनेस क्लास शुरू की है। हैप्पीनेस क्लास का मतलब कि हर रोज बच्चों को 45 मिनट के लिए ध्यान कराया जाता है, देशभक्ति की बातें सिखाई जाती है और तरह-तरह की गतिविधियां सिखाई जाती है। उसका बच्चों पर बहुत ही शानदार असर पड़ रहा है। उनके बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि इसका क्या असर पड़ रहा है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि इसकी चर्चा देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में हो रही है। अभी जब अमेरिका के राष्ट्रपति पिछले साल भारत आए थे, तो उनकी धर्मपत्नी दिल्ली के सरकारी स्कूल में आकर हैप्पीनेस क्लास अटेंड की थी। दिल्ली के अंदर जो प्रयोग हो रहे हैं, उसकी पूरी दुनिया के अंदर चर्चा हो रही है। एंटरप्रियोरशिप कोर्स शुरू हो रहे हैं। 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को बिजनेस करना सिखा रहे हैं। क्लास में बैठकर बच्चे नए-नए विचार सोच रहे हैं। मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि इस एंटरप्रेन्योरशिप क्लास की वजह से टाटा और बिरला दिल्ली के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। हम लोगों ने मोहल्ला क्लिनिक मनाया। आज देश के कई सारे राज्यों को मैं जानता हूं, जहां नए-नए मोहल्ला क्लीनिक बन रहे हैं। दिल्ली के लोगों ने करके दिखाया और आज पूरा देश उसका अनुसरण कर रहा है और चारों तरफ उसकी चर्चा हो रही है। 

सीएम ने आगे कहा कि हमने एक कॉन्सेप्ट शुरू किया कि अगर इस देश के अंदर कोई पैदा हुआ, तो उसकी बुनियादी जरूरतें पूरा करना सरकार का काम है। अगर वह पैदा हुआ, उसके पास पैसे नहीं हैं, तो क्या वह पानी नहीं पिएगा, रोटी नहीं खाएगा। बिजली इस्तेमाल नहीं करेगा। एक इंसान को जिंदा रहने के लिए जो बुनियादी चीज की जरूरत है, उसे सरकार फ्री में देगी। हमने तय किया 20 हजार लीटर पानी लाइफ लाइन है। हम उसको फ्री में देंगे। हमने तय किया कि 200 यूनिट बिजली एक आदमी की लाइफ लाइन है, हम वह फ्री में देंगे। हमने तय किया कि शिक्षा लाइफ लाइन है। हर एक बच्चे को अच्छी और मुक्त शिक्षा मिलेगी। हमने तय किया कि अगर कोई बीमार हो जाए, तो दवा उसकी लाइफ लाइन है। हर एक परिवार के लिए दवा का इंतजाम किया। मुझे खुशी है कि इसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। आज गोवा की सरकार ने अपने यहां 16 हजार लीटर पानी प्रति परिवार प्रति महीना देने का फैसला किया है। मुझे पता चला है कि कई सारी सरकारें 200 यूनिट बिजली मुक्त करने की बातें कर रही हैं। आज दिल्ली में 24 घंटे बिजली मिल रही है। अब बाकी राज्य के लोग भी कह रहे हैं कि दिल्ली के अंदर 5 साल में 24 घंटे बिजली मिल सकती है तो हमें क्यों नहीं मिल सकती है। मैं उम्मीद करता हूं कि एक ऐसा समय आएगा, जब देश के अंदर गरीब से गरीब नागरिक को 24 घंटे बिजली मिलेगी, जैसे दिल्ली के लोगों को मिल रही है। 

सीएम ने कहा कि दिल्ली में हमने पॉलिसी बनाई कि अगर किसी का भी एक्सीडेंट होगा। उसको आप करीबी अस्पताल लेकर जाइए। चाहे वह कितना भी बड़ा अस्पताल हो, उसकी जान बचाना जरूरी है और उसका सारा खर्चा दिल्ली सरकार देगी। अभी तक 10 हजार से ज्यादा इस पॉलिसी के तहत लोगों की जान बचाई जा चुकी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह पॉलिसी एक दिन राष्ट्रीय पॉलिसी बनेगी और एक्सिडेंट से पीड़ित लोगों की जान बचा पाएंगे। कोरोना के दौरान दिल्ली सरकार के हमारे डॉक्टरों ने सबसे पहले प्लाज्मा थेरेपी के जरिए कोरोना का इलाज किया था। अमेरिका ने उसके बाद में किया था। पहले प्लाज्मा थेरेपी दिल्ली में आई थी। कोरोना के दौरान सबसे पहले पूरी दुनिया में होम आइसोलेशन दिल्ली के अंदर लागू हुआ। दिल्ली एक तरफ से गवर्नेंस की एक लेबोरेटरी बनती जा रही है। आने वाले समय में कई नए-नए प्रयोग होंगे और हम देश और दुनिया को नई किस्म की गवर्नेंस के मॉडल देकर जाएंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी ओलंपिक गेम्स में 7 मेडल मिले। पूरे देश को बड़ी खुशी हुई है। उन सातों खिलाड़ियों को मैं अपने दो करोड़ दिल्ली वासियों की तरफ से बधाई देना चाहता हूं और उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने पूरी दुनिया के अंदर देश का नाम रोशन किया। हमें अब इससे आगे की सोचनी है। सात नहीं, अब भारत को 70 मेडल चाहिएं। अगर चीन, फ्रांस और अमेरिका समेत दूसरे देश मेडल ला सकते है, तो भारत क्यों नहीं ला सकता? क्या भारत में खिलाड़ियों की कमी है? क्या हमारे 130 करोड़ लोगों के अंदर प्रतिभा की कमी है। टैलेंट की बिल्कुल भी कमी नहीं है। हमने एक स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाई है। यह सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं, पूरे देश के लिए बनाई है। इसमें हमारे कई मकसद हैं, लेकिन लेकिन हमारा पहला मकसद है कि हमें ओलंपिक के अंदर ढेर सारे मेडल जीतने हैं। मुझे पूरा यकीन है कि हम दिल्ली के दो करोड़ लोग नहीं, अब 130 करोड़ लोग मिलकर, मैं पूरे देश के सारे खिलाड़ियों का आह्वान करता हूं कि जिन-जिन लोगों के अंदर क्षमता है, जिन-जिन लोगों के अंदर प्रतिभा है, वे आएं दिल्ली के अंदर और आपको सारी सुविधाएं दिल्ली के दो करोड़ लोग मिल कर देंगे। हम सब मिलकर भारत के लिए एक दिन 70 मेडल लेकर आएंगे। हर राज्य के अंदर अपना एक सैनिक स्कूल है। दिल्ली के अंदर सैनिक स्कूल नहीं था। अब दिल्ली के अंदर पहला सैनिक स्कूल खोलने की तैयारी शुरू की जा रही है। दिल्ली के अंदर एक एकेडमी की शुरुआत करने की तैयारी की जा रही है। इस एकेडमी में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को एनडीए के लिए और फौज में भर्ती होने के लिए तैयार किया जाएगा। उनको तरह-तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। उनको हर तरह की कोचिंग दी जाएगी। ताकि हमारे दिल्ली के खूब सारे बच्चे सेना में भर्ती हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने पूरे विश्व को योग दिया। योग एक ऐसी तकनीकी है, जिससे एक आदमी का मन और शरीर स्वस्थ रह सकता है। मन, शरीर और आत्मा तीनों स्वस्थ रहता है, लेकिन अपने देश के अंदर धीरे-धीरे योग लुप्त हो चला है। योग के नाम पर हम एक इंटरनेशनल योग दिवस मनाते हैं। उसके बाद हम भूल जाते हैं। योग को जन आंदोलन बनाने के लिए और योग को हर व्यक्ति की जिंदगी का हिस्सा बनाने के लिए इस साल 2 अक्टूबर से हम दिल्ली के अंदर दिल्ली के पार्कों में, दिल्ली की हॉल और कम्युनिटी सेंटर में जगह-जगह योग की क्लास शुरू करने जा रहे हैं। उसके लिए जबरदस्त तरीके से तैयारियां चल रही हैं। खूब सारे योग इंस्ट्रक्टर की फौज तैयार की जा रही है। कहीं भी किसी भी कॉलोनी में 30-40 लोग मिलकर अगर कहेंगे कि हमें इंस्ट्रक्टर चाहिए, तो दिल्ली सरकार उनको फ्री में इंस्ट्रक्टर देगी। आप योग करना शुरू करो, अपने आपको स्वस्थ रखो और अपने परिवार को स्वस्थ रखो। सीएम ने कहा कि आज हम आजादी का 75 साल मना रहे हैं। जब आजादी के 100 साल होंगे, तब हम कैसी दिल्ली देखना चाहते हैं, हमें उसकी तैयारी भी करनी है। मार्च में, जब हम लोगों ने बजट प्रस्तुत किया था, तब हमने दो वादे किए थे। हमें अपने को उन दोनों वादों पर तैयार करना है। 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय हम इतनी कर देंगे कि सिंगापुर के प्रति व्यक्ति आय के बराबर दिल्ली के हर व्यक्ति की आय होगी। लेकिन यह सिर्फ सरकार नहीं कर सकती है। यह सबको मिलकर करना होगा। यह दो करोड़ लोगों को मिलकर करना पड़ेगा। सारी बिजनेस कम्युनिटी को मिलकर करना पड़ेगा। सारी दिल्ली को साथ आना पड़ेगा। हम सभी को मिलकर दिल्ली से हर व्यक्ति की गरीबी दूर करनी है और प्रति व्यक्ति हमारी आय सिंगापुर के प्रति व्यक्ति आय के बराबर करनी है। सिंगापुर की आय बहुत ज्यादा है। उनके बराबर आय करके हम दिखाएंगे। 2047 के बाद वाला जो ओलंपिक होगा, उसके लिए दिल्ली दावेदारी पेश करेगी। उसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। आज तक कभी ओलंपिक अपने देश में नहीं हुआ है। अब दिल्ली के अंदर ओलंपिक की तैयारी करनी है। दिल्ली ओलंपिक के खेलों के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेगा और मुझे पूरा यकीन है कि हम इतनी सारी सुविधाएं इजाद कर पाएंगे कि हम दावेदारी पेश करने में सक्षम होंगे। आज इस संकल्प के साथ कि आइए हम सभी दिल्लीवासी यह संकल्प लें कि हमें आने वाले समय के अंदर दिल्ली को दुनिया का सबसे बेस्ट शहर बनाना है। आइए, आज 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर सभी देशवासी यह संकल्प लें कि हमें देश को दुनिया का नंबर वन देश बनाना है।

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