अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज लेडी इरविन काॅलेज में 218 किलोवाॅट क्षमता के सोलर पाॅवर प्लांट का उद्घाटन किया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सोलर पाॅवर को बढ़ावा देने के लिए दो पाॅलिसी बनाई है। पाॅलिसी के तहत कोई भी कंपनी के साथ मामूली कागजी कार्रवाई कर अपने घर की छत पर सोलर पाॅवर पैनल लगवा सकता है और उसे प्रति वर्ष बिजली पर होने वाले लाखों रुपये खर्च की बचत होगी। इसी तरह, किसान भी अपने खेत में थोड़ी उंचाई पर सोलन पैनल लगवा कर कंपनी से किराया प्राप्त करने के साथ खेती भी कर सकते हैं, इससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चार साल पहले तक दिल्ली में संभवतः 7 किलोवाॅट सोलर एनर्जी पैदा की जा रही थी, जो वर्तमान में बढ़कर 177 मेगावाॅट हो गया है। लोगों को सोलर पाॅवर पैनल लगाने के लिए आगे लाने के लिए इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा, ताकि इसे आरडब्ल्यूए, स्कूल-कॉलेज, सरकारी और निजी भवनों समेत सभी जगह लगाया जा सके। उर्जा के मौजूदा सभी स्रोतों में ग्रीन एनर्जी का ही भविष्य है। थर्मल एनर्जी से काफी प्रदूषण होता है, इसलिए हमने दिल्ली में चल रहे दोनों थर्मल पाॅवर प्लांट को बंद कर दिए। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में दिल्ली एक सोलर राजधानी के रूप में जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज मुझे लेडी इरविन कॉलेज में 218 किलोवाॅट सोलर पाॅवर प्लांट का उद्घाटन करते हुए बेहद खुशी हो रही है। लेडी इरविन कॉलेज हमारे दिल्ली का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का काफी सम्मानित कॉलेज है। मैं समझता हूं कि दिल्ली की सोलर पाॅवर की यात्रा एक तरह से अभी शुरू हुई है। सोलर पाॅपर के क्षेत्र में अभी बहुत ज्यादा हमारी उपलब्धी नहीं है। ऐसे में जब लेडी इरविन कॉलेज जैसे संस्थान सामने आकर पहल करते हैं, तो वो सभी दूसरे संस्थानों के लिए एक मिसाल और उदाहरण बनते हैं, इससे दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलती है और इसके लिए आगे आते हैं। मुख्यमंत्री ने सोलर पाॅलर प्लांट लगाने की पहल करने पर बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ऑक्रेज एनर्जी के सभी साथियों का धन्यवाद करना चाहता हूं कि इतनी विपरित परिस्थिति में भी उन लोगों ने इतने कम समय में इसको शुरू किया और आज इसका सफलतापूर्वक उद्घाटन हो रहा है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सोलर एनर्जी के लिए हमने एक तरह से दिल्ली में पॉलिसी फ्रेमवर्क तैयार किया। मोटे तौर पर दिल्ली सरकार दो पॉलिसी लेकर आई। पहली पॉलिसी थी, जिससे सोलर पाॅवर जेनरेशन आम नागरिक तक पहुंच सके। कहा जाता था कि सोलर पाॅवर काफी महंगी है और एक आम आदमी सोलर पाॅवर कैसे खरीदेगा? पैनल लगाने के लिए इतना पैसा कहां से आएगा? दिल्ली सरकार ने इसके लिए एक पॉलिसी बनाई। पाॅलिसी के तहत तहत अगर आप अपने घर की सिर्फ छत दे दें, तो आपके पास एक कंपनी आएगी और वह अपना पैसा लगाकर सारे सोलर पाॅवर पैनल लगाएगी। उस कंपनी को सोलर पाॅवर पैनल लगाने के लिए दिल्ली सरकार सब्सिडी देगी, ताकि उसका शुरूआती खर्चा कम हो जाए और वो कंपनी आपको भी बिजली बेचेगी और जो बिजली बचेगी, उसे बिजली कंपनियों को बेच देगी। दिल्ली का एक निवासी या एक संस्था या एक आरडब्ल्यूए, जो अपनी छत दे रहा है, उनको एक भी पैसा उसे लगाने में खर्च नहीं करना है, उनको जो बिजली का खर्च साल में होता था, उसमें भी बचत होगी। उनको केवल अपनी छत देने के लिए कुछ कागजों के ऊपर हस्ताक्षर करने हैं। ऐसा करके उनका साल में बिजली का कई लाख रुपए बच जाता है। यह एक तरह से दोनों हाथ में लड्डू होने वाली बात है। हमने पहली पॉलिसीयह बनाई है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दूसरी पॉलिसी जो अभी एक-दो साल पहले ही बनी है, इसको लोगों तक लेकर जाना है। यह पाॅलिसी खासकर किसानों किसानों के लिए है। किसानों के पास बड़े-बड़े खेत हैं। हमने यह कहा कि अगर वो अपने खेत के ऊपर थोड़ी सी उंचाई पर सोलर पैनल लगाने की इजाजत दें दें, तो उनके सारे खेत के ऊपर सोलर पैनल लग जाएंगे, उस किसान को सोलर पैनल लगाने वाली कंपनी जगह देने के बदले में किराया देगी और साथ में किसान अपनी जमीन के ऊपर खेती भी कर सकता है। इस तरह किसान की आय दो से तीन गुना हो जाती है। खेती से अगर वह आज 30 हजार, 40 हजार, 50 हजार रुपये प्रति एकड़ कमाता था, तो वह सोलर पाॅवर कंपनी से करीब 1 लाख रुपये प्रति एकड़ उसी जमीन से कमाने लगेगा। इस तरह उसकी आय तीन से चार गुना हो गई। दिल्ली सरकार ने पिछले चार-पांच साल में यह दो पॉलिसी पास की है।सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘चार साल पहले हमारे दिल्ली में शायद कुल सोलर पाॅवर उत्पादन करीब 7 मेगावाॅट था, जो आज चार साल में बढ़कर 177 मेगावाॅट हो गया है, लेकिन यह भी बहुत ज्यादा नहीं है। अभी अपनी दिल्ली के अंदर इसकी संभावना बहुत ज्यादा है। हमें इसको एक आंदोलन बनाना होगा। जैसा हमने कहा कि यह एक आम नागरिक के लिए दोनों हाथ में लड्डू जैसा है, इसके बाद भी अभी यह क्यों नहीं फैल रहा। इसका कारण यह है कि अभी लोगों को इसके बारे में ज्यादा पता नहीं है। इसके बारे में जिसे भी पता चलेगा, वह लगवाने के लिए तैयार हो जाएगा। इसको एक आंदोलन बनाना पड़ेगा, जिसके बाद यह आरडब्ल्यूए, स्कूल और कॉलेज, सरकार और निजी भवनों आदि सभी लगाएंगे और यह सब के फायदे की बात है। मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में इसको एक जनआंदोलन की तरह पूरी दिल्ली के अंदर शुरू करेंगे और मुझे आश्चर्य नहीं होगा कि आने वाले दिनों में दिल्ली सोलर पाॅवर के क्षेत्र में पूरे भारत की राजधानी बन जाएगी। दिल्ली के लोगों ने पिछले कुछ वर्षों के अंदर बहुत अच्छे-अच्छे काम कर दिखाए। हम लोगों ने मोहल्ला क्लिनिक बनाए, आज पूरी दुनिया उसकी तारीफ कर रही है। शिक्षा के क्षेत्र में जो काम हुआ, उसने पूरे देश को एक दिशा दी है। अभी जो इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी बनाई है, उसकी पूरे देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के अंदर तारीफ हो रही है। उसी तरह मुझे उम्मीद है कि दिल्ली आने वाले दिनों में एक सोलर राजधानी के रूप में जाना जाएगा।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं समझता हूं कि जितने भी उर्जा के मौजूदा स्रोत हैं, उसमें से अब भविष्य ग्रीन एनर्जी का ही है। थर्मल एनर्जी प्रदूषित ऊर्जा का स्रोत है। इसमें प्रदूषण इतना ज्यादा होता है। दिल्ली में दो थर्मल पाॅवर प्लांट थे, हमने दोनों को बंद कर दिए। दिल्ली के आसपास 11 थर्मल पाॅवर प्लांट हैं वो भी हम चाहते हैं कि बंद कर दिए जाएं, लेकिन वो दिल्ली के अधिकार क्षेत्र में पहरं आते हैं, सभी बाहर के हैं और वहां से दिल्ली के अंदर बहुत ज्यादा प्रदूषण आता है। थर्मल पाॅवर प्लांट जो हैं, वो सब प्रदूषण के स्रोत हैं। जो बड़े-बड़े हाइड्रो इलेक्ट्रिक पाॅवर प्लांट लगते थे, उसमें बहुत ज्यादा जमीन अधिग्रहित करनी पड़ती है। कई गांव इसके दायरे में आ जाते थे जो एक बहुत बड़ा मुद्दा होता था, लेकिन सोलर पाॅवर एनर्जी एक ऐसी चीज है, जो स्थनीय स्तर पर की जा सकती है और बहुत ज्यादा साफ उर्जा है। इसे हम सब लोगों को मिलकर आने वाले समय में आंदोलन बनाना है। उल्लेखनीय है कि डीएमआरसी ने दिल्ली में 20 मेगावाट से अधिक सौर परियोजनाएं स्थापित की हैं। इससे डीएमआरसी को को रिवा अल्ट्रा मेगा सोलर पाॅवर प्रोजेक्ट (कुल क्षमता 750 मेगावाॅट) से लगभग 50 मेगावाॅट बिजली भी मिल रही है। दिल्ली सरकार ने कम टैरिफ नवीकरणीय ऊर्जा बिजली खरीद समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दिल्ली सरकार ने डिस्कॉम को 2000 मेगावाॅट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए देश भर में सबसे कम, लगभग 2.8 रुपये प्रति यूनिट की दर पर पीपीए में प्रवेश करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। वर्ष 2015 से 2019 की अवधि के दौरान करीब 2000 मेगावाॅट सौर और पवन ऊर्जा के पीपीए पर हस्ताक्षरण किए गए, जिसकी औसत लागत करीब 2.8 रुपए प्रति यूनिट है।
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दिल्ली सौर ऊर्जा नीति-2016-
दिल्ली उच्च न्यायालय (250 किलोवाट), साकेत कोर्ट (350 किलोवाट), बवाना पाॅवर प्लांट (1360 किलोवाट), डीजेबी वाॅटर ट्रीटमेंट प्लांट हैदरपुर (2530 किलोवाट), डीजेबी वाॅटर ट्रीटमेंट प्लांट गोकुलपुरी (1667 किलोवाट) और डीजेबी वाॅटर ट्रीटमेंट प्लांट सोनिया विहार (1613 किलोवाट) दिल्ली में स्थापित यह बड़ी क्षमता वाले सौर परियोजना स्थलों में से हैं।
दिल्ली सरकार के 260 स्कूलों का सोलरीकृत किया जा चुका है। दिल्ली विश्वविद्यालय के 15 से अधिक कॉलेजों और आईटीआई, मेडिकल, पॉलिटेक्निक और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के अधिकांश हिस्सों पर रूफटॉप सोलर लगाया गया है। कुछ प्रमुख प्रतिष्ठान डीटीयू,एनएनआईटी,आईपी विश्व विद्यालय और आईजीडीटीयूडब्ल्यू में भी स्थापित किया गया है। इसके अलावा तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल भी सोलरकृत किए गए हैं। दिल्ली सरकार ने सितंबर 2018 में ‘मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा योजना’ की शुरूआत की है, जिसमें संस्थागत और सरकारी क्षेत्र के अलावा मुख्य रूप से आवासीय क्षेत्र (सहकारी समूह आवास समितियों सीजीएचएस सहित) में सौर फोटोवोल्टिक को अपनाने में तेजी लाने की परिकल्पना की गई थी।
इसके तहत, मिलन विहार सीजीएचएस पट्परगंज (140 किलोवाट), शिव भोला सीजीएचएस द्वारका (100 किलोवाट), और कमल विहार सीजीएचएस द्वारका (200 किलोवाट) ने सोसायटियों की छत पर सौर संयंत्र लगाए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के लिए समूह नेट मीटरिंग और वर्चुअल नेट मीटरिंग के दिशा निर्देश 2019 के अनुसार, दिल्ली में सभी उपभोक्ताओं की कटेगरी के लिए जीएनएम फ्रेमवर्क लागू होगा। जबकि, वीएनएम फ्रेमवर्क आवासीय उपभोक्ताओं, सरकारी प्रतिष्ठानों और अक्षय ऊर्जा जनरेटर के लिए लागू होगा, जो मुख्यमंत्री किसान आय बढ़ोत्तरी योजना (एमएमकेएबीवाई) के तहत पंजीकृत हैं। दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र उज्वा में मुख्यमंत्री किसान आय बढ़ोत्तरी सोलर योजना के तहत 110 किलोवाट का प्रदर्शन सौर परियोजना फिलहाल विकास के चरण में है। नवंबर 2020 तक इसे चालू कर दिया जाएगा।