अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यह फैसला केंद्र द्वारा अध्या देश लाकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीन लेने के परिप्रेक्ष्य में लिया है। इस संबंध में सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर अवगत करा दिया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि आठ साल के लंबे संघर्षों के बाद दिल्लीवालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती और उनको न्याय मिला, लेकिन मात्र आठ दिन में केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया। देश के लोग पूछ रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नहीं मानते हैं तो फिर वे न्याय के लिए कहां जाएं? सीएम ने अनुरोध किया है कि प्रधानमंत्री देश के पिता समान होते हैं। इसलिए ग़ैर भाजपा सरकारों को काम करने दें।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजकर अवगत कराया है। इस पत्र में सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि कल नीति आयोग की मीटिंग है। नीति आयोग के उद्देश्य हैं भारतवर्ष का विज़न तैयार करना और सहकारी संघवाद (कोआपरेटिव फेडरलिज्म) को बढ़ावा देना। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, ग़ैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, उनको तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा है, यह न तो हमारे भारत वर्ष का विज़न है और न ही सहकारी संघवाद (कोआपरेटिव फेडरलिज्म) है।सीएम ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से देश भर में एक संदेश दिया जा रहा है कि यदि किसी राज्य में लोगों ने ग़ैर भाजपा की सरकार बनाई तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। या तो ग़ैर भाजपा सरकार को विधायक खरीद कर गिरा दिया जाता है या ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर विधायकों को तोड़कर सरकार को गिरा दिया जाता है और अगर किसी पार्टी के विधायक न बिके और न टूटे तो अध्यादेश लागू करके या गवर्नर के ज़रिए उस सरकार को काम नहीं करने दिया जाता।सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र में कहा है कि आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती और दिल्ली वालों को न्याय मिला। लेकिन मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया। आज अगर दिल्ली सरकार का कोई अधिकारी काम न करे तो लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार उस बारे में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। ऐसे सरकार कैसे काम करेगी? ये तो सरकार को बिल्कुल पंगु बनाया जा रहा है। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं? क्या यही भारत देश का विज़न है? क्या यही सहकारी संघवाद है?सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में ज़बरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे हैं अगर प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जाएंगे? जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मज़ाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसलिए लोगों का कहना है कि हमें कल होने वाली नीति आयोग की मीटिंग में नहीं जाना चाहिए। इसलिए कल की मीटिंग में मेरा शामिल होना संभव नहीं होगा।सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र के अंत में कहा है कि देश के प्रधानमंत्री परिवार के पिता और बड़े भाई के समान होते हैं। किसी राज्य में चाहे किसी पार्टी की सरकार हो, प्रधानमंत्री को सबको साथ लेकर चलना चाहिए। जब देश के सभी लोग, सभी राज्य और सभी सरकारें मिलकर काम करेंगी, तभी तो देश आगे बढ़ेगा। आप यदि केवल बीजेपी सरकारों का साथ देंगे और ग़ैर बीजेपी सरकारों के काम रोकेंगे तो इससे तो देश का विकास रुक जाएगा।सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र को ट्वीट करते हुए कहा कि अगर देश के प्रधानमंत्री ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से मना करते हैं तो लोग फिर न्याय के लिए कहां जाएंगे? प्रधानमंत्री जी, आप देश के पिता समान हैं। आप ग़ैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें, उनका काम रोकें नहीं। लोग आपके अध्यादेश से बहुत नाराज़ हैं। मेरे लिए कल की नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होना संभव नहीं होगा।
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