अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:केंद्र सरकार की रोक के कारण मंगलवार को विधानसभा में दिल्ली का बजट पेश नहीं हो सका। बजट में देरी पर सदन में संकल्प पत्र पेश किया गया, जिसमें मुख्य सचिव और वित्त सचिव के भूमिका की जांच की मांग हुई। सदन ने संकल्प पत्र पास कर उसे विशेषाधिकार समिति को भेज दिया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए कहा कि आप अपना काम करें और हमें दिल्ली की जनता के काम करने दें। हमसे लड़ने के बजाय हमारा सहयोग कीजिए। एक दिन के लिए दिल्ली का बजट रोक कर किसी का कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
आज तक दिल्ली के इतिहास में कभी कोई ऑब्जर्वेशन नहीं किया गया, लेकिन इस बार परंपराओं को तोड़ा गया। यह देश के संविधान पर हमला किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 17 मार्च को मुख्य सचिव को ऑब्जर्वेशन भेजा। गृह मंत्रालय के आदेश पर मुख्य सचिव तीन दिन तक इसे लेकर बैठे रहे। 21 मार्च को दिल्ली का बजट पेश होना है और 20 मार्च को दोपहर दो बजे इसके बारे में बताया गया और वित्त मंत्री को शाम 6 बजे फाइल भेजी गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय के चार ऑब्जर्वेशन थे। हमने बजट में बिना फिगर बदले जवाब देकर हाथ जोड़ लिए और और वो खुश हो गए कि केजरीवाल को झुका दिया। हम तो सदा झुके हैं। सदन में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज सदन में दिल्ली का बजट पेश होना था, मगर केंद्र सरकार ने कल शाम को उस पर रोक लगा दी। इसलिए आज विधानसभा में बजट पेश नहीं हो पाया। संविधान कई तरह की स्थितियों का सामना करता हैं। मैं समझता हूं कि डॉ. बाबा साहब अंबेडकर जब संविधान लिख रहे थे, तब शायद उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ऐसी कोई स्थिति भी देश के अंदर आ सकती है कि केंद्र सरकार किसी राज्य सरकार के बजट को रोक सकती है। एक ऐसा संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया गया है। यह देश के संविधान के ऊपर हमला किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 मार्च को दिल्ली सरकार ने केंद्र को बजट भेजा और 17 मार्च को केंद्र सरकार ने कुछ आपत्तियां लगाकर बजट वापस भेज दिया। विपक्ष के नेता कह रहे थे कि एलजी ने बजट पर कुछ ऑब्जर्वेशन लगाए। संविधान के अंदर एलजी को चुनी हुई सरकार के बजट के ऊपर कोई भी ऑब्जर्वेशन लगाने का अधिकार नहीं है। एलजी मंत्री परिषद की सहायता और सलाह से बधे हैं। सुप्रीम कोर्ट का 2018 का आदेश और संविधान का आर्टिकल 239एए4 साफ है कि दिल्ली के उपराज्यपाल मंत्री परिषद की सहायता और सलाह से बधे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल तीन विषयों को छोड़कर चुनी हुई सरकार के निर्णय पर केवल ठप्पा लगाएंगे। एलजी अपनी ऑब्जर्वेशन भी नहीं दे सकते और फाइल पर कुछ भी नहीं लिख सकते हैं। अगर एलजी सरकार से आई फाइल पर कुछ भी लिखते हैं तो यह संविधान के खिलाफ है और पूरे सदन का अपमान है। कुछ कहना है तो सदन कहेगा। हम सभी को जनता ने चुनकर सदन में भेजा है। अगर एलजी को ही दिल्ली चलानी थी तो जनता ने हमें चुनकर क्यों भेजा है?
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