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हरियाणा

सीएम  मनोहर  ने ‘सक्षम’ योजना के माध्यम से 100 घंटे काम के बदले मेहनताना देने की पूरे देश में एक अनूठी योजना की शुरूआत की। 

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: पढ़े-लिखे युवाओं को ‘सक्षम’ योजना के माध्यम से 100 घंटे काम के बदले मेहनताना देने की अपनी तरह की पूरे देश में एक अनूठी योजना लागू करने की हरियाणा से शुरूआत करने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ऐसे सक्षम युवाओं को अब आगे भी काम पर रखा जा सके इसके लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एक अलग से प्राधिकरण या विभाग का गठन किया जाए,जिसके माध्यम से अलग-अलग विभागों की योजनाओं के क्रियान्वयन व सर्वे का कार्य सुनिश्चित हो। इससे 10 हजार से अधिक युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। सीएम आज यहां केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय की राज्य में हरियाणा जन स्वास्थय अभियांत्रिकी विभाग के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही ‘जल जीवन मिशन’ योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में जल स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह ने योजना पर प्रस्तुतिकरण दिया। 

उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि ‘जल जीवन मिशन’ योजना के क्रियान्वयन का लक्ष्य केन्द्र सरकार की ओर से प्रत्येक राज्य के लिए 30 जून, 2022 तक रखा गया है। हरियाणा ने इसके लिए तीन चरणों में क्रियान्वयन का रोड मैप तैयार किया गया है। मिशन के तहत ग्राम पंचायतों के साथ-साथ 100 व्यक्तियों या इससे अधिक की आबादी वाली ढाणियों में भी पेयजल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार राज्य में ग्रामीण परिवारों की संख्या 31.53 लाख थी। पहले चरण में हर घर में पानी का कनेक्शन है या न ही इसके सर्वे का कार्य 31 मार्च,2020 तक पूरा किया जाएगा अब तक 13.30 लाख परिवारों का सर्वे हो चुका है, जिसमें 2500 से अधिक सक्षम युवाओं को लगाया गया है।पानी के कनैक्शन नियमित करने के लिए पानी एवं सिवर के लिए बिलिंग सूचना सिस्टम के लिए ‘बिसवास एप्प’ तैयार किया गया है। देवेन्द्र सिंह ने इस बात की भी जानकारी दी मिशन के 53.47 प्रतिशत सफल क्रियान्वयन के लिए सिक्कम, गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश के बाद देश में चौथे स्थान पर है। बैठक में निर्णय लिया गया कि पानी के नए कनैक्शन के लिए उपयोगकत्र्ता को 500 रुपये  देने होंगे अगर वह एक बार देने में असमर्थ है तो पानी के वर्तमान में लिए जा रहे बिल के साथ 10 रुपये मासिक किश्त के साथ  भी लिया जाएगा।  इस बात की जानकारी दी गई वर्तमान में पानी के बिल सामान्य श्रेणी के लिए 40 रुपये तथा अनुसूचित जाति के लिए 20 रुपये मासिक की दर से वसूले जाते है।



इसमें पंचायतों की भी सामुदायिक भागीदारी 10 प्रतिशत रखती है। बैठक में मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि जो सक्षम युवा विभागों के लिए सर्वे का काम करेंगे उन्हें नवगठित प्राधिकरण या विभाग द्वारा प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, जिसे सरकार नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए उनकी वरीयता के लिए अनुभव अंकों के रूप में माना जाएगा। बैठक में इस बात का भी निर्णय लिया गया है कि खुले पानी से कृषि सिंचाई कम से कम हो इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना को बढ़ावा दिया गया है तथा नहरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काडा) को  पुन: अस्तित्व में लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि तालाब विकास प्राधिकरण के व अन्य विभागों को एक साथ मिलकर 125 महाग्राम योजना वाले गांवों में इन योजना को तुरन्त लागू किया जाए। ग्राम पंचायतों, ब्लॉक समितियों  व जिला परिषदों को और सशक्त किया जाएगा और इस जल जीवन मिशन का कार्य उन्हें सौंपा जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस बात की भी जानकारी दी कि अन्तर जिला परिषद की बैठक शीघ्र बुलाई जाए और खुले हाऊस में इन मुद्दों पर चर्चा कर यह अधिकार पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआईस) को सौंपे जाएं। बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनन्द अरोड़ा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी. ऊमाशंकर, उप अतिरिक्त प्रधान सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, सिंचाई एवं जल संसाधन के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अभियंता प्रमुख मनपाल सिंह के अलावा विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। 

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