अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
कोरोना की दूसरी लहर जहां शहरवासियो के लिए जानलेवा साबित हो रही है, वही इसने अब गांव की ओर अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है और गाँव में लोग कोरोना का शिकार हो रहे और यहाँ जो प्राथमिक सुविधाएं हैं उसको देखते हुए हालात पर काबू पाना काफी मुश्किल लग रहा है। लगातार उपेक्षा होने के कारण यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंडहरों में बदल गए हैं। कुछ केंद्रों पर डॉक्टरों की अनुपस्थिति होने का कारण ताला लगा हुआ है, जिस कारण तबीयत खराब होने पर लोग इलाज करने के लिए कई किलोमीटर दूर समुदायिक केंद्र पर जाना पड़ता है जो लोगो के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
गौतमबुध नगर के मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर और तहसील दादरी में स्थित गांव छोलस का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रशासनिक उपेक्षा के कारण एक खंडहर में तब्दील हो चुका है,यहां पर कूड़े का ढेर है और डॉक्टर नहीं जानवर घूमते नजर आते हैं। यह प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र पिछले 10 साल से ज्यादा समय से बंद पड़ा है यहां पर लोगों को इलाज करने के लिए 12 किलोमीटर दूर दादरी जाना पड़ता है। गाँव वाले कहते है की, स्वास्थ्य केंद्र के खुलने के बाद एक-दो साल डॉक्टर बैठे,उसके बाद से यह बंद पड़ा है। वर्तमान में अस्पताल की दशा यह है कि यहां पर कूड़ा करकट ढेर है और जानवरों का बसेरा। स्वास्थ्य विभाग की टीम कभी इधर देखने भी नहीं आती। गांव में महामारी में काफी लोग मर चुके हैं कोरोना की जांच के लिए यहां टीम आई थी। लेकिन फिर नहीं आई।
छोलस गांव की आबादी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक छह हजार के करीब है जबकि वोटरों की संख्या यहां पर 5380 है, ग्राम प्रधान कहते हैं कि यहां पर कोरोना की जांच के लिए एक टीम अवश्य आई थी. उसके बाद कोई नहीं आया। वे कहते हैं कि इस केंद्र को चालू करवाने का प्रयास कर रहे है। जिससे लोगो को इलाज के भटकना न पड़े। ऐसा नहीं है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोलस की ऐसी खस्ता हालत है दादरी तहसील में पड़ने वाले बंबावड़ गांव प्राथमिक उप स्वास्थ स्वास्थ्य केंद्र पर भी ताला लगा हुआ है। खिड़की से अंदर टेबल और कुर्सी नजर आती है। लेकिन केंद्र का ताला कभी-कभी खुलता है। बंबावड़ गांव के निवासी सतीश नागर कहते हैं कि स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण 7 साल पहले हुआ था। अब एक डॉक्टर ने आती है जो यहां बुधवार को बैठती है। करोना कि दूसरी लहर खेलने के बाद से स्वास्थ्य केंद्र पर ज्यादा समय ताला ही लगा रहता है। यहां पर 45 प्लस के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए दो कैंप लगाए गए। थे अब अगला कैंप कब लगेगा यह कोई नहीं जानता। वे कहते हैं कि इस गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था झोलाछाप डॉक्टरों के हाथ में है। अगर यह केंद्र सुचारु रूप से खुल जाए तो आसपास के पांच से गांव को लाभ होगा।
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