अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद :ग्रीन फिल्ड कालोनी में आज सुबह बिल्डर की लापरवाही कहे या मां -बाप की लापरवाही कहे, फ़िलहाल यह तो अभी समझ में तो नहीं आ रहा पर इतना जरूर हैं कि निर्माणधीन बिल्डिंग के टैंक में जिसमें पानी भरा हुआ था में एक मासूम लड़का खेलता हुआ उसमें जा गिरा और उसकी मौत घटना स्थल पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिले के नागरिक अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया हैं। पुलिस की माने तो खबर लिखे जाने तक बच्चे के शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा था।
खबर हैं कि ग्रीन फिल्ड कालोनी में फ्लैट न. 2556 के सामने एक सिंगल यूनिट हैं जोकि निर्माण धीन बिल्डिंग हैं, वहां पर पार्किंग वाले जगह पर एक टेंक हैं जो बिल्कुल खुला था और उस टैंक में पानी भरा हुआ था। उसी निर्माणधीन बिल्डिंग में श्रवण निवासी गांव खिरया,मध्यप्रदेश अपने पत्नी के साथ बेलदारी का काम करता था। इसके दो बच्चे हैं, जिनमें एक बच्चे का नाम अंशुल हैं उसकी उम्र तक़रीबन 3 साल हैं। श्रवण कुमार अपने दोनों बच्चों को सुरक्षित जगह पर छोड़ कर दोनों पति -पत्नी काम करने लगे इस दौरान अंशुल खेलता हुआ उस टेंक की तरफ चला गया और उसमें गिर गया। जब तक दोनों पति -पत्नी को पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी और अंशुल की मौत हो गई। इस घटना की सूचना ग्रीन फिल्ड कालोनी पुलिस चौकी के इंचार्ज जगजीत सिंह को मिली और उनकी टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई और अंशुल के शव को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के लिए जिले के नागरिक अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया
इसके बाद बच्चे का पंचनामा तैयार करके पोस्टमार्टम करवाया जा रहा था।सवाल हैं कि क्या इस निर्माणधीन ईमारत में नियमों की अनदेखी की जा रहीं थी। जब मजदूर लोग वहां काम कर रहे थे तो खुले हुए टेंक हैं जोकि खतरे कम नहीं उसे ढका क्यों नहीं गया। यदि पहले ही बिल्डर के द्वारा सावधानी बरती गई होती तो आज अंशुल की जान नहीं जाती। इन हालतों में सभी मा -बाप को भी सोचनी चाहिए की आप कमा क्यों रहे हो, जब आपके बच्चे सुरक्षित नहीं रहेंगें या कमाया हुआ धन आपके सुरक्षित नहीं रहेंगें, फिर इतना भाग दौड़ करने का मतलब हैं। अक्सर देख गया हैं कि ग्रीन फिल्ड कालोनी में बंद घरों में चोरी हो जाती हैं, घर के बहार से कारें चोरी हो जाती हैं आज अंशुल अपनी जान गंवा बैठा। ये शब्द गरीब और आमिर लोगों पर चरितार्थ होती हैं।