अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: मल्लिकार्जुन खरगे ने राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और सीपीपी की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी , इस संस्थान के मुख्य सिद्धार्थ शास्त्री, हमारे ट्रेज़रर पवन बंसल, सभागृह में उपस्थित सभी अतिथिगण, कांग्रेस पार्टी के पदाअधिकारी और मीडिया के मेरे दोस्तों…भारत रत्न राजीव गांधी जी की आज 79 वीं जन्म जयंती है। इस अवसर पर देश भर में कई आयोजन हो रहे हैं लेकिन राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरुष्कार समारोह बहुत ख़ास है। वनस्थली विद्यापीठ की कुलपति प्रो. ईना शास्त्री जी और उनकी पूरी टीम को मैं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई देता हूं। कौमी एकता,शांति और सौहार्द के क्षेत्र में अनूठे योगदान के कारण वनस्थली को पुरस्कार के लिए चुना गया है। राजीव गांधी जी सद्भावना ,विश्व शांति, कौमी एकता, महिलाओं और कमज़ोर तबकों के सशक्तिकरण को अपने विचारों में सबसे अधिक महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में शान दार कामकाज से उन्होंने दुनिया के शीर्ष नेताओं में अपनी जगह बनाई। आजकल अलग-अलग विचारधारा के लोग राजीव जी की उपलब्धियों को नज़र अंदाज़ करने की कोशिश करते हैं। भगवान बुद्ध कहते थे कि 3 चीज़ें लंबे समय तक छुप नहीं सकतीं, वो हैं – सूरज, चंद्रमा और सत्य। उसी तरह राजीव जी की सफलताओं को छुपाया नहीं जा सकता।
राजीव जी के पक्ष में देश के संसदीय इतिहास में अब तक का सबसे भारी बहुमत मिला था। 1984 में लोकसभा में कांग्रेस ने 401 सीटें जीती थीं लेकिन वे तब 2 सीटें जीतने वाली पार्टी को भी या विपक्ष को भी… दूसरे दल की, सब की राय को… बहुत अहमियत देते थे। राजीव जी ने समाज के सभी वर्गों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए अपने शासन काल में 11 महत्वपूर्ण नीतियां बनाईं। इनमें नई शिक्षा नीति, आवास नीति, नई स्वास्थ्य नीति, नई सिंचाई नीति आदि प्रमुख हैं। कई संस्थाओं की स्थापना की… पीने के पानी, टीकाकरण, साक्षरता, बाढ़ नियंत्रण, खाने के तेल, दुग्ध उत्पादन और टेलीकॉम पर टेक्नोलॉजी मिशन बनाया। प्रचंड बहुमत के बावजूद राजीव जी ने संसद और लोकतंत्र के लिए अपनी जवाबदेही को सबसे ऊपर रखा। उनके प्रधानमंत्री काल में संसद की 485 बैठकें हुईं और 344 बिल पास हुए, जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक बदलाव की गति तेज़ की। लेकिन आपको मालूम है कि अब कितने बिल कैसे पास होते हैं, कब होते हैं, कहां होते हैं… किसी को मालूम नहीं। इन बिल्स पर दोनों हाउस में पूरी चर्चा हुई, सर्वसम्मति बनाते थे… आज की तरह वो ऑर्डिनेंस और मनी बिल के रास्ते नहीं ढूंढ़ते थे। राजनीति में सिद्धांतहीनता और अनैतिकता रोकने के लिए राजीव जी ने एंटी-डिफ़ेक्शन लॉ, 52वां अमेंडमेंट 1985, बनाया जो लोकतांत्रिक तरीके से elected सरकार को धन-बल और बाहुबल से गिराने से रोकने में बहुत कारगर था। भारतीय राजनीति में इससे लंबे समय के लिए स्थिरता बनी और मौक़ापरस्त राजनीति पर रोक लगी। इस बिल के कुछ हिस्सों पर विपक्ष को ऐतराज़ था, उसे राजीव जी ने माना और चंद पोर्शन भी उसमें से हटाए… ये एक डेमोक्रसी की रीत थी। पर मौजूदा हालात में जिस तरह इस क़ानून की काट निकाली जा रही है, जनमत के साथ खिलवाड़ हो रहा है… उसे देखते हुए इस क़ानून को और दुरुस्त करने की और भी ज़रूरत है।
उस दौर में जब भारत बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा था, तब राजीव जी ने भारत में 21वीं सदी के आधार के रूप में संचार और आईटी क्रांति की ताक़त को समझ लिया था… कम्प्यूटराइज़ेशन की बुनियाद रखी, आईटी से रोज़गार मिला। उस दौर में राजनीतिक दल इस बारे में सोचना तो दूर, सोचने वालों का भी विरोध करते थे। आज इसका लाभ समाज के हर हिस्से को मिल रहा है, इसी से भारत एक बड़ी मज़बूत शक्ति के रूप में उभर आया है। आज भारत के जीडीपी में बड़ा योगदान… लगभग 7.4 परसेंट… वो (आईटी सेक्टर) देते हैं। उस दौर में जब भारत की महिलाएं, दलित, आदिवासी एवं वंचित कभी अध्यक्ष पद का सपना भी नहीं देख सकते थे लेकिन ये राजीव जी की पहल थी, जिस वजह से उनको ग्राम सभा अध्यक्ष, ज़िला परिषद अध्यक्ष, तालुका अधक्ष बनने का मौक़ा मिला, म्युनिसिपैलिटी मेयर और सिटी म्युनिसिपैलिटी… ऐसे स्थानों पर भी आज हमारी महिलाएं विराजमान हैं।73वें अमेंडमेंट, 1992 के तहत पंचायती राज का जो मौजूदा स्वरूप है, उसकी बुनियाद राजीव जी की देन है। आज भारत में 2,55,600 ग्राम पंचायतें और 6,697 ब्लॉक और 6,665 ज़िला पंचायतें हैं। इनके इलेक्टेड प्रतिनिधियों की संख्या आज 30,45,000 है, इसमें से क़रीब 14 लाख महिलाएं राजीव जी की सोच के नाते भारत में महिलाओं का एक शानदार नेतृत्व … हमारी श्रीमती सोनिया गांधी जी ने इसका ज़िक्र पहले ही किया था, फिर भी मैं ये कहना चाहता हूं कि ये पहली बार… शायद उनके क़ानून लागू होने से या अमेंडमेंट आने से महिलाओं को ये जो स्थान, मान मिल रहे हैं तो वो कभी नहीं मिल सकते थे और शायद हमारे देश में अगर मनु स्मृति चलती तो औरतें पावर में तो क्या, उसके नज़दीक भी नहीं आ सकती थीं।एससी, एसटी, ओबीसी प्रतिनिधियों और अध्यक्षों को भी रोटेशन में ज़िम्मेदारी मिलती है। यहां इलेक्टेड बॉडीज़ में सबसे अधिक निर्वाचित लोग हैं, जिस कारण भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया है। राजीव जी ने आदिवासियों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को देखा और ज़मीनी हालात के हिसाब से योजना बनाई। राजीव जी के प्रधानमंत्री काल में कई राज्यों में आतंकवाद, उग्रवाद गंभीर चुनौती था। संवाद और राजनीतिक प्रयासों से उन्होंने असम, पंजाब, मिजोरम और दार्जिलिंग में शांति बहाली के लिए जो समझौते किए, उनका असर हुआ। अमन-चैन लौटा, अरुणाचल प्रदेश और गोवा राज्य बने। वे हर तरह की संप्रदायिकता के ख़िलाफ़ थे। 1990 में आंध्रप्रदेश में दंगों को लेकर उन्होंने अपने मुख्यमंत्री से नैतिक ज़िम्मेदारी के आधार पर इस्तीफ़ा देने के लिए कहा… लेकिन आज मणिपुर में दंगे हो रहे हैं, कोई राज़ीनामा भी नहीं लेता और कोई निकालता भी नहीं।राजीव जी ने यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत 1985 में कराई थी। आजकल कुछ लोग ऐसा प्रचार करते हैं जैसे टीका लगाने का काम अभी आरंभ हुआ है… ये बहुत पहले से हो रहा है। ईसीजी, टीबी, ओपीवी, पोलियो, डीपीटी आदि के टीकों ने करोड़ों लोगों की जान बचाई, लाखों बच्चों को नया जीवन दिलाया, बीमारी से मुक्त किया, पोलियो से मुक्ति मिली। उनके बनाए टेक्नोलॉजी मिशन से भारत वैक्सीन उत्पादन में दुनिया में अग्रणी देश बना। राजीव जी ने 61 वें संविधान संशोधन से वोटिंग की उम्र 21 साल से घटाकर 18 साल की, जिससे युवा राष्ट्र निर्माण से सीधा जुड़ सके। उन्होंने ही स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया। युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने हर ज़िले में नवोदय विद्यालय बनाए, केन्द्रीय विद्यालयों का भी मज़बूत ढांचा खड़ा किया। राजीव जी ने 1988 में पहली बार कृषि उत्पादों की बर्बादी रोकने और उनकी प्रोसेसिंग कर… किसानों के लाभ के लिए फ़ूड प्रोसेसिंग मंत्रालय बनाया। उन्होंने गंगा सफ़ाई के लिए गंगा कार्य योजना आरंभ की, राष्ट्रीय बंजर भूमि विकास बोर्ड बनाया, पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यापक कानून बनाया… इनको आज कमज़ोर किया जा रहा है दिन पर दिन। अपनी आधुनिक और दूरदर्शी सोच के कारण राजीव जी तीसरी दुनिया के देशों के नायक बने थे। गुट निरपेक्ष आंदोलन को उन्होंने मज़बूती दी, संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए उन्होंने कार्य योजना पेश की। दुनिया के किसी भी हिस्से में दमन के ख़िलाफ़ वो खड़े हुए थे। राष्ट्रमंडल देशों के अध्यक्षों की बैठक में दक्षिण अफ़्रीका के लोगों के लिए मानव अधिकारों की बहाली की आवाज़ उन्होंने बुलंद की। बिना प्रचार के तमाम देशों को मानवीय सहायता दी। राजीव जी का जो विज़न था, उसे पूरा करने के लिए उनको बहुत कम समय मिला पर सीमित समय में भी उन्होंने जितनी लंबी लकीर खींच दी है, वहां तक कोई अब तक पहुंच नहीं पाया। इसी लोकतांत्रिक और नौकरशाही के ढांचे में सुधार के साथ कितना बड़ा और पॉज़िटिव बदलाव किया जा सकता है, राजीव इसके सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं। अब जिनको हम आज राजीव गांधी जी के नाम से ये भेंट दे रहे हैं तो वो वनस्थली के संस्थापक स्वर्गीय पंडित हीरालाल शास्त्री जी को मैं नमन करता हूं,जो महान स्वतंत्रता सेनानी… राजस्थान में हमारे पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ऐसे छोटे से गांव,जहां बैलगाड़ी से ही जाना संभव था… वहां से 1935 में छात्राओं के लिए ये संस्था शुरू की, जिसे आज दुनिया जानती है। इस अनूठे शिक्षा केन्द्र में बालिकाओं को नर्सरी से पीजी तक केवल पठन-पाठन नहीं सिखाया जाता, बल्कि वैद्यानिक मूल्यों के साथ परंपराओं, संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है…ये भी सिखाया जाता है कि देश और समाज के प्रति उनकी क्या ज़िम्मेदारी है। वनस्थली परिसर में डेमोक्रटिक वैल्यूज़, मानवीय मूल्यों, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की शिक्षा दी जाती है… बालिकाओं के मन में अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना के बीज बोए जाते हैं। जो बालिकाएं इस परिसर से निकलती हैं, विभिन्न क्षेत्रों में रोशनी बिखेर देती हैं। मैं यहां संस्थान से उपस्थित सभी छात्रों, फ़ैकल्टी और ऑफ़िस-बीयरर्स को शुभकामनाएं देता हूं। आप सबने मेरी बात सुनी शांति के साथ, इसलिए मैं आप सभी को भी धन्यवाद देता हूं।
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