अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान:
तीन काले क्रूर कृषि कानूनों की बरसी !
अहंकार त्याग काले कृषि कानूनों को वापस करें !
किसान विरोधी मोदी सरकार तीन क्रूर काले कृषि अध्यादेश आज ही के दिन 5 जून, 2020 को लेकर आई थी। मोदी जी ने कहा था कि महामारी की आपदा के समय वे इन काले कानून से अन्नदाता के लिए अवसर लिख रहे हैं।
1.सही मायने में उन्होंने 25 लाख करोड़ सालाना के कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने मुट्ठीभर पूँजीपति दोस्तों के लिए ‘अवसर’ लिखा और 62 करोड़ किसानों के हिस्से में उन्होंने ‘अवसाद’ लिख दिया।
2.इन काले कानूनों में भाजपा सरकार ने अपने पूँजीपति दोस्तों के लिए अनाज का भंडारण – जमाखोरी – कालाबाजारी का ‘प्रतिसाद’ लिख दिया और किसानों के हिस्से में लाठी- चार्ज, पानी की बौछार और आँसू गैस के गोलों की ‘प्रताड़ना’ लिख दी।
3.इन तीनों काले कानूनों से मोदी जी ने अपने पूँजी पति दोस्तों के लिए मनमाने दामों पर फसलों को खरीदने का ‘इनाम’ लिख दिया और किसान भाइयों के भविष्य को रौंद कर अनाज मंडी की समाप्ति का ‘फरमान’ लिख दिया।
4.इन काले कानूनों से मोदी सरकार ने किसानों पर इस तरह कहर बरपाया है कि वो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अनैतिक प्रावधानों के माध्यम से अन्नदाता भाईयों को चंद पूँजीपतियों का ‘बंधुआ मज़दूर’ बनाना चाहती है। ऐसा प्रतीत होता है कि 2014 में जन्मी, मोदी सरकार को जिस प्रकार चंद पूँजीपतियों ने सत्ता का झूला झुलाया था, वो आज तक भी उनका कर्ज अदा कर रही है।
मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही 2014 में अध्यादेश के माध्यम से किसानों की जमीन हड़पने की कोशिश की। फिर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दे दिया कि किसानों को लागत + 50 प्रतिशत मुनाफा कभी भी समर्थन मूल्य के तौर पर नहीं दिया जा सकता। फिर खरीफ 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए, जिससे चंद बीमा कंपनियों ने 26,000 करोड़ रु. का मुनाफा कमाया। यही नहीं, अपने पूंजीपती मित्रों का तो लगभग दस लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया पर किसान की कर्जमाफी के नाम पर मुंह मोड़ लिया। रही सही जो कसर बची थी, वो डीज़ल पर 820 प्रतिशत एक्साईज़ ड्यूटी बढ़ा तथा खेती पर टैक्स लगा पूरी कर दी। 73 साल के इतिहास में देश में पहली बार खाद पर 5 प्रतिशत, कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत, ट्रैक्टर व खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी टैक्स लगा डाला। मोदी सरकार इतने से ही बाज नहीं आई। 5 जून, 2020 को तीन काले कानूनों के माध्यम से किसानों की आजीविका पर फिर से डाका डालना चाहती है। आज इन काले कानूनों की बरसी पर मोदी सरकार को चाहिए कि वो अपने निर्णय को वापस ले और इन कानूनों को फौरन खारिज करे। अन्यथा जब भी ‘प्रजातंत्र की देवता – देश की जनता’ की अदालत में इन ‘क्रूरताओं और बर्बरताओं’ का मुकदमा चलेगा तब 500 से अधिक किसानों की शहादतें, लाखों किसानों की राह में बिछाए गए ‘कील और काँटे’, महीनों सड़कों पर पड़े रहने की वेदनाएं और 62 करोड़ किसान-मजदूरों की असहाय पीड़ा इसकी गवाह बनेंगी। प्रजातंत्र के देवता – देश की जनता का फैसला एक नज़ीर बनेगा, ताकि भविष्य के भारत में फिर कभी कोई तानाशाह अन्नदाता के खिलाफ ऐसा दुःसाहस न कर पाए।