अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा व महासचिव अजय माकन ने कहा कि अभी पिछले कुछ दिनों में जितनी हैल्पलेसनेस, बेबसी और लाचारी महसूस हो रही है, शायद उतनी जिंदगी में कभी भी नहीं हुई। कोई ऐसा घंटा नहीं जाता, जब एक घंटे के अंदर हमारे किसी जानने वाले का, किसी मीडिया के साथी का, किसी रिश्तेदार का, किसी पॉलिटिकल दोस्त/साथी का फोन ना आ जाए कि अस्पताल चाहिए, ब्लड प्लाज्मा चाहिए, ऑक्सीजन चाहिए और हद तो तब हो जाती है जब लोग सिफारिश करते हैं, जो आज तक कभी भी जिंदगी में सिफारिश नहीं आती कि संस्कार करना है और संस्कार के लिए दो दिन की वेटिंग है, हमें संस्कार जल्दी करवा दीजिए, हमारा नंबर जल्दी शमशान घाट में जो केयर टेकर हैं, उसे कहकर जल्दी करा दीजिए। ऐसी सिफारिशें, ऐसे हालात हमारे देश के अंदर पैदा हुए हैं कि बहुत दुख होता है कि आज हम लोग राजनीति में रहकर भी हम किसी की भी कुछ भी मदद चाह कर भी नहीं कर सकते। हमारे देश के अंदर, एक-एक दिन के अंदर साढ़े तीन लाख केस हो रहे हैं। लगभग 1 करोड़ 65 लाख से ज्यादा कुल केस हो चुके हैं। ढाई हजार केस हमारे देश के अंदर, एक – एक दिन के अंदर लोगों की मृत्यु हो रही है। कुल 1 लाख 88 हजार के करीब लोग मृत्यु को पा चुके हैं, कोविड की वजह से और ये सब चीजें जो हो रही हैं, ये केवल प्राकृतिक आपदा की वजह से नहीं है।
दुख की बात ये है कि अब जो ये बातें हो रही हैं, ये जो चीजें हो रही हैं, इसके अंदर प्राकृतिक आपदा के साथ शायद सरकार की नाकामयाबी, सरकार की सोच और सरकार का अहंकार ये सब की सब चीजें शायद इसके पीछे कारण है, जो कि अब हो रहा है। मैं आज इस प्रेस वार्ता के अंदर और हमारा, एआईसीसी का जो वेब चैनल लॉन्च हो रहा है, इस अवसर पर मैं आज सबसे पहले हमारे 190 पेज की, 123वीं रिपोर्ट,जो डिपार्टमेंट रिलेटेड पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन हैल्थ और फैमिली वेलफेयर का है, इसको आप सब लोगों के सामने इसके मुख्य अंश केवल दो-तीन जगहों के मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूं और ये हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ये सब बातें अगर मीडिया के माध्यम से समय रहते आ जाती, 21 नवंबर,2020 को ये रिपोर्ट पार्लियामेंट के अंदर चेयरमैन राज्यसभा को दी गई और फरवरी के अंदर ये पार्लियामेंट के टेबल पर रखी गई, लेकिन अगर समय पर, अगर ये फरवरी में ही मीडिया इसको उठा लेता, इस रिपोर्ट को अगर मीडिया सरकार के ऊपर रखकर उनको प्रेशर करता, तो शायद सरकार अगर फरवरी में चेत जाती, तो आज अप्रैल-मई आते-आते, आज शायद इसमें सरकार बेहतर स्थिति में होती। दुख की बात ये है कि मीडिया ने शायद इसको सही समय के ऊपर समय रहते हुए ऐसी चीजों को, इसको अहमियत नहीं दी। बहुत सारी मीडिया जिसका काम होना चाहिए कि सरकार से प्रश्न पूछे, सरकार के ऊपर दबाव डाले, वो वापस सरकार की तारीफों में लगी रही, लिहाजा सारी की सारी चीजें खत्म हो गई। इसके ऊपर आगे कोई भी काम नहीं कर पाया। ये 190 पेज की रिपोर्ट है। इसमें ऑक्सीजन शब्द 40 बार लिखा हुआ है। आज हमारे यहाँ पर सबसे बडी दिक्कत ऑक्सीजन की है। जयपुर गोल्डन अस्पताल से हमारे एक साथी का अभी फोन आया, वो कह रहे हैं कि 20 लोगों की मृत्यु ऑक्सीजन न मिलने की वजह से वहाँ पर हुई। कल गंगाराम अस्पताल के अंदर भी ऐसी खबरें आ रही थी कि गंगाराम अस्पताल के अंदर 25 लोगों की मृत्यु ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई। तो आज हमारी देश की राजधानी में ऑक्सीजन की कमी की वजह से इतने लोगों की मृत्यु हो जाए और समय रहते उनको चेताया गया। यही बात मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि ये 190 पेज की रिपोर्ट में, जहाँ पर ऑक्सीजन शब्द 40 बार मेंशन किया गया है, इसके अंदर समय रहते हुए हमारी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने सरकार को चेताया था बार-बार कि आप इसको ठीक करिए, ठीक करिए, लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी और जो मीडिया को इस रिपोर्ट को लेकर सरकार से प्रश्न पूछने चाहिए थे, वो नहीं पूछ पाए, जिसकी वजह से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके बारे में कोई भी कुछ भी कहता रहे।
तो मैं आपको बताना चाहता हूं इसके अंदर पेज नंबर 27 पर पैरा 2.38 के अंदर ये कहा गया है कि The Committee, therefore, strongly advocates National Pharmaceutical Pricing Authority to take appropriate measures, for capping the price of the Oxygen Cylinders so that availability as well as affordability of the Oxygen Cylinders is ensured in all hospitals and for medical consumption. The Committee also recommends the Government for encouraging adequate production of Oxygen for ensuring its supply as per demand in the hospitals. मैं फिर से कहना चाहता हूं, ये पेज नंबर 27 के 2.38 पैरा के अंदर कमेटी की रिकमेंडेशन है, The Committee also recommends the Government for encouraging adequate production of Oxygen for ensuring its supply as per demand in the hospitals. तो ये उस वक्त कहा गया, ये केवल एक ही जगह पर मेंशन नहीं हैं। एक और जगह के ऊपर पेज 35 के ऊपर जो पैरा 2.72 है, उसमें कहा गया है, The Committee also recommends the Ministry to ensure the adequate supply of Oxygen Cylinders with appropriate price caps. यानि बार-बार जैसे मैंने कहा कि इस तरीके से तो और कई जगह के ऊपर 40 जगह के ऊपर, पूरे के पूरे रिपोर्ट के अंदर मेंशन किया गया है कि ऑक्सीजन-ऑक्सीजन-ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी, ऑक्सीजन की कमी और इसको आगे कैसे बढ़ाया जाए। ये सरकार को बार-बार चेताया गया है। यही नहीं हमारे जो एम्पॉवर्ड ग्रुप, जो भारत सरकार ने बनाया है, इसमें एम्पॉवर्ड ग्रुप नंबर 6 के अंदर उसने 1 अप्रैल को ही इसके ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था। एम्पॉवर्ड ग्रुप 6 ने 1 अप्रैल की मीटिंग के अंदर ऑक्सीजन की जरूरत की अहमियत पर जोर दे दिया था और उस दिन केवल 2,000 केस थे। आप अंदाजा करिए कि जिस समय केवल 2,000 केस थे, उस दिन सिर्फ, उसी दिन एम्पॉवर्ड ग्रुप 6 ने कहा और उन्होंने आगे कहा, मैं कोट करते हुए कह रहा हूं, मिनट्स के अंदर इसका उल्लेख है, ‘In the coming days India could face a shortage of oxygen supplies.’ ये 1 अप्रैल, 2020 को उस वक्त जब एम्पॉवर्ड ग्रुप की मीटिंग हुई, तो अपनी दूसरी मीटिंग के अंदर ही उन्होंने कहा। उसके बाद ये डीपीआईआईटी, सीआईआई और हेल्थ मिनिस्ट्री इनके झगड़े के अंदर ऐसा फंसा कि किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। आज जब स्थिति ऐसी है दिल्ली के अंदर, हमारे यहाँ पर ऑक्सीजन की कमी की वजह से पेशेंट की किस तरीके