अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से आंध्र प्रदेश में सरकारी योजनाओं से जुड़े विज्ञापनों पर मुख्यमंत्री की तस्वीर हटाने और दिल्ली में गैरकानूनी तरीके से लगाए गए होर्डिंग हटाने की मांग की। इसी के साथ सोशल मीडिया पर भाजपा और उसके समर्थकों द्वारा डाले गए फेक न्यूज, नफरत-झूठ फैलाने वाले विज्ञापन हटाने की मांग समेत कई मुद्दे कांग्रेस ने चुनाव आयोग के सामने उठाए। कांग्रेस के इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, पवन खेड़ा और गुरदीप सप्पल शामिल थे।
चुनाव आयोग से मुलाकात के उपरांत पत्रकारों से बातचीत में सलमान खुर्शीद ने कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष उठाए गए मुद्दों में एक आंध्र प्रदेश से जुड़ा हुआ है, जिसमें पहले से चल रही योजना से जुड़े विज्ञापनों पर मुख्यमंत्री की तस्वीर हटाने की बात रखी गई, जिसके बारे में चुनाव आयोग ने बताया कि हम इस बारे में कदम उठा चुके हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनाव के दौरान नई योजना लागू नहीं हो सकती। इस पर चुनाव आयोग ने स्वयं कहा कि चुनाव के दौरान नई योजना लागू नहीं हो सकती है, इसी के साथ पुरानी योजना में भी नए लाभार्थी जोड़ने का अधिकार नहीं है। यह बात चुनाव आयोग ने स्पष्ट की।पवन खेड़ा ने बताया कि दिल्ली में कई जगहों पर होर्डिंग्स लगे हैं, जिनमें नेताओं के कैरीकेचर लगाकर उन्हें भ्रष्टाचारी करार किया गया है और दूसरी तरफ लिखा है कि मोदी जी भ्रष्टाचार हटा रहे हैं। इन होर्डिंग्स में जारीकर्ता का नाम नहीं है, जो कि गैर-कानूनी है। भाजपा के अलग-अलग सोशल मीडिया हैंडल्स पर विपक्षी नेताओं, पार्टी के बारे में कई पोस्ट की गईं हैं, जो आपराधिक है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इसे तत्काल रोका जाए।वहीं गुरदीप सप्पल ने कहा कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन है कि आप किसी पर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगा सकते हैं। लेकिन भाजपा ने एक नया तरीका निकाला है, जिसमें वह विज्ञापन में एक्टर्स के माध्यम से नेताओं को दर्शा रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इसे रोके जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे विज्ञापन हैं, जो जातिवादी घृणा फैला रहे हैं। इनमें कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भी विज्ञापन हैं, जो कानूनन गलत हैं। कांग्रेस ने भाजपा व उसके समर्थकों द्वारा नफरत-झूठ और फेक न्यूज फैलाने वाले विज्ञापन सरोगेट ऐड के तौर पर प्रचारित करने की भी शिकायत की और चुनाव आयोग से अपील की कि वह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर इन भ्रामक व विभाजनकारी विज्ञापनों पर रोक लगाए।
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