अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आप देख रहे हैं ना कि क्या हो रहा है राहुल गांधी जी के विषय में। सात साल बाद 5वें दिन 50 से 55 घंटे सेंचुरी मारने का इरादा है या नहीं ईडी का, हम नहीं जानते, लेकिन –
राहुल गांधी के नेतृत्व से भाजपा की हालत हो गई है पतली,
इसीलिए भाजपा ने बनाया है ईडी को अपनी कठपुतली।
ये बड़ा स्पष्ट है। लेकिन मैं आपको, सरकार और बीजेपी को, सत्तारूढ़ पार्टी को ये बड़ा स्पष्ट कहना चाहता हूं कि –
झूठ के पांव नहीं होते और सच छुपाए नहीं छुपता।
संस्थानों को बरगलाने से राहुल गांधी नहीं निपटता।
दोस्तों, ये बड़ा स्पष्ट है कि द्वेष की भावना से, गुस्से, प्रतिशोध, राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से इस प्रकार की मजाकिया सात वर्ष पुराने केस के विषय में 50 घंटे 5 दिन किसी को बार-बार बुलाया जा रहा है। मोदी सरकार और सत्तारूढ़ बीजेपी जानती है कि देश के सभी अहम मुद्दों पर जो आज देश को पीड़ित कर रहे हैं, सता रहे हैं, चाहे वो अग्निपथ हो, चाहे वो कीमतों की मार हो, चाहे वो बेरोजगारी हो, उसमें मन को, मस्तिष्क को बरगलाने की, बहकाने की, डायवर्ट करने की, डायग्रस करने की आवश्यकता है और इस आवश्यकता के कारण ही किस प्रकार से लोगों का मस्तिष्क घुमाया जाए, ऐसी चीजों पर ध्यान आकर्षित किया जाए, सुर्खियों पर, ऐसी चीजों पर जो ईडी ऑफिस के सामने है और बेरोजगारी, अग्निपथ और कीमतों से हटाया जाए, ये सब कारनामें और हथकंडे आप देख रहे हैं।
आपको मैंने ही पहली बार संबोधित किया था, जिस तारीख को ये समन आए थे और मैंने कुछ बड़े सरल मुद्दे आपके समक्ष रखे थे, जिनका कभी भी ईडी जवाब नहीं देती है, सरकार जवाब नहीं देती है, आज सात वर्ष में कहीं से जवाब नहीं आता है। लेकिन उससे पहले मैं बताना चाहता हूं कि ये प्रश्न क्या हैं, ये ऐसे प्रश्नों का पहाड़ कैसा है जो पांच दिन, 50-55 घंटों में खत्म नहीं होता। ये कौन सा हिमालय है? मैं बड़ी विनम्रता से आपको कहना चाहता हूं, मुझे भी कुछ अनुभव है कानून का। सिर्फ दोहरा रहा हूं, सिर्फ 40-45 साल बिताए हैं, इसमें मैंने। मैंने अपने इस सीमित अनुभव में कभी नहीं देखा कि कोई कोई भी हो, जिसने 50-55 घंटे पूछताछ की हो, चाहे एजेंसी, सीबीआई हो, ईडी हो, आईटी हो, कोई भी हो, क्या यंग इंडिया के डायरेक्टर हैं और शेयर होल्डर हैं, उत्तर – हाँ। दसों साल से हैं, ऑफिशियल हैं, कागजों में है।
दूसरा प्रश्न – क्या यंग इंडिया शेयर होल्डर अंग है एजेएल का, उत्तर – हाँ। दशकों से रहा है, हमेशा से है, कागजों में है, आरओसी उसी के पास है।
तीसरा प्रश्न – आप यंग इंडिया के डायरेक्टर और शेयर होल्डर की हैसियत से क्या एजेएल के एसेट पर मालिकाना हक रखते हैं या कंट्रोल करते हैं, नियंत्रण करते हैं? अब ये बड़ा रोचक प्रश्न है क्योंकि इसका उत्तर कानून में 1955 में लिखा हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने 1955 से और वोडाफोन के निर्णय ने 2012 में वापस दोहराया उसको कि अगर मैं उस कंपनी का शेयर होल्डर हूं, अगर उस कंपनी का 100 प्रतिशत शेयर होल्डर भी हूं, तब भी उस कंपनी के बैंक अकाउंट या एसेट का मैं मालिक नहीं हूं। शेयर होल्डर का उस पर मालिकाना हक और नियंत्रण नहीं होता है। तो ना यंग इंडिया नेशनल हेराल्ड की एसेट की ऑनर है, ना राहुल गांधी जी, सुमन दुबे, श्रीमती सोनिया गांधी जी का मालिकाना हक या नियंत्रण करने वाले व्यक्ति हैं। ये कानून में लिखा है 1955 से लेकर 2012 में दोहराया है उच्चतम न्यायालय ने। तो आप क्या प्रश्न पूछेंगे और कितनी बार ये प्रश्न पूछेंगे और 55 घंटे में आपको ये समझ नहीं आएगा।
चौथा प्रश्न – क्या आपको मान्यवर कोई फायदा हुआ, इस डायरेक्टरशिप और शेयर होल्डिंग से? तो राहुल गांधी जी का जवाब वही रहेगा। अरे भाई अगर फायदा मैं करवाना भी चाहता और कोई फायदा देना भी चाहता, तो कानून के अंतर्गत अनुच्छेद 8, अनुच्छेद 25 वाली कंपनी में कुछ हो ही नहीं सकता। ना आप सैलरी दे सकते हैं, ना पर्क दे सकते हैं, न गाड़ी दे सकते हो, न डिविडेंड दे सकते हो, कुछ भी नहीं कर सकते। तो फायदे का कैसे प्रश्न पूछ सकते हैं, आप बार-बार? ये कानून में लिखा है, वो कंपनी जिस प्रावधान में बनी है, उसमें लिखा है।
कितनी बार आप, इसका मतलब अभिप्राय क्या हुआ, इसका अभिप्राय ये है कि ये 55 घंटे और 5 दिन सिर्फ हरासमेंट है, प्रतिशोध है। ये संवैधानिक या कानूनी नहीं है, ये निजी है। ये निजी प्रतिशोध है, भय है। क्योंकि राहुल गांधी सबसे लंबे समय से अनिवार्य रुप से हर मुद्दे पर आपका सामना करते हैं, आपको सच दिखाते हैं, आईना दिखाते हैं और आपको वो पसंद नहीं है।
मैंने आपको पहली प्रेस वार्ता में वो भी कहा था, जो याद दिलाना चाहता हूं कि ये बड़ा विचित्र मनी लॉन्ड्रिंग का केस है, जो मैंने पहली बार सुना है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है जबकि कोई रुपया या प्रॉपर्टी, अचल संपत्ति स्थानांतरित ही नहीं हुई। एक पैसा स्थानांतरण नहीं हुआ यहाँ से यहाँ और एक प्रॉपर्टी स्थानांतरण नहीं हुई यहाँ से यहाँ। एजेएल की प्रॉपर्टी है, एजेएल का शेयर होल्डर यंग इंडिया जो उसका मालिकाना हक नहीं है, यंग इंडिया के शेयर होल्डर हैं, ये लोग सब, उनका कोई इसमें, स्थानांतरण कहाँ हुआ? Where is money laundering with money moving? So this is the case of money laundering without money moving and without property moving.
इन सबसे सीधा सिद्ध होता है, प्रमाणित होता है कि ये द्वेष की भावना से, मनगढ़ंत बना-बनाया केस है और जैसा मैंने कहा आपको कि ईडी को अपनी कठपुतली बनाया है आपने। जैसा कि मैंने आपको कहा The BJP is high on its ‘Rage’, so it has converted ED into its ‘Cage’. और इसलिए ये आवश्यक है कि इस नीचे दिखाने के सिलसिले में, क्योंकि इसमें और कुछ नहीं है। ये बार-बार बुलाना, अपमानित करना नीचे दिखाने की प्रक्रिया है। इस नीचे दिखाने के सिलसिले में खुद अपने जमीर को इतना छोटा बना दिया कि समर्थक भी शर्मिंदा हो गए। आपके समर्थक भी शर्मिंदा हैं इस बात से और हम आपको ये आश्वस्त करना चाहते हैं अगर आप यह सोचते हैं कि इन चीजों से कांग्रेस या राहुल गांधी अगर भयभीत होंगे या दबेंगे, तो आप किसी मुंगेरीलाल के सपने देख रहे हैं।
एक प्रश्न पर कि कहा ये जा रहा है कि राहुल गांधी जी सही से सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं? डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आपके प्रश्न में उत्तर खुद ही निहित है। आप लोग तो बड़े अनुभवी पत्रकार हैं, आपने कभी देखा है कभी आपने देखा है कि जो इनवेस्टिगेटिव एजेंसी हैं, जो ये सूत्रों द्वारा नल की तरह लीकेज करती है? ये कैसी इनवेस्टिगेटिव एजेंसी है, कौन सी कठपुतली है? ये क्या अनुमति है ऐसी चीज की? नंबर दो, हमने इन्हीं वालों में चुने हुए सिलेक्टिव लीकेज के विषय में कंप्लेंट दो हफ्ते पहले दायर कर दी थी और मैं तो कहता हूं सबको बताएं देश को कि वो लिखना नहीं जानते। बहुत बड़ा क्लेम है ईडी का। हाँ, ये अलग बात है कि अगर ईडी का ये विश्वास है कि जब तक मैं वो ना लिखूं, जो वो चाहें, तब तक ये इंक्वायरी चलेगी। तो मैं समझता हूं कि वो ना कानून जानते हैं, ना सिद्धांत जानते हैं। लेकिन ये बड़ा स्पष्ट है आपके प्रश्न से कि ये जानबूझ कर सिलेक्टिव लीक किए जा रहे हैं और कोई एजेंसी को शोभा नहीं देता, वो संविधान के नौकर हैं, बीजेपी के और सरकार के नौकर नहीं हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि आपने जो तीन-चार सवाल आपने बताए हैं, क्या शैल कंपनी का भी नाम लिया जाता है, क्या उसको लेकर भी कुछ सवाल हैं? डॉ. सिंघवी ने कहा कि मैं जानता हूं, पूछताछ तो आप, देखिए, 55 घंटे अगर आप 5 दिन लगाएंगे, तो आप पूछताछ तो कर सकते हं सितारों के बारे में, चंद्रमा के बारे में भी और अंतरिक्ष के बारे में भी, ठीक है ना। कोई अंत नहीं है, जब तक आप ऐसी पूछताछ ना करें, तब तक आप 55 घंटे खा भी नहीं सकते। लेकिन आपने जो प्रश्न उठाया, ये 10-12 साल पुराना लोन है, चेक से दिया गया है, सब अकाउंट में डिस्क्लोज़्ड है। मैं अगर आज आरोप लगा दूं कि जो लोन सब दिया गया है औपचारिक रुप से, वो ये है, वो है, तो उसका क्या मतलब। वो तो एक विच हंट है ना। इसमें कोई गुप्त तो नहीं है। सब कागजों पर है, चेक पुराना है, रिटर्न में है।
एक अन्य प्रश्न पर कि आप अदालत का रुख क्यों नहीं करते हैं? डॉ. सिंघवी ने कहा कि ये भी कानून के बारे में थोड़ी कम समझ दर्शाता है, ये आप जो कह रहे हैं, ईडी की तरफ से कह रहे हैं, प्रश्न उठा रही है ईडी। इसका कानून का एक इग्नोरेंस झलकता है। जब आप मुझे क्वेश्चनिंग कर रहे हैं तो कोर्ट में किस चीज के लिए जाऊं। कोर्ट किस चीज में जाना है। ये तो बड़ा आसान है, मैं आपको बुलाता रहूंगा, बुलाता रहूंगा, आप कोर्ट जाइए। पहली बात तो ऐसे प्रश्नों से जाहिर है कि मैं अपने गलत काम करता रहूंगा, आपके पास विकल्प है आप कोर्ट में जाइए। दूसरा, इस स्टेज में क्या विकल्प है कोर्ट के पास? वो आपको प्रश्न-उत्तर के लिए बुला रहे हैं। इसलिए ये भी एक बरगलाने की टेक्निक है। ये भी एक आपको बहकाने की टेक्निक है।
एक अन्य प्रश्न पर कि खबरें आ रही हैं कि महाराष्ट्र सरकार को खतरा है? डॉ. सिंघवी ने कहा कि देखिए, मैं तो अभी प्रेस वार्ता में आया हूं। मैं किसी प्रश्न का उत्तर ऐसे नहीं देता, जब तक मेरे पास तथ्य ना हो। तो पहली बात तो आपको जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज से बात करनी होगी। दूसरा, ये अगर ऐसा कुछ हो रहा है तो ये एक बड़ा जाहिर है कि जिन चीजों में बीजेपी माहिर है, खरीद-फरोख्त में, उसमें कुछ शुरुआत कर रहे हैं। लेकिन हम आपको इसका पूरा ब्योरा तब देंगे,जब हमारे पास तथ्य हों। लेकिन मैं तो अभी इस प्रेस वार्ता में आया हूं, मैं गैर जिम्मेदारी से इसमें कुछ नहीं कहना चाहता।
इसी संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि देखिए, मैं उनकी इस दुष्टता और उनकी इस भर्त्सना योग्य कारनामों का ये नहीं कह रहा हूं कि वो सफल होते हैं। लेकिन उनका प्रयत्न आपकी फेहरिस्त नहीं, उस फेहरिस्त में 10 नाम और जोड़ सकते हैं, आप। उसमें से 5-7 में मैं खुद पेश हुआ हूं उच्चतम न्यायालय तक। तो उनकी बहुत बड़ी इलस्ट्रियस सूची है और इसमें वो पीएचडी, बल्कि पोस्ट डॉक्टर भी कर सकती है बीजेपी। मैं समझता हूं कि उनको विश्वविद्यालय और पाठशाला खोल देनी चाहिए इस बारे में कि खरीद –फरोख्त का कैसे प्रयत्न किया जाए। ये अलग बात है कि हमारे यहाँ समझदार लोग हैं, अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं, बीजेपी हमेशा सफल नहीं होती और मैं आपको आश्वासन दिला सकता हूं कि सफल नहीं होगी। लेकिन उनके प्रयत्न उनकी मंशा, उनके उद्देश्य से वो पूरे देश को वाकिफ करा रहे हैं, सस्ती राजनीति, भ्रष्टाचारी राजनीति, डर, भय और दुष्प्रभाव की राजनीति।
अग्निपथ स्कीम को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा कि भारतीय जिद्द पार्टी हमने कहा था एक बार, बीजेपी को। ये भारतीय जिद्द पार्टी का एक और उदाहरण है। ये जिद्द, ये इनफ्लेक्सिबिलिटी आती है दो चीजों से – अहंकार से और इस मान्यता से कि मैं सब कुछ जानता हूं, I, Me, Myself, मैं सदैव सही होता हूं। इसके आपने दुष्प्रभाव कई बार देखे हैं पहले। बल्कि उन दुष्प्रभावों, उन गलत निर्णयों का दुष्परिणाम खुद स्वीकार करती है बीजेपी आज। लेकिन उनके अंदर उतना बड़ा बड़प्पन नहीं है कि उसको मान ले औपचारिक रुप से। ये आपने देखा है नोटबंदी के वक्त, ये आपने देखा है कृषकों के मुद्दे के वक्त, ये आप अब देख रहे हैं, ऐसे कई सैंकड़ों और उदाहरण हैं। लेकिन जहाँ जिद्द पार्टी हो, जहाँ अहंकार हो और दूसरा जहाँ इनफॉलिबिलिटी, अहंकार और इनफॉलिबिलिटी, मैं गलती कर ही नहीं सकता और तीसरा इसका बिंदु होता है कि जो सबकुछ हो रहा है, वो आप कर रहे हैं। गलत तो आप हो। निर्णय तो मैंने लिया, लेकिन गलत तो आप हो। तो ये सब चीजें मिश्रण होता है, तो आपको यही मिलता है परिणाम।