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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज विशाल जन सभा को संबोधित कर सीएम योगी पर बोला हमला -देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भूपेश बघेल,अजय कुमार लल्लू, श्रीमती अराधना मिश्रा, नसीमुद्दीन सिद्दी की जी, गजराज सिंह,संजय कपूर, इमरान प्रतापगढ़ी,नरेश सैनी,मसूद अख्तर, फूल कुमार, दीपक कुमार, प्रवीण ऐरन, श्रीमती सुप्रिया ऐरन, ओममती देवी, श्रीमती इंदिरा भाटी, जितेन्द्र बघेल,धीरज गुर्जर और तौकीर आलम और यहाँ उपस्थित सभी नेतागण, पार्टी के कार्यकर्ता, पार्टी के पदाधिकारीगण, सभी सचिवगण, आप सबका मेरे ससुराल में बहुत-बहुत स्वागत। ससुराल वालों आपसे माफी चाहती हूं, बहुत दिनों के बाद आई हूं। माफ हूं कि नहीं? आपके शहर ने मेरे परिवार को संरक्षण दिया, उनको खड़ा किया। बंटवारे के बाद मेरे ससुर जी के पिता अपने परिवार को लेकर मुरादाबाद आए, यहीं से उन्होंने अपना कारोबार शुरु किया। यहाँ के हुनर, यहाँ के लोगों की मदद से, उनकी अपनी मेहनत से उन्होंने अपना जीवन बनाया, अपने बच्चों का भविष्य बनाया। आज मुझे यहाँ आकर बहुत गर्व हो रहा है और यहाँ इस सभा में मैं आप सबका भी स्वागत करना चाहती हूं।

मुरादाबाद देश-विदेश में पीतल नगरी के नाम जाना जाता है। मुझे याद है शादी के वक्त एक खुशहाल शहर था, समृद्ध था, तेजी से आगे बढ़ रहा था। यहाँ उस समय हवाई अड्डे बनने की भी बात होती थी और शहर को विकसित करने की बहुत बातें होती थी। उस समय ये सब हो क्यों पाया – क्योंकि आपके हुनर के साथ-साथ, व्यापारियों की मेहनत के साथ-साथ, मजदूरों की मेहनत के साथ-साथ आपके पास एक ऐसी सरकार थी, जिसने आपका समर्थन किया, जिसने आपको आगे बढ़ने के लिए, आपको विकसित बनाने के लिए मदद की। मुझे याद है उस समय एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल हैंडिक्राफ्ट के लिए बनी, एक्पोर्टरों को ड्रॉ बैक मिलते थे, ब्याज की सब्सिडी मिलती थी, राजीव गांधी जी, मेरे पिता जी ने कारोबारियों के लोन भी माफ किए, टैक्स में भी मदद होती थी, उस तरह से यहाँ का कारोबार बहुत बढ़ा। आपका ये शहर फला-फूला, आगे बढ़ा। आज स्थिति क्या है, आज हालात क्या हैं – जहाँ 8 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता था, निर्यात होता था यहाँ से, आज 2,000 करोड़ घट गया है, सिर्फ पिछले 5-6 सालों में। तीन लाख कारीगरों की रोजी-रोटी खत्म हो चुकी है। भाजपा की नीतियों ने कारोबार, आपके भविष्य को बर्बाद किया है। सबसे पहले तो नोटबंदी लागू की, इससे आपको बहुत संकट हुआ। आपको बताया गया कि देश के लिए ये काम हो रहा है कि काला धन वापस आएगा। कोई कालाधन वापस नहीं आया, आप सबको अच्छी तरह से मालूम है कि क्या हुआ। उसी तरह से जीएसटी लागू की गई, जिससे आपकी कमर तोड़ी गई। निर्यातकों का ड्रॉ बैक खत्म किया गया। ब्याज पर सब्सिडी नहीं मिलती। कारीगरों की दिहाड़ी आधी हुई। कारोबारी में मंदी हुई, बिजली मंहगी हुई, डीजल महंगा हुआ, कच्चा माल महंगा हुआ। उधर चीन तेजी से आगे बढ़ रहा था। जिस तरह से उन्होंने एक-एक हुनर को लेकर पूरे शहर में इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया, उस तरह से हमें यहाँ पर भी बनाना चाहिए था। यहाँ पर सारी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए थीं। यहाँ का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना चाहिए था। यहाँ पर पूरी तरह से मदद करनी चाहिए था ताकि आपका शहर भी विकसित हो पाए। ये सब नहीं हुआ।आपने पीतल नगरी बनाई, उद्योग नगरी बनाई, अपने हाथों से, अपने खून, अपने पसीने से बनाई। ये सरकार सिर्फ अंधेर नगरी बनाती है और अंधेर नगरी का चौपट राजा है। व्यापार आज पूरे प्रदेश में चौपट है। युवाओं का भविष्य चौपट है। खेती-किसानी चौपट है। महंगाई से घर का बजट चौपट है। आपने देखा होगा 27 नवंबर को यूपी टेट की परीक्षा हुई। 22 लाख युवाओं ने मेहनत की। 2 सालों के लिए काम किया। क्या हुआ-पेपर आउट हो गया। परीक्षा रद्द की गई। भर्ती फिर से लटक गई। फिर से क्यों कह रही हूं, क्योंकि इस तरह से तमाम भर्तियां हैं। मैं ऐसे लोगों से बात कर चुकी हूं, ऐसे युवाओं से बात कर चुकी हूं, जो 6-6 सालों से नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। जिन्होंने 4-5 परीक्षाएं दे दी हैं, लेकिन आज तक उन्हें रोजगार नहीं मिला। यहाँ पेपर आउट हुआ, नई बात नहीं थी। 12 परीक्षाओं में इस तरह से हुआ है। 10 लाख से अधिक सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। योगी आदित्यनाथ जी बयान देते हैं कि उत्तर प्रदेश में नौकरियां बहुत हैं, नौकरी योग्य युवा कम हैं। अब आप बताइए, जहाँ-जहाँ मैं जाती हूं, मुझे ऐसे युवा मिलते हैं, जिन्होंने बीए पास की है, किसी ने आईटीआई पास किया है, किसी में एमए भी किया है और मुश्किल से, संघर्ष करके। मैं एक वाल्मीकी कॉलोनी में गई लखनऊ में, वहाँ मैं एक महिला से मिली, उसने मुझे कहा कि मैं संघर्ष करके घरों में काम कर-करके 4-5000 रुपए का वेतन लेकर मैंने अपनी बेटी को पढ़ाया। मेरी बेटी बीए कर चुकी है, आईटीआई पास है, आज तक दर-दर भटक रही है, उसको नौकरी नहीं मिली। अगले घर में गई, वही समस्या। अगले घर में गई, वही समस्या। मैं कम से कम 10 परिवारों से मिली, उसी एक कॉलोनी में, सबने अपने बच्चों को मेहनत से पढ़ाया। नौजवान मेरे सामने आए, उन्होंने सबने कहा कि दीदी हमने पढ़ाई की है, कहीं पर रोजगार नहीं मिलता और योगी जी इस तरह के बयान देते हैं। ये सब क्यों हो रहा है- मैं आपको एक छोटी सी बात बताती हूं, बघेल जी यहाँ उपस्थित हैं। दो दिन पहले बघेल जी बता रहे थे कि उत्तर प्रदेश के कुछ व्यापारियों से, उद्योगपतियों से उनकी चर्चा चल रही थी। तो उन उद्योगपतियों ने बताया कि एक पोर्टल की जरुरत थी, जिसके लिए वह मुख्यमंत्री जी मिलना चाह रहे थे, लेकिन पिछले 4 सालों से उनको मिलने का मौका नहीं मिला। तो बघेल जी से मैं बात कर रही थी कि ऐसा कैसे हो सकता है कि 4 सालों से कोई अपनी समस्या को लेकर भटक रहा है, उद्योगपति है, व्यापारी है, प्रदेश को आगे बढ़ाने वाले लोग हैं, कैसे हो सकता है कि मुख्यमंत्री जी इनके लिए समय नहीं निकाल रहे हैं। तो बघेल जी ने मुझे एक बात कही, जो मेरे मन में रही। उन्होंने कहा देखिए दीदी, हमारे प्रदेश में जाति और धर्म पर आधारित राजनीति कम होती है और विकास पर आधारित राजनीति होती है। उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिकता पर आधारित राजनीति और जातिवाद पर आधारित राजनीति इतनी भयानक है कि मुख्यमंत्री भी जानता है कि लोगों की समस्याओं को हल करने की बजाए चुनाव के समय आएगा, धर्म की बात करेगा, जाति की बात करेगा, चुनाव जीत कर निकल जाएगा और उनकी कोई जवाबदेही ही नहीं रहेगी।तो ये बात मेरे मन में, बहुत गहराई से मैंने इस बारे में सोचा। ये बात सही है। जब तक पब्लिक अपने नेताओं से जवाबदेही नहीं मांगेगी, तब तक ये सिलसिला चलता रहेगा। जब तक वोट विकास के आधार पर नहीं डलेगा, जब तक आप ये सवाल नहीं करेंगे कि मेरे गांव में मेरे लिए, मेरे शहर में आपने 5 सालों में क्या किया? जब तक ये ये सवाल सबसे महत्वपूर्ण नहीं होगा, तब तक इसी तरह की राजनीति में आप फंसे रहेंगे, माफियाओं के दल-दल में फंसे रहेंगे।मुझे आश्चर्य हुआ जब मैं यूपी आई। जमीन की माफिया, नदी की माफिया, बालू की माफिया, पढ़ाई की माफिया, इम्तिहानों की माफिया, जहाँ देखो माफिया ही माफिया। मुझे तो आश्चर्य है कि सांस पर कोई माफिया नहीं है कि आप सांस ले रहे हैं और आपसे हफ्ता लिया जाए। ये हालात हैं अपने प्रदेश के। ये हालात आप बदलोगे कैसे – मुझे बहुत बड़ी शिकायत है आपसे। जब तक आप इस तरह की राजनीति के घेरे में फंसे रहेंगे, तब तक कोई बदलाव नहीं आने वाला है। नेता के बाद नेता यहाँ मंच पर खडे होकर फिजूल की बातें करेगा, आपको तरह-तरह के वचन देगा, लेकिन उसको दिल में मालूम होगा कि उसकी कोई जवाबदेही नहीं है। इसीलिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी आपकी है। आप नेताओं को जिम्मेदार बनाओ, सिखाओ उनको कि ऐसा नहीं चलेगा। मंच पर आकर खोखले वचन बनाएं, 5 सालों के लिए आप कुछ नहीं करें, ये नहीं चलेगा। इसीलिए कांग्रेस पार्टी इस चुनाव को सिर्फ और सिर्फ विकास के आधार पर लड़ना चाहती है।हमने प्रतिज्ञाएं ली हैं। क्या प्रतिज्ञा ली है कि हम 20 लाख रोजगार दिलवाएंगे। हर जिले में हम उद्योगों के हब लगवाएंगे। ये प्रतिज्ञा इसलिए है, क्योंकि खोखला वचन नहीं है। आपको मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किस तरह से उन्होंने वचन दिया और 2 घंटे के अंदर-अंदर कर्ज माफ किए। उन्होंने आपको बताया कि किस तरह से छत्तीसगढ़ में आज कांग्रेस की सरकार 2,500 रुपए क्विंटल धान खरीद रही है। तो ये कोई कल्पना नहीं है। ये सच्चाई है। अगर हम कह रहे हैं, हम करके भी दिखाएंगे। देखिए, किसानों ने जो आंदोलन किया। इससे एक बहुत बड़ी बात आगे आई है कि जब आप मन बना लेते हैं, जब आप अटल रहते हैं, आप अडिग बन जाते हैं, तो सरकार को झुकना पड़ता है। किसानों ने त्याग दिया, 700 से अधिक किसान शहीद हुए, उन 700 शहीदों के लिए प्रधानमंत्री जी दो मिनट के लिए भी संसद में मौन नहीं रहे। दो मिनट का मौन नहीं किया, संसद में चर्चा भी नहीं की उन कानूनों पर, जिन कानूनों को रद्द करने जा रहे थे।

लखीमपुर खीरी में नरसंहार हुआ, किसानों को अपनी जीप के पहिओं के तले एक मंत्री के बेटे ने कुचल कर मार डाला। प्रधानमंत्री जी ने एक लफ्ज नहीं कहा, योगी आदित्यनाथ जी ने एक लफ्ज नहीं कहा, बल्कि कुछ दिनों पहले लखनऊ आए, उनके साथ मंच पर वही मंत्री खड़े थे। आज भी मंत्री हैं, उनको बर्खास्त क्यों नहीं किया? अगर उन्होंने उन परिवारों से बात करने का कष्ट किया होता, जिनके बच्चे शहीद हुए; उन विधवाओं से, जिनके पति शहीद हुए, तो उनको पता चलता कि वो परिवार क्या महसूस कर रहे हैं, किस संकट से गुजर रहे हैं और उनकी एक ही गुहार है कि जब तक ये मंत्री पद पर रहेंगे, तब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, हमें सिर्फ न्याय चाहिए। मैं ऐसे परिवारों के पास गई हूं, जिनके पास कुछ नहीं है। वो कहते हैं कि मुआवजा नहीं चाहिए मुझे, पैसे नहीं चाहिए दीदी, न्याय चाहिए। अपने बेटे के लिए न्याय चाहिए। इसीलिए मैं कहना चाहती हूं कि जो सबसे बड़ी बात किसान आंदोलन से ये निकली है कि शक्ति आपके हाथों में है, इस शक्ति को पहचानिए। इन तीन काले कानूनों के अलावा किसानों की बहुत बड़ी-बड़ी समस्याएं हैं, जिनको सरकार बार-बार नकार रही है।आपको ही मालूम है कि गन्ना का कितना आपको भुगतान मिला। अभी भी 4 हजार करोड़ का भुगतान बचा है। नरेन्द्र मोदी जी का एक हवाई जहाज, जो उन्होंने पिछले साल खरीदा, कोरोना के समय खरीदा, 8,000 करोड़ रुपए का है। एक हवाई जहाज, जिसमें सिर्फ नरेन्द्र मोदी जी बैठ कर घूमते हैं, 8,000 करोड़ का है, आपका पूरा गन्ना का भुगतान सिर्फ 4,000 करोड़ का है। संसद के सौंदर्यकरण में, जो अच्छा खासा संसद है, 70 सालों से चला आ रहा है, एक ऐतिहासिक इमारत है, उसका सौंदर्यकरण करने के लिए ये लोग 20 हजार करोड़ खर्च सकते हैं, आपके लिए कुछ नहीं दे सकते। आपके कर्ज माफ करने की बात होती है, तो चुप हो जाते हैं, कहते हैं कि पैसा नहीं है।आज खाद की लाइनों में किसान अपना दम तोड़ रहे हैं। मैं ललितपुर के चार परिवारों से मिलने गई। दो किसानों ने खाद की लाइन में खड़े होते हुए दम तोड़ा और दो ऐसे किसान थे, जो इतने समय के लिए खाद की लाइन में खड़े रहे और खाद खत्म हो गई, मायूस होकर घर आए, आत्महत्या कर ली। उनकी छोटी-छोटी सी बच्चियों ने मेरे से बात की कि दीदी हम क्या करेंगे। डीजल का दाम आज आसमान छू रहा है। आपको एमएसपी के कम दाम में आपसे धान और गेहूँ खरीदा जा रहा है। हमारी ये प्रतिज्ञा है कि छत्तीसगढ़ की तरह यहाँ पर भी 2,500 रुपए में धान खरीदा जाएगा। यहाँ पर भी गन्ना, 400 रुपए क्विंटल में खरीदा जाएगा। 2,500 रुपए में गेहूँ और धान और 400 रुपए में गन्ना। किसानों के लिए हमने तय किया है कि आपका पूरा कर्जा हम माफ कराएंगे।

देखिए, महंगाई बहुत ज्यादा है। मैं जानती हूँ कि आप कितना तड़प रहे हैं, महंगाई की वजह से। ये मेरी महिलाएं बैठी हैं। ये लोग सोचते हैं कि आपको एक गैस सिलेंडर पकड़ाकर आपके प्रति पूरी जिम्मेदारी खत्म हो गई। इनको दिखाइए कि जब तक आपको पैरों पर खड़ा करेंगे नहीं, जब तक आपको सशक्त नहीं बनाएंगे, आपको मजबूत नहीं बनाएंगे, तब तक आपका वोट उनको नहीं मिलेगा। मैं आप सबसे कहना चाहती हूँ, महिलाओं को आगे बढ़ाओ। ये महंगाई की मार किसानों पर है, गरीबों पर है, दलितों पर है, लेकिन सब वर्गों में इनका बोझ आप उठाती हैं। मैं जानती हूँ कि आप कितना संघर्ष कर रही हैं। बिजली कितनी महंगी हो गई है। आटा, मोबाइल का डेटा, जीवन बीमा, सरसों का तेल, पेट्रोल, डीजल हद से ज्यादा महंगाई है। आपको बड़े-बड़े बिल मिलते हैं। मैंने देखे हैं ये बिल। महिलाएं मुझे कहती हैं कि हमने तो बिजली ऑन ही नहीं की। यहाँ बिजली आई ही नहीं, फिर भी हमें इतने बड़े-बड़े बिल मिल रहे हैं। मुरादाबाद ऐसा शहर है, जहाँ उद्योग है। आप सब जानते हैं कि बिजली की कॉमर्शियल रेट कितना है और इसकी वजह से कितना नुकसान हो रहा है। आपको कहा गया था मुरादाबाद को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा, क्या बना? केवल एक ही चीज स्मार्ट है- स्मार्ट मीटर और स्मार्ट लूट और मैं बहनों को कहना चाहती हूँ कि हम आपको सशक्त करना चाहते हैं। मैं आपके साथ खड़ी हूँ, मैं आपको आगे बढ़ाना चाहती हूँ। 40 प्रतिशत कह रही हूँ कि 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को मिलनी चाहिए, क्यों कह रही हूँ? मैं अपनी बहनों के घर जाती हूँ, मुझे आपके दुख-दर्द पता हैं। यहाँ पर बलात्कार होते हैं, महिलाओं का शोषण होता है, महिलाओं को कुचला जा रहा है और कोई कुछ नहीं कह रहा है, कोई आवाज नहीं उठा रहा है, कोई आपको आगे बढ़ाने की बात नहीं कर रहा है, सब विज्ञापनों में हैं, सब सिर्फ विज्ञापनों में हैं। असली सवाल ये है कि आपकी भागीदारी राजनीति में क्या है? आपके लिए लड़ने वाली महिला कैसे आगे बढ़ेगी? तो 40 प्रतिशत आप जब टिकट लेंगे कांग्रेस से, ठीक है, हो सकता है, पहली बार थोड़ी आप में से कुछ हो जो जीतें, हो सकता है कि कुछ न जीतें, कोई बात नहीं, सशक्त बनेगीं। अगली बार जीतेंगी। अगली बार फिर से मौका मिलेगा और ज्यादा मौका मिलेगा। यहाँ नौजवान लड़कियां हैं, आप सहना नहीं चाहती। सच बताओ, सहना चाहती हो कि लड़ना चाहती हो?, अपने हकों के लिए लड़ना चाहती हूँ या अत्याचार सहना चाहती हो? (भीड़ में उपस्थित लड़कियों ने कहा, लड़ना चाहती हैं।) लड़ना चाहती हो न ? (लड़कियों ने फिर कहा- हाँ।)। ये स्कूटी किसके लिए है? स्मार्ट फोन किसके लिए है? आपको मिलेगा। आप महिलाओं को सशक्त बनाओ। ये जितनी भी राजनीति है, ये जितनी भी जातिवाद पर आधारित, ये साम्प्रदायिक राजनीति सब खत्म हो जाएगी, आप खड़ी हो जाएंगी तो। आपकी शक्ति को कोई पहचान नहीं रहा है। 50 प्रतिशत आबादी है। 50 प्रतिशत बहुत बड़ा आंकड़ा होता है। सशक्त बनो, अपने हक के लिए खुद लड़ो, कोई नहीं आएगा, तुम्हारे लिए लड़ने के लिए, तुम खुद लड़ोगी और मैं तुम्हारे साथ खड़ी हूँ। जोर से बोलो, ‘लड़की हूँ,’ (महिलाओं ने कहा, लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ), ‘लड़की हूँ,’ (महिलाओं ने फिर कहा, लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ), शाबाश; ‘लड़की हूँ,’ (महिलाओं ने फिर कहा, लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ), शाबाश!

देखिए, किसानों के लिए हमने तय किया है कि हम कर्जा माफ करेंगे और सबके लिए तय किया है कि बिजली बिल हाफ होगी, कोरोना काल का बकाया, खासतौर से जो छोटे दुकानदार, छोटे व्यापारियों ने दिया, वो साफ किया जाएगा। कोरोना में आपने बहुत संकट झेला। सरकार आपके प्रति आक्रामक बन गई। आपने ऑक्सीजन मांगा, तो सरकार आपके पीछे पड़ गई, आपकी मदद नहीं हुई। आपको ये दौर अच्छी तरह से याद होगा, उद्योग, एक्सपोर्ट, ठेले- कुलचे वाले, सबका व्यापार कम हुआ, काफी लोगों का व्यापार बंद भी हुआ, उन्हें हम फिर से मदद करना चाहते हैं कि दोबारा आपने पैरों पर खड़े हो, इसलिए सबसे गरीब परिवार, जिन्होंने सबसे ज्यादा संकट, जिनको सबसे ज्यादा संकट पहुंचा कोरोना से, उनको हम 25 हजार रुपए देना चाहते हैं।

देखिए, अगर हमारी सरकार आएगी, तो चाहे कोई भी बीमारी हो, 10 लाख रुपए का इलाज सरकार मुफ्त में कराएगी। वृद्धावस्था पेंशन और विधवा पेंशन हजार रुपए देंगे और जितनी भी नई सरकारी नौकरियाँ हैं, उनमें पहले से जो आरक्षण है, उनके तहत ही 40 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को मिलेगा। सुनिए, लोकतंत्र में जनता जिंदाबाद है।मैंने आपसे पहले भी कहा, मेरी आप सबसे शिकायत है अपने नेताओं से आप हिसाब नहीं मांगते। चुनाव आता है, तो सफाई कर्मचारियों के साथ नरेन्द्र मोदी जी अपनी फोटो खिंचवा लेते हैं। आगरा में अरुण वाल्मीकि के साथ पूरा परिवार को तीन-चार दिनों के लिए पुलिस स्टेशन में रखकर बुरी तरह पीटा जाता है, तो कुछ नहीं कहते, आप हिसाब नहीं मांगते। हाथरस में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया जाता है, पुलिस प्रशासन द्वारा उसकी चिता जलाई जाती है, उसके मां-बाप को आने भी नहीं दिया जाता, प्रधानमंत्री जी चुप रहते हैं, मुख्यमंत्री जी चुप रहते हैं, आप हिसाब नहीं मांगते।किसानों का रोज-रोज अपमान किया, तरह-तरह की चीजें कहीं, देशद्रोही, आंदोलनजीवी, भगवान जाने, क्या-क्या कहा। चुनाव आ रहा है न, चुनाव आ रहा है न, (जनता ने कहा, हाँ), अब क्या कह रहे हैं- मुझे माफ करिए। क्यों माफ कर रहे हैं आप? क्यों माफ कर रहे हैं? हिसाब मांगिए। कोरोना काल में लापरवाही हुई, किसने भुगता? किसके परिवार उजड़े? आपने हिसाब मांगा? हिसाब मांगो, आपको अगर डिलीवरी चाहिए, आगे बढ़ना चाहते हैं आप, राजनीतिक दलों और उनके नेताओं से अपना रिश्ता बदलो, उनकी असलियत पहचानो, उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह बनाओ, उनसे हिसाब मांगो। मैंने सुना है, कई लोग कहते हैं कि भाजपा तो फूट फैलाकर फिर से जीतेगी, क्यों? क्योंकि असलियत ये है कि जिनको आज मुख्य विपक्ष माना जा रहा है, वे विकास का एजेंडा सेट नहीं कर रहे, वे भी इसी तरह की राजनीति करना चाहते हैं। सपा और बसपा ने भी जाति और धर्म की ही राजनीति को आगे बढ़ाया है। सपा सरकार में जातिवाद और गुंडई और बसपा में आपने लूट देखी है, तो स्वभाविक है, विकास की बात नहीं होगी, आपके मुद्दे उठाए नहीं जाएंगे। आपने समाजवादी का नारा देखा है, नया नारा सुना है- ‘आ रहे हैं अखिलेश’। मैं पूछना चाहती हूँ सीएए और एनआरसी के कानून बने। मैंने अपनी आँखों से देखा, मैं बिजनौर गई। बिजनौर में एक 19 साल का लड़का अनस दूध बेचता था, उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। दूसरे घर में गई, एक लड़का, सुलेमान, मस्जिद के बाहर खड़ा था, पुलिस ने गोली मारी, उसकी हत्या हो गई, मैं पूछना चाहती हूँ, क्या अखिलेश जी आए? (जनता ने कहा- नहीं।)। उम्भा में नरसंहार हुआ, 13 आदिवासियों की मौत हुई, उनको पीटा गया लाठियों से, उनको गोली मारी गई, क्या अखिलेश जी आए? (जनता ने फिर कहा- नहीं।) उन्नाव और हाथरस में क्या हुआ? मेरी बहनें बैठी हुई हैं। उन्नाव और हाथरस में महिलाओं पर अत्याचार हुआ, उनको जलाया गया, क्या अखिलेश जी आए? किसानों के आंदोलन में, लखीमपुर खीरी में नरसंहार हुआ, जैसे मैंने कहा, आप सबने देखा वो वीडियो, जीप के नीचे किसानों को कुचला गया, क्या अखिलेश जी आए? (जनता ने फिर कहा- नहीं।)। तो अब चुनाव के समय क्यों आ रहे हैं? चुनाव के समय उनकी पार्टी और वो अचानक जीवित क्यों हो रहे हैं? पिछले पांच सालों से कहाँ थे, जब कांग्रेस सड़कों पर लड़ रही थी? जब कांग्रेस के 18,500 से ज्यादा कार्यकर्ता जेल में बैठे थे। जब हमारे अध्यक्ष 28 दिनों के लिए, कोरोना के समय जेल में थे, तब समाजवादी के नेता कहाँ थे, तब समाजवादी के कार्यकर्ता कहाँ थे, तब अखिलेश जी कहाँ थे, उस समय अखिलेश जी क्यों नहीं आए? मैं पूछना चाहती हूँ, जब दलितों पर अत्याचार हुआ, हाथरस में हुआ, आगरा में हुआ, अभी हाल में फ़फ़ामऊ, इलाहाबाद में मैं गई, दलित परिवार पर अत्याचार हुआ। उनको चारों को, मां, बाप, बेटा, 10 साल का बेटा, जिसको ठीक से सुनाई भी नहीं देता था और 15 साल की लड़की का बलात्कार करके उन सबकी हत्या की गई। मैं पूछना चाहती हूँ बसपा के नेता कहाँ थे ? उन्होंने आवाज क्यों नहीं उठाई? जब वो बयान देते हैं, तो ऐसा क्यों लगता है कि भाजपा जैसा ही बयान दे रहे हैं, क्योंकि सब अंत में ये सोचते हैं कि आपकी समस्याएं, आपके दुख, आपका दर्द, आपकी पीड़ा, आपके संघर्ष से उनकी राजनीति को कोई मतलब नहीं है। सब सोचते हैं कि वे सांप्रदायिकता के आधार पर, जाति के आधार पर आपसे वोट मांगने आएंगे, आप देखेंगे कि आपके प्रतिनिधि हैं, आप सोचेंगे कि आपकी जाति के हैं, आपके धर्म के हैं, आपसे वोट मिल जाएगा और उन्हें कोई काम करने की जरुरत नहीं है। ये सोच आपको जबरदस्ती बदलवानी है। आपका संघर्ष है, जिसने इस देश को बनाया है। किसानों की शहादत ने इस देश को बनाया है। हमें आजादी किसानों ने दिलवाई, आपके पूर्वजों ने दिलवाई। जितने भी बड़े नेता आजादी के समय आंदोलन में थे, सब आप ही में से आए। ये लोकतंत्र है, इसमें आपसे मजबूत कोई नहीं है और मैं आपको बताना चाहती हूँ कि कोई ऐसी जंग नहीं है, जो बगैर लड़े जीती जाती है। तो ये जो सब कह रहे हैं कि जीतने वाले हैं, जब लड़ ही नहीं रहे हैं, तो जीतेंगे कैसे?ये सब सिर्फ सोच रहे हैं कि अपना टाइम आएगा, हम राज करेंगे, हम लूटेंगे, पांच साल बाद आकर हम फिजूल के मुद्दे उठाएंगे और हम फिर से राज करेंगे। ये सोच को बदलिए। टाइम आपका है, समझदार आप हो, विवेक आप में है। इस देश को बदलना है, अपने प्रदेश को इस खाई में से निकालना है तो आपको मजबूत बनना पड़ेगा और आपको बहुत समझदारी से अपना वोट देना पड़ेगा। तो आज मैं यहाँ इसलिए आई हूँ कि मैं आपसे कहना चाहती हूँ, मैं आपको मौका देना चाहती हूँ राजनीति को बदलने का और मैं अपनी बहनों को मौका देना चाहती हूँ और आप सबको कि राजनीति को विकास पर आधारित बनाओ। अपने नेताओं को जिम्मेदार बनाओ, ये देश आपका है, किसी की जागीर नहीं है। कोई कितना भी बड़ा नेता हो, उसकी जागीर नहीं है। ये देश आपका है, अपने घर को संभालो, अपने परिवार को संभालो, अपने देश को संभालो, उसको सुरक्षित रखो, उसको मजबूत करने के लिए सही निर्णय लो, सही निर्णय यही है कि विकास होना चाहिए, चुनाव के समय विकास की बात होनी चाहिए। मैं आप सबको बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ। बारिश हो रही है और कष्ट नहीं दूँगी। आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ कि आपने मेरा इंतज़ार किया और अगली बार अपने पति को भी यहाँ लेकर आऊँगी, अपनी ससुराल और आप सबको भी मिलवाऊँगी।

आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।

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