अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने आज मध्य प्रदेश के सांवेर में विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, पिछली बार आपने जो सरकार चुनी थी, वह चोरी कर ली गई। जिन लोगों ने आपके लोकतांत्रिक अधिकारों का सौदा किया, उन्हें सबक सिखाइए और भारी बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाइए।
श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा – एक बार मेरे साथ बोलिए हर-हर महादेव (जनता ने कहा– हर-हर महादेव)। भगवान ओंकारेश्वर जी की कृपा से बाबा महाकाल की नगरी में आने का मेरा सौभाग्य है, यहां की धरती को मेरा नमन।आप सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत। मेरी बहने- माताएं आप दूर-दूर से आई होंगी, काफी समय से बैठी हैं, इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं। मंच पर उपस्थित सभी नेतागण, कमलनाथ जी, अनिल शास्त्री जी, रीना बोरासी जी, जीतू पटवारी जी, शोभा ओझा जी, महेन्द्र जोशी जी, सदाशिव यादव जी, सभी पार्षद गण, सभी जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, सरपंचगण और पार्टी के सभी पदाधिकारी, सबका इस सभा में बहुत-बहुत स्वागत। देखिए, सबसे पहले मैं आपके काम की बात करती हूं, कुछ घोषणाएं हैं हमारी पार्टी की, वो पढ़कर सुनाती हूं उसके बाद अपना भाषण शुरू करूंगी। हमारी जो घोषणाएं हैं, उसमें मेरी बहनो, आपके लिए हर महीने 1,500 रुपए सीधे आपके खाते में डाले जाएंगे। किसानों के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,600 रुपए होगा, धान का समर्थन मूल्य 2,500 रुपए होगा।मेरे किसान भाइयो, जब कमलनाथ जी की सरकार बनी थी, 15 महीने के लिए वो सरकार रही, उसके बारे में बाद में चर्चा करूंगी, लेकिन उस समय इन्होंने किसानों के कर्ज माफ करने का काम शुरू किया था, उस काम को हम पूरा करेंगे, सरकार बनेगी, तो किसानों का कर्जा माफ फिर से होगा। 100 यूनिट बिजली बिल आपका माफ होगा और 200 यूनिट बिजली बिल आधा, मतलब हाफ किया जाएगा। पुरानी पेंशन मध्य प्रदेश में लागू होगी। गैस का सिलेंडर आपको 500 रुपए में दिया जाएगा। 5 हॉर्स पावर की सिंचाई की बिजली आपको मुफ्त मिलेगी। ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण किया जाएगा। प्रदेश में जाति जनगणना कराएंगे। दो लाख सरकारी पद जो आज खाली पड़े हैं, उनको भरने का जल्दी से जल्दी प्रयास होगा और प्रतियोगी परीक्षाओं में जो उसका शुल्क होता है, 100 प्रतिशत उसमें आपको छूट मिलेगी। आपके परिवारों सहित 25 लाख रुपए तक बीमा मिलेगा और 10 लाख रुपए तक दुर्घटना बीमा मिलेगा, ताकि आपका इलाज मुफ्त हो सके इस बीमे से। दलित, आदिवासी, ओबीसी वर्गों के लिए, जो खाली पड़े बैकलॉग हैं, जो पद खाली हैं और जिनका बैकलॉग पूरा नहीं किया इस सरकार ने, उसको पूरा किया जाएगा। पढ़ो और पढ़ाओ योजना हम लागू कराएंगे, उसमें मध्य प्रदेश के बच्चों को कक्षा 1 से कक्षा 12 तक नि:शुल्क शिक्षा मिलेगी, लेकिन एक से आठवीं कक्षा तक 500 रुपए दिए जाएंगे हर बच्चे को और नौवीं से दसवीं कक्षा तक हजार रुपए दिए जाएंगे हर बच्चे को और ग्यारहवीं से बारहवीं तक 1,500 रुपए दिए जाएंगे प्रतिमाह और ताकि उनको और सुविधा हो और जो पढ़ाई के लिए उनको खरीदना पड़े, जो सब छोटी-मोटी चीजें हैं, वो कर पाएं।देखिए, आपकी जो ये धरती है, रीना जी बता रहीं थीं कि यहां का सबसे सुप्रसिद्ध मंदिर उल्टे हनुमान जी का मंदिर है, है कि नहीं (श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनता से पूछा) (जनता ने कहा – हां)। बहनो आप जाती होंगी, जाती हैं (श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनसभा में उपस्थित महिलाओं से पूछा) (महिलाओ ने कहा – हां)। देखिए, रामायण की एक कथा आपको मालूम होगी, जहां अहिरावण ने एक चाल चली और राम जी और लक्ष्मण जी का अपहरण कर लिया। छल से दोनों को पाताल लोक ले गए। हनुमान जी पाताल लोक गए उनको वापिस लाने के लिए, उन्होंने अहिरावण को पराजित किया, उन्हें हराया और राम जी, लक्ष्मण जी को अपने कंधों पर बैठाकर वापिस ले आए। इस कथा का एक मुख्य संदेश है, क्या संदेश है ये – कि जब अन्याय होता है तो हमें उस अन्याय से लड़ना चाहिए। जब ऐसा राज्य होता है कि जिसकी कुनीतियों से नुकसान होता है जनता का, तो हमें उसका प्रतिकार करना है। यही मुख्य संदेश है रामायण का भी और रामायण की इस कथा का भी।तो देखिए, यहां सांवेर आकर ये कहना जरूरी है कि 2018 में आपने एक सरकार चुनी। लोकतंत्र है इस देश में,जो सरकार आपने चुनी, वो आप ही की बनाई हुई सरकार थी और जिस तरह से अहिरावण ने भगवान राम और भगवान लक्ष्मण के साथ छल किया, उस तरह से आपके साथ भी छल हुआ। कुछ बहरूपियों ने छल-कपट करके आपकी सरकार का अपहरण किया, आपकी सरकार चोरी की, मतलब चोरी कर ली, आपका लोकतंत्र चोरी कर लिया और उसको भ्रष्टाचार लोक में ले गए, अब उसे वापिस कौन लाएगा? अगर आप हनुमान नहीं बनेंगे आज के दिन में, तो यहां से जो छल शुरू हुआ, आपकी धरती से जो छल शुरू हुआ, जिसकी वजह से आप साढ़े तीन साल से एक ऐसी सरकार को भुगत रहे हैं, जिसे आपने चुना ही नहीं, जो खरीद-फरोख्त से बनी है, रिश्वतखोरी से बनी है। अगर आप इस स्थिति को ठीक नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? आज इस मौके पर अगर आप हनुमान जी के तरह खड़े नहीं हो जाएंगे और आप अपने लिए ये लड़ाई नहीं लड़ेंगे तो कौन लड़ेगा? देखिए ये जो उसूल, जो परंपराएं रामायण के समय से हमारे देश में चल रही हैं, उनको आप सब अच्छी तरह से समझते हैं। आप जानते होंगे कि महात्मा गांधी जी के जो उसूल थे, जिन पर आजादी की लड़ाई लड़ी गई, वो भी यही उसूल थे, जब महात्मा गांधी जी को गोली लगी और वो जमीन पर गिर गए, तो उनके मुंह से क्या लफ़्ज़ निकले – (जनता ने कहा – हे राम!) हे राम! हे राम! हे राम! क्योंकि महात्मा गांधी जी उन्हीं उसूलों पर जिए, जिन पर श्री राम जी जिए थे।
अब आप सोचिए, भगवान राम को वनवास हुआ। ठीक है वो वनवास में चले गए। वनवास में चले गए, लेकिन उनके प्रति जो जनता के दिल में श्रद्धा थी, वो कम हुई? बताइए कम हुई कि और भी बढ़ गई, और भी बढ़ी न? क्यों – क्योंकि भगवान राम के चरित्र में जनता ने ये देखा कि इनके दिल में हमारे प्रति श्रद्धा है। तो जब भगवान राम का वनवास हुआ और वो जंगल भेजे गए। 13 वर्षों के लिए जंगल में रहे, फिर भी जनता ने उन पर श्रद्धा रखी, फिर भी जनता चाहती थी कि वही बने हमारे राजा, फिर भी जनता ने इंतजार किया, 13 साल इंतजार किया, जब तक वो वापिस आए और जब वापिस आए तो दिवाली पर इतनी खुशी मनाई कि आज तक हम उस खुशी को मनाते हैं और आज तक हम याद करते हैं कि किस तरह से झूठ को सच्चाई ने परजित किया, किस तरह से छल को पराजित करके भगवान राम वापिस आए और भगवान राम गद्दी पर बैठे। तो ये एक बहुत पुरानी परंपरा है हमारे देश की और जब हम राजनीति की बात करते हैं बहनो और भाइयो, तो हमें हमेशा नेता में, राजनीतिक दल में, नेता के व्यवहार में, सरकार के व्यवहार में ये जो उसूल हैं, ये ढूंढने चाहिए, हमें समझना चाहिए कि हम पर जो राज कर रहे हैं, उनके दिल में क्या है हमारे लिए।क्योंकि देखिए, जब गांधी जी ने आजादी की लड़ाई लड़ी और सिर्फ उन्होंने नहीं लड़ी, आपके पूर्वजों ने भी लड़ी उनके साथ, आपके दादा-दादी ने, आपके नाना-नानी ने, मेरे दादा-दादी ने, सबने लड़ी ये आजादी की लड़ाई, सबने खून दिया अपना, जो था वो दिया। मैं छत्तीसगढ़ गई थी अभी कुछ दिनों पहले, तो वहां मुझे पता चला कि वहां की महिलाओ ने अपने जेवर दिए थे आजादी की लड़ाई के लिए, तो सबने, जो भी देशवासी है आज, जो जिंदा है उसके किसी ने किसी पूर्वज ने ये आजादी की लड़ाई लड़ी। तो उनके प्रति भी जो हमारी श्रद्धा है वो यही बताती है कि हमें जो अपनी देश और प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियां हैं, जो अपने जीवन की परिस्थितियां हैं उन्हें समझने की बहुत जरूरत है। जब तक हम ठीक ढंग से समझेंगे नहीं, तो हमारा वोट ठीक जगह जाएगा नहीं।अब आप देखिए, कोरोना का कहर था, आपके यहां से स्वास्थ्य मंत्री थे, थे –(श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनसभा में उपस्थित लोगों से पूछा) (जनता ने कहा – हां)। कौन थे – (श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनसभा में उपस्थित लोगों से पूछा) (जनता ने कहा – तुलसीराम सिलावट)। सिलावट जी थे। कोरोना चल रहा था, कोरोना के समय में सिलावट जी कहां थे, किसी को याद है? बैंगलोर के एक रिजॉर्ट में थे। क्या कर रहे थे – सौदेबाजी कर रहे थे। किस चीज की सौदेबाजी कर रहे थे – आपकी सरकार की। कर रहे थे कि नहीं – (श्रीमती प्रियंका गांधी ने जनसभा में उपस्थित लोगों से पूछा) (जनता ने कहा – हां)। स्वास्थ्य मंत्री थे, उनकी जिम्मेदारी थी, कोरोना चल रहा था, तबाही मच रही थी, हर जगह आप ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं, वो बैंगलोर में बैठे सौदा कर रहे हैं। उनकी जिम्मेदारी थी, जब वो शुद्ध के लिए युद्ध का जो नारा आपने छेड़ा था कमलनाथ जी, कि मिलावट रोकनी है। सिलावट जी क्या कर रहे थे – सरकार में मिलावट लाने की बात कर रहे थे। तो अच्छा हुआ चले गए, क्योंकि ऐसे नेता जो आपके जनमत को पैसों और धन को इस्तेमाल करके, आपके जनमत को बिगाड़कर एक ऐसी सरकार ला सकते थे आपके प्रदेश में, जो आपका नुकसान करे, अच्छा है दूसरी पार्टी में चले गए और शायद अगर आप अपना वोट विवेक से देंगे, तो और अच्छा होगा, वो थोड़ा सा सबक भी सीख लेंगे।थोड़े दिनों सत्ता से बाहर रहें, हर नेता की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। तभी तो सीखते हैं नेता। तो मैं आपसे गांधी जी की बात कर रही थी, मैं आपको परंपराओं की बात सुना रही थी किसलिए – क्योंकि देखिए, जब प्रदेश को चलाना होता है, देश को चलाना होता है, तो हम एक ऐसी सरकार चाहते हैं जिसके कुछ आदर्श हों, उसूल हों और एक नजरिया हो कि देश-प्रदेश के लिए क्या करना चाहते हैं? हम जानना चाहते हैं कि भाई हमारे लिए क्या करेंगे? क्या नौकरी दिलवाएंगे हमारे बच्चों को, क्या किसानों के जो जीवन है, जो संघर्ष से भरे हैं, मुश्किलों से भरे हैं, उसमें किसानों की कुछ सहायता हो जाएगी कि नहीं, यही चाहते हैं और आज के जमाने में ये भी हो गया है कि हम नेताओं से कम मांगने लग गए हैं।एक जमाना था, मैं अपने पिताजी के साथ जाती थी अमेठी में, उत्तर प्रदेश में… पिताजी प्रधानमंत्री थे, मैं साथ-साथ चलती थी और मैंने अपने कानों से सुना, अपनी आंखों से देखा… गांव की महिलाए डांट रही हैं, खूब जोर से उन्हें कि भाई, तुमने कहा था कि ये सड़क… इसकी मरम्मत कराओगे, एक साल निकल गया कराई नहीं। डांटती थी, बहुत मांगती थीं, कहती थीं पानी दिलवाओ, हमारा स्कूल ठीक करवाओ
…