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कांग्रेस इंचार्च, उत्तरखंड देवेंद्र यादव ने आयोजित प्रेस वार्ता में कहा, नौकरियों घोटाले में हो सीबीआई जांच -वीडियो सुने।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
कांग्रेस, इंचार्ज, उत्तराखंड देवेन्द्र यादव ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि करण माहरा, जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं, उत्तराखंड से और मेरे दांयी ओर बैठे हैं, बहुत ही युवा और एनर्जेटिक हमारे डिप्टी सीएलपी इन उत्तराखंड भाई भुवन कापरी जी। ये वही शख्स हैं, जिन्होंने वहाँ के मुख्यमंत्री को भी बहुत अच्छे मार्जिन से पछाड़ा था। इस महत्वपूर्ण मीटिंग की शुरुआत मैं करूँ, उससे पहले मुझे एक कहावत याद आती है कि ‘अंधा बांटे रेवड़ी, अपने-अपने को दे’, ये बात तो आप सबने सुनी ही होगी और इसको चरितार्थ कर रही है, भाजपा की उत्तराखंड की सरकार। हम सब राहुल गांधी के नेतृत्व में बेरोजगारी और महंगाई की एक निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हैं। आप सब जानते हैं कि 7 तारीख से इन मुख्य दो मुद्दों के साथ राहुल गांधी पूरे देशभर में एक यात्रा का नेतृत्व करने जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ मैं देख रहा हूँ कि सत्ता में बैठे कुछ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त होकर देश के पढ़े –लिखे जो युवा हैं, उनके साथ धोखा कर, जो नौकरियाँ हैं, उनको लगातार अपने लोगों के बीच में बांटने का काम कर रहे हैं।

मैं उत्तराखंड के संदर्भ में ये बात कहना चाहता हूँ कि आप लोगों ने निश्चित ही कुछ समाचार पत्रों के द्वारा भी…, क्योंकि हमारा प्रदेश नेतृत्व, करण के नेतृत्व में मजबूती के साथ इस मुद्दे को बड़ी प्रमुखता के साथ लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं और इसकी शुरुआत की थी, भुवन कापरी ने। जब पिछला विधानसभा का सत्र था, इन्होंने वहाँ के स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में हो रही अनियमितताओं के बारे में प्रमुखता से अपनी बात को, आवाज को बुलंद किया था और उसके परिणामस्वरूप वहाँ पर एक कमेटी जरुरी बनाई गई, इसकी जांच करने के लिए, लेकिन मुझे दुख है इस बात का कि कुछ छोटे मगरमच्छों को पकड़कर, बड़े-बड़े मगरमच्छ इसमें संलिप्त हैं, उनको बचाने की एक नाकाम कोशिश उत्तराखंड की सरकार कर रही है।

जैसा कि मैंने कहा कि उत्तराखंड में चाहे वो विधानसभा में कुछ नियुक्तियाँ हों, चाहे स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड की नियुक्तियों की बात करें, जिसमें कहीं न कहीं ऐसे बेरोजगार युवा साथियों को, जो उसके हकदार हैं, जो पढ़े-लिखे हैं, जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करके उम्मीद में उन नौकरियों के लिए अप्लाई किया था, आज कहीं न कहीं वो भटक रहे हैं और उसके एवज में जो उत्तराखंड की सरकार के हैं, वो अपने चहेतों को, अपने रिश्तेदारों को, अपने जानकारों को बिना किसी योग्यता के, बिना किसी साक्षात्कार के, बिना किसी परीक्षा के सीधा नियुक्ति देने का काम कर रहे हैं। उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी लगातार इस बात को मुद्दा बनाकर युवाओं के बीच पहुंचने का काम कर रही है। हम लोग लगातार इस कोशिश में हैं कि जो वहाँ के युवाओं का हक है, उनको वो हक मिल सके।
मैं आप सभी के माध्यम से, जहाँ उन युवा साथियों को अपील करना चाहूँगा कि वो इस लड़ाई में मजबूती के साथ सामने आएं, वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार से ये आग्रह करूँगा, क्योंकि ये ऐसा मुद्दा है, जिसमें उत्तराखंड सरकार के सीनियर लीडर्स हैं और ऑर्गेनाइजेशन के जो वहाँ पर सीनियर लीडर्स हैं, उनकी सीधी-सीधी संलिप्ता होने के नाते कोई भी जो रीजनल जो भी वहीं की स्टेट एजेंसीज हैं, वो किसी भी प्रकार से उसकी अच्छी तरह से जांच नहीं कर पाएंगी, क्योंकि उनके ऊपर लगातार दबाव बना रहेगा, लिहाजा हम भारत सरकार से ये आग्रह करना चाहते हैं कि इस पूरे मामले की, जिसका विस्तार से भाई करण जी और भुवन जी इस बारे में चर्चा करेंगे, उस सारे मामले को लेकर हम सीबीआई की जांच की यहाँ से आपके सामने बात करना चाहते हैं कि हमने लगातार कोशिश की है और केन्द्र सरकार को भी ये लिखा है कि इस जांच को निश्चित ही केन्द्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई के द्वारा इसको देखा जाना चाहिए।
दोस्तों, आप सब जानते हैं कि आज पूरे देश में जो फ्री रेवड़ियाँ बाँटने की बात है, वो हमारे प्रधानमंत्री करते हैं। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि रेवड़ियाँ वो नहीं है कि जो गरीब के पेट में अन्न जाता है, उसको फ्री राशन दिया जाता है, या किसान को उसके हक की लड़ाई, उसकी जो उपज है, उसका सही मूल्य मिलना, रेवड़ियाँ नहीं है, रेवड़ियाँ सही मायने में ये है, जहाँ पर बिना किसी साक्षात्कार के, बिना किसी टेस्ट के जो सरकार में बैठे लोग हैं, वो अपने निजी फायदे के लिए अपने लोगों को कहीं न कहीं डायरेक्ट नौकरियाँ देकर उनको वो रेवड़ियाँ बांटने का काम कर रहे हैं। तो हम इस मंच से आप सभी से आग्रह करेंगे कि जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री हैं, केन्द्रीय सरकार है वो इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करे।

मैं आग्रह करूँगा भाई करण जी से कि वो इसके बाद अपनी बात रखें।

करण माहरा ने कहा – उत्तराखंड में इस समय एक ज़लज़ला सा आया हुआ है। विभिन्न विभागों की भर्तियों में घोटाले सामने आ रहे हैं, जिसमें भुवन कापरी, जो हमारे डिप्टी लीडर हैं, उन्होंने अधीनस्थ चयन आयोग, जो उत्तराखंड का है, उसमें भर्तियों को लेकर घोटाले उजागर किए थे, जिस पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सचिवालय का घेराव किया और एसटीएफ की जांच बैठी। जिसमें अभी तक लगभग 28 लोग गिरफ्तार हुए हैं और एक बहुत सोची-समझी रणनीति के तहत हाकम सिंह, जो बीजेपी का जिला पंचायत सदस्य था और उनकी पार्टी का सदस्य था, उसको एक बड़ी मछली के रूप में दिखाया जा रहा है, जो अपने आप में जनता की आँखों में धूल झोंकने की एक कार्रवाई के रूप में दिखता हूँ।

हाकम सिंह एक खानसामा था, जो एक आईएएस अधिकारी के यहाँ खाना बनाने का काम करता था, आज से कुछ वर्ष पूर्व, लेकिन अचानक वो इतना बड़ा हो गया कि अकूत संपत्ति का मालिक है और जिला पंचायत का सदस्य भी है, लेकिन हाकम सिंह एक बहुत छोटी मछली है, जो बड़े मगरमच्छों के सिखाने पर सारा काम करता है, ऐसा हमारा (कांग्रेस) का मानना है, और इसके बहुत सारे कारण हैं।

2016 की जो उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की भर्तियों में घोटाले की बात आई थी, इस विषय को जब मैंने 2017-18 में विधानसभा में उठाया, तो उस समय के तत्कालीन जो अध्य़क्ष थे, आरबीएस रावत, उनको दो सदस्यों ने इस्तीफा इस बात को लेकर दिया कि अध्यक्ष की मिलीभगत से धांधलियाँ हो रही हैं, नौकरियों में और तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत , जो अब हमारे बीच में नहीं रहे, उन्होंने विधानसभा की कार्रवाई में ये माना कि इन कॉपियों में टैम्परिंग हुई है और कॉपियाँ ट्रेजरी में सम्भाल कर रखी हुई हैं, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन तत्कालीन भाजपा की सरकार ने पूरी जांच को दबा दिया और वहीं से हाकम सिंह का उदय हुआ। आपकी जानकारी में ये लाना आवश्यक है कि हाकम सिंह का पहली बार नाम आरबीएस रावत जी, फॉरेस्ट के बड़े अधिकारी होते हुए फॉरेस्ट भर्ती में पहली बार उसके नाम पर एफआईआर हुई थी और जब तक हाकम सिंह का अपने नेताओं और अधिकारियों के संग सबंधों का खुलासा नहीं होता, तब तक बड़े मगरमच्छ जो इसमें शामिल हैं, उनका पर्दाफाश होना मुश्किल होगा।

दूसरा विधानसभा में बहुत बड़े पैमाने पर भर्तियों में घोटाला हुआ है, जिसके लिए मैंने जब राज्यपाल जी से हमारी मुलाकात हुई थी, कांग्रेस की तरफ से मांग की थी कि जिस दिन से उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ है, उस दिन से जितनी नियुक्तियाँ विधानसभा में हुई हैं, उन सबकी जांच होनी चाहिए। आपको जानकर आश्चर्य होगा, इस समय वर्तमान में भर्तियों में जो घोटाला हुआ है, उसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री के नजदीकी पीआरओज़ की पत्नियां, जो विधानसभा की अध्यक्ष हैं, उनके नजदीकी, उनके ओएसडी के दो-दो साड़ू भाईयों की पत्नियों की नौकरी लगना, भगत सिंह कोश्यारी, जो राज्यपाल हैं, उनकी सगी भतीजी की नौकरी लगना, युद्धवीर सिंह, जो प्रांतीय प्रचारक हैं, आरएसएस के उनके भाई की, उनकी भतीजी की और उनके ड्राईवर की नौकरी लगना, शायद ही कोई मंत्री ऐसा बचा है, जिसके ओएसडी या पीआरओ के परिवारीजनों की, किसी की नौकरी न लगी हो। तो ये इतना बड़ा मामला इस विधानसभा में चल रहा है।

मैं अध्यक्ष की उस बात को सुनकर आश्चर्यचकित हूँ, जिसमें उन्होंने ये कहा कि हां, हमने लगाई आवश्यकता के अनुसार लगाई है, जो निराधार है। क्योंकि जब विधानसभा की कार्यवाही चल रही होती है, केवल उतने समय के लिए आप किसी को टेम्परेरी अपॉइंट कर सकते हैं। ये टेम्परेरी अपॉइंटमेंट नहीं है। टेम्परेरी अपॉइंटमेंट का नियम है कि जो संविदा पर लगेगा उसको केवल बेसिक पे और डीए-टीए मिलता है, लेकिन इसमें पूरी सैलरी दी जा रही है और साथ में टाइप-2 और टाइप-3 के मकान भी इनको आवंटित हो गए हैं, जो अपने आप में साबित होता है कि नीयत कहां है।

मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को, इन्होंने पूरे मामले का संज्ञान लिया और हम लोगों को दूरभाष से भी और उन्होंने प्रेस में भी ये बात कही कि ये बहुत बड़ा घोटाला है और हम लोगों से कहा है कि हम लोग पूरी ताकत से लड़ें, और पूरी कांग्रेस पार्टी साथ है और उनके पूरे संज्ञान लेने से हमको हिम्मत मिली है और उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के तहत इस विषय को, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा लिया है, हम उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं। भुवन कापरी ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, UKSSSC जिसके भर्ती घोटाले को लेकर 15 जून, को विधानसभा में हमने तथ्यों के साथ , सबूतों के साथ ये प्रस्तुत किया की UKSSSC लगातार भर्तियों में अनियमितताएं बरत रहा है, घोटाला कर रहा है, इसके खिलाफ सीबीआई की जांच होनी चाहिए। UKSSSC 80 हजार बच्चों का फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती करवाता है और 18 पालियों में करवाता है। 18 पालियों में किसी भर्ती को कराना, सीधे-सीधे कहीं न कहीं भ्रष्टाचार का संदेह उसमें पैदा होता है, वहीं लोकसेवा आयोग उत्तराखंड में 2,56,000 बच्चों का एग्जाम एक दिन में कराता है, इसमें हम व्यवस्था का भी प्रश्न नहीं उठा सकते। उसके बाद 1,800 प्रश्नों में से 332 प्रश्नों को डिलीट कर देता है। तो बहुत सारा भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा था। तो हमने सीबीआई जांच की मांग की, अध्यक्ष के नेतृत्व में सचिवालय का घेराव किया, उसके बाद उत्तराखंड में जांच शुरु हुई। जांच शुरु होने के बाद एसटीएफ ने जांच शुरु की, उसमें जैसे-जैसे जांच होती रही, अभी तक 28 गिरफ्तारियों हो चुकी हैं, उन गिरफ्तारियों में, जिसे मुख्य अभियुक्त अभी एसटीएफ बता रहा है, उसके साथ कई बड़े अधिकारियों, कर्मचारियों, कई बड़े सफेदपोश लोगों का नाम जुड़ रहा है, साथ ही उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दो राज्यों की संलिप्तता इसमें दिखाई दे रही है, गिरफ्तारी भी हुई है। दो राज्यों की संलिप्तता होना और प्रदेश के बड़े-बड़े हुक्मरानों का, सफेदपोशों का, प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता जो स्पष्ट दिखाई दे रही है, उससे ये पता चलता है कि एसटीएफ के अधिकार सीमित हैं, राज्यों के लिए हैं और एसटीएफ के ऊपर जो अधिकारी बैठे हुए हैं, जो नेता बैठे हुए हैं, उनकी संलिप्तता दिख रही है। इसलिए इस जांच का अब सीबीआई को ट्रांस्फर करना अनिवार्य है।

साथ ही हम ये भी कहना चाहेंगे कि एक राष्ट्र, एक विधान, एक संविधान का नारा देने वाली पार्टी एक तरफ पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला होता है, वहाँ भाजपा की सरकार नहीं है, तो सीबीआई जांच होती है, वो तो एक ही राज्य का मामला है, यहाँ दो राज्यों का मामला स्पष्ट दिखाई दे रहा है और सारी भर्तियों में घोटाला दिखाई दे रहा है, चाहे वो फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती हो, चाहे वो लेक्चरार की भर्ती हो, चाहे वो कलर्क की भर्ती हो, चाहे वो ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती हो, चाहे वो वीपीडीओ की भर्ती हो। खुलेआम 28 लोगों की गिरफ्तारी हो जाती है, सरकार सीबीआई को ट्रांस्फर नहीं करती है साथ ही इस भर्ती की आग जब प्रदेश में लगती है, तो विधानसभा भर्ती घोटाला भी सामने आता है, जिसमें मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और ओएसडी, उनके साले को लगाया जाता है, बैकडोर से। दूसरे पीआरओ हैं, उनकी बीवी को लगाया जाता है, तीसरे पीआरओ हैं, उनकी बीवी को लगाया जाता है, राज्यपाल की भतीजी को लगाया जाता है, बहुत सारे मंत्रियों के ओएसडी हैं उनकी पत्नियों को, जिनके नाम भी बहुत सारे हैं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मीनाक्षी शर्मा हैं, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की बीवी हैं, प्रांजल नेगी हैं, बहुत सारे ऐसे नाम हैं।

तो एक तरफ UKSSSC का घोटाला जहाँ सामने आ रहा था, वहाँ विधानसभा में सारे प्रदेश की सरकार भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर सारे मंत्री, नवरत्नों की विधानसभा घोटाले में कहीं न कहीं संलिप्तता दिखाई दे रही है, साफ-साफ। तो उसके बाद हम कैसे भरोसा कर सकते हैं कि राज्य की एजेंसी इसमें जांच करके इन हुक्मरानों को जेल भेजने का काम करेगी। इन सारे तथ्यों को देखते हुए हम केन्द्र सरकार से, माननीय प्रधानमंत्री जी से ये मांग करते हैं कि उत्तराखंड में, जो देवभूमि को कलंकित करने का काम भाजपा की बैठी हुई सरकार ने किया है, जो देवभूमि के युवाओं के भविष्य को, मेहनत को बेचने का काम इस सरकार ने किया है ,उस देवभूमि को न्याय दिलाने के लिए, उस देवभूमि के युवाओं को न्याय दिलाने के लिए अब इस जांच को सीबीआई को दिया जाना चाहिए, जिससे की उत्तराखंड के साथ न्याय हो सके। हम आप सब लोगों से, उत्तराखंड में हमारे मीडिया के बंधुओं ने हमारा बड़ा सहयोग इसमें किया, लेकिन अब बात ये सीबीआई की है, केन्द्रीय जांच एजेंसी की है, तो हम आप लोगों से ये उम्मीद करते हैं कि आप लोगों के सहयोग से ही हम इस लड़ाई को आगे लड़ पाएंगे और सीबीआई जांच की तरफ ले जा पाएंगे। आप सब लोग यहाँ पर आए, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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