अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: आपको अवगत कराना चाहूंगा कि आज देश-प्रदेश में कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। खासतौर पर फरीदाबाद में लोग ऑक्सीजन गैस की कमी के कारण रात-2 भर गैस के प्लान्टों पर खड़े होकर गैस लेकर आ रहे हैं, ताकि वे अपने मरीज की जान बचा सके। आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि बीते 1 मई 2021 को शाम 6 बजे उपायुक्त फरीदाबाद द्वारा आन-लाईन जूम एप पर मीटिंग की। जिसमें केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री हरियाणा सरकार और फरीदाबाद के सभी विधायक उपस्थित थे। मीटिंग में नरेन्द्र गुप्ता , विधायक फरीदाबाद द्वारा कहा गया कि उपायुक्त महोदय मेरे द्वारा संगठन के लोगों के लिए 15 सिलेन्डर मांगे गए थे लेकिन मेरे को 13 ही मिले, मेरे घर पर अभी भी संगठन वाले खड़े हैं, आप गैस वाले से बात करें कि सिलेन्डर होते हुए भी मुझे पूरे सिलेन्डर क्यों नहीं दिए गए।
महाेदय, इस आपदा की घड़ी में एक विधायक के कहने पर उनकी पार्टी के संगठन को सिलेन्डर देना बिल्कुल गलत है। इस आपदा के समय में सभी व्यक्ति समान हैं। सिलेन्डर सिर्फ पीडित व्यक्ति को ही दिए जाएं। विधायक के कहने पर 15-15 सिलेन्डर देने की राजनीति से प्रशासन को बचना चाहिए। विपदा की इस घड़ी में राजनीति करने से भी बचना चाहिए।
ऐसी घटिया राजनीति से हमारा मनोबल टूटता है। सिर्फ हमारा मनोबल ही नहीं टूटता बल्कि उस व्यक्ति पर क्या बीतती होगी जिसका परिजन ऑक्सीजन नहीं मिलने पर काल का ग्रास बना। नरेन्द्र गुप्ता विधायक द्वारा जो बातें जूम मीटिंग में कही गईं, उन्हें आप भी उपायुक्त कार्यालय में मौजूद मीटिंग की रिकॉर्डिंग में देख सकते हैं।
महोदय, आपको बताना चाहूंगा कि इसमें समय और साधन दोनों की बरबादी हुई है क्योंकि गैस सिलेन्डर लेने के लिए लोगों को 8-8 घंटे लाईन में खड़े रहना पड़ा और कई मरीजों की तो इसी लिए मौत हो गई कि उनके परिजन समय पर उन्हें आक्सीजन मुहैया नहीं करवा पाए। विधायक फरीदाबाद नरेन्द्र गुप्ता का यह तो एक मामला सामने आ गया। ऐसा प्रशासनिक अधिकारियों ने न जाने कितने सत्तापक्ष के लोगों के कहने पर किया होगा। यह आम जनता के साथ धोखाधड़ी है। जिसके कारण जरूरतमंद के पास तक सिलेन्डर नहीं पहुंच पाए और उनकी मौत भी हो गई। इस तरह के मामलों के दोषी नेताओं, अधिकारियों और संगठन के लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए। यह वक्त आपदा का है और हम सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं मगर आक्सीजन की किल्लत के दौरान ऐसा न जाने कितनी बार हो गया होगा। इस मामले की सीबीआई जांच की जाए।
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