अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जारी बयान:देश के डॉक्टरों, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ व अस्पतालों को कोरोना काल व उसके बाद जान हथेली पर रख संकट से जूझने व खतरा उठाकर भी देशवासियों को 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन लगाने की बधाई। देश कोरोना वॉरियर्स का सदैव आभारी रहेगा।
पर मोदी सरकार जान ले कि ‘‘जश्न मनाने से जख्म नहीं भरेंगे’’!
मोदी सरकार के निकम्मेपन, अपराधिक लापरवाही व कोरोना टीकाकरण की नीतियां बार-बार बदल देशवासियों की जान जोखिम में डालने के लिए जवाबदेही मांगने का समय आ गया है।
मोदी सरकार महत्वपूर्ण पहलुओं का जवाब देश को दे।
1. 74 करोड़ व्यस्क (Adult) भारतीयों को 106 करोड़ कोरोना निरोधक टीका कब तक लगेगा?
देश की कुल जनसंख्या 139 करोड़ है, जिसमें से 103 करोड़ लोग व्यस्क (Adult) हैं। सरकार के मुताबिक 29 करोड़ लोगों को (लगभग 21 प्रतिशत) कोरोना के दोनों टीके लग चुके हैं, यानि 58 करोड़ टीके (29X2)। सरकार के मुताबिक बाकी 42 करोड़ लोगों को एक टीका लगा है (100 करोड़ टीके – 58 करोड़ टीके = 42 करोड़ टीके)।
इसका मतलब यह है कि देश के 32 करोड़ व्यस्क जनसंख्या (Adult) को एक भी कोरोना निरोधक टीका नहीं लगा व 42 करोड़ लोगों को दूसरा टीका लगना बाकी है। इसका मतलब 74 करोड़ व्यस्क (Adult) देशवासियों को 31 दिसंबर, 2021 तक (यानि 70 दिन में) 106 करोड़ कोरोना निरोधक टीके लगने बाकी हैं, (42 करोड़ लोग X 1 = 42 करोड़ टीके + 32 करोड़ लोग X 2 = 64 करोड़ टीके – यानि 42 + 64 = 106 करोड़ टीके)। 70 दिन में, यानि 31 दिसंबर, 2021 तक, यह औसत 151 लाख टीके प्रति दिन की आती है, जबकि 16 अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच 6 दिन में कोरोना निरोधक टीकों की औसत 39 लाख प्रति दिन है।
क्या खुद की पीठ थपथपा टेलीविज़न की हेडलाईन बनाने की बजाय, मोदी सरकार जवाब देगी कि वो 70 दिन में 106 करोड़ टीके कैसे लगाने वाली है तथा इसका क्या रास्ता व नीति है?
2. दुनिया में दोनों टीके लगाने की औसत में भारत 19वें स्थान पर!
अगर आप दुनिया के दूसरे देशों की औसत देखें, तो अपने देशवासियों को दोनों कोरोना निरोधक टीके लगाने में हम 20 देशों में 19 वें स्थान पर हैं। जैसा सरकार ने माना है कि अब तक हम अपनी व्यस्क आबादी में केवल 20.60 प्रतिशत यानि 29 करोड़ लोगों को ही दोनों टीके लगा पाए हैं। संलग्न चार्ट A1 देखें।
3. कोरोना काल में अपराधिक लापरवाही और देशवासियों की जान से खेलने की क्रूरता की जिम्मेदारी ले मोदी सरकार!
पूरे विश्व में एकमात्र मोदी सरकार ऐसी है, कि जब देशवासी कोरोना से ग्रस्त हो असहाय और बेहाल थे, तो सरकार ने उन्हें धोखा दे अपने हाल पर छोड़ दिया। सरकार चुनाव में व्यस्त रही और लोग आॅक्सीजन, वेंटिलेटर और दवाईयों के लिए तरसते रहे।
देश ने देखा कि गंगा के तट से गुजरात के श्मशानों तक समूचे देश में शव ही शव दिखाई दे रहे थे।
एक इंडिपेंडेंट सर्वे के मुताबिक 40 लाख भारतीयों ने अपनी जान से हाथ धोया। कोरोना से हुई मौतों का सरकार का खुद का आंकड़ा भी 4,53,000 है।
फिर आज तक लोगों को असहाय व दर-दर की ठोकरें खाने को अपने हाल पर छोड़ तथा कोरोना से हुई मौतों की जिम्मेदारी व मुआवज़ा क्यों नहीं दे रही मोदी सरकार?
क्या समय नहीं आ गया है कि एक निष्पक्ष ‘‘कोरोना जाँच कमीशन’’ का गठन हो, मोदी सरकार की अपराधिक भूमिका की जाँच हो। भविष्य के स्वास्थ्य के ढांचे के बारे में सार्थक दृष्टि और रास्ता बने तथा कोरोना से हुई हर मृत्यु का दोबारा सर्वे कर मुआवज़ा दिया जाए।
4. पेट्रोल-डीज़ल-गैस की आसमान छूती कीमतें बनाम मुफ्त टीकाकरण
9 अक्टूबर, 2021 को असम में केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री, श्री रामेश्वर तेली ने कहा – ‘‘ईंधन की कीमतें अधिक नहीं हैं, लेकिन इसमें टैक्स शामिल है। फ्री वैक्सीन तो आपने ली होगी, पैसा कहां से आएगा? आपने पैसे का भुगतान नहीं किया है, इसे इस तरह से एकत्र किया गया।’’
मुफ्त वैक्सीन का दावा करने वाली सरकार की असल नीति यह है। पर सच्चाई इसके विपरीत है। मार्च, 2020 से आज तक ही, यानि कोरोना काल में मोदी सरकार ने पेट्रोल की कीमतें 13 रु. लीटर बढ़ाईं, डीज़ल की कीमतें 16 रु. लीटर बढ़ाईं व रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें 305 रु. प्रति सिलेंडर बढ़ाईं।
यदि 103 करोड़ व्यस्क आबादी को 200 रु. प्रति टीके की कीमत भी आंकी जाए, तो यह लागत 20,600 करोड़ रु. बनती है। यह भी याद रहे कि सरकार के मुताबिक 35,000 करोड़ रु. साल 2021-22 में टीकाकरण के लिए रखा गया था। तो फिर पेट्रोल-डीज़ल-गैस की कीमतें बढ़ा वसूली क्यों?
एक और महत्वपूर्ण पहलू है। आरटीआई से मिले ब्यौरे के मुताबिक, साल 2019-20 में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर कर लगा सालाना 2,88,314 करोड़ रु. कमाए, जबकि साल 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों पर कर लगा सरकार ने 4,30,736 करोड़ रु. कमाए। यानि एक साल में ही मोदी सरकार ने केवल पेट्रोल-डीज़ल से कीमतें बढ़ा 1,42,422 करोड़ रु. कमाए, जबकि कोरोना टीकाकरण पर खर्च मात्र 20,000 करोड़ है। तो क्या अब कीमतें कम करेंगे?
5. Corbevax वैक्सीन, Johnson & Johnson वैक्सीन तथा अन्य वैक्सीन कंपनियों को मंजूरी क्यों नहीं?
क्या मोदी सरकार बताएगी कि भारत में बनने वाली “Biological E” वैक्सीन को (जो सितंबर 2021 में बाजार में आने वाली थी) को आज तक मंजूरी क्यों नहीं मिली? यह कंपनी तो साल 1953 से ही DPT वैक्सीन, Heparin Drug (जो ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है), तथा एंटी टिटनस व एंटी टीबी ड्रग बनाती आई है।
इसी प्रकार जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर के साथ देश में बनाने बारे क्या हुआ? आज भी सेंट्रल ड्रग लैबोरेटरी, कसौली में 35 लाख से ज्यादा जॉनसन एंड जॉनसन के वैक्सीन उपलब्ध हैं, पर उन्हें लगाया क्यों नहीं जा रहा?
मोदी सरकार यह भी बताए कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन को WHO से मंजूरी क्यों नहीं मिली, जिस वजह से लाखों भारतीय विदेश में जाकर अपना व्यवसाय करने और परिवार से मिलने से वंचित हो गए हैं?
6. बच्चों को लगने वाले कोरोना वैक्सीन का क्या हुआ?
मोदी सरकार व ICMR – National Institute of Virology ने अगस्त, 2021 में घोषणा की थी कि 18 साल से कम आयु के बच्चों व युवाओं के लिए वैक्सीन सितंबर में उपलब्ध हो जाएगा। फिर इस बारे क्या हुआ?
ZyCOV-D बच्चों का वैक्सीन, जो ज़ाईडस कैडिला ने बनाया है, उसे आज तक लगाना चालू क्यों नहीं किया गया? इसी प्रकार, सीरम इंस्टीट्यूट के Novavax वैक्सीन, जो 5 से 17 साल के बच्चों व युवाओं के लिए है, क्यों नहीं शुरू किया गया?
क्या मोदी सरकार बताएगी कि देश के बच्चों और युवाओं के लिए वैक्सीन कब उपलब्ध होगा, जिनकी संख्या 30 करोड़ से अधिक है?
7.मोदी सरकार ने आज तक भी वैक्सीन के बूस्टर डोज़ बारे कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है। 65 वर्ष से अधिक की आयु के लोगों, हैल्थ वर्कर, डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मी, पत्रकार, ट्रांसपोर्ट उद्योग से जुड़े लोगों को बूस्टर डोज़ की सख्त जरूरत है, पर सरकार पूरी तरह से उदासीन है। समय आ गया है कि इस पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे।