अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे राजस्थान में एक कहावत है कि डायन जो होती है, वो 5 गांव तो छोड़ ही देती है। राजस्थान बड़े दिलवालों का है तो वो गांव की बात करते हैं, मैंने एक कहावत और सुनी है कि डायन 7 घर तो छोड़ ही देती है, लेकिन मोदी सरकार, जब भ्रष्टाचार की बात आती है, तो गरीबों को भी नहीं छोड़ती। जब इनकी असंवेदनशील नीतियों की बात आती है, तो वो गरीबों को भी नहीं बख्शती।
अभी सार्वजनिक पटल पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट में जो अनियमितता हुई, मोदी सरकार के दौरान हुई, इनकी नाक ने नीचे हुई, उसका खुलासा हुआ है। ये वही नरेगा, है, मैं इसको नरेगा ही बोलूँगा, बोलचाल की भाषा में आपको भी समझ में अच्छी तरह आएगा, लोगों को भी आएगा। ये वही नरेगा है, जिसको नरेन्द्र मोदी जी ने ऊंची आवाज में निंदा करते हुए कहा था कि ये कांग्रेस की विफलताओं का एक मॉन्यूमेंट है और ये वही नरेगा है, जो लोगों की जिंदगी बचाने का एक जरिया बना, कोविड की पहली लहर में भी और कोविड की दूसरी लहर में भी। तब ये मॉन्यूमेंट बोलना भूल गए। तब इन्हें भी समझ में आया कि कांग्रेस की नीति क्या थी और कांग्रेस की कितनी दूर-दृष्टि थी कि उसके द्वारा इस तरह की नीति लाई गई।
अब जो 2011 में यूपीए की सरकार ने नरेगा में एक क्लॉज डाला, जिसमें ऑडिट कम्पल्सरी होगा, उसकी जांच कम्पल्सरी होगी कि क्या कोई सही सुचारू रूप से चल रहा है, किसी को कोई दिक्कत तो नहीं आ रही। नियमानुसार हर 6 महीने में वो जांच होनी चाहिए, वो ऑडिट होना चाहिए, खैर इस सरकार का नियमों से कोई रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं है। 6 महीने में तो नहीं, लेकिन हां, कुछ बीच में अभी इन्होंने एक ऑडिट करवाया। इन्हीं का ऑडिट है, जो मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम, ग्रामीण विकास मंत्रालय का, उस ऑडिट में ये निकलकर आया कि 935 करोड़ का घपला हुआ है, घोटाला हुआ है, अनियमितता हुई है, भ्रष्टाचार हुआ है, नरेगा में, जो कि जो सबसे निर्धन है, उसके लिए एक योजना है, जिस योजना के खिलाफत मोदी जी शुरु से करते आए थे और अब चुप हो गए क्योंकि समझ में आ गया उनको कि ये योजना क्यों है। ‘गरीब के लिए योजना में भी भ्रष्टाचार, ये है नरेन्द्र मोदी की सरकार’ और ये किसी निजी चैनल के, निजी अखबार के, मेरे, प्रणव जी के, संजीव जी के आंकड़े नहीं हैं, भारत सरकार के आंकड़े हैं, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय का सोशल ऑडिट यूनिट, उसके आंकड़े हैं।
ये ऑडिट जो हुआ था, 2,65,000 ग्राम पंचायतो में, पूरे देश की, हर राज्य की। 2017-18 और 2020-21 के दौरान एक बार हुआ। जो सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ऑडिट के जो निष्कर्ष निकले हैं, उसमें यह निष्कर्ष स्पष्ट तौर पर आता है कि misappropriation, financial misappropriation हुआ, रिश्वतखोरी हुई, ये वहाँ उनसे शब्द ले रहा हूँ मैं, उस ऑडिट रिपोर्ट के शब्द हैं ये, जो लोग हैं ही नहीं, उनको पेमेंट दिखा दी गई, भ्रष्टाचार। ठेकेदारों को आपने बड़ी-बड़ी बिल रेज करके उनको ज्यादा पेमेंट दे दी। तो 935 करोड़ रुपए में से जो रिकवरी हुई, वापस लिए गए, वो हैं, केवल 12.50 करोड़ रुपए। 935 करोड़ रुपए का 1.34 प्रतिशत रिकवरी हुआ है। ये है इस सरकार की काबिलियत।
सबसे ज्यादा जिस राज्य में ये अनियमितता हुई, 2017-18 और 2020-21 के दौरान, वो है तमिलनाडु जब भाजपा के अलायंस की सरकार थी। एआईएडीएमके की सरकार थी। जहाँ 245 करोड़ का घोटाला हुआ।
दूसरा राज्य- बिहार, जहाँ आपको मालूम है किसकी सरकार है- भाजपा और जेडीयू की सरकार है। यहाँ 12.34 करोड़ का घपला हुआ है। झारखंड में जब भाजपा की सरकार थी। प्रणव जी, आपका राज्य है, 51.30 करोड़, ये उस दौरान का घपला है, जब सरकार भाजपा की थी और राजस्थान जहाँ 2018 से कांग्रेस की सरकार है, वहाँ शून्य- zero misappropriation. ये बहुत सोचने की बात है कि जहाँ सजग सरकारें हैं, वहाँ नरेगा में कोई घपला नहीं पाया गया, सोशल ऑडिट, केन्द्र सरकार का ऑडिट है। 2018, जब कांग्रेस पार्टी की सरकार बन चुकी थी, उसके बाद के आप आंकड़े निकालकर देख लीजिए, गहलोत साहब की सरकार में zero misappropriation हुआ है नरेगा में।
यहाँ से नीयत समझ में आती है, केन्द्र सरकार की भी और मोदी जी ने तो अपनी नीयत स्पष्ट शुरु में ही कर दी थी, नरेगा पर जब वो टिप्पणी कर रहे थे और उनके राज्य सरकारों की भी नीयत बहुत स्पष्ट तौर से समझ में आती है कि किस तरह से गरीबों को भी नहीं बख्शेंगे।ये कोई एक उदाहरण नरेगा का हो तो समझ में आता है कि गलती हो गई हो। आप इस सरकार की असंवेदनशीलता उसमें भी देखेंगे, 4 प्रतिशत जो दिव्यांगो का कोटा था, वह भी समाप्त कर दिया केन्द्र सरकार ने अभी हाल ही में, इसी सप्ताह। ये कोटा जो है, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स, एसएसपी इन तमाम संस्थाओं में, इन तमाम विभागों में दिव्यांगो को फिर से विकलांग बनाने का जो प्रयास किया जा रहा है मोदी सरकार द्वारा यह एक और उदाहरण है अंसेवदनशीलता का।
90 प्रतिशत, ये तीसरा उदाहरण दे रहा हूँ, महिलाओं के लिए जो पुलिस में रिजर्वेशन होती है, उसमें से आप सोच नहीं सकते कितनी भरी होंगी। जो पोस्ट हैं खाली महिलाओं की, 20,91,488 पोस्ट हैं महिलाओं के लिए पुलिस विभाग में और कितनी भरी साहब- 1,15,504, ये तीसरा उदाहरण है, सरकार की असंवेदनशीलता का उन वर्गों के प्रति, जिनको सब सरकारें प्रयास करती हैं कि और मजबूत बनाया जाए, उनको ताकतवर बनाया जाए, उनको इंपावर किया जाए, उनका सशक्तिकरण किया जाए। ये 5.52 प्रतिशत पोस्ट भरी हैं, महिलाओं की, आरक्षण जिन पोस्ट पर है।हम यह मांग करते हैं कि जो नियम हैं, सोशल ऑडिट के नरेगा में, जो यूपीए ये नियम लाई थी 2011 में, उन नियमों की अनदेखी किए बिना, नियमानुसार बार-बार हर 6 महीने में ऑडिट किया जाए, ताकि जानकारी सबको प्राप्त हो, सरकारें सजग बनें, हम और आप भी सजग रहें। एनजीओस भी सजग रहें, सिविल सोसाइटीज भी सजग रहें और जो रिकवरी नहीं हो पाई, वो रिकवर किया जाए। आपको मैंने बताया कि कितनी कम रिकवरी हुई, 1.52 प्रतिशत की रिकवरी हुई। वो रिकवरी करके उन तबकों तक, उन वर्गों तक पहुंचाया जाए, जिनका हक है उन पर। हम दूसरी मांग यह करते हैं कि जो यह केन्द्र सरकार ने दिव्यांगो का 4 प्रतिशत कोटा पुलिस फोर्सेस से वापस ले लिया है, वह निर्णय वो पलटें, उस निर्णय को वो वापस लें और ये 4 प्रतिशत कोटा बहाल करें। महिलाओं के प्रति जो अपराध बढ़ रहे हैं, दिल्ली में अभी उभरी नहीं है दिल्ली उस हादसे से, यूपी में हम रोज देख रहे हैं क्या हो रहा है, ऐसे में आवश्यकता है कि महिलाओं की जो आरक्षित पोस्ट हैं, पुलिस में, वो भरी जाएं। ज्यादा संवेदनशीलता से उन क्राइम्स को देखा जाएगा, उन हादसों से निपटा जाएगा और मुझे लगता है ये हक है महिलाओं का।