अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जोड़ो के निमित आज बहुत बड़ी जनसभा यहाँ पर आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम के और इस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के कर्ताधर्ता और जिनके कहने से कांग्रेस पार्टी और अन्य पार्टी भी इसमें भाग लेकर जो इतना बड़ा कार्यक्रम चला रही हैं, उसमें इस कार्यक्रम के केन्द्र बिदुं हमारे चहेते नेता, युवा नेता और अपनी बात पर खड़े होकर हमेशा डट कर लड़ते हैं, किसी चीज से घबराते नहीं, उसूल से दूर होते नहीं, ऐसे नेता श्री राहुल गांधी जी और पीसीसी के अध्यक्ष, अभी आपको संबोधित किया, नानाभाऊ पटोले जी, सीएलपी नेता बालासाहेब थोराट जी, अशोक चव्हाण जी, एच के पाटिल जी, दिग्विजय सिंह जी, जयराम रमेश जी, रजनी पाटिल जी, सुप्रिया सुले जी, जयंत पाटील जी, भाई जगताप जी और अनेक नेता इस भारत जोड़ो यात्रा में इस मंच पर और मेरे दांय तरफ भी और बांय तरफ भी बैठे हुए नेतागण, एमपी, एमएलए, एमएलसी, डीसीसी प्रेसिडेंट और एमपीसीसी पार्टी के सभी ऑफिस बियरर और वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष श्री नसीम खान साहब और दूसरे भी वर्किंग कमेटी के मेरे सभी भाइयों और यहाँ पर जमा हुए मेरे भाइयों और बहनों, मेरे युवा मित्रों।
मराठवाड़ा ये तो एक महान संतों की जमीन है। यहाँ पर अनेक संत इस मराठवाड़ा में, महाराष्ट्र में पैदा हुए और समाज सुधारक का काम उन्होंने किया। आज और एक भी हैं, मैंने देखा बसवेश्वराजी का, शिवाजी महाराज का, फुले साहब, आंबेडकर और साठे, अहिल्याबाई होल्कर, सारे समाज सुधारकों की तस्वीरों को हमने पुष्पांजलि दी। अगर ये नहीं होते तो इस देश का कोई गरीब आज स्वाभिमान से नहीं जीता। स्वाभिमान से जीने का अगर हक किसी ने दिलाया तो इन महापुरुषों ने दिलाया। तो इसलिए मैं इन सबको नमन करता हूँ और एक खास चीज यहाँ पर है, जो ये भूमि, गुरु गोविंद सिंह जी की भी है। उन्होंने यहाँ पर आखिरी सांस छोड़ी और उनको याद करना जरुरी है। अगर आइंदा कोई ऐसा बड़ा प्रोग्राम होगा, उसमें गुरु गोविंद सिंह की भी एक तरफ फोटो लगाइए। क्योंकि वो एक लड़ाके थे और सिक्खों के आखिरी गुरू थे। इस नांदेड की पवित्र भूमि पर उन्होंने यहाँ आकर थोड़े दिन गुजारे। उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई, उसका फिर मैं लोगों को याद दिलाना नहीं चाहता, मैं यही चाहूँगा कि जो लड़ते हैं, उनको याद करना हमारा धर्म होता है।
दूसरी चीज, राहुल जी, हैदराबाद का लिबरेशन डे है, 17 सितम्बर, 1948 को, हमको आजादी मिली। देश में सब लोगों को नाना पटोले को, थोराट साहब को हमसे एक साल पहले मिली। लेकिन हमको 13 महीने के बाद आजादी मिली, इसीलिए, हमारा 75वां साल अगली सदी से प्रारंभ होगा। तो ऐसी चीजें हैं और नांदेड़ यहाँ पर भी फ्रीडम फाईटर्स का एक सेंटर था। जिन्होंने यहाँ पर आजादी के लिए, लिबरेशन के लिए लड़े और उसका स्मारक भी आपने यहाँ बनाया है, उसको भी मैं नमन करते हुए अपनी बात को सामने रखूँगा।
ये खासकर भारत जोड़ो यात्रा क्यों राहुल जी ने हाथ में ली- क्योंकि देश में इतनी नफ़रत फैल रही है और इतना हर जगह झगड़े, हर जगह धर्म-धर्म में झगड़े, जाति-जातियों में झगड़े और इस देश की संस्कृति को जो पंडित जवाहर लाल नेहरू जी कहते थे, यूनिटी इन डायवर्सिटी, अरे विविधता में ही एकता है और उन्होंने जो कहा- वो करके दिखाया , उनकी 17 साल की जो अवधि थी, उन्होंने जो हुकुमत की, उन 17 सालों में उन्होंने ये बताया कि देश को कैसे एकजुट रख सकते हैं, महात्मा गांधी जी ने बताया और हमारे मौलाना आजाद साहब ने बताया, जिनका जन्मदिन कल है और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बताया। ये सभी नेता लोग जो आजादी दिलाए, देश को एक किया, एक करके उन्होंने सबको लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया, लोकतंत्र के तहत सरकार चलाई, आजादी भी दिलाई, लोकतंत्र भी लाए। डॉ बाबा साहेब आंबेडकर, वो महान नेता, जिसने दलितों को लिबरेट किया, उसने संविधान लिखा, उसके संविधान की रक्षा के लिए भी पूरे लोग काम करते हुए आए हैं और आज संविधान खतरे में है, लोकतंत्र खतरे में है। युवाओं को कोई नौकरी नहीं है। आज युवा डिग्रियाँ लेकर रास्ते पर घूम रहे हैं। उनको कोई नौकरी नहीं मिल रही है, लेकिन इससे पहले बीजेपी सरकार ने ये कहा- क्या कहा, प्रधानमंत्री ने कहा, हर साल मैं 2 करोड़ नौकरियाँ दूँगा। अब 9 साल हो जाने वाले हैं, कहाँ हैं 18 करोड़ नौकरियाँ? सरकारी, जो स्टेट और सेन्ट्रल गवर्मेंट में कम से कम 30 लाख वेकेंसीज हैं। ये एश्योर्ड जॉब्स हैं और एश्योर्ड जॉब में सबको बहुत सी सहूलियते मिलती हैं, लेकिन जो 30 लाख नौकरियाँ स्टेट गवर्मेंट में और सेन्ट्रल में खाली हैं, वो मोदी जी भर्ती नहीं करने दे रहे हैं और क्यों नहीं करने दे रहे हैं और परसों मैंने टीवी में देखा, पेपर में भी पढ़ा, उसमें क्या था कि उन्होंने 75 हजार लोगों को सब अपॉइंटमेंट्स के लैटर दे रहे थे। अरे देश में तो 30 लाख नौकरियाँ खाली हैं, आप 75 हजार वो भी सरकारी नौकरी देकर, मैंने इतनी नौकरियाँ दीं, ये कह रहे हो। क्या बात है, आपके 18 करोड़ तो अलग, लेकिन सरकारी नौकरी भी नहीं दे रहे। क्या आप ऐसे लोगों से अपेक्षा कर सकते हैं, देश के युवाओं को वो मदद करेंगे? क्या ये आप अपेक्षा कर सकते हैं कि देश को एकजुट रखेंगे कि नहीं। युवाओं को दिशा भूल कर रहे हैं, इसलिए राहुल गांधी जी चाहते हैं कि नौजवानों को, युवाओं को नौकरी मिले।
आज कीमतें बढ़ रही हैं, दिन पर दिन। पहले तो मोदी जी बोले, बीजेपी वाले बोले कि भई, मुफ्त में सिलेंडर देंगे, फिर बाद में 400 रुपए का सिलेंडर अब कितना हो गया- 1,100 रुपए। फिर भी चंद लोग, मोदी-मोदी बोलते हैं, मुझे समझ में नहीं आया और बोलते हैं कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया? ये बात आपने सुनी होगी, ये जुमले 9 साल से वो बोलते ही रहते हैं, लेकिन इधर थोड़ा बंद किया है, क्योंकि वो कुछ नहीं कर सके। क्या एक दाम नहीं बन सके? लोगों को नौकरी देने के लिए पब्लिक सेक्टर नहीं बन सके? जो पब्लिक सेक्टर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बनाया था, वो सब बेचकर खा रहे हैं। एयरपोर्ट बेच रहे हैं, पोर्ट बेच रहे हैं, रास्ते बेच रहे हैं और जो कुछ मिला, वो सब कुछ बेचते जा रहे हैं। हमने जो कुछ कमाया था, ये सब गंवा रहे हैं, बेच रहे हैं और चंद लोगों के हाथ में देश की संपत्ति जा रही है। इस देश में अमीर, अमीर बन रहा है; गरीब, गरीब बन रहा है। एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति इस देश में 22 प्रतिशत है और 50 प्रतिशत लोगों के पास सिर्फ 13 प्रतिशत संपत्ति है। आप देखिए और एक आदमी जिस आदमी के पास 10-20 करोड़ रुपए थे, वो आज 2 लाख, 4 लाख करोड़ का मालिक हो गया है। ये कैसे हो रहा है? तो इसलिए हम चाहते हैं कि इस देश में संविधान के तहत सरकार चले, लोकतंत्र की हिफाजत हो। इसलिए तो राहुल गांधी जी अब कम से कम 64 दिन से जो उनकी पदयात्रा चल रही है, इसलिए चल रही है कि लोग नफ़रत जो फैला रहे हैं, लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, उनको जोड़ने की कोशिश राहुल गांधी जी कर रहे हैं, तो इसलिए ये भारत जोड़ो का इतना महत्व है, महत्व रखती है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलते जा रहे हैं, क्यों- टीवी में फोटो लाने के लिए नहीं, या पत्रिका में छपने के लिए नहीं। यहाँ बीजेपी के लोग अपना फोटो छपवाने के लिए काम करते हैं, जैसा कि अभी पटोले ने बताया कि मां एक तरफ रहती है, तो उनकी सूरत फोटो की तरफ, टीवी की तरफ। तो ये सब जुमलेबाजी, फोटोग्राफी करके, लोगों को जो दिशा भूल कर रहे हैं, उसके लिए हमको सोचना चाहिए, क्योंकि अगर बाबा साहेब के बनाए हुए संविधान को आप बचा नहीं सकेंगे, तो आप कहीं के भी नहीं रहेंगे, स्वाभिमान से नहीं जीएंगे। आपको फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, एडल्ट फ्रेंचाइजी, ये किसने दिया? एक जमाने में चंद लोगों को ही वोटिंग पावर था, ब्रिटिशर्स के जमाने में, खैर निजाम के जमाने में तो वो भी नहीं था, तो जो लोग वोट देते थे, जिसके पास ज्यादा से ज्यादा जमीन हो, इंकम टैक्स भी न हो, ऐसे लोगों को वोटिंग की पावर थी। जब बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान बनाया, पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के कहने पर एडल्ट फ्रेंचाइजी लाए, आपके पास पैसे हो या न हों। आप गरीब हो, अमीर हो, कोई भी हो, सबको बराबरी का हक उन्होंने दिलाया। उसकी हिफाज़त के लिए आपको लड़ना है, उसके लिए आपको काम करना है, किसी और के लिए नहीं, अपने आप को बचाने के लिए आपको जी तोड़कर काम करना होगा। आज भारत में जो सुधार आप देख रहे हैं, जो हमारे पास बहुत से कॉलेज खुले, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेजेज, हॉस्पीटल, ये किसने किया। अभी हम हमारे अशोक चव्हाण जी के म्यूजियम में गए थे, उनके पिता जी के नाम पर, वहाँ पर एक फोटो उन्होंने बताया, जो एक बहुत बड़ा इरीगेशन प्रोजेक्ट इस एरिया में बनाया गया, उसकी वजह से बहुत से तालुका में वहाँ पर पानी आया और बहुत से लोगों को उसका फायदा हुआ, शुगर फैक्ट्रीज आए। ये सब शुगर फैक्ट्री हो, कॉपरेटिव सोसाइटीज हो, मिल्क डेयरीज हो, ये सब किसने किया? कांग्रेस ने किया। कांग्रेस अगर नहीं होती, ऐसे प्रोजेक्ट कभी आते ही नहीं थे।
अगर मोदी जी बार-बार ये कहते हैं, ऐसे 10 प्रोजेक्ट बताइए आप 8-9-10 साल में, ये नहीं कर सकते, लेकिन सुबह उठते ही हमको गालियाँ देना छोड़ते नहीं, हमारा (मराठी में बोला…)
गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था- किसी भी इंसान को न तो डराना चाहिए और न उसे डरना चाहिए। (मराठी में फिर बोला…)
डराने की अगर कोई कोशिश करे, तो हम डरते भी नहीं हैं। हम किसी को डराते नहीं, अगर कोई डराता है, तो हम डरते भी नहीं। तो ये हमारा उसूल है और इसीलिए, उन्होंने ये कहा था कि डर कहीं और नहीं, बस आपके दिमाग में होता है। तो वो डर निकालो, क्योंकि वो ईडी का, इंकम टैक्स का, सीवीसी का और ईडी का, ये सारी चीजों का उपयोग कर रहा है और कहीं एमएलए भाग रहे हैं, कहीं और कार्यकर्ता भाग रहे हैं हर पार्टी के, मैं किसी एक पार्टी का नाम नहीं लेता। क्यों भाग रहे हैं- उनको डराना, इसीलिए आप डरो मत, लड़ो। अगर आप लड़ते रहेंगे, तो ही जीते रहेंगे, अगर लड़ेंगे नहीं, तो जीएंगे नहीं। वो भी खासकर अपने को स्वाभिमान से जीना है, तो हमको लड़ना होगा, कहीं कुछ किया, कहीं क्या किया, उसको छोड़ दीजिए, किसानों को नहीं छोड़ा उन्होंने, गरीबों को नहीं छोड़ा, अरे बच्चों की पेंसिल के ऊपर जीएसटी लगाया, आटे के ऊपर जीएसटी लगाया, खाने की चीजों पर जीएसटी, ऐसी बुरी गवर्मेंट कभी नहीं आई थी, तो इसीलिए मैं कह रहा हूँ। आपसे यही विनती करूँगा कि आप डरो मत, हम और आप एक होकर लड़ेंगे।
ये मत पूछो- राहुल जी आपको क्या देने वाले हैं? राहुल जी तो अपनी बात बताए कि चलो हम मिलकर चलेंगे, तो ही देश को बनाएंगे, इसीलिए, एक बात मेरे को याद आती है, जॉन एफ केनेडी ने एक बात कही थी, जब वो चुनाव में ठहरे थे, तब एक आदमी ने उठकर कहा कि आप चुनकर आने के बाद मुझे क्या देने वाले हैं, मेरे लिए क्या करने वाले हैं? तब उन्होंने कहा- अरे भाई, ये प्रश्न पूछने से भी अगर आप ये पूछ सकते थे कि मैं चुनकर आने के बाद हम और आप मिलकर देश के लिए क्या कर सकते, अगर ये पूछते तो अच्छा होता। तो ऐसा ही आज राहुल गांधी जी और हम और आप मिलकर देश के लिए क्या करेंगे, ये सोचिए। इसीलिए मैं आप सबको विनती करता हूँ, एकजुट होकर संविधान को बचाओ, लोकतंत्र को बचाओ, गरीबों को बचाओ, किसान को बचाओ, सबको बचाओ। महिलाओं को बचाओ। आज कितने रेप हो रहे हैं, कितने मर्डर हो रहे हैं और जब कभी हम एक बार जजमेंट को देखते हैं, तो हैरान हो जाते हैं, तो इसलिए संविधान के तहत चलाना हम सबका फर्ज है। ये काम आप सभी करेंगे और ये जो भारत जोड़ो यात्रा यशस्वी जरुर हो जाएगी और सरकार आज, न कल बदल कर हम दिखाएंगे, पूरी-पूरी हम कोशिश करेंगे, ये कहते हुए मेरे चार शब्दों को समाप्त करता हूँ।
जय हिंद। जय हिंद (जनता ने दोहराया- जय हिंद)। अरे जोर से बोलो, आपकी आवाज सुनकर कोई बीजेपी वाला सो गया तो उठना चाहिए, जय हिंद (जनता ने दोहराया- जय हिंद), जय हिंद (जनता ने फिर तेज आवाज में दोहराया- जय हिंद)।
जय महाराष्ट्र। जय भीम।
राहुल गांधी ने कहा कि मीटिंग शुरु करने से पहले हमने छत्रपति शिवाजी महाराज, बसवना जी, महात्मा फूले जी, साहू महाराज और हमारे जो महापुरुष हैं, उनका फूलों से आदर किया। ये जो हमने आदर किया इसका मतलब क्या है, ये हमने किस कारण किया, क्यों किया – हमने इसलिए किया, क्योंकि इन लोगों ने अपनी जिंदगी, पूरी की पूरी जिंदगी तपस्या- तपस्या- तपस्या की। इन्होंने और कुछ काम ही नहीं किया और जब इन्होंने तपस्या की, इनके दिल में जो थोड़ा सा अहंकार था, उस तपस्या ने उस अहंकार को मिटा दिया, खत्म कर दिया, समाप्त कर दिया और फिर इन महापुरुषों और जनता का जो रिश्ता था, वो बिल्कुल दूसरे तरीके का रिश्ता था। उनकी तपस्या का हम आदर करते हैं। उन्होंने जो दिल से अहंकार मिटाया, उसका हम आदर करते हैं और जो इनका रिश्ता था हिंदुस्तान के लोगों से, उसका हम आदर करते हैं। इसलिए आज हमने उनके सामने हाथ जोड़े, इसलिए आज हमने इनके सामने फूल रखे।
ये देश तपस्या का देश है। आप देखिए, जिनके भी सामने हम हाथ जोड़ते हैं, वो सब के सब तपस्वी हैं। गांधी जी को देखिए, शिवाजी महाराज को देखिए, सरदार पटेल को देखिए, ये देश जब भी अपना सिर झुकाता है, हाथ जोड़ता है, तपस्या के सामने अपना हाथ जोडता है, सच्चाई ये है और तपस्या सिर्फ इन महापुरुषों ने नहीं की है, मैंने कहा ये देश तपस्वियों का देश है। इस देश के किसान भी तपस्या करते हैं, दिनभर तपस्या करते हैं। इस देश का मजदूर तपस्या करता है। इस देश का छोटा व्यापारी तपस्या करता है। मगर आज इस देश में उनको तपस्या का फल नहीं मिलता। वो मर जाए, पिस जाए, 24 घंटे काम करे, उन्हें तपस्या का फल नहीं मिलता। पूरा का पूरा फायदा, जो किसानों को मिलना चाहिए, फ्री में नहीं, मुफ्त में नहीं, तपस्या के लिए देश को खून- पसीना देते हुए मजदूर के हाथ फट जाते हैं, खून निकल जाता है, तपस्या का फल नहीं मिलता।
नरेन्द्र मोदी जी ने कुछ साल पहले नोटबंदी की। 8 बजे रात को कहा- भाइयों और बहनों, मैं 500 रुपए, 1,000 रुपए का नोट रद्द कर रहा हूं। कालेधन के खिलाफ मैं लड़ाई लड़ रहा हूं और कुछ दिन बाद उन्होंने कहा अगर काला धन नहीं मिटा तो मुझे फांसी पर लटका देना। क्या इमोशन, क्या शब्द, फिर आंसू भी निकले, उनकी अलग तपस्या है। तपस्या है, मगर अलग है। वो तो आपको दिखता है। आसूं वाली।
खैर, नोटबंदी की, गलत जीएसटी लागू की, 5 अलग-अलग टैक्स, 28 प्रतिशत टैक्स। आजाद हिंदुस्तान में पहली बार किसानों पर टैक्स, फर्टिलाइजर पर टैक्स, उनके औजारों पर टैक्स। आपकी सड़कों पर मैं चल रहा हूं, लोग कहते हैं, 3,500 किलोमीटर चल रहे हैं, कोई मतलब नहीं है। ये आप मत सोचो कि मुश्किल काम है, मुश्किल काम नहीं है, आसान काम है। आप यात्रियों से पूछ लो, बैठे हैं वहाँ पर, बताओ भाई आसान है कि मुश्किल है? आसान है या मुश्किल है – आसान है। आसान क्यों है – हम नहीं चल रहे हैं, हम अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। आपका प्यार, आपकी शक्ति हमें आगे धकेल रही है। सुबह उठते हैं, आज 6 बजे से हम चल रहे हैं। 8 बज गए, थकान नहीं है। अजीब सी बात है। आप उनसे पूछो, सही बोल रहा हूं ना? बोल रहा हूं ना सही, थकान नहीं है। ये पूछते हैं मुझे, जब मिलते हैं पूछते हैं, राहुल जी ये क्या हो रहा है, हमें थकान क्यों नहीं हो रही है? थकान इसलिए नहीं हो रही क्योंकि हिंदुस्तान की शक्ति आपके पीछे है, किसानों की शक्ति आपके पीछे है, मजदूरों की शक्ति आपके पीछे है, कैसे होगी थकान, हो ही नहीं सकती।
हम सड़क पर चलते हैं, आपसे मिलते हैं। 7-8 घंटे चलते हैं, किसानों से मिलते हैं, युवाओं से मिलते हैं, मजदूरों से मिलते हैं, स्टूडेंट्स से मिलते हैं, सबसे मिलते हैं। आपकी बात सुनते हैं। आपका दर्द समझते हैं। मैं अकेला नहीं, ये सब कांग्रेस पार्टी के नेता, सब चल रहे हैं। घर कोई नहीं बैठा, घंटो चल रहे हैं। उन्हीं सड़कों पर चल रहे हैं, जिन पर आप चलते हैं। हवाई जहाज में नहीं, गाड़ी में नहीं, सड़क पर और आपकी बात सुन रहे हैं और बहुत समझने को मिल रहा है।
आज दो छोटे से बच्चे आकर मुझसे बात करते हैं, दो भाई। मैंने पूछा क्या करते हो, क्या करना चाहते हो? पढ़ाई कर रहा हूं। क्या करना चाहते हैं? सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता हूं। सपना है सॉफ्टवेयर इंजिनियर बनने का। मैंने गलती से पूछ लिया, मैंने पूछा तुमने कभी कंप्यूटर देखा है? कहता है- मैंने कभी कंप्यूटर नहीं देखा। मुझे बुरा लगा। मैंने कहा तुम्हारे स्कूल में कंप्यूटर नहीं है क्या? कहा- नहीं, कोई कंप्यूटर नहीं है। क्यों नहीं है स्कूल में कंप्यूटर, क्योंकि हिंदुस्तान का पूरा का पूरा धन दो-तीन उद्योगपतियों के हाथों में जा रहा है, इसलिए कंप्य़ूटर नहीं है, स्कूल में। वही बात किसान के साथ, एमएसपी नहीं मिलती, क्यों नहीं मिलती? कर्जा माफ नहीं होता, क्यों नहीं होता? मजदूर भी वही कहता है, मनरेगा का पैसा नहीं मिलता, काम नहीं मिलता, क्यों नहीं मिंलता? भाइयों और बहनों, पैसे की कोई कमी नहीं है इस देश में। पैसे की कोई कमी नहीं है।
यहाँ पर हमारे किसान भाई बैठे हैं, न? आपने पंप देखा है, न? जो ट्यूबवैल वाला पंप होता है, उसको ऑन करते हो, पानी निकलता है ना, वैसा ही पंप लगा रखा है। हंसों मत (जनता को हंसते हुए देखकर कहा), आपकी जेबों में से पैसा निकाल रहा है वो पंप। उधर बटन दबता है। दिल्ली में, मुंबई में बटन दबता है, पंप चालू होता है। किसानों की जेब में से पैसा निकलता है, मजदूरों की जेब में से पैसा निकलता है।
नोटबंदी की, जीएसटी लागू की, आप किसी भी छोटे व्यापारी से पूछ लो, किसी भी स्मॉल और मीडियम बिजनेस वाले से पूछ लो, आज मेरे साथ चले मैंने पूछा, भईया, एक बात बताओ, नोटबंदी से पहले आप कितने लोगों को रोजगार देते थे? कहते हैं, 300, मैंने कहा नोटबंदी और जीएसटी के बाद आप कितने लोगों को रोजगार देते हो? कहते हैं-50, मैंने कहा वो जो 250 लोग थे, उनका क्या हुआ? कहते हैं- मुझे नहीं मालूम। नोटबंदी और जीएसटी ने ये काम किया है।
जो हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी थी, जो रोजगार देती थी, जो छोटे व्यापारी, किसान, स्मॉल और मीडियम बिजनेस जो चलाते हैं, तो लाखों बिजनेसेज हैं, मगर हर एक बिजनेस 300-400-500-1,000-2,000-3,000 लोगों को रोजगार देता था, उन सबको खत्म कर दिया। खत्म!
बहाना बनाया कि कालेधन को हम मिटा देंगे और हिंदुस्तान के रोजगार की रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया। मैं पूछता हूँ, आपसे, नोटबंदी के बाद- 6 साल हो गए, कालाधन गायब हो गया? खत्म! बाय-बाय! काला धन बढ़ गया, न। 15 लाख, हाँ! जैसे आपके जो बड़े प्रोजेक्ट्स हैं न, महाराष्ट्र से गायब हो रहे हैं, फॉक्सकॉन का प्रोजेक्ट गायब हो गया, एयरबस का प्रोजेक्ट गायब हो गया, वैसे ही 15 लाख रुपए गायब हो गए, खत्म।
ये जो इनकी पॉलिसीज हैं, इनसे डर फैलता है। आप किसान को एमएसपी न दो, किसान का कर्जा माफ मत करो, उसको सही रेट न दो, उसके दिल में भय पैदा होता है। आप युवा से कहो कि देखो, तुम्हें हम रोजगार नहीं देंगे। तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारी शिक्षा में लाखों रुपए डाले हैं, मगर तुम्हे रोजगार नहीं मिलेगा। उसके दिल में डर पैदा होता है। मजदूर से कहो- मनरेगा बंद कर देंगे। उसके दिल में डर पैदा होता है और इस डर को नरेन्द्र मोदी जी और बीजेपी नफ़रत में बदलते हैं, ये काम करते हैं। इसके खिलाफ़, डर के खिलाफ और नफरत के खिलाफ ये हमने भारत जोड़ो यात्रा शुरु की है। कन्याकुमारी से श्रीनगर तक, 3,600 किलोमीटर पैदल। आप पूछ लो, बहुत मजा आ रहा है इन सबसे, कुछ कष्ट नहीं हो रहा। आपसे मिल रहे हैं, आपसे सीख रहे हैं। बहुत मजा आ रहा है और इस यात्रा को कोई शक्ति नहीं रोक सकती, ये जाएगी श्रीनगर और वहाँ पर तिरंगा फहराएगी।
आपने, जैसे मैंने पहले कहा- अपनी पूरी की पूरी शक्ति, पूरा प्यार आपने यात्रा को दे दिया। यात्री चल रहे हैं, मगर लाखों लोग हमारे साथ चल रहे हैं। कन्याकुमारी से लाखों लोग इस यात्रा में शामिल हुए हैं और आप हमें शक्ति दे रहे हो, हमारी मदद कर रहे हो, इसके लिए मैं आपको दिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ। बहुत अच्छा लग रहा है।
बात मेरे दिमाग में आई, पता नहीं कहाँ से आ गई, बोलूँ? (जनता ने कहा- हाँ) शायद नहीं बोलनी चाहिए, बोलूँ (जनता ने फिर कहा- बोलो)। थोड़ी कंट्रोवर्शियल हो जाएगी, बोल डालूँ, (जनता ने एक बार फिर कहा- बोलो), बोल दूँ? तो बताता हूँ, बोल देता हूँ, चलो। मैं केदारनाथ गया एक बार। वहाँ के हमारे चीफ मिनिस्टर थे, उन्होंने मुझे कहा कि देखो केदारनाथ जाना है। मेरे ऑफिस में आए, उन्होंने कहा कि केदारनाथ जाना है, तो कह रहे थे मुझे। मैंने सुना और पता नहीं, मेरे मुंह से बात निकल आई, एकदम बात निकली, उन्होंने मुझे कहा कि देखो आप हैलिकॉप्टर से केदारनाथ जा सकते हो। जैसे ही उन्होंने ये बोला, मैंने कहा मैं हैलिकॉप्टर से केदारनाथ नहीं जाऊँगा। मैं अगर केदारनाथ जाऊँगा, तो मैं पैदल जाऊँगा।
फिर मैंने सोचा कि अगर मैं शिव के मंदिर में जा रहा हूँ, जो मैंने, मतलब तपस्वी की बात की, जो सबसे बड़े तपस्वी थे, अगर मैं उनके घर जा रहा हूँ, तो हैलिकॉप्टर में जाने का कोई मतलब ही नहीं है। मतलब मैं तपस्वी के यहाँ जा रहा हूँ और मैं 15 किलोमीटर तपस्या नहीं कर सकता क्या? तो मैंने कहा देखो मैं जाऊँगा, मगर हैलिकॉप्टर लेकर नहीं जाऊँगा, पैदल जाऊँगा। कहते हैं, ठीक है। मैं पैदल गया। पैदल गया वहाँ पर, बहुत अच्छा लगा। बड़ी ठंड थी, 16-17 किलोमीटर है, मतलब पता लगता है कि केदारनाथ जा रहे हैं, पता लगता है।
मैं वहाँ पहुँचा, वहाँ पर कोई उद्घाटन था। जैसे मैं मंदिर में घुस रहा था, वहाँ पर एक आरएसएस के नेता मिले, मैंने नमस्ते की। कैसे कहूँ, सीधा बोल देता हूँ, वजन उनका काफी था। तकरीबन देखो सौ किलो तक था। तो हम अंदर जा रहे थे और उनके पास, उनके साइड में एक नौकर था और नौकर के सिर पर इतनी बड़ी टोकरी थी (हाथ से इशारा करके समझाते हुए कहा), उसमें फल थे। मैंने देखा, मैंने कहा- सर, ये क्या है? कहते हैं, ये मैं फल शिव जी के चरणों में डालने के लिए लाया हूँ। एकदम मैंने सोचा, आप नहीं लाए हैं, आपका नौकर लाया है। मगर जो दिल में होता है, मैं कभी-कभी बोलता नही हूँ, चुप हो गया मैं। मैंने कहा- बहुत अच्छा।
मुझे देखते हैं, कहते हैं- आप कब आए? मैंने कहा- मैं तो कल रात को आया था। आप कैसे आए? मैं तो चलकर आया। सौ किलो का वजन था, तो मुझे बदतमीजी नहीं करनी थी, तो मैंने सवाल नहीं पूछा। मैं चुप हो गया। मगर उन्होंने कहा- मैं तो हैलिकॉप्टर से आया। मैंने सोचा, अब आ गया दिमाग में मैं क्या करूँ? मैंने सोचा- आप सबसे बड़े तपस्वी के घर आए हैं, बोला नहीं, आप सबसे बड़े तपस्वी के घर आए हैं, मतलब दुनिया का सबसे बड़ा और उसके घर आप हैलिकॉप्टर से आए हैं! कुछ नहीं कहा, चुप हो गया। चलिए, हम गए, धक्का-मुक्की हुई वहाँ पर। मुझसे बुजुर्ग थे तो मैंने कहा आप आइए। गए, उन्होंने मतलब, हाथ जोड़े, पूजा हुई, मैंने भी हाथ जोड़े, पूजा खत्म हुई, बाहर निकले।
मुझे कहते हैं- राहुल जी, आपने शिव जी से क्या मांगा? मैं चुप हो गया। मैंने कहा- भाई साहब, आप बताइए, आपने क्या मांगा? मैंने सोचा, पहले उनसे पूछ लेता हूँ। मुझे कहते हैं, राहुल, मैंने सेहत मांगी। सौ किलो का वजन, शिव जी से सेहत मांगी। अगर आप केदारनाथ पैदल आ जाते, सेहत मिल जाती। मैंने उसको बताया नहीं। अब मैं आपको बताऊँगा, मगर उसको मैंने नहीं बताया। उसको ये बात शायद समझ नहीं आती।
उनका दूसरा तरीका है, हमारा दूसरा तरीका है। मैंने शिव जी से कुछ नहीं मांगा। कुछ नहीं मांगा। मैं गया, मैंने हाथ जोड़े और मैंने शिव जी से कहा, शिव जी का धन्यवाद किया कि आपने मुझे रास्ता दिखाया। ये फर्क है, आरएसएस में और कांग्रेस पार्टी में। ये फर्क है, गांधी जी में और सावरकर जी में। हम कहते नहीं हैं, हम कर देते हैं। ये जो मैंने बोला, आप सब समझोगे। देखो हमारे सारे कार्यकर्ता हैं, हमारे सारे नेता हैं। ये आप सब समझ जाओगे। ये जो महापुरुष हैं, शिवा जी महाराज, फुले जी, आंबेडकर जी, गुरु गोविंद सिंह जी, मौलाना आजाद जी। जब हम इनके सामने हाथ जोड़ते हैं, हम इनका धन्यवाद करते हैं। हम इनका इसलिए धन्यवाद करते हैं कि इन्होंने हमें रास्ता दिखाया है, इन्होंने हमें जीने का तरीका दिया है। तो ये मैं आपसे कहना चाहता था।