अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सबको हमारा नमस्कार। इस स्पेशल प्रेस वार्ता में मेरे साथ मेरी सहयोगी और मित्र अलका लांबा ,अमृता धवन, राधिका खेड़ा जी हैं और जिस तरह से आप देख रहे हैं ये एक स्पेशल प्रेस वार्ता है। जहाँ पर हमने एलपीजी के सिलेंडर तो रखे ही हैं, चूल्हा भी रखा है, उसमें कंडा भी डाल दिया है और खाली कड़ाही भी है, क्योंकि यही सच है आज देश का।
आज देश का यही सत्य हम आपके माध्यम से ये मुद्दा उठाने के लिए देश के सामने, देश की आवाज को मुखर करने के लिए और सोती हुई कुंभकरण की नींद की सरकार को जगाने के लिए आए हैं। हम आशा करते हैं कि उनके कान पर कोई तो जूं रेंगेगी। क्योंकि कल इसी मंच से, पेट्रोल और डीजल के दामों में जो आग लगी है और सरकार ने उस पर जो मिथ्या, जो पाखंड फैलाने की कोशिश की है, उसका पर्दाफाश हमने इसी मंच से किय़ा था और कल ही सरकार का वो पर्दाफाश हुआ, उनका पाखंड सबसे सामने आया, उनकी विफलता सबके सामने आई और कल ही उस दंभ और अहंकार में चूर सरकार ने रसोई गैस का दाम 25 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया है। ये बढ़ोतरी अनैतिक तो है ही, असंवेदन शील बहुत है। और इसी के बारे में कुछ लाइन हम लोगों ने लिखी हैं, आप हमारे पीछे भी उसको पढ़ सकते हैं और वो लाइन आपको दो मिनट में हम जरुर बोलना चाहेंगे। जैसा आप यहाँ देख रहे हैं गैस चूल्हा वगैरह रखा है।
महंगी गैस, महंगा तेल, मंहगा है चूल्हा-चौका,
जनता को ठगने का नहीं छोड़ा है कोई मौका।
फिर से डाल दिया है तुमने सबकी जेबों पर डाका,
अच्छे दिन का वादा करके देते आए धोखे पर धोखा।
यही असलियत है, इस सरकार की और इनका पाखंड इतना ज्यादा है कि मैं वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी, जो तब गुजरात के मुख्यमंत्री होते थे, प्रधानमंत्री बनने की मुहिम शुरु कर चुके थे। 11 बजकर 57 मिनट पर 13 जून, 2013 को मोदी जी का एक ट्वीट है और वो आप सबके साथ साझा करना चाहती हूं। उस ट्वीट में उन्होंने लिखा है – दिल्ली में बैठी कांग्रेस की सरकार महंगाई से त्राहि-त्राहि कर गरीब जनता के घावों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। ये 2013 में भेजने वाले लिखने वाले मोदी जी ने असलियत में क्या किया, आप लोगों के साथ हम साझा कर देते हैं। थोड़े से फिगर भी हैं, तो उसको रिपीट करके दर्शकों के लिए बताएंगे।
आज जब महंगाई से पूरे देश में त्राहिमाम मचा हुआ है, भारतीयों को बजट बिगड़ चुका है, दो वक्त की रोजी-रोटी कमाना मुश्किल हो चुका है। मोदी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। मंदी से जूझते इस देश पर एक बार फिर से महंगाई का प्रहार किय़ा गया है। रसोई गैस के दाम 25 रुपए बढ़ाकर अब 859.5 ऑल मोस्ट 860 रुपए प्रति सिलेंडर दिल्ली शहर में बिक रहा है। देश के अन्य राज्यों में, अन्य जगहों पर दूरी को देखते हुए ये सिलेंडर के दाम कहीं-कहीं 1000 रुपए तक पहुंच चुके हैं और ये एक य़ा दो बार बढ़ने वाले दाम नहीं हैं। 7 बार में दाम 265 रुपए बढ़े हैं। नवंबर, 2020 में रसोई गैस का दाम जो था, उससे 44 प्रतिशत बढ़त हुई है। और यहाँ बताना जरुरी है कि मई पिछले साल से सरकार ने सब्सिडी देना भी खत्म कर दिया है, इक्का-दुक्का रुपए कहीं देते हैं, क्योंकि कंट्रोल प्राइस और मार्केट प्राइस को एक कर दिया है और एक करने की वजह से सब्सिडी की कोई गुंजाइश नहीं रह गई है। ये इसलिए ज्यादा अनैतिक है और इसलिए ये ज्यादा आप नमक-मिर्च रगड़ रहे हैं घावों पर क्योंकि इस समय देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, बेरोजगारी से गुजर रहा है, 97 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है। 32 लाख नौकरियां एक-एक महीने में चली गई हैं, तो ये नमक-मिर्च रगड़ना तो है ही, लेकिन ये सरकार के दंभ, अहंकार, उनकी असंवेनशीलता का इससे बड़ा परिचय और कोई नहीं हो सकता था और जब सवाल पूछिए तो 7 साल में सत्ता होने के बावजूद दोषारोपण होगा पहले की सरकारों पर, दोषारोपण होगा राज्यों पर और पाखंड और मिथ्या फैलाने वाले दोनों दोषारोपण गलत हैं। मैं एक बात यहाँ पर पुरजोर तरीके से बोलना चाहती हूं कि दामों में ये वृद्धि केवल वैश्विक वृद्धि का नतीजा नहीं है, क्योंकि अगर सऊदी अरामको का दाम देखा जाए, जिससे कि हमारे एलपीजी सिलेंडर का दाम तय होता है, तो वहाँ पर दाम 611 डॉलर प्रति मैट्रिक टन है, रुपए और डॉलर का एक्सचेंज रेट 69 रुपए 22 पैसे है। अगर इन दोनों को मिलाकर देखा जाए, तो सिलेंडर इस समय़ 600 रुपए पर बिकना चाहिए था। तो 600 रुपए पर ना बिक कर 860 रुपए पर सिलेंडर क्यों बिक रहा है? ये सवाल बार-बार पूछा जाएगा कि मुनाफाखोरी आम जनता की गला रेत कर, आम जनता की कमर तोड़ कर क्यों की जा रही है? ये डिफरेंस समझना जरुरी है। जो सिलेंडर 600 पर मिल सकता था, वो आज 860 रुपए पर और कई जगहों पर हजार रुपए पर बिक रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है? मुनाफोखोरी क्यों कर रही है सरकार? इसका सिर्फ एक जवाब है, ये अचानक से अनभिज्ञ होकर, अजी हमें पता ही नहीं था, ऐसा नहीं हो रहा है। ये बहुत सोची-समझी रणनीति का नतीजा है और मैं इसलिए ये कह रही हूं और बहुत जिम्मेदारी से ये कह रही हूं कि जब हमारी केन्द्र में सरकार थी, तो 1 लाख 47 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी हम देते थे 2014 तक। उस सब्सिडी को घटाकर 12,000 करोड़ रुपए मात्र कर दिया गया है। तो सरकार ने पहले ही मन बना लिया था कि हम कोई भी रियायत, कोई भी राहत नहीं देंगे लोगों को। ये सर्वविदित है कि सरकार ने फ्यूल टैक्स से, ईंधन पर कर से पिछले एक साल में 4 लाख 53 हजार करोड़ रुपए कमाए हैं। लेकिन उसके बाद भी बजाए राहत देने के, बजाए वसूली कम करने के आम जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है।
एक बात यहाँ पर बतानी और बोलनी जरुरी है जब गैस सिलेंडर की बात करो तो सरकार के प्रवक्ता, उनकी ट्रोल आर्मी, उनके मंत्री, खुद प्रधानमंत्री जी सीना ठोकने लगते हैं उज्जवला योजना का। अभी एक और नया झुंझना है कि हमने उज्जवला 2.0 लांच की है। मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं सरकार से और प्रधानमंत्री जी से आप कितने ही मुफ्त-मुफ्त कनेक्शन बांटते रहिए, आप कितने ही बड़े सेल्समैन बन जाइए। सेल्समैन ऑफ दी ईयर का अवार्ड तो खैर प्रधानमंत्री जी को मिलना ही चाहिए। आप कितने भी ये झुंझने बांटते रहिए। कितने लोग आज देश में ऐसे हैं, जो 860 रुपए प्रति सिलेंडर खरीद सकते हैं। 23 करोड़ लोग इस देश में गरीबी की सीमा रेखा के नीचे चले गए हैं। इसमें से कितने लोग 860 रुपए का सिलेंडर खरीद सकते हैं, इसका जवाब सिर्फ मोदी जी दे सकते हैं, क्योंकि ये पाखंड जो होता है ना उज्जवला पर, ये बंद होना चाहिए। और इसलिए ये जो चूल्हा है या जो लकड़ी है ये प्रतीक है कि आज देश में हो क्या रहा है। याद रखिएगा कि आज तमामों रिपोर्ट ऐसी आई हैं, जिसमें पूरी तरह से साफ तौर से लिखा गया है कि कनेक्शन मुफ्त बंटने के बावजूद अधिकांश लोग आज लकड़ी पर, कंडे पर, चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं। तो जो बहते आंसू कभी मोदी जी दिखते थे, लग रहा है वो भी दिखने बंद हो गए हैं।और फिर अंत में मैं ये जरुर कहूंगी कि ठीकरा फोड़ना बंद कर दीजिए। आप डिसाइड कर लीजिए कि आप 7 साल से सरकार में हैं या विपक्ष में हैं? आपसे जब सवाल पूछा जाता है तो 1947 की बात करते हैं। शुक्र है नेहरु जी की बात नहीं कर दी, यही कहा कि कांग्रेस की वजह से ऐसा हो गया। बहुत बड़ा ढोंग है ये। जिन आयल बांड की बात आप करते हैं और कल हमारे नेता ने यहाँ से वो क्लीयर किया कि वो भी मिथ्या है। तेल पर कर लगाकर आपने वसूली की है 23 लाख करोड़ की और आयल बांड पर खर्चा हुआ है उसका मात्र 3 प्रतिशत- 73 हजार 400 करोड़ रुपए। तो हमारी इस सरकार से मांग है और पुरजोर मांग है कि आर्थिक संकट के इस दौर में जो गैस के दामों पर आपने आग लगा दी है और ये आपका महिला विरोधी चेहरा दिखाता है क्योंकि महिलाओं को ही इससे सबसे ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है। गैस खरीदी नहीं जाती है तो महिलाओं को ही चूल्हा-चौका करना पड़ता है। महिलाओं को ही कंडा-लकड़ी पर खाना बनाना पड़ता है। तो आप बेकार की ये मिथ्या मत फैलाइए। महिला विरोधी आपका चेहरा है, सबसे पहले तो महिलाओं के बजट में जो आपने गड़बड़ कर दी है, देशवासियों के बजट में गड़बड़ की है, उनको राहत लाइए। दामों को कम करिए, परिवारों को इस आपदा के दौर में बचाइए और थोड़ी सी संवेदनशीलता और नैतिकता दिखाइए जो आप पूरी तरह से भूल चुके हैं। इस सरकार का अगर एक लाइन में वर्णन करना हो तो दंभ और अहंकार में चूर होकर नैतिकता से बहुत परे, देशवासियों से बहुत दूर, आपदा में लोगों के ऊपर और ज्यादा आर्थिक संकट डालने वाली ये एकमात्र ऐसी सरकार होगी, जो लोगों की त्राहि-त्राहि को सुन नहीं पा रही है।