अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की इस विशेष पत्रकार वार्ता में देश के 62 करोड़ मेहनतकश किसान और खेत मजदूर से लूट का खुलासा करने के लिए हम सब आपके बीच में उपस्थित हैं। मेहनतकश किसानों से आपदा में 20,000 करोड़ की खाद कीमतों की लूट, भाजपा सरकार का डीएनए ही किसान विरोधी,मोदी सरकार अन्नदाता से बदला लेने की साजिश बंद करे प्रधानमंत्री,नरेंद्र मोदी व भाजपा सरकार खेती को बर्बाद करने पर तुली है। सही मायनों में मोदी सरकार किसान की दुश्मन साबित हुई है। ऐसा लगता है कि देश के 62करोड़ किसानों- मजदूरों को प्रधानमंत्री मोदी गुलाम बनाने की साजिश कर रहे हैं। कृषि सेंसस के मुताबिक देश में 14.64 करोड़ किसान हैं,जो लगभग 15.78 करोड़ हेक्टेयर रकबे पर खेती करते हैं। पिछले 6.5 साल में मोदी सरकार ने खेती उत्पाद में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज़ की कीमत बढ़ाकर किसान पर पहले ही 15,000 रुपया प्रति हैक्टेयर सालाना का बोझ डाल रखा है। महामारी की आड़ में डीएपी सहित अन्य खाद की कीमत बढ़ाकर एक बार फिर किसान-मजदूर की कमर तोड़ने का घिनौना काम किया है। तीन काले कानून बना खेती को बेचने की साजिश, डीज़ल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, खेती पर टैक्स, किसान की कर्जमाफी के नाम पर पीठ दिखाकर भाग खड़ा होना, फसल बीमा योजना के नाम पर लूट और अब खाद की कीमतें बढ़ा 20,000 करोड़ सालाना का अतिरिक्त भार डालना साबित करता है कि भाजपा का डीएनए ही किसान विरोधी है।
1. DAP (Di Ammonium Phosphate) खाद के 50 किलो के बैग की कीमत मोदी सरकार ने रातों रात 1200 रु. प्रति बैग से बढ़ाकर 1900 रु. प्रति बैग कर डाली है। 700 रु. प्रति डीएपी बैग की कीमत में बढ़ोत्तरी किसान की कमर तोड़ देगी। यह 73 साल में कभी नहीं हुआ। साल 2020-21 में, 93 लाख मीट्रिक टन DAP (डीएपी) की खपत होगी। यानि केवल एक साल में 700 रु. प्रति DAP Bag की बढ़ोत्तरी से देश के किसान पर ₹13,020 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। जब एक महीना पहले बढ़ोत्तरी की खबर आई, तो झूठी भाजपा सरकार के मंत्रियों ने इसे नकार दिया। और अब चोर दरवाजे से कीमत बढ़ा दी। किसान विरोधी मोदी सरकार की नीति केवल इसी बात से साबित होती है कि 2014 में जब यूपीए कांग्रेस की सरकार गई, तो DAP खाद के एक बैग की कीमत ₹1,075 थी, जो अब बढ़कर ₹1,900 प्रति बैग हो गई है, यानि 6 साल में दोगुनी कीमत।
2.यही नहीं, NPKS (नाईट्रोज़न, फॉस्फोरस, व सल्फर) की खाद की कीमतें भी अनाप शनाप बढ़ा दी हैं। NPKS की 10:26:26 की (रेशीओ) Ratio वाले 50 किलो के खाद बैग की कीमत 1175 रु. से बढ़ाकर 1775 रु. कर दी गई है। इसके साथ साथ कॉम्प्लैक्स फर्टिलाईज़र जिनकी (रेशीओ) Ratio 20:20:0:13 थी, उसकी कीमत 925 रु. प्रति बैग से बढ़ाकर 1350 कर दी गई है। 12:32:16वाले खाद बैग की कीमत 1185 रु. से बढ़ाकर 1800 रु. कर दी गई है।
3.पोटाश खाद के 50 किलो के बैग की कीमत ₹450 प्रति बैग 92014 UPA Congress Government) से बढ़कर आज ₹825 प्रति बैंग हो गई है,
यानि कि लगभग दोगुनी कीमत बढ़ाई। सुपर खाद के 50 किलो के बैग की कीमत भी साल 2014 में यूपीए-कांग्रेस कार्यकाल की ₹260 प्रति बैग से बढ़कर और ₹340 प्रति बैग हो गई है।
4.खेती पर टैक्स लगाने वाली पहली सरकार है मोदी सरकार। खाद पर 5%GST लगाया। पेस्टिसाईड्स पर 18% GST लगाया। एग्रीकल्चर ईक्विपमेंट पर 12% से 18% GST लगाया।
5. किसान के ईंधन – डीज़ल पर मोदी सरकार ने ₹28.37 प्रति लीटर अतिरिक्त एक्साईज़ ड्यूटी लगा दी। अकेले पिछले एक साल में मोदी सरकार ने डीज़ल की कीमत 21.22 रु. बढ़ा दी। 4 मई, 2020 को डीज़ल की कीमत 62.29 रु. प्रति लीटर थी, जो आज बढ़कर 83.51 रु. प्रति लीटर हो गई है। पिछले 6.5 साल में डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी 820 प्रतिशत बढ़ाई गई है।
6.PM फसल बीमा योजना से प्राईवेट बीमा कंपनियों को 6.5 साल में ₹26,000 करोड़ का मुनाफा किया।
7.फरवरी, 2015 में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा कि किसान को लागत+50% कभी नहीं दिया जा सकता, जबकि यही कहकर सत्ता सम्हाली थी।
8. कर्ज माफी के नाम पर किसान से मुंह मोड़ लिया। बड़ी बड़ी कंपनियों के तो ₹7,77,800 करोड़ के लोन माफ कर दिए, पर किसान को फूटी कौड़ी भी कर्जमाफी नहीं दी। हमारी मांग है कि किसान से यह लूट बंद हो और बढ़ी हुई खाद की कीमतें वापस ली जाएं।
एक प्रश्न पर कि किसानों पर इतना बोझ पड़ रहा है, सरकार किसानों के लिए इतना बोल्ड स्टेप क्यों ले रही है, आपको क्या लगता है? सुरजेवाला ने कहा कि मैं स्वयं एक किसान का बेटा हूं। ये बोल्डनेस नही, ये जुल्म है। ये बोल्डनेस नहीं, ये अत्याचार है। ये बोल्डनेस नहीं, ये अहंकार है। आप मुझे बताइए सबसे ज्यादा इस देश में कौन सी खाद इस्तेमाल होती है, वो डीएपी है और मैंने सरकार का आंकड़ा निकाला है,जो एस्टिमेट है उनका कि 20 20-21 में 93 लाख मीट्रिक टन डीएपी इस्तेमाल होगी। आपने 700 रुपए प्रति 50 किलो के बैग बढ़ा दिया। 13 हजार 20 करोड़ रुपए किसान की जेब से एक झटके से लूट लिया। उसका कारण बड़ा सीधा है। मोदी जी और मोदी सरकार खेती को खत्म करना चाहते हैं। मोदी सरकार खेती को चंद उद्योग पतियों की गुलाम बनाना चाहती है। मोदी सरकार ने तीन काले कानून जो कृषि विरोधी काले कानून जिसके विरोध में 62 करोड़ किसान खड़ा है और लाखों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं, वो भी इसलिए पारित किए कि 25 लाख करोड़ का खेती व्यापार किसी तरह से मोदी जी के मित्र उद्योग पतियों के कब्जे में आ जाए और इसी लक्ष्य के साथ खेती करने को इतना जटिल, इतना महंगा और इतना मुश्किल बना रहे हैं कि किसान अपने हथियार डाल दे और उद्योगपतियों की ड्योड़ी पर सरेंडर कर दें, जैसा मोदी जी चाहते हैं। पर ये जान ले मोदी सरकार कि किसान ने बड़े-बड़े जातर, जालिम सरकारों को अपने ड्योड़ी पर उनका सिर टिकवाया है और एक बार फिर किसान इकट्ठा होकर संघर्ष करेगा। कांग्रेस किसान के साथ संघर्ष करेगी। राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में और इन बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेना पड़ेगा।एक प्रश्न पर कि क्या आपको लगता है कि जिस तरह से खेती को लेकर सरकार का रवैया है, वो इसको टैक्स के घेरे में लाना चाहती है,सुरजेवाला ने कहा कि खेती पर टैक्स लग चुका है। सिर्फ मोदी जी मुंह से बोल नहीं रहे हैं। आप सबसे शायद वरिष्ठ औऱ बुद्धीजीवी पत्रकार हैं,आप देखिए जब आपने खाद की कीमत 1,075 रुपए प्रति बैग डीएपी से बढाकर 1,900 कर दी तो फिर 100 प्रतिशत इजाफा कर दिया। आपने जब खाद पर 5 प्रतिशत जीएस टी लगा दिया तो टैक्स तो लगा दिया। जब आपने डीजल पर 800 प्रतिशत से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी, तो बगैर टैक्स कहे, किसान की जेब से टैक्स तो निकला दिया। एक साल में 22 रुपए अगर डीजल की कीमत बढा दी तो किसान पर टैक्स तो लगा दिया। अगर पेस्टीसाइट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया, तो किसान पर टैक्स तो लगा दिया। अगर किसान के एग्रीकल्चर इक्वीपमेंट्स पर 12 प्रतिशत और टायर पर 18 प्रतिशत टैक्स लगा दिया जीएसटी, तो टैक्स तो लगा दिया, सिर्फ बोलकर नहीं कह रहे, किसान खेती आज टैक्स के दायरे में पूरी तरह से आ चुकी है, बल्कि उसको पीसा जा रहा है, इतनी ज्यादा उसके उत्पाद में इस्तेमाल आने वाली कीमतें बढ़ाकर कि वो हथियार डाल दे। पर शायद मोदी जी भूल गए कि किसान ने, मजदूर ने, कभी प्रकृति के आगे हथियार नहीं डाले, प्रभु के सिवा किसान किसी के आगे झुकता नहीं है, केवल ईश्वर के आगे झुकता है, मोदी सरकार क्या खाक है, उसको अपनी ड्योढ़ी पर किसान उसका सिर टिकवाकर ही निर्णय लेगा, तब तक किसान चैन से बैठने वाला नहीं और कांग्रेस इसमें चट्टान की तरह किसान के साथ खड़ी रहेगी। एक अन्य प्रश्न पर कि डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर की तरफ से एक कम्यूनिकेशन भेजा गया है, प्रोफिट रखने के लिए? सुरजेवाला ने कहा कि ये मुनाफाखोरों की सरकार है। ये एक ऐसी जुल्मी सरकार है, जो चोर दरवाजे से किसान के खेत में किसान की मेहनत पर, किसान की जो जिंदगी है, उसे लूटने का प्रयास कर रही है। आप मुझे बताइए आप साहब ने सब्सिडी किसान की विदड्रा कर ली। आपने कंपनियों को ये इजाजत दे दी कि 1900 रुपए कीमत कर दें। आज बाजार में जाइए और डीएपी खरीदिए। बाजार में जाइए आप एनपी केस खरीदेए। बाजार मे जाइए और पोटाश और सुपर खाद खरीदिए तो आपको रेट पता चल जाएगा। अगर मैं गलत कह रहा हूं तो मुझे सजा दीजिए, चौराहे पर खडे होकर जैसे मोदी जी कहते हैं और नहीं तो फिर मोदी सरकार को ये सजा दीजिए। ये झूठी चिट्ठियां निकाल कर- इनका सारा स्वांग झूठ, प्रपंच और फर्जीवाड़े पर टिका है। इनका नाम बहुत झूठी पार्टी है। बगैर कारण नहीं लगता, बीजेपी यानी बहुत झूठी पार्टी। इसका नाम अपना बहुत झूठी पार्टी से बदलकर बहुत जुल्मी पार्टी हो गया है, क्योंकि जैसे किसान पर जुल्म ढाया जा रहा है, तो बी से बहुत, जे से जुल्म और पी से पार्टी। ये बहुत जुल्मी पार्टी हो गई है। तो इस प्रकार के झूठे कागजात की बजाए कीमत कम करवाएं। आपने कीमत 1900 रुपए करवा दी, आप ये प्रपंच कर रहे हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि आप बार-बार सवाल उठाते हैं, सरकार पीछे नहीं हटती है, ऐसे में किसानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए क्या कुछ कांग्रेस पार्टी करे, श्री सुरजेवाला ने कहा कि 2014 में जैसे ही सरकार बदली, तो उन्होंने किसान की जमीन को चंद उद्योगपतियों को बेचने के लिए नया भूमि अधिग्रहण कानून बनाया। याद करिए, तब भी राहुल गांधी के नेतृत्व में हमने विरोध किया और हमने जीत हासिल की, ये हमने नहीं की, ये किसान की जीत थी। उसके बाद कीमतें बढाने का जहाँ प्रश्न है, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का प्रश्न है, जीएसटी लगाने का प्रश्न है, खाद की कीमतें बढ़ाने का प्रश्न है, ये सरकार चोर दरवाजे से करती आ रही है और कांग्रेस इसका विरोध करती आ रही है। ये अब देश के लोगों को समझना पड़ेगा। किसान के, मजदूर के, गरीब के साथ कौन है, और कंपनियों की मुनाफाखोरी करवाकर उनसे चंदा लेने का हिस्सेदार कौन है। अब समय आ गया है, देश करवट ले रहा है, देश बदल रहा है, वाकई में और इस बदलते देश में अब लोग ये समझने लगे हैं कि कांग्रेस और सोनिया गांधी और राहुल गांधी औऱ कांग्रेस के लाखों-लाखों करोड़ों कार्यकर्ता, वो देश के गरीब, देश के किसान, देश के अनुसूचित जाती, पिछड़े वर्गों और किसानों के साथ खड़े हैं और बड़े-बड़े धन्ना सेठों के साथ मोदी सरकार खड़ी है। आप ये पाएंगे कि ये बदलाव 2024 में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगा, पर हम 2024 तक इंतजार करने वाले नहीं, हम हमाने अन्नदाता के लिए निर्णायक लड़ाई आज ही लड़ेंगे।