अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम जो बात करेंगे वो हाथरस से संबंधित है, लेकिन उसके बारे में, उस वारदात, घिनौनी वारदात के बारे में नहीं है, वो विशेष रुप से ऐसी घिनौनी चीज के बाद जो हमने देखा है, रिएक्शन, रिस्पोंस, एक अजीबो-गरीब प्रक्रिया सरकारों से, सत्तारुढ़, सत्ताधारी लोगों से, उसके बारे में बात करने वाले हैं। लेकिन मैं अपनी बात शुरु करना चाहता हूं आपको ये बोलकर कि एक महिला का खून हुआ, आरोप है कि बलात्कार हुआ, बेरहमी की चीज हुई, घिनौनी चीज हुई, उसके बाद लुके-छुपे, गुप्त रुप से क्रियाकर्म किया गया, आत्मा और अंतरात्मा को एकदम ग्रस्त करने वाली, विक्षिप्त करने वाली घिनौनी चीज की गई और उसके कई दिन बाद तक करीब-करीब कोई एक्शन नहीं हुआ जब तक कि पूरे देश में एक बहुत ही जबरदस्त भावना उठी और उसके बाद ये सब किया गया। इन सब बातों के विषय में हमारे सहयोगियों ने अवगत कराया है, इसलिए इसमें मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा। हां, मैं ये जरुर कहूंगा कि उसके बाद जो हुआ, वो विचित्र है, bizarre है, विक्षिप्त है, अंग्रेजी में दो शब्द हैं जॉर्ज ऑरवेल के बारे में ऑर्विलियन है और Kafkaesque. इन दोनों लिखा था कि बड़ी अजीब सा एक आभास होता है, वातावरण होता है, उसको ऑरविलियन कहते हैं औऱ काफ केस कहते हैं। उसके बारे में मैं जिक्र करना चाहता हूं और वो क्या है –
ये अस्वभाविक, अजीबो-गरीब प्रतिक्रिया, जो कभी सुनी नहीं गई, वो ये है कि सरकार उत्तर प्रदेश की और सत्ताधारी बीजेपी देश के अलग-अलग भागों में और केन्द्र में ये 10-12 चीजें करते हैं, जो मेरे हिसाब से एक गौरवशाली गणतंत्र को शर्म से अपना सिर झुकाने के लिए बाध्य कर देता है। मैंने बड़ा एनालिसिस करके इनको अलग-अलग किया है इन रिएक्शन को और मैंने देखा नहीं कभी कि खून और बलात्कार के बाद ऐसे रिएक्शन आते हों किसी भी सरकार से और आज मैं विशेष रुप से उसके बाद की बात कर रहा हूं।
पहला, वहाँ पर एक बंदी हो गई, जिसको आप क्लैंप डाउन कह सकते हैं। एक शिंकजा कस दिया गया कि उस इलाके में एक प्रकार से घर की गिरफ्तारी कर दी, लेकिन किसकी की, ये दोषी आदमी की नहीं की, जो वहाँ की विक्टिम है, जो दोष रहित पीड़ित लोग हैं, उनकी गिरफ्तारी और घर में घेराबंदी कर दी गई।
दूसरा, जो वास्तविक दोषी और आरोपित हैं, वो कई दिनों तक घूमते रहे, उनके बारे में कोई गिरफ्तारी नहीं, कोई घरबंदी नहीं।
तीसरा, पीडित लोगों से कोई मिल नहीं सकता और वो किसी से मिल नहीं सकते। आप जानते हैं, हमारे संविधान में हम भूल जाते हैं, 19 1(A) की बहुत बात करते हैं जर्नलिस्ट, 19 1(D) को भूल जाते हैं। D है कि आवागमन का, आने-जाने का मानवाधिकार और हक, मूवमेंट, उसको आप सीमा में बांध सकते हैं, अगर कोई कारण हो तो। यहाँ आपने सीमा बांध दी, प्रतिबंध बांध दिया घूमने के अधिकार पर, किसके ऊपर – पीड़ित के ऊपर, दोषी के ऊपर नहीं।
चौथा, हर जगह एक शब्द मुख्यमंत्री, केन्द्र मंत्री कई सारे, सत्तारुढ़ बीजेपी के अधिकारी, पदाधिकारी, कॉसपेरेसी, कॉसपेरेसी, षड़यंत्र, षड़यंत्र। अब ये है एक षड़यंत्र है देश के विरुद्ध, ये है षड़यंत्र उत्तर प्रदेश के विरुद्ध और जाहिर है इसका मतलब है ये षड़यंत्र है प्रधानमंत्री के विरुद्ध और मुख्यमंत्री के विरुद्ध।
इसमें जोडा पांचवा कि ये षड़यंत्र मुख्य रुप से साम्प्रदायिक दंगे करवाने के लिए है। ये मैं आपको औपचारिक वक्तव्य बता रहा हूं। मैं ये जरुर कहना चाहूंगा कि ये साम्प्रदायिक दंगों की बात करता है तो ये उल्टा चोर कोतवाल को डांटने से ज्यादा बद्तर बात है नहीं। जिन लोगों के पास इन प्रक्रियाओं में पीएचडी है, वो दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं और तब जब एक महिला का खून हुआ है, बलात्कार का इतना गंभीर आरोप है और क्रियाकर्म किया गया है रात के लुके-छुपे, गुप्त रुप से।
नंबर छह – जितने और लोग हैं, सिवाए मेरे, सब सह साजिशकर्ता हैं। मैं हूं बीजेपी, मैं हूं मुख्यमंत्री, मैं हूं प्रधानमंत्री, आप कांग्रेस, आप आरएलडी, आप एसपी, आप बीएसपी, आप टीएमसी, मैं नाम कई ले सकता हूं। हमेशा उंगली आपकी तरफ है, जो चार उंगलियां या तीन उंगलियां आपकी खुद की तरफ, वो दिखती नहीं हैं आपको। हर आदमी षड़यंत्र का सह-साजिशकर्ता है।
नंबर आठ – ये एक षड़यंत्र और चीज का है, अस्थिरता और सरकार को उखाड़ फैंकने का। आप सोचिए एक खून और बलात्कार में ये रिएक्शन, मैंने तो ये 70-75 साल में कभी देखे नहीं, इतनी हिम्मत हो सकती है किसी सरकार की कि ऐसा रिएक्शन हो।
जो आपको मिला सीआरपीसी से, आईपीसी से या कहीं और किताब से, वो सब आरोप थोप दो सबके ऊपर। सेडिशन, देशद्रोह, एफआईआर ऑन देशद्रोह , दूसरा 153 (A) आपसी वैमनस्य फैलाना। तीसरा, जो आपका फैवरेट है 144, जहाँ कोई दो लोग पहुंच जाए, चार लोग पहुंच जाएं तो 144 लगा दो। आईटी एक्ट, अरे भाई, 302 और 376 के बलात्कार वाले तो आरोप आपने लगाए कई दिनों बाद, लेकिन ये इतने सारे बाकी लगा दिए आपने और लोगों के ऊपर। सेडिशन, देशद्रोह, किसी का अगर खून हुआ है, बलात्कार हुआ है, आप अगर जाकर सहानुभूति प्रकट करते हैं, प्रेस में बोलते हैं, उसके ऊपर विद्रोह दिखाते हैं, तो वो देशद्रोह है। देशद्रोह वो चीज है कि आप ऐसी घिनौनी चीजों पर एक्शन तुरंत निष्पक्ष रुप से नहीं लेते, उसको देशद्रोह कहूंगा मैं।
नंबर नौ- ये एक तीसरी साजिश है। ये साजिश इसलिए है क्योंकि मैंने कड़े से कड़ा एक्शन लिया था नागरिकता वाले कानून पर, एनआरसी पर। देखिए, इन सबको अलग-अलग समझना जरुरी है, क्योंकि ये अलग-अलग वक्तव्य आए हैं माननीय मुख्यमंत्री से, माननीय मंत्री महोदयों से। कोटेशन आपको सप्लाई कर देगी एआईसीसी। मैं अपना कोई शब्द इस्तेमाल नहीं कर रहा हूं। तो आपने सीएए पर एक्शन लिया, एनआरसी पर लिया इसलिए षड़यंत्र किया कि ये सब करना है।
नंबर दस – उत्तर प्रदेश में जो इतना महान सुशासन हो रहा है, उसको गिराने और बंद करने की ये साजिश है, ये आपको 4-5 साजिशें मैंने आपको बता