अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
डॉ. रागिनी नायक ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की प्रेस वार्ता में सभी मीडिया कर्मियों का, प्रेस के साथियों का स्वागत करती हूं, अभिनंदन करती हूं, इस्तक बाल करती हूं, welcome to all और थोड़ा जो विलंब हुआ, उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। तो देखिए, 2014 के चुनाव प्रचार में इलेक्शन कैंपेन में प्रधानमंत्री मोदी जो तब तक दावेदार थे प्रधानमंत्री बनने के, उन्होंने महंगाई को बहुत बड़ा मुद्दा बनाया। बड़ी प्रखरता और मुखरता से महंगाई के मुद्दे को उठाने का काम मोदी ने किया था और एक बड़ा नारा उन्होंने दिया – बहुत हुई महंगाई की मार और विडंबना देखिए कि मोदी के राज में, उनकी नाक के तले आज जिस दिन महंगाई की मार नहीं पड़ती है, जिस दिन पेट्रोल,डीजल, सीएनजी या एलपीजी का दाम नहीं बढ़ता है, महंगाई के कारण जनता की कमर जिस दिन नहीं टूटती है, आश्चर्य उस दिन होता है।
ऐसा ही एक नारा था चीन को लाल आंख दिखाने का। तो चीन तो भारत की सीमाओं में घुसपैठ कर चुका है, पुल बना रहा हैं, बंकर बना रहा है, सड़क बना रहा है। महंगाई के चलते अब टमाटर लाल आंख दिखा रहे हैं। लोगों की थाली से खाना छिनता जा रहा है। तो मुँह से निवाला, गैस से सिलेंडर, जेब से पैसा, वाहनों से डीजल और पेट्रोल, हाथों से नौकरी और रोजगार छिनने के बाद जनता के तो अच्छे दिन नहीं आए, अच्छे दिन – अच्छे दिन, ये भी नारा था। हाँ, वो जो भाषणों में मोदी जी जो मित्रों की बात करते हैं ना, उन उद्योगपति मित्रों के अच्छे दिन जरुर आ गए हैं। तो तमाम नारे महंगाई की मार, अच्छे दिन और लाल आंख और लंबी फेहरिस्त है नारों की। तमाम नारे, तमाम वादे, तमाम दावे मोदी जी के खोखले साबित होते आ रहे हैं, जैसे-जैसे एक-एक दिन बीता जा रहा है और इसलिए मैं आज कहती हूं, ये जरुरी है कहना और आपके माध्यम से जनता तक पहुंचाना कि मोदी रीति सदा चली आई, जो कह जाएं, वो कभी ना निभाई।
आज की सबसे बड़ी खबर है कि घरेलू गैस के सिलेंडर को भरवाने के लिए अब 50 रुपए और ज्यादा देना पड़ेगा। तो देखिए, मनमोहन सिंह जी की सरकार थी, यूपीए की सरकार थी 10 साल। अंतर्राष्ट्रीय बाजार से हम कच्चा माल महंगा खरीदते थे और उसे सस्ता बेचते थे। महंगा खरीदती थी कांग्रेस सरकार और जनता जनार्दन के लिए सस्ता बेचती थी। यहाँ पर उल्टी गंगा बह रही है, उल्ट बासी चल रही है। लगातार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल, कच्चे माल की कीमत कम होने के बावजूद, सस्ता तेल खरीदने के बावजूद लगातार जनता पर भार डाला जा रहा है। जनता को फायदा पहुंचाने की बजाए, जनता को राहत पहुंचाने की बजाए लगातार सस्ते माल को महंगा बेचा जा रहा है। एक और महत्वपूर्ण बात – रोजमर्रा के जीवन के लिए, रोजमर्रा के रसोई आपकी जो घर की है, वो जलती रहे, इसके लिए कांग्रेस पार्टी समझती थी, यूपीए सरकार समझती थी कि बहुत जरुरी है टैक्स के जंजाल से रसोई गैस को मुक्त रखना। हम सब्सिडी देते थे, ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी देते थे। 400, 450 रुपए का सिलेंडर कांग्रेस पार्टी के समय पर मिल जाता था। आज सब्सिडी देने की बजाए जीएसटी के जंजाल में फंसाने का काम जो मोदी सरकार ने किया है, मैं समझती हूं कि वो बहुत बड़ा जनविरोधी निर्णय मोदी सरकार का है। एक और बात है, मैं समझती हूं कि ये भी बहते पानी की तरह साफ है क्योंकि कुछ ही दिन पहले आरटीआई के माध्यम से भी एक खुलासा हुआ और वो खुलासा हुआ कि कितने लोग ऐसे हैं, जो नहीं भरवा पा रहे हैं गैस का सिलेंडर। तो ये पता चला कि सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल मार्केटिंग कंपनियां हैं, उन्होंने ये सार्वजिनक की खबर कि 3 करोड़ 59 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने साल में एक भी रसोई गैस का सिलेंडर नहीं भरवाया। मैं फिर से दोहराती हूं, 3 करोड़ 59 लाख लोग ऐसे हैं, जो कि एक भी सिलेंडर नहीं भरवा पाए गैस का। जो उज्जवला लाभार्थी हैं, उनमें से 42 प्रतिशत फिर से चूल्हा फूंकने के लिए मजबूर हो गए हैं। तो जैसा मैंने शुरु में कहा कि तमाम नारों, तमाम दावों, तमाम वादों की तरह तमाम योजनाएं भी उज्जवला योजना भी एक झुनझुना साबित हुई है। मोदी जी जो पसीना मल के चेहरा चमका लेते हैं, अक्सर योजनाओं को केवल चेहरा चमकाने के लिए केवल उनका इस्तेमाल किया जाता है, उनके नाम का इस्तेमाल किया जाता है। बड़े-बड़े होर्डिंग पोस्टर में जितना पैसा खर्चा किया, हर पेट्रोल पंप पर नमस्कार की मुद्रा में मोदी जी ने खड़े होकर जनता को दिखाने के लिए, उतना उज्जवला योजना के लाभार्थियों को सच में लाभ पहुंचाने के लिए किया होता, तो 42 प्रतिशत लोगों को फिर से चूल्हा फूंकना नहीं पड़ता और तो साढ़े 3-4 करोड़ शायद सक्षम होते कि अपने सिलेंडर में दोबारा गैस भरवा सकें। पर ये हुआ नहीं। एक बात मैं और कहना चाहती हूं। जब भी हम किसी समस्या पर इंटलैक्चुअल से बात करते हैं, जब हम बुद्धिजीवी लोगों से बात करते हैं या अर्थशास्त्रियों से बात करते हैं, खासतौर से एलपीजी के बारे में, तो मार्केट प्राइस की बात होती है, कंट्रोल प्राइस की बात होती है, बड़े-बड़े शब्द, बड़े-बड़े आंकड़े सामने आते हैं, पर एक आम आदमी के लिए ना मार्केट प्राइस मैटर करता है, ना कंट्रोल प्राइस मैटर करता है। जब उसे रसोई गैस का सिलेंडर नहीं मिलता है, तो उसके लिए ब्लैक मार्केटिंग प्राइस मैटर करता है, कालाबाजारी। ब्लैक में कितने का पड़ता है। आज सिलेंडर 1,053 रुपए का है, दूर – दराज इलाकों में 1100, 1150 रुपए का होगा और अगर वही सिलेंडर ब्लैक में खरीदना हो तो आप भी जानते हैं कि उसकी कीमत किस अनुपात में बढ़ जाती है और किस तरह से लोगों की जेब पर मार पड़ती है।
और मैं स्पष्ट रुप से मोदी जी से एक सवाल जरुर पूछना चाहती हूं, मोदी सरकार से पूछना चाहती हूं कि इतना महंगा रसोई गैस सिलेंडर कौन खरीद सकता है?
क्या वो किसान खरीद सकते हैं, जिनकी आय आपको दोगुनी करनी थी, पर केवल 27 रुपए रह गई?
क्या वो महिलाएं खरीद सकती हैं, महंगाई के कारण जिनका घरेलू बजट लगातार बिगड़ता जा रहा है?
क्या वो 8 करोड़ लोग जो आपके 8 साल के राज में गरीबी रेखा के नीचे चले गए, इतना महंगा सिलेंडर खरीद सकते हैं? आप दावा करते हैं कि 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन मुफ्त में मांगने के लिए मजबूर कर दिया सरकार से, वो लोग क्या इतना महंगा सिलेंडर खरीद सकते हैं?
करोडों नौजवान जो बेरोजगारी के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं देश के तमाम हिस्सों में, वो बेरोजगार नौजवान क्या इतना महंगा सिलेंडर हर महीना खरीद सकते हैं?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में विश्व गुरु बनने में भारत रेस में सबसे आगे पहुंचने की कतार में खड़ा हुआ है, वो लोग जो भुखमरी से ग्रस्त हैं, वो लोग क्या इतना महंगा गैस सिलेंडर खरीद सकते हैं?
मैं कहना चाहती हूं मोदी जी से कि देश को चलाने के लिए, जनता का मर्म समझने के लिए, पेट पर पड़ती हुई लात का दर्द समझने के लिए, कमर तोड़ महंगाई की पीड़ा समझने के लिए 56 इंच का सीना नहीं चाहिए मोदी जी, इस देश के लोगों के लिए धड़कता हुआ एक दिल चाहिए। उनकी नब्ज पर रखा हुआ एक हाथ चाहिए। माफ कीजिए जो आपके पास और आपकी सरकार के पास नहीं है। एक और ऐतिहासिक बात हुई है इन 8 सालों में। पहली बार फिक्की जैसी एक बहुत ही महत्वपूर्ण वित्तीय संस्था ने हमारी आदरणीय वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी जो कहती हैं कि प्याज महंगा हो जाए, तो प्याज खाना बंद कर दीजिए। आप कहेंगे कि गैस महंगी हो जाए, तो कौन कह रहा है कि गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करिए, वापस चूल्हा फूंकिए। वो तो इस तरह का तर्क देती हैं। तो फिक्की ने चिट्ठी लिखकर कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता कि अस्पताल के बिस्तर पर भी आप 5 प्रतिशत जीएसटी लगा रहे हैं। इस देश के गरीबों के प्रति, इस देश के आम आदमी के प्रति, इस देश की जनता के प्रति क्या निष्ठा है सरकार की, ये सवाल पूछते हुए फिक्की ने आढ़े हाथों लिया सरकार को। ये भी 8 साल में पहली बार ही हुआ है।
एक ट्वीट डॉ. ईरानी जी का है, 24 जून, 2011 का, जिसमें उन्होंने लिखा। यही काल है 24 जून, आज जुलाई की शुरुआत है। जिसमें उन्होंने लिखा 50 rupee high LPG! And they called himself Aam admi की सरकार, what a shame? मुझे याद है पिछला फेरबदल मोदी जी का हुआ मोदी जी के मंत्रालय का, तो 11 महिला मंत्री बनाई। बड़े होर्डिंग, होर्डिंग लगाने में, प्रचार करने में मोदी जी बड़े धुरंधर व्यक्ति हैं। बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए – 11 महिला मंत्री, 11 महिला मंत्री। मैं जानना चाहती हूं कि वो 11 महिला मंत्री कहाँ हैं देश में? विपक्ष में डॉ. ईरानी के बड़े ट्वीट आते थे, प्याज की माला पहन कर, गैस के सिलेंडर लेकर बैठती थी सड़कों पर, कहाँ हैं ये? अंतरआत्मा से आवाज नहीं आती, लोगों की दुहाई, चित्कार नहीं सुनाई नहीं देती? ये मन का मैल है या कान का मैल है कि जनता की चित्कार आपको सुनाई नहीं देती? आप पूछती थी कि कांग्रेस पार्टी क्या आम आदमी की सरकार है, आज लगातार चरम पर पहुंचती महंगाई, किसकी सरकार है? ये मैं जानना चाहती हूं और आज तो ऐसा लगता है कि केवल श्मशान और कब्रिस्तान जो कि भाजपा का नेरेटिव रहता है हर चुनाव में और जिसकी नींव पर राजनीति की इमारत खड़ी करते हैं। जीएसटी केवल श्मशान और कब्रिस्तान पर ही नहीं लगाया, अभी मौत को शायद अभी छोड़ दिया है इन्होंने, जीना तो दूभर कर ही दिया है।
तो ये सारे सवाल हैं, जो मुझे लगता है कि पूछने बहुत-बहुत लाजमी हैं। यूपीए सरकार के समय में बटुए में पैसा लाते थे, तो थैला भर सामान मिलता था। कुछ ही समय में मोदी राज जब तक एक-दो साल का बचा है, जरुर ऐसा होगा कि थैला भर पैसा लेकर जाएं और बटुए में सामान मिले, यही विडंबना है।
मैं ये भी बताना चाहती हूं कि कांग्रेस पार्टी ना सिर्फ प्रेस वार्ता के जरिए, बल्कि देशभर में प्रदर्शन करके भी ये लगातार बढ़ती महंगाई, दैनिक जीवन की जरुरतमंद चीजों पर जीएसटी लगाने की कवायत, गैस सिलेंडर को सीधे 50 रुपए का उछाल देने की जो कवायत है, इसके खिलाफ देशभर में विरोध और प्रदर्शन और सड़क से लेकर संसद तक जनता जनार्दन की आवाज को उठाने का काम हम करेंगे।
एक ये टेबल भी आपके रेफरेंस के लिए पुनिया जी शेयर करेंगे वॉट्सअप पर। ये टेबल बताता है कि कांग्रेस पार्टी, यूपीए सरकार के समय हम कितने रुपए में खरीदते थे तेल, कितने रुपए में कच्चा माल खरीदते थे, कितनी सब्सिडी देते थे और कितनी राहत जनता को पहुंचाई जाती थी और जो उल्टी गंगा बह रही है देश में, उसका और बेहतरीन तरीके से खुलासा ये डेटा और स्टैटिक्स के माध्यम से करेंगे। तो कुछ विचारधारा है जिसकी नींव ही फेक न्यूज पेंडलिंग पर होती है,