अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों! 2014 से अब तक की यात्रा तो है ही, लेकिन भारतीय जनता पार्टी या उससे पहले के जो इनके अवतार रहे, उनकी एक पद्धति है, उनका एक तरीका है कि वो भावनात्मक स्तर पर हम सबको व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं, अलग-अलग भावनाओं का इस्तेमाल करते हैं कि समाज हमेशा भावनात्मक स्तर पर व्यस्त रहे, जूझता रहे, संघर्ष करता रहे, परेशान रहे और ये सत्ता में हो या विपक्ष में हो, ये भावनाओं पर खेलते हैं। भावनाएं कौन – कौन सी हैं – नफरत, भय। अलग-अलग भावनाएं अलग-अलग तरीके से बार-बार, नए-नए विवाद पैदा करेंगे, ताकि हम, समाज आपस में, समूह एक – दूसरे से नफरत करते रहें, डरते रहें, डराते रहें और जब ये सत्ता में होते हैं, तो ये और काम आती है ये पद्धति इनकी, क्योंकि फिर से जो इनकी विफलताएं हैं, उस पर चर्चा नहीं हो। उसकी तरफ लोगों का ध्यान नहीं जाए, क्योंकि नए-नए विवाद होंगे तो लोग व्यस्त रहेंगे। ये अगर आप विश्लेषण करेंगे, तो आपको बड़ा स्पष्ट तौर पर दिखेगा, जिस तरह से जिसको अंग्रेजी में कहते हैं – manufacturing controversy. कैसे ये manufacture करते हैं controversy को और कुछ हद तक, कुछ समय तक सफल होते हुए दिखते हैं।
लेकिन एक भावना ऐसी है, यह भी इन्हीं की देन है, जब ये भावनात्मक स्तर पर बात करते हैं, तो चलिए हम भी भावनाओं की ही बात कर लें। और वो भावना है, suffering, वो किसान सफर (suffer) कर रहा है, परेशान हो रहा है, बेरोजगार नौजवान परेशान हो रहा है, मिडिल क्लास परेशान हो रही है, पेट्रोल-डीजल खरीदने के वक्त मैं और आप जब पेट्रोल स्टेशन पर खड़े होते हैं और जेब में से कार्ड निकाल कर देते हैं, तो वो परेशानी तब आती है, कीमत बढ़ी हुई दिखती है और मोदी जी का मुस्कुराता हुआ चेहरा भी सामने दिखता है। वो भी एक भावना है। वो एक ऐसी भावना है जो हम सबको एक कर रही है। ये जिन भावनाओं पर खेलते हैं, हमारे में विभाजन पैदा करते हैं, हमें बांटने की कोशिश करते हैं, लेकिन suffering is an emotion which unites us all, whether we are farmers, whether we are middle class, whether we are unemployed youth, whether we are Government employees, पिछले 6 साल और 8 महीने, अभी नौंवा महीना चल रहा है इस सरकार को, 6 साल, 9 महीने मान लेते हैं। 6 साल, 9 महीने में 20 लाख करोड़ से ऊपर यह सरकार, कुछ लोग कहेंगे कमा चुकी है, कुछ लोग कहेंगे लूट चुकी है, एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल और डीजल पर लगा-लगा कर। 20 लाख करोड़ से ज्यादा ये अर्जित कर चुके हैं।
मई, 2014 में जब डॉ. मनमोहन सिंह जी की यूपीए सरकार चुनाव हारी, तब अंतरार्ष्ट्रीय मूल्य क्रूड ऑयल का 108 डॉलर प्रति बैरल था, तब पेट्रोल की कीमत, दिल्ली की बात कर लेते हैं। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71 रुपए 51 पैसे प्रति लीटर थी और डीजल की कीमत 57 रुपए 28 पैसे प्रति लीटर थी। याद रखिए क्रूड ऑयल की कीमत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 108 डॉलर प्रति बैरल जब थी, तब पेट्रोल 71 रुपए 51 पैसे प्रति लीटर पर दिल्ली में बिकता था और डीजल 57 रुपए 28 पैसे प्रति लीटर दिल्ली में बिकता था। फरवरी 1, 2021 पर आ जाते हैं अब। जब अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 54 डॉलर 41 सेंट है, आधा और दिल्ली में पेट्रोल आज 89 रुपए 29 पैसे प्रति लीटर मिल रहा है। 90 रुपए प्रति लीटर से थोड़ा सा कम और डीजल 79 रुपए 70 पैसे, 80 रुपए से थोड़ा सा कम। अंतर्राष्ट्रीय मूल्य आधे हो गए, पेट्रोल और डीजल की कीमत इतनी बढ़ गई, बेहताशा बढ़ गई। पिछले 46 दिनों में 19 बार बढ़ी। पिछले 6 साल, 8 महीने में जो मोदी टैक्स, जिसको मैं कहना चाहूंगा, जो एडिशनल एक्साइज केन्द्र सरकार ने लगाई पेट्रोल और डीजल पर। पेट्रोल पर 23 रुपए 78 पैसे प्रति लीटर बढ़ी और डीजल पर 28 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर बढ़ी। ये मोदी टैक्स है। मतलब डीजल पर 820 प्रतिशत और पेट्रोल पर 258 प्रतिशत। ये चौंका देना वाला आंकड़ा है।
अब आपको समझ में आ रहा होगा कि ये रोज, हर 10 दिन में, हर 15 दिन में नई-नई भावनाओं को लेकर, नए-नए विवादों को लेकर आपके सामने क्यों आते हैं, क्योंकि वो नहीं चाहते कि हम और असली मुद्दों की चर्चा करें, वो नहीं चाहते कि आप भौचक्के रह जाएं, हैरान रह जाएं, सच्चाई को देखकर। 820 प्रतिशत आपने डीजल पर मोदी टैक्स बढ़ाया। 258 प्रतिशत पेट्रोल पर आपने मोदी टैक्स बढ़ाया। अंतर्राष्ट्रीय मूल्य आधा हो गया, आप देखिए, आपकी और मेरी जेब से पेट्रोल और डीजल के ज्यादा पैसे जब हम देते हैं, तो उसमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरा मजहब क्या है, मेरी जाति क्या है, मेरी भाषा क्या है, मेरै जेंडर क्या है, मैं गांव से आता हूं या मैं शहर से आता हूं। हम सब ये सफरिंग, परेशानी हम सबके लिए है। इसलिए मैं कहता हूं कि ये एक ऐसी भावना है, जो हम सबको एक कर देती है। तो 20 लाख करोड़, पहले भी इस मंच से मेरे वरिष्ठ सहयोगी अजय माकन जी ने पूछा था कि ये 20 लाख करोड़ गया कहाँ? इसका प्रभाव किसी भी क्षेत्र में, एमएसएमई में, कृषि सेक्टर में, रक्षा क्षेत्र में, कहीं दिखता हो तो बताईए? मेरी और आपकी जेब से पैसा ज्यादा जा रहा है। मेरी और आपकी जेब में पैसा कम आ रहा है और चारों तरफ, जो सरकार जहाँ दिखती है, वहाँ सरकार का एक भयावह रुप तो दिखता है, लेकिन सरकार कुछ अच्छा करते हुए किसी के लिए नहीं दिख रही। क्या इसको हम आपराधिक षडयंत्र कहें सरकार का कि सिर्फ कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए आप सरकार में आए हैं, उनके आप लिए काम कर रहे हैं? आपको कोई और चिंता नहीं है, ना किसान की, ना नौजवान की, ना सरहद पर जवान की, ना महिला सुरक्षा के विषय में आप चिंतित दिख रहे हो। आप कहीं भी, कोई भी आपके माथे पर चिंता की लकीरें नहीं दिख रही। आखिर ऐसा क्यों है? हम यह मांग करते हैं कि ये जो मोदी टैक्स है, जो एक्साइज ड्यूटी आपने बढ़ाई है पिछले 6 साल, 8 महीने में, कम से कम आप उसको वापस कर लीजिए। उसको अगर आप वापस करेंगे, तो आज की तारीख में दिल्ली में पेट्रोल 61 रुपए 92 पैसे प्रति लीटर पर आ जाएगा। आज की तारीख में दिल्ली में डीजल 47 रुपए 51 पैसे प्रति लीटर पर आ जाएगा। क्या ये राहत हर व्यक्ति को, हर हिंदुस्तानी को नहीं देनी चाहिए? आप भावनाओं का जो ये खेल खेलते हैं, हम इसमें शामिल नहीं होना चाहते हैं, शामिल होने से हम इंकार करते हैं, हिंदुस्तान उसमें शामिल नहीं होगा, हिंदुस्तान इसको रिजेक्ट करता है। ये जो आप रोज नए विवाद पैदा करते हैं, इन विवादों से हिंदुस्तान का, एक-एक हिंदुस्तानी का कोई लेना –देना नहीं। आईए मूल बात करें, असली मुद्दों पर बात करें। असली मुद्दा है, मेरी जेब से मैं पेट्रोल और डीजल के पैसे ज्यादा क्यों दे रहा हूं? कल मेरी एक सहयोगी ने एलपीजी के विषय पर भी बात की। ये तमाम मुद्दे ऐसे हैं, जो हमारी घर की व्यवस्था, अर्थव्यवस्था को चौपट कर रहे हैं। हर हिंदुस्तानी ये मांग करता है, ये हमारा हक है, ये राहत हमारा हक है। सरकार साबित करे, ये राहत हमें देकर कि ये सरकार हम सबके लिए है, हर हिंदुस्तानी के लिए है, केवल हम दो और हमारे दो के लिए नहीं है।