अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार षड़यंत्रकारी तरीके से न्याय मांग रहे देश के अन्नदाता को थकाने और झुकाने की साजिश पर काम कर रही है। काले कानून खत्म करने की बजाए, 40 दिनों से मीटिंग-मीटिंग खेल रही है तथा किसानों को तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख दे रही है। 73 साल के देश के इतिहास में ऐसी निर्दयी, जुल्मी और निष्ठुर सरकार शायद कभी नहीं बनी, जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी और देश की एक अंग्रेज सरकार को भी पीछे छोड़ दिया।40 दिन से अधिक से लाखों अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं। हाड़ कंपकंपाती सर्दी, बारीश और ओलों के बीच 60 से अधिक अन्नदाताओं ने दम तोड़ दिया। देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी के मुँह से आज तक देश पर कुर्बान होने वाले उन 60 किसानों के लिए सांत्वना का एक शब्द भी नहीं निकला। साफ है कि प्रधानमंत्री,नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार 60 किसानों की कुर्बानी के लिए, मौत के लिए सीधी-सीधी जिम्मेवार है। ये लड़ाई किसानों की आजीविका और मोदी सरकार की अवसरवादिता के बीच की है। ये लड़ाई किसानों की खुद्दारी और मोदी सरकार की खुदगर्जी के बीच है। ये लड़ाई किसानों की बेबसी और मोदी सरकार की बर्बरता के बीच है। ये लड़ाई सत्ता के सिंहासन पर मदमस्त सरकार और न्याय मांगते सड़कों पर बैठे हुए देश के किसानों के बीच है और ये लड़ाई दीया और तूफान के बीच है। किसान देश की उम्मीदों का दीप है और सरकार मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हित साधने के लिए, मुट्ठीभर पूंजीपतियों की ड्योढ़ी पर बिकी हुई सरकार इस देश का सब कुछ तबाह कर देने वाला तूफान है।
कमाल ये भी है कि 73 साल में पहली बार देश में ऐसी सरकार है, जो अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ाकर किसानों से कहती है, तुम सुप्रीम कोर्ट चले जाओ। सरकार को जनता ने चुना है, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं। किसानों ने चुना है, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं। फिर उसी जनता और अन्नदाता को सरकार कहीं और क्यों भेजना चाहती है? क्या मोदी जी जवाब देंगे? ये तीनों विवादास्पद काले कृषि कानून सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बनाए, जबरन प्रजातंत्र का अपहरण कर देश की संसद में मोदी सरकार ने बनाए हैं। किस तरह बनाए, क्यों बनाए, किसके लिए बनाए, पूरे देश ने देखा और पूरा देश जानता है। फिर सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला क्यों झाड़ रही है, टल क्यों रही है? नीतिगत फैसले लेने के लिए मोदी सरकार जवाबदेह है, ना कि सुप्रीम कोर्ट।
भारतीय संविधान ने भी ये जिम्मेदारी कोर्ट को नहीं दी, ये कानून बनाने की जिम्मेदारी और खत्म करने की जिम्मेदारी देश की संसद को दी है और मोदी जी अगर आप कानून बनाने और खत्म करने में अक्षम हैं, तो आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से हम कहते हैं कि इस्तीफा देकर घर चले जाईए, आपको एक क्षण भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं बचा। इसलिए कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ये निर्णय किया है कि किसानों के समर्थन में 15 जनवरी को हर प्रांतीय हैडक्वार्टर पर कांग्रेस पार्टी ‘किसान अधिकार दिवस’ के रुप में एक जन आंदोलन तैयार करेगी। धरना प्रदर्शन और रैली के बाद, राजभवन तक मार्च कर हर स्टेट हैडक्वार्टर में कांग्रेस और किसान देश की अहंकारी सरकार को न्याय की गुहार लगाएंगे कि तीनों काले कानून खत्म करो, केवल एक मांग है।समय आ गया है कि मोदी सरकार देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझ ले, क्योंकि अब देश का किसान इन काले कानूनों को खत्म करवाने के लिए ‘करो और मरो’ की राह पर चल पड़ा है। एक प्रश्न के उत्तर में रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आज संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल जी के नेतृत्व में सभी महासचिवगणों और प्रदेश के प्रभारियों की बैठक हुई। उसमें मोदी सरकार की निर्दयता, निर्ममता और निष्ठुरता को देखते हुए और कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी के दिशा निर्देश के अनुरुप एक स्वर से एक सहमति से ये निर्णय लिया गया कि देश के किसान के साथ कांग्रेस को मजबूती से खड़ा होना होगा। देश का एक-एक नागरिक 130 करोड़ नागरिक इस बात के लिए बाध्य हैं, उनका कर्तव्य है कि वो देश के किसानों के साथ खड़े हो जाएं और इसलिए निर्णय किया है कि एक जन आंदोलन, प्रदेश स्तरीय जन आंदोलन, हर प्रदेश हैड क्वार्टर पर किया जाएगा, जिसे किसान अधिकार दिवस 15 जनवरी को हमने नाम दिया है, ताकि 10 -11 और 12 बजे ये आंदोलन होगा, वार्ता से पहले, पूरे देश से जो एक बलबला आएगा, 15 जनवरी को जब सरकार किसानों से वार्ता करे तो ये जान ले कि पूरे देश ने अंगडाई और करवट ली है और किसानों की बात सुननी पड़ेगी, उसके बाद राज भवन तक मार्च कर केन्द्र सरकार को ये संदेश दिया जाएगा कि इन तीनों काले कानूनों को खत्म किया जाए।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि जब सत्ता का अहंकार सिर चढ़कर बोले, जब चुने हुए प्रतिनिधि अपने आप को सम्राट और राजा मानने लगें, जब हर नागरिक के अधिकारों को कुचला जाए, वो किसान हों, जवान हों, नौजवान हों, छोटा दुकानदार हो, छोटा व्यापारी हो, उद्यमी हो, तो फिर ऐसी सरकार के खिलाफ जन आंदोलन तैयार करना विपक्षी दलों और देश के नागरिकों का कर्तव्य हो जाता है, क्योंकि मोदी सरकार वोट की ताकत से चुनी जरुर गई, परंतु लगभग पिछले एक वर्ष के अंदर मोदी सरकार ने सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है। ऐसी सरकार क्या आपने सुना है, 73 वर्षों में कोई ऐसी सरकार हो जो ये कहे कि हमसे हल नहीं होता, किसानों तुम सुप्रीम कोर्ट चले जाओ। सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगी अब? सुप्रीम कोर्ट ने बनाए थे ये तीनों काले कानून? सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है कानून बनाने का? कानून बनाने का अधिकार संसद को है, जहाँ जनमत का अपहरण कर, चीर हरण कर ये काले कानून बनाए गए थे और इसलिए मोदी सरकार को अपना अहंकार त्याग, पूंजीपतियों की डयोढ़ी पर चंद सिक्कों की खनक में बिकी हुई मोदी सरकार को अपना अहंकार त्याग, अब किसान की पुकार को सुनना चाहिए और काले कानून खत्म करने चाहिए। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि अहंकार से चूर मोदी सरकार मीटिंग-मीटिंग खेल रही है। किसानों को तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख दे रही है। किसान फिर भी न्याय की गुहार, देश की सरकार से न लगाए तो किसान कहाँ जाएगा आप बताइए? इसलिए मैंने कहा- ये लड़ाई किसान की आजीविका और सरकार की अवसरवादिता के बीच है। ये लड़ाई किसान की खुद्दारी और मोदी सरकार की खुदगर्जी के बीच है। ये लड़ाई देश का पेट पालने वाले और उसका बेटा जो देश के जवान के तौर पर देश की रक्षा करता है, आज न्याय की गुहार मांग रहा है, किसान की बेबसी और मोदी सरकार की बर्बरता के बीच है, इसलिए मोदी जी, तारीखें देना बंद करिए और काले कानून खत्म करिए। सच्चाई यही है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि देश का दुर्भाग्य यह है कि देश के प्रधानमंत्री के पास तो 60 अन्नदाता मर गए, दम तोड़ गए, हाड़ कंपकंपाती सर्दी में, बारिश में, ओलो में, देश की राजधानी की सीमा पर वो बैठे हैं पर मोदी जी ने आज तक सांत्वना का एक शब्द न उन किसानों के प्रति और न उन मरहूम कुर्बान हुए किसानों के परिवारों के प्रति कहा, इससे ज्यादा शर्मनाक बात देश के प्रधानमंत्री के लिए शायद कोई नहीं हो सकती।