नई दिल्ली / अजीत सिन्हा
कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब लोगों को मेरा नमस्कार और आशा करती हूं आप सब लोग सुरक्षित और सकुशल होंगे। इस मंच से कई बार हम लोगों ने महंगाई की बात की है और ये सच है कि जब महंगाई का नाम लीजिए, तो पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस पर आकर बातें रुक जाती हैं। हाहाकार उस पर मच जाता है, हजार रुपए का रसोई गैस है, 100 के पार पेट्रोल है, 90 का आंकड़ा डीजल क्रॉस किए हुए है कई जगहों पर, तो हाहाकार उस पर मचता है और इस मंच के माध्यम से भी हम लोगों ने कई बार सोती हुई सरकार को जगाने का प्रयास किया है।
लेकिन वस्तुत: स्थिति जो है, वो और भी शर्मनाक है और समझ में नहीं आता ये सरकार ऐसा क्यों कर रही है। अमृत काल कहा जाता है बार-बार, मोदी जी या उनके मंत्रियों से जब बात करिए तो वो कहते हैं अमृत काल है। ऐसा गजब अमृतकाल आया है और आंकड़े आपको बताते हैं कि 2014 से लेकर 2022, आज जब हम बात कर रहे हैं, तो पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दाम तो बढ़े ही हैं और प्रायः इस पर ही वाद-विवाद शुरु हो जाता है।
दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं आटे के, चायपत्ती के, सब्जियों के, खाने के तेल के, दूध के और एक बेस इयर कंपेरिजन होता है, जो अभी कंज्यूमर प्राइस इन्फ्लेशन हम लोग जो ट्रैक करते हैं रिटेल इन्फ्लेशन, खुदरा इन्फ्लेशन, जिसकी दर 6.95 प्रतिशत है अभी। उसका बेस इयर से अगर हम कंपेरिजन देखें, तो जनवरी, 2014 से मार्च के अंत 2022 में, परसेंटेज वाइज जिन चीजों का का दाम बढ़ा है, उसमें 299 चीजों की एक लिस्ट होती है सीपीआई में। उसमें से 235 चीजों का दाम, करीब-करीब 80 प्रतिशत चीजों का दाम पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा बढ़ा है, 2014 से लेकर 2022 तक और एक विडंबना ये है कि हम आशा करते हैं कि कभी क्रूड गिरेगा, जब गिरता भी है, चुनाव आएंगे, तो पेट्रोल का दाम बढ़ना बंद हो जाता है।
पेट्रोल का दाम सरकार के हाथों में लगातार रहता है, जब चाहते हैं बढ़ाते हैं, जब चाहते हैं घटाते हैं, तो एक आशा कहीं ना कहीं रहती है कि चलो जब चुनाव आएगा तो पेट्रोल का दाम नहीं बढ़ेगा। लेकिन जिन चीजों के बारे में हम आज बात करने जा रहे हैं, उनके दाम लगातार बढ़ रहे हैं और वो इस तरह से बढ़ रहे हैं कि वो घटेंगे नहीं। उसकी जो रेट है, जो बढ़ने की दर है, वो एक ही तरफ है और वो ऊपर की ओर है और इसलिए शायद आंकड़ों के मुताबिक घर चलाने का खर्चा पिछले दो साल में ही, हम तो आपके सामने आठ साल के आंकड़े लेकर आए हैं, लेकिन पिछले दो साल में ही घर चलाने का खर्चा करीब 44 प्रतिशत बढ़ गया है। ये हम आपके साथ शेयर करेंगे, इसमें सारा डेटा है। इन्फ्लेशन रेट जनवरी, 2014 से लेकर मार्च, 2022 तक और ये बेस इयर पर कंपेरिजन है। आप मुर्गा-मछली का दाम देखिए, वो तो 95 प्रतिशत, 57 प्रतिशत बढ़ा है। पेट्रोल उसके मुकाबले 31.3 प्रतिशत बढ़ा है। दूध लगभग 40 प्रतिशत बढ़ा है, पेट्रोल से ज्यादा। घी करीब 38 प्रतिशत बढ़ा है, पेट्रोल से ज्यादा। गेहूं और आटा 27 प्रतिशत बढ़ा है, जो हर घर में खाया जाता है। सरसों के तेल में करीब 96 प्रतिशत की बढ़त आई है। रिफाइंड ऑयल में लगभग 90 प्रतिशत बढ़त हुई है। मूंगफली का तेल जिसे ग्राउंड नट ऑयल कहते हैं, करीब 48 प्रतिशत बढ़त। आपको दाल जैसे अरहर और तूर दाल में और मूंग दाल, जो मुझे तो ऐसा लगता है खिचड़ी और ज्यादा बीमारी में खाई जाती है, उसमें 32 प्रतिशत बढ़त हुई है। ये भी पेट्रोल के पर्सेंटेज बढ़त से ज्यादा है। सब्जियों के दाम में आग लगी हुई है। प्याज में 8 सालों में 68 प्रतिशत वृद्धि हुई है। बैंगन जैसी सब्जी में, जिससे बच्चे जरुर नाक सिकोड़ते होंगे, लेकिन सच ये है कि बैंगन में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अन्य सब्जियां 51 प्रतिशत बढ़ी है। पालक और बाकी साग- सब्जी 41 प्रतिशत, ये भी पेट्रोल के 31.23 प्रतिशत बढ़त से ज्यादा है। अस्पताल में इलाज का खर्चा 71.6 प्रतिशत बढ़ा है पिछले 8 सालों में। दवाइयों में लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बाहर से अगर आप खाना खाते हैं, ठेले पर, खोमचे पर, होटल में करीब 55 प्रतिशत बढ़ा है। बस का किराया करीब 54 प्रतिशत बढ़ा है। ट्यूशन फीस, सबको पता है कि महामारी के दौरान और आर्थिक मंदी के चलते सबसे ज्यादा मुश्किल मध्यम वर्ग परिवारों को बच्चों का ट्यूशन फीस देने में हुई, वो 51 प्रतिशत बढ़ी है। घर का किराया 46 प्रतिशत बढ़ा है और ये सारी चीजें में फिर से, दोबारा से कहूंगी, पेट्रोल 31.3 प्रतिशत।
तो सिर्फ महंगाई से ही लोगों को त्रस्त नहीं किया जा रहा है। जो थोड़ी बहुत जमा पूंजी आपकी बैंक में है, एफडी में, उसमें भी डाका डाला जा रहा है और आपके सिर के ऊपर कर्जे का भी बोझ बढ़ रहा है। ये सच है कि भारत की वित्त मंत्री ने जो अभी थोड़े दिन पहले आंकड़े रिलीज किए थे, दिसंबर, 2021 की तिमाही में, हमारा जो एक्सटर्नल डैट है, वो 46 लाख करोड़ के पार है। तो मोटे तौर पर बुजुर्ग तो छोड़ दीजिए, आज इस देश का नवजात शिशु भी अपने सिर पर 46 हजार रुपए का कर्जा लेकर पैदा होता है।तो अंत में सिर्फ एक ही बात कहनी है कि दो या तीन ज्वलंत सवाल हैं, क्योंकि बार-बार पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की बात होती है, जो हर घर में इस्तेमाल होता है, लेकिन सवाल ये है कि जब इस देश की 84 प्रतिशत आबादी की आय घटी है, जब इस देश के सबसे गरीब 15 करोड़ परिवारों की आय आधी हुई है, तो ये सरकार महंगाई को खत्म करने के लिए, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए क्या कारगर कदम उठा रही है?
दूसरा सवाल, सरकार के तमाम मंत्रियों और प्रधानमंत्री से है कि क्या उनको इस बात का इल्म है, क्या उनको इस बात की जानकारी है कि महंगाई के ही चलते भारत में कुपोषण और भुखमरी, दोनों के केस बढ़ रहे हैं। कुपोषण का इंडेक्स सरकार खुद जारी करके बताती है कि लोगों मैं कैसे कुपोषण बढ़ रहा है और हंगर इंडेक्स में लगातार भारत का गिरना; नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान तक के नीचे होना इसका सबूत है।कुछ चीजों का दाम आपके सामने जरुर कोट करना चाहती हूं, जो आटा 10 रुपए पर मिलता था, 20 रुपए पर मिलता था, आज वो 30 रुपए प्रति किलो है। पकौड़े तलने वाला तेल 240 रुपए प्रति लीटर है। दूध का दाम अभी-अभी बढ़ा है, मदर डेयरी का एक लीटर का दूध 60 रुपए प्रति लीटर है और ये सारी वो चीजें हैं और मैंने जानबूझकर इन तीन चीजों को लिया है, क्य़ोंकि ये हर घर में, मध्यम वर्ग में, निम्न मध्यम वर्ग में, गरीबों क्या, अमीरों क्या, सबके यहाँ इस्तेमाल होती हैं। तो आखिर सरकार के पास इससे जूझने की, इनको कम करने की क्या रणनीति है?तो हमारा अपना मानना है और ये दो बड़ी मांगे हमारी हैं कि बिना वक्त बर्बाद किए, बिना वक्त जाया किए सरकार बेलगाम दामों पर रोक लगाए, ठोस कदम उठाए और शुरुआत जो है वो पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस से की जा सकती है क्योंकि ये सच है कि इन सब चीजों का, जिनका हमने जिक्र किया, बड़े कारण पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस है। डीजल मेन ट्रांसपोर्ट फ्यूल होता है, उसके बढ़ने से ही ज्यादातर चीजों के दाम बढ़ते हैं।हमारी ये भी मांग है कि सरकार जो लगातार इस मुद्दे से बच रही है और ध्यान भटकाने का काम कर रही है, अब वक्त आ गया है कि इकॉनमी पर और उससे ज्यादा जरुरी है महंगाई पर एक श्वेत पत्र, एक वाइट पेपर प्रस्तुत करे और लोगों को बताए कि उसके पास क्या रणनीति है, जिससे दामों में रोक लगाई जा सकती है, क्योंकि ये सच है कि महंगाई एक तरफ है और रोजगार का ना होना, घटती आय होने से ये महंगाई और भी ज्यादा कमर तोड़ रही है।