अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- रियल जीडीपी बढ़ नहीं रही और दूसरी जीडीपी गैस-डीजल-पेट्रोल कम नहीं हो रही है। Petrol-diesel crisis are regulated by election dates, not on global rates. पेट्रोल डीजल और गैस की प्राईसेस हमारे देश में निर्धारित होती है, इलेक्शन डेट्स से, जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनकी कीमतें हैं, जो उनकी ग्लोबल रेट्रस हैं, उनका कोई फर्क नहीं पड़ता। साथियों, मैं आज कुछ आंकड़े लेकर आपके सामने इसी मुद्दे पर उपस्थित हुआ हूँ और सारे आंकड़े भारत सरकार की जो पीपीएसी है, पीपीएसी गवर्मेंट ऑफ इंडिया, जहाँ पर पेट्रोल, डीजल, गैस के सारे आंकड़े दिए जाते हैं, वहाँ से सारे आंकड़े लाया हूँ।
साथियों, जून 2022 से लेकर सितम्बर 8, 2022 तक, ये जून से लेकर सितम्बर, मतलब 3 महीने, 3 महीने में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई 24.14 प्रतिशत। जो जून, 2014 में 116 डॉलर प्रति बैरल था, वो 8 सितम्बर को 88 डॉलर प्रति बैरल है और ये मैं भारत सरकार जिस कीमत पर पेट्रोल खरीद रही है, कच्चा तेल, उसका आंकड़ा दे रहा हूँ, आपके सामने। तो जून से लेकर सितम्बर तक, 24.14 प्रतिशत कच्चे तेल की कीमत में कमी आई है और पिछले 3 महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आई 0 प्रतिशत। आप जस्ट एज्यूम कीजिए कि ये 24.14 प्रतिशत की कमी की जगह अगर बढ़ोतरी हो जाती, तो सरकार बोलती, आज मध्य रात्रि 12 बजे से, वो वाला स्टेटमेंट; जब कमी होती है, कच्चे तेल की कीमतों में, तो वो स्टेटमेंट सरकार के मुख से क्यों नहीं सुनाई देता?
साथियों, मैं यहाँ पर ये बात भी आपको बताना चाहूँगा कि जब मई, 2014 में कच्चे तेल की कीमत 106.49 डॉलर प्रति बैरल थी, उस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 71 रुपए और डीजल की कीमत 55 रुपए प्रति लीटर थी और आज जब कच्चे तेल की कीमत 88 डॉलर प्रति बैरल है और मैं सितम्बर 8 का भारत सरकार द्वारा जारी किया गया आंकड़ा प्रस्तुत कर रहा हूँ, उस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत सौ के आस-पास और डीजल की कीमत 90 के आस-पास चल रही थी। ऐसा क्यों मोदी जी?
ध्यान रहे, पेट्रोल और डीजल की 50 प्रतिशत जो कॉस्ट है, वो कच्चे तेल की कीमत है और 50 प्रतिशत सरकार टैक्स लगाती है। तो अगर हम उसे 50 प्रतिशत मान लेते हैं कि सौ रुपए पेट्रोल के भाव हैं, तो लगभग 50 रुपए कच्चे तेल की कीमत है और कच्चे तेल में 24.16 प्रतिशत की कमी आई, अर्थात् अगर वो कमी ही सिर्फ लोगों को दे दी जाए, तो पेट्रोल के दाम 12.50 से 15 रुपए प्रति लीटर तक कम हो जाएंगे। वो कच्चे तेल की कीमत की कमी ही किसानों को दे दी जाए, तो डीजल के दाम 12.5 से लेकर 17 रुपए प्रति लीटर के आस-पास कम हो जाएंगे। पर जब भाव बढ़ते हैं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तो मोदी सरकार एक घंटे की भी देरी नहीं करती। उसी रात से चालू हो जाते हैं, पर जब भाव घट रहे हैं, तो देश के लोगों को इस घटत का प्रभाव या बेनेफिट क्यों नहीं मिल रहा? न तो रियल जीडीपी बढ़ रही है और न ही दूसरी जीडीपी घट रही है। दूसरी जीडीपी मतलब, जी मतलब- गैस, डी मतलब- डीजल, पी मतलब- पेट्रोल।
इस बावत हमारी एक मांग है-
मोदी जी आपसे ये अपेक्षा करना कि आप पेट्रोल और डीजल में टैक्सेस कम करोगे, अब देश ने बंद कर दिया, क्योंकि आप नहीं करते हो, आप तो टैक्स की लूट जारी रखते हो, पर मोदी जी ये कच्चे तेल की कीमत में जो कमी हुई है, 24.14 प्रतिशत पिछले तीन महीनों में, इस कमी का बेनेफिट तो लोगों को दे दीजिए। इस कमी के बेनेफिट के लिए हम मांग करते हैं कि इमीजिएटली 15 रुपए प्रति लीटर डीजल और 15 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल के दाम कम किए जाएं और ये कमी कोई एहसान नहीं कर रहे हो, मोदी जी। ये तो कच्चे तेल की कीमत में जो कमी है, उसका बेनेफिट लोगों को दे रहे हो।
साथियों, यहाँ पर मैं गैस का आंकड़ा भी लेकर आया हूँ, क्योंकि अभी तक पेट्रोल-डीजल की बात की। गैस में और ये भी आंकड़ा मैं लाया हूँ, जो एलपीजी प्राईस प्रति मीट्रिक टन डॉलर में, 2022 में जून में 750 डॉलर प्रति मीट्रिक टन गैस बिक रही थी और आज सितम्बर में इसके भाव हैं, 650 डॉलर प्रति मीट्रिक टन। मतलब, पिछले 3 महीने में गैस की कीमतों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कमी आई, 13.33 प्रतिशत और मोदी जी ने क्या गैस सिलेंडर के दाम कम किए? क्या उस पर बात भी की?
इसलिए हमारी मांग है कि जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जो गैस की कीमतें घट रही हैं, उसका प्रभाव, उसका इंपैक्ट, उसका बेनेफिट देश की गृहणियों को क्यों नहीं मिल रहा है? क्यों 150 रुपए प्रति सिलेंडर कम नहीं किए जा रहे, क्योंकि 13.33 प्रतिशत अगर गैस की कीमतें कम होती हैं, तो गैस सिलेंडर के दाम लगभग 150 रुपए प्रति गैस सिलेंडर कम हो जाते हैं। तो हमारी मांग है कि पेट्रोल और डीजल में 15 रुपए की कमी की जाए क्योंकि ये कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। हम आपसे करों की छूट भी नहीं मांग रहे। हम तो वो छूट मांग रहे हैं, जो हमें मिलनी चाहिए। मोदी जी आप कहा करते थे कि मेरा सौभाग्य है कि कच्चे तेल की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। अरे जब घट रही हैं, तो आपका सौभाग्य देश के लोगों पर दुर्भाग्य बनकर क्यों टूट रहा है? क्यों जब कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम नहीं हो रही?
इस बावत हमारे तीन स्पेसिफिक सवाल हैं-
1. जब कच्चे तेल की कीमत पिछले 7 महीनों के निम्नतम स्तर पर है और इंफ्लेशन लगातार पिछले 7 महीनों में आरबीआई की अपर लिमिट 6 प्रतिशत से ज्यादा है, तो उस दौरान कच्चे तेल की कीमत में जो घटत हुई है, जो डिप आई है, उसका बेनेफिट देश के लोगों को क्यों नहीं मिल रहा है, इसका हमें जवाब चाहिए मोदी जी?
2. हमारे देश में पेट्रोल और डीजल की प्राईस सिर्फ इलेक्शन डेट से ही निर्धारित होती है, ग्लोबल रेट से नहीं होती है क्या? क्योंकि हमने तो आपको डायनामिक प्राइसिंग बनाकर दिया था, जहाँ पर कच्चे तेल की कीमत का इंपैक्ट पट्रोल और डीजल की कीमत पर पड़ना चाहिए। तो जब डायनामिक प्राइसिंग है देश में, तो लोगों को इसका बेनेफिट क्यों नहीं मिल रहा है?
3. क्यों माताओं-बहनों और देश की गृहणियों को जब गैस सिलेंडर के दाम पिछले तीन महीनों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 13.33 प्रतिशत कम हुए हैं, क्यों हमारे देश में आज भी सिलेंडर 1,053 से लेकर 1,200 रुपए के बीच बिक रहा है? क्यों हम 13.33 प्रतिशत उसका कम नहीं कर सकते? अर्थात् इमिजिएयटली हमारी मांग है कि 150 रुपए प्रति गैस सिलेंडर और 15 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और 15 रुपए प्रति लीटर डीजल तुरंत प्रभाव से कम किए जाएं और ये कोई एहसान नहीं है, ये सिर्फ जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों में जो कमी आई है, उसका बेनेफिट हम मांग रहे हैं। क्यों आप उस बेनेफिट को लोगों में डिस्ट्रीब्यूट नहीं करना चाहते, देश के लोगों में डिस्ट्रीब्यूट नहीं करना चाहते? जब 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं, जब इंफ्लेशन लगातार पिछले 7 महीनों से आरबीआई की अपर रेंज से ज्यादा चल रहा है, उस समय भी आप कच्चे तेल की कमी का इंपैक्ट लोगों को नहीं देना चाहते, ऐसी देश के लोगों से, मध्यम आय वर्गीय परिवारों से, निम्न आय वर्गीय परिवारों से मोदी जी आपकी इतनी दुश्मनी क्यों है, कि आप जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम भी हो रही हैं, उसका बेनेफिट मध्यम आय वर्गीय परिवार और निम्न आय वर्गीय परिवारों को नहीं देना चाहते?