अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जय प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मैं आप सबका बहुत-बहुत स्वागत करता हूं और एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, कांग्रेस की तरफ से बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन जिनके खिलाफ हम ये उठा रहे हैं, उनके लिए शायद ये रोजमर्रा का काम है, वो है भ्रष्टाचार। कर्नाटका में हमने एक स्लोगन दिया था 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार और उसी तरह का एक घोटाला मध्य प्रदेश में सामने आया है और वो भी महाकाल के मंदिर में, उज्जैन का जो महाकाल का मंदिर है, जिसकी बहुत पुरानी, पुराणों वाली मान्यता है, बहुत बड़ा तीर्थ स्थल है और उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योर्तिलिंगो में से एक है और बहुत धार्मिक भावना के साथ लोग वहां दर्शन करने जाते हैं और वैसे नहीं भी जाते तो भी वो एक जुड़ाव है धार्मिक भावना का। अगर वहां पर कोई भ्रष्टाचार होता है तो उसके दिल में पीड़ा होती है।
अपने लूट, खसोट और बेईमानी को अंजाम देने के लिए इन्होंने महाकाल के पवित्र धार्मिक स्थल को भी नहीं छोड़ा, शायद धर्म के नाम पर की गई इससे बड़ी लूट नहीं हो सकती, आप कितनी बेईमानी कर रहे हैं, कितनी बार आपके घोटाले पकड़े जाते हैं, पूरा चुनाव कर्नाटका का 40 परसेंट कमीशन वाली सरकार के नाम पर लड़ा गया, ये तो 100 फीसदी बेईमानी वाली सरकार के अंतर्गत ये सारा घोटाला हुआ है, जिसके कुछ बिंदु मैं आपके सामने अभी रखना चाहता हूं।हम हमेशा कहते हैं कि प्रशासन चलाते हैं, लेकिन उसमें भी इनकी नीयत साफ नहीं होती कहीं 40 परसेंट तो कहीं 50 परसेंट कमीशन की सरकारों के नाम से जाने जाते हैं, धर्म के नाम पर की गई ये लूट, लोकायुक्त के द्वारा जब कुछ पहलुओं को चिन्हित किया गया तो पूरी सरकार उनको बचाने में लग गई और उस इंक्वायरी को बंद कर दिया, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।जिस मंदिर में प्रधानमंत्री गए, इतना बड़ा शोर मचा सारी दुनिया के सामने टेलीविजन के द्वारा, वो सारा मामला रखा गया, प्रधानमंत्री की यात्रा दिखाई गई, लेकिन वहां पर जो मूर्तियां लगीं उसमें भी बेईमानी करने की नीयत रही इनकी, उसमें भी घोटाला करने की नीयत रही, उसमें पैसे खाने की नीयत रही और करोड़ों रुपए की वो मूर्तियां एक जरा सी हवा में धाराशाई हो गईं, वो टूट गईं, ऐसी काहे की मूर्तियां थीं।हमारे पूरे हिन्दुस्तान में कितने ही मंदिर ऐसे हैं जिनको आप देखेंगे आज तक कितने भूकंप आ गए और सारा हो गया, हवा भी चलती रही, लेकिन मजाल है किसी मंदिर की एक मूर्ति भी टूट गई हो, लेकिन ये क्या है? कैसी कागज की मूर्तियां लगाई थीं आपने? यही जगह खाने को रह गई थी कि धार्मिक जो हमारे स्थल हैं, आप उसमें ही पैसा खाने के लिए रह गया आपका।
तो जो इनका भ्रष्टाचार सरकारी तौर पर चल रहा था, जिसको हम बार-बार उजागर करते रहे हैं, उसमें एक ये नई कड़ी सामने आई है, जिसका हमें बहुत दु:ख और तकलीफ है। जहां करोड़ों की मूर्तियां लगी हों, क्या ये मुमकिन है कि हवा चलने से टूट जाएं? हमारे इतने पुराने मंदिर और तीर्थ स्थल पर इस प्रकार का कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन बीजेपी में पैसा खाने की इतनी होड़ है कि उन्होंने भगवान को भी नहीं छोड़ा। प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्टूबर, 2022 को महाकाल लोक परिसर का उद्घाटन किया गया और 8 महीने पूरा होने से पहले ही सप्त ऋषियों की मूर्ति हवा चलने से टूट गई। प्रधानमंत्री के इस आयोजन पर करोड़ों रुपए खर्च हुए, आप सबने भी वो पूरा तमाशा देखा और वो किस तरह की धार्मिक भावना के साथ उन्होंने किया, उसका अंदाजा आपको लग जाएगा कि जो कुछ इन्होंने किया।इस संबंध में हमारे कुछ सवाल हैं, जिसमें क्या महाकाल लोक में 351 करोड़ रुपए से किए गए प्रथम चरण के विकास कार्य में गुजरात की किसी कंपनी को ठेका दिया गया था, जिसने इन मूर्तियों का निर्माण किया?
2. क्या उज्जैन के स्थानीय विधायक महेश परमार सहित विधायकों ने लगातार महाकाल लोक और स्मार्ट सिटी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने की गुहार शिवराज जी से नहीं लगाई थी और क्या लोकायुक्त में केस भी दर्ज नहीं कराया था?
3. क्या आप लोग इस सनातनी आस्था पर किए गए आघात के लिए देश से माफी नहीं मागेंगे?
4. आप लोग अयोध्या के राम मंदिर में हुए भूमि घोटाले से लेकर महाकाल लोक में हुए घोटाले तक पर मौन साधे क्यों रहते हैं?
5. क्या महाकाल लोक के उद्घाटन में लोगों को लाए जाने से लेकर प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी के प्रचार-प्रसार पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए गए?
आज देश पूछ रहा है कि भाजपाई सत्ता कब तक देश की आस्था से खेलकर सत्ता की भूख मिटाती रहेगी और हमारी मांग है कि हाईकोर्ट द्वारा मॉनिटरड एक कमेटी को इसकी इंक्वायरी करनी चाहिए, क्योंकि ये करोड़ों-अरबों लोगों की आस्था का प्रश्न है और हम ये संकल्प लेते हैं कि हमारी सरकार जब मध्यप्रदेश में आएगी तो हम देश के बेहतरीन शिल्पकारों से और जो ग्रेनाईट पत्थर है या और जो अलग शिल्पकारों के जो साधन से जो पत्थर बनाए जाते हैं, तराशे जाते हैं उनकी मूर्तियां हम इस मंदिर पर पूरी आस्था के साथ लगाएंगे।
अभय दुबे ने कहा कि पत्रकार साथियों, ये मेरा पहला अवसर है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इस मंच से मैं पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहा हूं और मेरा सौभाग्य है कि हमारे साथ विनीत पुनिया जी, अनुमा आचार्य जी और स्वयं हमारे मध्यप्रदेश के प्रभारी मूर्धन्य नेता, बड़े नेता जेपी अग्रवाल का सानिध्य मुझे मिल रहा है। जेपी अग्रवाल साहब ने जो अलौकिक वर्णन महाकाल का किया है, तो कहा जाता है ‘आकाशे तारकम लिंगम, पाताले हाटकेश्वरम मृत्युलोके महाकालं, त्रियलिंगम नमोस्तुते, ‘ सभी हमारे जितने ज्योतिर्लिंग हैं, सबको हम नमस्ते करते हैं, लेकिन जो सबसे बड़ी महिमा है, वो इन सारे 12 ज्योतिर्लिंग में जितने देव स्थान है, उसमें सनातन संस्कृति में सबसे बड़ी महिमा महाकाल की है। ‘आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं। अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं ॥‘आदि अनादि भगवान शंकर, महेश जो साक्षात महाकाल में विराजमान हैं, प्रधानमंत्री जी दुख इस बात का हुआ कि ये भीषणतम भ्रष्टाचार इस अलौकिक सत्ता के खिलाफ आपने किया और ये जो श्रद्धा आपकी है, ये सिर्फ श्रेय की है, ये आध्यात्मिक देह की नहीं है। इससे साफ प्रतीत होता है प्रधानमंत्री , आपने जब इसका उद्घाटन किया था, प्रधानमंत्री , 11 अक्टूबर, 2022 को तब इसका आलौकिक वर्णन किया था। मगर आज दुर्भाग्य है कि जब इतना भीषणतम भ्रष्टाचार इस देश के सामने आया , जब हमारे सप्तऋषियों की मूर्तियां क्षत-विक्षत अवस्था में पड़ी हैं और वो चीख-चीखकर उनका अवरुद्ध विकास आपको पुकार रहा है प्रधानमंत्री जी कि इसका संज्ञान लीजिए। तब आपकी एक चिड़िया, एक ट्वीट करने तक को तैयार नहीं है।दुखद बात ये है कि सदन में और सदन के बाहर कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने मुखरता से इस बात को रेखांकित किया कि हम सब लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कम से कम हम देव स्थानों को तो छोड़ दें। वहाँ पर हम कम से कम सामूहिकता के साथ एक स्वर में कहें कि गलत नहीं होना चाहिए। तब सदन में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा, विधायकों ने मुझे बताया, कि उन्होंने कहा कि आप महाकाल की आस्था पर आघात कर रहे हैं, लेकिन आज मुख्यमंत्री जी, इससे बड़ा कुठाराघात और आघात नहीं हो सकता है, जो किया गया है।महाकाल की अलौकिकता के साथ उस देव स्थान के साथ जो कुछ भी हुआ है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है और हम लोगों ने सरकार में आते ही जब मुख्यमंत्री कमलनाथ जी बने, तब हमने ये तय किया था, सबसे पहला जो कदम हमारा था, वो 12,000 मंदिर जो शासकी संधारित थे, उसके लिए हम एक कानून लेकर आए थे। हम कानून लेकर आए थे उनके संधारण का। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पहले तो राज्यपाल ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए और राष्ट्रपति जी को भेज दिया। लेकिन जब हथकंडों से ये सरकार हथिया ली गई, तो वो कानून भी वापस इन लोगों ने मंगा लिया। हमने पुजारियों का मानदेय 3 गुना किया था, जो दो ज्योतिर्लिंग हमारे मध्यप्रदेश में थे, ओंकारेश्वर और महाकालेश्वर। दोनों को विधि पूर्वक एक अलौकिक स्वरुप प्रदान करने का मानस हमने बनाया था और उन दोनों के लिए ये जो ना सिर्फ उसकी, हम लोगों ने मंशा व्यक्त की, अपितु सारे संतो, महंतों को बुलाकर उनकी इच्छा के अनुरुप इनके विकास कार्य पर पहला कदम बढ़ाया था। मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि आज वो भीषणतम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और कोई संज्ञान लेने को तैयार नहीं।जैसा कि अभी आपको अग्रवाल ने बताया हम लोग आते ही जो हमारे सबसे पहले क्रम के कार्य होंगे, उसमें ये काम करेंगे कि सरकार बनते ही हम संगमरमर की या जो प्रचलित शिलाओं की प्रतिमा बनाई जाती है, वो सप्तऋषियों की प्रतिमा बनाएंगे और भारतीय जनता पार्टी के लिए मैं कहना चाहता हूं – ‘आचारहीनं न पुनन्ति वेदा’, जो विवेकहीन है, जो आचरणहीन हैं, उन्हें वेद भी पुनीत नहीं कर सकते। अयोध्या में राम जन्मभूमि की भूमि का घोटाला हो या यहाँ पर हमारी आस्था को खंडित किया गया हो। तो भारतीय जनता पार्टी ने, जिस प्रकार सत्ता उस पौराणिक काल में हथियाई गई थी, तुलसीदास जी ने कहा है – नाना बिधि कहत कथा सुनाए, राजनीति भय प्रीत दिखाएं। उस प्रकार ये सत्ता को हरण किया गया और हम हर संभव कोशिश करेंगे, जेपी अग्रवाल साहब ने आपको वायदा किया है कि हम आकर वहाँ उसकी पुर्न स्थापना करेंगे। जो महाकाल का अलौकिक वैभव है, उसको पुनर्स्थापित करने का हरसंभव प्रयास करेंगे।
एक प्रश्न पर कि इसमें जो करप्शन का मुद्दा उठा रहे हैं उसका कोई संदर्भ है आप लोगों के पास? श्री जय प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि इसके एक तो प्रश्न लगाए थे हमारे जो विधायक थे महेश परमार ने और उस प्रश्न के जवाब में भी उन्होंने गोल-मोल जवाब उसका दिया था, ये पहले भी कई बार उठा है, लेकिन अभी जो सारे विवरण के साथ अखबारों में पूरी रिपोर्ट आई है, यहां तक आया है कि क्या मटेरियल उसमे लगा, क्या लगना चाहिए था, किस समय का कॉन्ट्रेक्ट हुआ, वो सारी तफ़सील आप अखबारों में देख सकते हैं। तो इन्होंने प्रश्न के जवाब में तो ये कहकर टाल दिया कि साहब आप महाकाल पर भी सवाल कर रहे हो, अब ये सारी दुनिया के सामने सवाल आ गया, सर मुझे बताईए कौन सी हवा चल गई जो मूर्तियां टूट गईं, हमारे पिताजी की मूर्ति भी लगी हुई है और इतनी मूर्तियां दिल्ली में लगी हुई हैं, कोई मूर्ति हवा से टूटती है, ये पहली बार मैंने देखा है कि मूर्ति ऐसी क्या कागज की बनाई थी? और वो उसकी ऊंचाई आपने देखी है, उसकी ऊंचाई इतनी है कि वो कुछ तो भार होना चाहिए था, तो ये बड़ी अजीब बात है, ये तमाशा कहीं देखने को नहीं मिला।
इसी प्रश्न के संदर्भ में श्री अभय दुबे ने कहा कि ये जो है फायबर इनफोर्सड प्लास्टिक की मूर्तियां थीं, उस फायबर इनफोर्सड प्लास्टिक की मूर्तियां भी गिरने से टूट नहीं जाती, खंडित नहीं हो जाती। एक गंभीर चूक ये सामने आई जो इस बात को स्वीकारा भी जा रहा है कि ग्राउटिंग तक नहीं की गई थी उनकी, ऐसा प्रतीत होता है कि उद्घाटन करने के लिए वो मूर्तियां लाकर रख दी गईं, उसके बाद उसका संज्ञान भी नहीं लिया गया और 1-2-3-5-6 नहीं हैं, सवा सौ से अधिक उस प्रकार की मूर्तियां वहां लगी हुई हैं और ऐसा सारा विकास कार्य प्रतीत होता है प्रथम दृष्टि में कि वो खोखले स्वरूप का है, तो इसकी गंभीरता से जांच की भी हम मांग करते हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री अग्रवाल ने कहा कि आपने उस जवाब का पूरा हिस्सा नहीं सुना, आपने आधा जवाब दिया उसका, जो आपको मालूम है। उसने आगे ये भी कहा है कि जांच की जरूरत नहीं है, लेकिन उसके साथ उसने ये कहा है कि हम इसे रिप्लेस करा देंगे, रिप्लेस जब कोई… ये कहीं आपने देखा है दुनिया में किसी कॉन्ट्रेक्ट में ये देखा है कि आपने ऐसा क्या मटेरियल लगा दिया जिससे मूर्ति को रिप्लेस करना पड़ेगा तो कोई खराबी थी उसमें। मतलब इतना ज्यादा गिरापन की भगवान की मूर्तियों में भी एक-एक कण में भ्रष्टाचार, उसमें से भी पैसे निकालने की नीयत, इससे ज्यादा और क्या खराबी होगी और।
एक अन्य प्रश्न पर कि कहा जा रहा है कि मूर्तियां ठीक कर दी जाएंगी? श्री अभय दुबे ने कहा कि देखिए, उनकी पोल इसी बात से खुल जाती है। दो कॉन्ट्राडिक्टिव स्टेटमेंट दिए। एक अभी आपने जो कहा, पहली बात तो ये बता दूं, हमारी सनातनी आस्था की बात है। खंडित मूर्तियां कभी भी रिपेयर नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि ये डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड है, वो ठीक करके लगा देंगे। क्यों लगा देंगे साहब ठीक करके? एक हमारी तो आस्था खंडित हुई है, दूसरा खंडित मूर्तियां नहीं लगाई जाती। दूसरा क्या क्लोज बता रहे हैं कि 5 साल, अरे साहब फिर कैसे कहते हैं आप कि वो अस्थाई है। अगर आप खुद क्लोज डाल रहे हैं 5 साल का और लाइफ बता रहे हैं, 10-20 साल उसकी लाइफ होती है। तब टेंपरेरी अरेंजमेंट कैसे हुआ, प्रमाण दे दो उसका कि वो टेंपरेरी अरेंजमेंट था। तो ये सिर्फ आंखों में धूल झोंकने की कवायद मात्र है।अग्रवाल ने इसी संदर्भ में पुन: कहा कि एक बात और है कि लोकायुक्त ने उन्हें दोषी माना है 1500 लोगों को। जिसकी जांच के लिए इन्होंने इधर-उधर कर दिया और उन सबको बचाने में लग गए।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री जेपी अग्रवाल ने कहा कि टोटल 351 करोड़।