अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोदी सरकार की चुनावी बांड योजना को रद्द करने के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस मीडिया एवं पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि चुनावी बांड योजना भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक काला धन सफ़ेद करो योजना थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि चुनावी बांड योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन है। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में पवन खेड़ा ने कहा कि इस सरकार की सभी योजनाओं की तरह चुनाव बांड योजना भी सत्तारूढ़ शासन को एकमात्र लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई थी। यह योजना मोदी सरकार मनी बिल के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इस पर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए। देश पर इलेक्टोरल बॉन्ड को थोपा गया था। जबकि चुनाव आयोग, वित्त और विधि मंत्रालय के अधिकारियों ने विरोध किया था।
खेड़ा ने कहा कि 95 प्रतिशत यानी कि 5,200 करोड़ रुपये भाजपा के अकेले के खाते में इलेक्टोरल बॉन्ड्स से आया। आज प्रधानमंत्री और उनका भ्रष्टाचार बेनकाब हो गया है। यह भाजपा का भ्रष्टाचार है, ये इलेक्टोरल भ्रष्टाचार है। प्रधानमंत्री ने मनी बिल लाकर भ्रष्टाचार को कानूनी जामा पहनाया था, ताकि विधायक खरीदे जा सकें, अपने मित्रों को कोयले की खदान, हवाई अड्डे दिए जा सकें। खेड़ा ने याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस पहली राजनीतिक पार्टी थी, जिसने 2017 में चुनावी बांड योजना की घोषणा के दिन से ही इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी निंदा की थी। कांग्रेस ने तब से लगातार संसद के भीतर और बाहर इस योजना का विरोध किया है। कांग्रेस के 2019 के लोकसभा घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हम इस अपारदर्शी योजना को खत्म करने का इरादा रखते हैं। कांग्रेस की आपत्तियां थीं कि यह प्रक्रिया अपारदर्शी है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, काला धन सफेद हो जाएगा और सारा लाभ सत्ता पक्ष को मिलेगा। इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और सत्ता पक्ष के बीच एक अनकहा-अनदेखा रिश्ता स्थापित हो जाएगा। आज कांग्रेस का कहा सच हुआ। खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस की चिंता जायज थी, क्योंकि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना पैसा दिया और क्यों दिया, उसकी एवज में उसको क्या मिला। ये जानने का अधिकार इस देश के हर नागरिक को है। खेड़ा ने कहा कि अब इसका डर है कि कहीं फिर से कोई अध्यादेश जारी न हो जाए और मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बचने की कोशिश करे। कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करती है और मांग करती है कि एसबीआई तमाम जानकारी को सार्वजनिक पटल पर रखे, जिससे जनता को मालूम पड़े कि किसने कितना पैसा दिया।
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