अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साथियों,आप सभी को मेरा सादर नमस्कार। साथियों, मोदीनॉमिक्स का अर्थ लेकर आज हम हमारी विशेष प्रेस वार्ता में आपके समक्ष उपस्थित हुए हैं। अगर हम समझें कि मोदीनॉमिक्स क्या है, तो मोदीनॉमिक्स के 5 भाग हैं – बेरोजगारी की दर 7 प्रतिशत, जो कॉन्स्टेंट चल रही है। महंगाई की दर 13.56 प्रतिशत, होलसेल इन्फ्लेशन की दर। यूएसडी टू आईएनआर जिसको हम कहते हैं डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 74 के पार। 84 प्रतिशत परिवारों की आय 2021 में गिरती है और पांचवा जो कि मोदीनॉमिक्स का सबसे प्रमुख स्तंभ है, इन चारों के लिए हमारा उत्तरदायित्व नहीं है, हम उत्तरदायी नहीं हैं। States are responsible for this, if I summarize Modinomics it is in short – Unemployment Rate 7%, the wholesale inflation at 13.56 %, USD to INR at 74+, decline in income of 84% families of our country in 2020-21 and last but not the least for this – we are not responsible, states are responsible.
अगर मैं हिंदी में कहूं तो मोदी जी की आर्थिक नीति को तीन लाइनों में लिख सकता हूं। पहला – अमीरों का विकास। दूसरा – गरीबों का नहीं दिया साथ और तीसरा – अब मोदी सरकार के जुमलों पर देश को नहीं है विश्वास। So these are three sentences, अमीरों का विकास, गरीबों का नहीं दो साथ और अब देश की जनता को मोदी जी के जुमलों पर नहीं रहा है विश्वास।
जो कल ऑक्सफैम की रिपोर्ट आई, जिससे कि देश में इंकम इनइक्वेलिटी का एक आंकड़ा देश के समक्ष आया। बहुत चौंकाने वाला आंकड़ा है। क्या कहता है वो आंकड़ा कि देश में बिलेनियर्स, खरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है। लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि है खरबपतियों की संख्या में, पर 2021 में 84 प्रतिशत भारतीयों की आय घटी है। ये मोदीनॉमिक्स है। मतलब एक तरफ तो खरबपति की संख्या 40 प्रतिशत से बढ़ रही है और दूसरी और अगर हम कहें तो हम ये पाएंगे कि जो 84 प्रतिशत जो हाउस होल्ड हैं, उनकी आय में 2021 में कमी आ गई है। ये मोदीनॉमिक्स का सफरनामा है। Richest 98 इंडियन जो देश के सबसे अमीर 98, जो खरबपति हैं, उनकी आय देश के 55.20 करोड़ लोगों के बराबर है। मतलब अगर हम 98 लोगों की आय जो सबसे अमीर हैं, उनकी आय, उनकी वेल्थ जो देश में 55.2 करोड़ अर्थात् 40 प्रतिशत जनसंख्या की जो वेल्थ है, वो जो टॉप 98 लोगों की वेल्थ के बराबर है। मोदी जी खामोश हैं। मोदी जी के वित्त मंत्री जी को इसके बारे में पता भी नहीं होगा, शायद उन्होंने पढ़ा भी नहीं होगा इसके बारे में।इस ऑक्सफैम की रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि जो देश फर्स्ट और सेकंड वेव का सामना कर रहा था कोरोना में, जब देश में फर्स्ट और सेकंड वेव अपने चरम पर थी, उस दौरान खरबपतियों की आय और खरबपतियों की संख्या बढ़ रही थी।
मैं आपको आंकड़ा देना चाहता हूं कि जो खरबपतियों की कुल संपत्ति मार्च, 2020 में थी, 23.14 लाख करोड़, मतलब लगभग 23 लाख करोड़। वो बढ़कर 2021 में हो जाती है, 53.16 लाख करोड़। अर्थात् जो मार्च, 2020 से लेकर नवंबर, 2021 के बीच खरबपतियों की वेल्थ में इजाफा होता है 30 लाख करोड़ का और ध्यान रहे साथियों, देश का जो एनुअल बजट आया था 2021-22 का, वो था 34.8 लाख करोड़ का अर्थात् जो एनुअल बजट था देश का, उसकी लगभग 86 प्रतिशत of annual budget size में एक साल में खरबपतियों की वेल्थ में वृद्धि हो जाती है और हम यहाँ पर बोल रहे हैं कि हमारी ‘वी’ शेप रिक्वरी हो गई। ये ‘वी’ शेप रिक्वरी नहीं है, इसको कहते हैं ‘के’ शेप रिक्वरी, जिसमें 86 प्रतिशत हिंदुस्तानियों की आय घट रही है, मात्र कुछ खरबपतियों की आय बढ़ रही है और वो कौन हैं, उनका ब्यौरा भी मैं लेकर आया हूं और ये ऑक्सफैम रिपोर्ट आगे कहती है कि ऐसा क्यों हुआ, ऐसा क्या हुआ कि देश में 84 प्रतिशत लोगों की आय तो घटी और मात्र कुछ खरबपतियों की आय बढ़ी।ऐसा क्यों हुआ – इसका कारण वो देते हैं कि सबसे पहले मोदी सरकार ने लगातार आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी की दरें बढ़ाई। भले ही वो खेती पर टैक्स वसूलने का काम मोदी सरकार ने किया था। भले ही वो जो फार्म इक्विपमेंट हों, भले ही वो फर्टिलाइजर्स हों, भले ही पेस्टीसाइड हों, भले ही एसेंशल आइटम हों, जैसे गारमेंट हैं, जूते हैं, मतलब जिस पर लगातार जीएसटी की दरें बढ़ाई जा रही हैं और ध्यान रहे, जब जीएसटी की दर बढ़ती है, तो वो खरबपति के लिए भी उतनी बढ़ती है, जितनी एक किसान के लिए जिसकी आय मोदी सरकार के आंकडे के अनुसार 27 रुपए प्रतिदिन है। तो वो जो पहला कारण बताया है इंकम इनइक्वेलिटी का, वो बताया गया है इनक्रिज इन जीएसटी ऑफ एंसेशल आइटम। दूसरा कारण जो बताया, ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये कांग्रेस पार्टी नहीं कह रही है। ये ऑक्सफैम की रिपोर्ट कह रही है।
दूसरा कारण बताया गया है कि फ्यूल पर जिस तरह से टैक्स की दर लगातार बढ़ाई गई और ऑक्सफैम की रिपोर्ट में लिखा गया है कि 2020-21 के पहले 6 महीनों में जो पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 33 प्रतिशत से बढ़ाई गई, ये हम नहीं कह रहे हैं, हम तो कहते ही थे, आज ऑक्सफैम की रिपोर्ट भी कह रही है और जब पेट्रोल भरवाने जाते हैं, तो वो अडानी जी के लिए भी पेट्रोल का उतना ही भाव है, डीजल का उतना ही भाव है, जितना हिंदुस्तान के मेहनतकश अन्नदाता के लिए। उन भाव में बिल्कुल अंतर नहीं है। पेट्रोल के भाव में कोई अंतर नहीं रहता, भले ही वो खरबपति हों या एक ऐसा युवक जो नौकरी की तलाश कर रहा हो। तो ये ऑक्सफैम ने दूसरा कारण बताया इंकम इनइक्वेलिटी का कि constant increase in tax imposed on fuel.
तीसरा कि मोदी सरकार वो इकलौती सरकार है, जिन्होंने पैंडेमिक के दौरान, जिन्होंने आपदा के दौरान कॉर्पोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया। इस आपदा के दौरान मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति के टैक्स में कोई कमी नहीं हुई। इस आपदा के दौरान निम्न आय वर्गीय व्यक्ति के टैक्स में कोई कमी नहीं हुई। इस आपदा के दौरान कॉर्पोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया। जिसका नतीजा क्या हुआ, जिसका नतीजा ये हुआ कि देश का फिजिकल डेफिसिट (fiscal deficit) बढ़ा। जिसका नतीजा ये हुआ कि सरकार ने आय के अन्य साधन जुटाने के लिए जीएसटी की रेट बढ़ाई। पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्य़ूटी को बढ़ाया और अंतिम, चौथा कारण जो ऑक्सफैम रिपोर्ट कहती है कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सुपर रिच पर वेल्थ टैक्स लगता था, उसको अबोलिशन कर दिया। इन चार कारणों से क्या नतीजा निकला, नतीजा ये निकला कि पिछले साल 2021 में 4 करोड़ 60 लाख इंडियन एक्सट्रीम पॉवर्टी में चले गए। हमने 2003 से लेकर 2014 तक मनरेगा से लोगों को गरीबी से बाहर निकाला, करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के आधार पर लगभग 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला और यहाँ पर एक साल में मोदी सरकार ने अपनी गलत नीतियों के कारण, अपनी ऐसी नीति जो अमीर लोगों को ज्यादा फेवर करती है, मध्यम आय वर्गीय लोगों को और निम्न आय वर्गीय लोगों को कोई फायदा नहीं देती, ऐसी नीतियों के कारण 4 करोड़ 60 लाख हिंदुस्तानियों को गरीबी में झोंक दिया।अब आगे की कहानी सुनिए, मिनिमम वेजिस तो देश में 178 रुपए है 2020 से। 2020 से मिनिमम वेजिस में कोई अंतर नहीं आया, 178 रुपए प्रतिदिन सरकार ने निश्चित कर दी। पर अडानी की आय, अडानी की वेल्थ, गौतम अडानी की वेल्थ 2020 से लेकर 21 के मध्य 8 गुना बढ़ गई। मिनिमम वेजिस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति का तो डीए सरकार ने लिया, रोक लिया कि आपदा के दौरान आपको डीए देंगे सरकार के केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों को, उस डीए पर भी रोक लगा ली। पर उसी दौरान गौतम अडानी की जो वेल्थ थी जो 2020 में लगभग 65,860 करोड़ थी, वो 8 गुना से ज्यादा बढ़कर 3 लाख 73 हजार करोड़ हो गई और जो नवंबर 2021 का आंकडा है, उसके अनुसार गौतम अडानी की जो वेल्थ है, वो 6 लाख 8 हजार करोड़ हो गई है। तो आपके मित्रों की जो संपत्ति है, उसमें 8 गुना इजाफा और मिनिमम वेजिस में एक गुना भी इजाफा नहीं। क्यों मोदी जी, ऐसी आपकी क्या नाराजगी है? ऐसा लोगों ने क्या गुनाह कर दिया आपको वोट देकर कि उनकी आय में एक रुपए में वृद्धि नहीं और आपके दोस्तों की आय में 8 गुना की वृद्धि?पिक्चर अभी यहीं खत्म नहीं हुई। जो मोदी जी के दूसरे दोस्त हैं, जो अंबानी जी हैं, मुकेश अंबानी जी, उनकी आय डबल हो गई, 2020 में जितनी उनकी संपत्ति थी, 2021 में वो डबल हो गई। 2020 में उनकी 2 लाख 72 हजार करोड़ की संपत्ति थी, जो डबल से ज्यादा बढकर 6 लाख 32 हजार करोड़ रुपए हो गई।साथियों मोदी जी के दोस्तों की आय निरंतर 8 गुना से ज्यादा बढ़ रही है। एक दोस्त की आय 8 गुना बढ़ गई, एक दोस्त की आय दोगुनी हो गई, जबकि 84 प्रतिशत हिंदुस्तानियों की आय कम हुई है। ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये ऑक्सफैम की जो रिपोर्ट आई है, वो कह रही है। वो ये कह रही है कि मोदी सरकार की प्रो रिच टैक्सेशन पॉलिसी है, जिसमें रिच लोगों को, जो धनी उनके दोस्त लोगों की करों में उनको रियायत दी जाती है, पर मध्यम आय वर्गीय व्यक्ति को नहीं दी जाती, निम्न आय वर्गीय व्यक्ति को नहीं दी जाती। आप कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 से 22 प्रतिशत कर देते हैं, पर मिडिल इंकम ग्रूप के लिए एक प्रतिशत, एक पैसे का भी रिलीफ नहीं देते हैं। उनकी जो टेक होम सैलरी है, उसको भी आप डीए में रोक करके, उसमें कमी कर देते हैं।अभी इसी रिपोर्ट का हवाला देकर आगे की बात कह रहा हूं। ये रिपोर्ट आगे कहती है कि इसी दौरान जो हमारा हेल्थ पर खर्चा था, वो जो 2020-21 का रिवाइज्ड एस्टिमेट था, उससे 10 प्रतिशत कम हुआ। क्यों मोदी जी, हेल्थ पर आपदा के दौरान आपने 10 प्रतिशत 2020-21 का जो रिवाइज्ड एस्टिमेट था, उससे 10 प्रतिशत कम क्यों आपने एलोकेट किया? यही रिपोर्ट कहती है कि एजुकेशन पर जो खर्चा था, उसमें 6 प्रतिशत की कमी आई। यही रिपोर्ट कहती है कि सोशल सिक्योरिटी की जितनी भी स्कीम थी, जो कि डेढ़ प्रतिशत ऑफ यूनियन बजट साइज होती थी, उसको मोदी जी ने 0.6 प्रतिशत ऑफ यूनियन बजट साइज कर दिया और यही रिपोर्ट आगे जाकर कहती है जो कि बहुत महत्वपूर्ण तथ्य मैं रखने जा रहा हूं -ये रिपोर्ट ये कहती है कि जब आपदा आई, जब पैंडेमिक आई तो भारत की केन्द्र सरकार ने, भारत की मोदी सरकार ने अपने हाथ झटक लिए और स्टेट गवर्मेंटस के ऊपर पूरा दारोमदार डाल दिया। ना उसके पास संसाधन थे, ना उनके पास ह्यूमन रिसोर्स थे कि वो आपदा को टेकल कर पाएं। नतीजा क्या हुआ कि 84 प्रतिशत हिंदुस्तानियों की आय कम हुई। नतीजा क्या हुआ कि 4 करोड़ से ज्यादा, 4 करोड़ 60 लाख लोग गरीबी में, एक्सट्रीम पॉवर्टी में चले गए। नतीजा क्या हुआ, लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई, ऐसा क्यों हुआ?
इस बाबत हमारे 4 प्रश्न हैं मोदी सरकार से।
नंबर एक – मोदी जी दोस्तों की आय 8 गुना बढ़ जाए और मध्यम आय वर्गीय की आय में कमी हो जाए। 84 प्रतिशत हिंदुस्तानियों की आय कम हो जाए, ऐसा फॉर्मुला जो दोस्तों की आय 8 गुना बढ़ा देता है, वो हिंदुस्तान के और लोगों की आय क्यों नहीं बढ़ा पाता मोदी जी? आप एक बार मन की बात कीजिए टीवी पर आकर और देश को बताइए कि वो कौन सा फॉर्मुला है, जिससे 8 गुना आय आपदा में बढ़ी, दो लोगों के लिए आपदा में अवसर बन गया और देश के 84 प्रतिशत लोगों की आय आपदा में कम हो गई, आपने उन लोगों का हाथ आपदा में क्यों नहीं पकड़ा? उनके खातों में सीधे मनी ट्रांसफर क्यों नहीं की? ये हमारा पहला सवाल है। हमारा दूसरा सवाल ये है कि मोदी जी आपदा में कॉर्पोरेट टैक्स 30 से 22 प्रतिशत कर दिया, पर आपदा में मिडिल इंकम जो ग्रूप है, लोअर इंकम ग्रूप है, उसको एक पैसे का भी टैक्स में फायदा नहीं, ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों देश के लोगों के साथ मोदी जी? ऐसा व्य़वहार क्यों, जिसके कारण 40 प्रतिशत हिंदुस्तान के जो बॉटम ऑफ 40 प्रतिशत लोग हैं, जो 55 करोड़ हिंदुस्तानियों की जो संपत्ति है, वो मात्र 98 लोगों की संपत्ति के बराबर हो गई, ऐसा क्यों मोदी जी?
तीसरा सवाल कि तुरंत पेट्रोल और डीजल के दाम लगभग 25 से 30 रुपए प्रति लीटर कम कीजिए। ये हम तो मांग कई सालों से कर रहे हैं, पर अब तो ऑक्सफैम भी कह रही है कि पेट्रोल और डीजल के दाम पर जो टैक्स लगाया जाता है, वो रिग्रेसिव होता है, वो अमीर हो या गरीब हो, सब पर एक समान कष्ट होता है, अमीर को कोई फर्क नहीं पड़ता, गरीब को बहुत कष्ट देता है। जिस व्यक्ति की आय 6 लाख करोड़ है, उसके लिए 30 रुपए प्रति लीटर का कोई इशू नहीं है, पर जिस किसान की आय मात्र 27 रुपए प्रति दिन है, उसके लिए ये टैक्स बहुत ही ज्यादा इंपैक्टफुल रहता है। तो हमारी तीसरी मांग है कि पेट्रोल और डीजल के दाम तुरंत प्रभाव से 25 से 30 रुपए प्रति लीटर कम करिए।