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कांग्रेस:सूट बूट की सरकार को बीते दो सालों में 1,84,000 करोड़ रुपए का नुकसान क्यों हुआ, जानने के लिए वीडियो सुने

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की विशेष प्रेस वार्ता जो पार्लियामेंट की कमेटी ऑन एस्टीमेट्स ने अपनी रिपोर्ट दी है और कई चौंकाने वाले तथ्य उस रिपोर्ट में सामने आए हैं, उसके ऊपर केन्द्रित है। ध्यान रहे, फाईनेंस के अंदर पब्लिक अकाउंट्स कमेटी और एस्टीमेट्स कमेटी, दो बड़ी महत्व पूर्ण कमेटियाँ होती हैं और इस एस्टीमेट कमेटी में 30 सदस्य हैं, जिनमें से 16 सदस्य भाजपा के हैं और अध्यक्ष भी भाजपा के सांसद हैं, उस कमेटी की जो चेयरमैनशिप है, वो भाजपा के सांसद कर रहे हैं। इस प्रस्तावना के साथ मैं आज की प्रेस वार्ता का प्रारंभ करता हूँ।

आखिर कंपनियों तक ही सीमित क्यों है, सूट-बूट की सरकार,

मध्यम और निम्न आय वर्गीय परिवारों को भी है टैक्स कटौती की दरकार।

ये प्रिंसीपल थीम है, हमारी और इस एस्टीमेट कमेटी ने एक चौंकाने वाला आंकड़ा दिया है। उसने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020 और वित्तीय वर्ष 2021 के मध्य, इन दो सालों में 1,84,000 करोड़ रुपए का नुकसान भारत सरकार को कॉर्पोरेट के जो रेट्स कट किए हैं सरकार ने, उसके कारण हुआ है। कॉर्पोरेट टैक्स कटौती के कारण वित्तीय वर्ष 2020 और वित्तीय वर्ष 2021 में 1,84,000 करोड़ का नुकसान भारत सरकार को हुआ। ये मैं नहीं कह रहा, कोई रिसर्च पेपर भी नहीं कह रहा, न कोई विपक्षी दल का नेता कह रहा है, ये एस्टीमेट्स कमेटी ने पार्लियामेंट के समक्ष रखा कि दो सालों में 1,84,000 करोड़ का नुकसान हुआ।

अब साथियों विस्तार से बात बताता हूँ। 20 सितम्बर, 2019 को भारत सरकार ने सूट-बूट की सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में जो 30 प्रतिशत का कर लगता था, उसको घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया और जो नई कंपनियाँ हैं, उनके कर को घटाकर 18 प्रतिशत की जगह 15 प्रतिशत कर दिया। मतलब एग्जिस्टिंग कंपनियों के लिए टैक्स रेट 30 से 22 की, न्यू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियो की टैक्स रेट, 18 से 15 प्रतिशत कर दी, ये डेट बहुत महत्वपूर्ण है, 20 सितम्बर, 2019 को, क्योंकि 22 सितम्बर, 2019 को प्रधानमंत्री, अमेरिका गए थे, हाउडी- हाउडी करने, आप सबको याद होगा। 20 सितम्बर को यहाँ ये अनाउंसमेंट होता है, जिसमें कॉर्पोरेट टैक्सेस को 30 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कर दिया जाता है, नई कंपनियों के टैक्सेस को 18 की जगह 15 प्रतिशत कर दिया जाता है और उसके दो दिन बात प्रधानमंत्री हाउडी मोदी कार्यक्रम में भाग लेने ह्यूस्टन अमेरिका जाते हैं। ये रेट कट कब होता है- उसी माह में सितम्बर, 2019 में वित्तमंत्री गोवा की जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कहती हैं कि सरकार के पास राज्यों को जीएसटी का कंपंसेशन देने का पैसा नहीं है, इसलिए सरकार आरबीआई से वो पैसा उधार लेती है, लोन लेती है। मतलब सरकार कह रही है सितम्बर, 2019 में हमारे पास राज्यों को कंपंसेशन जीएसटी का देने का पैसा नहीं है। सरकार मान रही है कि हमारी आर्थिक हालत ठीक नहीं है, उस दौरान कॉर्पोरेट्स के टैक्स रेट कट किए जाते हैं।

पिछले 3 सालों में सरकार और सरकार के एजेंट्स, दोनों ने खूब ढिंढोरा पीटा कि ये कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के कारण ओवर ऑल रेवेन्यू सरकार का बढ़ गया है, पर जो एस्टीमेट्स कमेटी है, जिसमें 30 में से 16 सदस्य भाजपा के हैं, जिसके चेयरमैन भाजपा के हैं, उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स कट के कारण, जो 2019 में निर्णय लिया गया, उसके कारण मात्र 2 सालों में (FY-2020 और FY- 2021) में 1,84,000 करोड़ का राजस्व का नुकसान हुआ। अगर मैं बोलूं, वित्तीय वर्ष 2020 में राजस्व का नुकसान होता है, 87,836 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2021 में होता है, 96,399 करोड़ तो कुल मिलाकर मात्र दो सालों में 1,84,000 करोड़ का भारत सरकार को राजस्व का नुकसान होता है। हमें बोला गया कि इससे देश की प्रगति हो रही है, जीडीपी ग्रोथ बढ़ रही है, बेरोजगारी की समस्या घट जाएगी। उसके बारे में भी एसबीआई और आरबीआई ने क्या रिसर्च की, वो आपके सामने रख रहा हूँ।

ये सीएमआईई के अनुसार 2021 में अगर हम 30 हजार बड़ी कंपनियों को लें तो 2021 में इन कंपनियों का मुनाफा 138 प्रतिशत बढ़ा। ये मेरा आंकड़ा नहीं है, सेन्टर फॉर मॉनिटरिंग ऑन इंडियन इकॉनमी का आंकड़ा है कि वित्तीय वर्ष 2021 में 2020 की तुलना में कंपनियों का प्रॉफिट 138 प्रतिशत बढ़ा। 2022 में 2021 की तुलना में लिस्टेड कंपनियों का प्रॉफिट 66.2 प्रतिशत बढ़ा और उसी दौरान जो हमारा कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन था, वित्तीय वर्ष 2021 में 4,57,719 करोड़ रह गया, जबकि 2020 में 5,56,000 करोड़ था। मतलब कंपनियों के प्रॉफिट बढ़ रहे हैं, वित्तीय वर्ष 2021 में; वित्तीय वर्ष 2020 में 2019 की तुलना में; 2021 में 2020 की तुलना में; 2022 में 2021 की तुलना में, पर कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन नहीं बढ़ रहा है और सरकार हमें ये समझाती रही कि कॉर्पोरेट टैक्स रेट कट के कारण देश में प्रगति होगी। रिजर्व बैंक ने आगे ये बोला कि जब कंपनियों को कम कर चुकाना पड़ा, तो हो सकता है कंपनियों ने जो पैसा बचाया, उसका उपयोग कैपेक्स के लिए किया हो, पर रिजर्व बैंक ने माना कि कंपनियों ने ऐसा नहीं किया, उन्होंने इस रकम का उपयोग अपने कैश बैलेंसेस को बढ़ाने के लिए किया। कंपनियों ने सरकार को कर देने के बजाय अपना कैश बैलेंस बढ़ाया, कैपेक्स नहीं बढ़ाया, क्योंकि कैपेक्स अगर हम मानें कैपिटल एक्सपेंडिचर, वित्तीय वर्ष 2022 में मात्र 2.3 प्रतिशत से बढ़ा, जो 6 वर्षों का न्यूनतम है।

तो ये कर की कटौती किसके लिए की गई? ये सूट-बूट सरकार 2.0 का निर्णय 2019 में किसके कहने से लिया गया? मात्र दो वर्षों में, वित्तीय वर्ष 2020 और 2021 में 1,84,000 करोड़ा का नुकसान क्यों किया गया? 2022 का आंकड़ा अभी तक आया नहीं है और 2022 में भी 2021 की तुलना में कॉर्पोरेट के जो लाभ हैं, वो लगभग 66.2 प्रतिशत से बढ़े है, पर हमारा कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन नहीं बढ़ा। तो हमारे इस बावत 5 स्पेसिफिक सवाल हैं-

1.सरकार के लिए पैंडेमिक के दौरान कॉर्पोरेट टैक्स कट ज्यादा महत्वपूर्ण था कि मनरेगा को ज्यादा बढ़ाना, ज्यादा महत्वपूर्ण था? 1,84,000 करोड़, दो वर्षों में राजस्व का नुकसान होता है, अर्थात् हम एवरेज मानें तो प्रतिवर्ष 92,000 करोड़ का नुकसान होता है, अगर इस 92,000 करोड़ को मनरेगा के बजट में जोड़ दिया जाए, तो मनरेगा का जो अभी का बजट है, वो 2.26 गुना बढ़ जाएगा। मतलब, हम मनरेगा कि जो मजदूरी है, उसको 2.26 गुना बढ़ा सकते थे, पर हमारी सरकार ने कॉर्पोरेट्स को टैक्स कट देना जायज समझा, ऐसा क्यों? सरकार के लिए कॉर्पोरेट टैक्स कट, मनरेगा के बजट को बढ़ाने से ज्यादा महत्वूर्ण क्यों?

2. साथियों, ये सवाल मैं हर मध्यम आय वर्गीय परिवार की ओर से सरकार से पूछ रहा हूँ। मध्यम आय वर्गीय परिवार की पीक टैक्स रेट होती है, 30 प्रतिशत। आप- मैं 30 प्रतिशत से आयकर देते हैं और कॉर्पोरेट्स को टैक्स देना है 22 प्रतिशत। ध्यान रहे, हम हमारे खर्चों से हमारी सैलरी को कम नहीं कर सकते है, पर कॉर्पोरेट अपने खर्चों से अपने रेवेन्यूस को कम करके जो प्रॉफिट आता है, उस पर मात्र 22 प्रतिशत कर देना है। मेरा सवाल ये है कि Why are such rates, only rate cut limited to corporate? ये रेट कट सिर्फ कॉर्पोरेट तक ही सीमित क्यों है? क्योंकि मध्यम आय वर्गीय परिवारों पर इंकम टैक्स की पीक रेट 30 प्रतिशत से कर लिया जाता है और कॉर्पोरेट से 15 प्रतिशत या 22 प्रतिशत से कर लिया जा रहा है, ये भेदभाव क्यों?

3.जो मैं आंकड़ा देने जा रहा हूँ, ऐसा शायद पिछले 50 वर्षों में कभी नहीं हुआ होगा। वित्तीय वर्ष 2021 में जो कॉर्पोरेट टैक्स है, उनसे करों का कलैक्शन हुआ, 4,57,719 करोड़ और आपसे- मेरे से, हम जैसे मध्यम आय वर्गीय परिवारों से, निम्न आय वर्गीय परिवारों से करों का कलैक्शन हुआ 4,87,144 करोड़। मतलब हम आयकर कॉर्पोरेट से ज्यादा दे रहे हैं, ये पहली बार मैंने ये आंकड़ा देखा, क्योंकि सरकार ने कॉर्पोरेट्स के टैक्स रेट में कटौती की। मेरा सवाल ये है कि वित्तीय वर्ष 2022 में ऐसा अनुमान किया जा रहा है कि इन रेट कट्स के कारण, करों में कटौती के कारण सरकार को एक लाख करोड़ के राजस्व का घाटा होने की उम्मीद है। तो सरकार के लिए कॉर्पोरेट को रेट कट्स से 1 लाख करोड़ा का घाटा ठीक है, पर उस एक लाख करोड़ का प्रयोग सरकार भारत के 20 प्रतिशत परिवारों को 20 हजार रुपए सालाना देने में कर सकती थी, उसके लिए वो महत्वपूर्ण क्यों नहीं?

4. ये सूट-बूट की सरकार को मध्यम आय वर्गीय और निम्न आय वर्गीय परिवारों से घृणा क्यों है? क्यों हर निर्णय में ऐसा रिफ्लेक्ट होता है कि ये सरकार पूंजीपति मित्रों की तरफ अपने सारे निर्णयों को केन्द्रित करती है, इसमें मध्यम आय वर्गीय परिवार और निम्न आय वर्गीय परिवारों के लिए कुछ नहीं है। Why this government hates…, I am using a very strong word. क्यों ये सरकार मध्यम आय वर्गीय परिवार और निम्न आय वर्गीय परिवारों से घृणा करती है?

5. अमेरिका के ह्यूस्टन में हाउडी के नारे लगवाने से पहले, मात्र दो दिन पहले ये कॉर्पोरेट करों में कटौती क्यों की गई? क्या प्रधानमंत्री अमेरिका के हाउडी मोदी में जाने की ये एक शर्त थी कि जब तक आप कॉर्पोरेट टैक्सेस में कटौती नहीं करोगे, तब तक हम आपको अमेरिका में इस हाउडी कार्यक्रम में आने नहीं देंगे? ये क्या कारण था? ये संयोग है या प्रयोग कि अमेरिका जाने के मात्र दो दिन पहले कॉर्पोरेट करों में कटौती की गई और उसके दो दिन पश्चात प्रधानमंत्री जी हाउडी मोदी कार्यक्रम में शरीक हुए।

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