अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरूग्राम:जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा आज न्यायालय परिसर के मीडिएशन हाॅल में संविधान दिवस मनाया गया। इस मौके पर उपस्थित पैनल अधिवक्ताओं,पैरा लीगल वालंटियरों तथा स्टाफ के अन्य सदस्यों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस अवसर पर जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एंव मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी प्रदीप चैधरी ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया था। हमारे देश के संविधान की रचना बाबा साहिब भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की गई थी। हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है जिसमें 448 अनुछेद, 12 अनुसूचियां तथा 101 संशोधन किए गए। यह हस्त लिखित संविधान है और जिसे तैयार करने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा।
script async src=”https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js”>
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। सरकार ने 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया। उन्होंने कहा कि आज हम सब संविधान दिवस मना रहें हैंै। उन्होंने कहा कि किसी भी देश को चलाने के लिए नियमों का होना अत्यंत आवश्यक है। संविधान के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संविधान का अभिप्राय किसी भी देश के मुख्य कानून से है जिसकी पालना वहां रहने वाले लोगों को करनी होती है। संविधान सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे जिसे दो दिन बाद यानि 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। उन्होंने इस अवसर पर संविधान के महत्व को विस्तार से बताते हुए सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी।