विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि ऐसी योजनाओं के प्रोमोटर या तो अपने वादों को पूरा नहीं करते या एकत्र धन को लेकर फरार हो जाते हैं। कई मामलों में ऐसी योजना के प्रोमोटरों के विरुद्घ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें सजा दिलाने में काफी समय लग जाता है।
केंद्र तथा राज्य सरकारों ने अनेक कानून बनाए हैं, जो लोगों से पैसा लेने को विनियमित करते हैं तथा जालसाज लोगों को जनता के साथ धोखाधड़ी करने से रोकते हैं। इनमें चिट फंड अधिनियम 1982, भारतीय रिर्जव बैंक अधिनियम 1934, एसएसईबीआई अधिनियम 1992, कंपनी अधिनियम 2013 और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून शामिल हैं।
धोखाधड़ी के मामले में दोषी प्रत्येक अधिकारी को सात साल कैद या 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसे दो करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। जानबूझकर की गई चूक के मामले में कानून के तहत उसे अधिक सजा दी जा सकती है। किसी भी जमा योजना में निवेश करने से पूर्व कंपनी की वित्तीय स्थिति की जांच जरूर करें।