संवाददाता : देश में खुशहाली लाने के लिए कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों में खुशहाली लानी होगी। आज खेती घाटे का व्यवसाय बन गया है। इसको मुनाफे का व्यवसाय कैसे बनाया जाए, इसके लिए कृषि से जुड़े वैज्ञानिकों व इंजीनियरों को खोज करनी होगी।
यह बात हरियाणा के राज्यपाल प्रो० कप्तान सिंह सोलंकी ने कही। वे आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित इण्डियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के 51वें वार्षिक सम्मेलन तथा एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग फॉर सस्टेनेबल एण्ड क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के उदघाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि 1950 में देश की विकास दर में कृषि की 50 प्रतिशत भागीदारी थी जो वर्ष 2012-13 में घटकर 15 प्रतिशत रह गई। देश की विकास दर 10 प्रतिशत होनी चाहिए इसमें कृषि विकास दर को 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत पर लाना होगा। इसके लिए कृषि से जुुड़े वैज्ञानिक व इंजीनियर मिलकर ऐसे उपाय ढूंढे जिनसे उत्पादन लागत कम हो तथा उत्पादकता में सही गुणवत्ता के साथ वृद्धि हो तभी खेती को फायदे का व्यवसाय बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत की अर्थव्यवस्था आज 5 प्रतिशत पर है। हमें इसको बढ़ाकर 42 प्रतिशत पर लाना होगा। देश में खाद्यान्न की पैदावार 250 मिलियन टन है, इसमें दाल व दुग्ध उत्पादन में भारत प्रथम स्थान पर, सब्जी उत्पादन में दूसरे नम्बर पर तथा खाद्यान्नों में तीसरे स्थान पर है। हमें खाद्यान्नों में तीसरे से प्रथम स्थान पर आने के लिए भरसक प्रयास करने होंगे।
प्रो. सोलंकी ने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। आज देश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि व्यवसाय पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा आज का यह आयोजन देश की कृषि से जुड़े लोगों के लिए तकनीकी रूप से प्रेरणादायी रहेगा। उन्होंने कहा हरियाणा अपनी स्थापना की स्वर्ण जयन्ती मना रहा है। विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के अतिरिक्त 4 देशों के कृषि वैज्ञानिक व इंजीनियर भाग ले रहे हैं। इसी प्रकार बीते दिन सूरजकुंड में अंतर्राष्ट्रीय कला संस्कृति धरोहर व विश्व एकता मेले का समापन हुआ इसमें 22 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इससे पूर्व कुरूक्षेत्र में भी विश्व स्तरीय गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया था जिसमें 25 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। ये सभी कार्यक्रम स्वर्ण जयंती का हिस्सा हैं।
हकृवि के कुलपति प्रो० के. पी. सिंह ने उदघाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कृषि को लाभकारी तथा टिकाऊ बनाने में कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ कृषि इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा साल-दर-साल कृषि में मशीनीकरण की वृद्धि हो रही है। यह कृषि पैदावार को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने कृषि पैदावार को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं आरंभ की हैं लेकिन ये योजनाएं कृषि इंजीनियरों के योगदान के बिना सफल नहीं हो सकतीं। उन्होंने कृषि में मशीनीकरण को और बढ़ावा देने के लिए राज्य में कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय स्थापित किए जाने पर बल दिया।
कुलपति ने कहा कृषि में अभियांत्रिकी की भूमिका को देखते हुए इस विश्वविद्यालय में कृषि अभियांत्रिकी शिक्षा को और सुदृढ़ किया जा रहा है। हाल ही में एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग कॉलेज में दो नए विभाग स्थापित किए गए हैं तथा पी-एच.डी. पाठ्यक्रम भी आरंभ किए गए हैं। उन्होंने कहा प्रदेश में पराली जलाने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए विश्वविद्यालय में हाल ही में प्रदेश के मुख्य सचिव श्री डी.एस.ढेसी के मार्गदर्शन में विशेषज्ञों के साथ एक बैठक करके फसल अवशेषों के प्रबंधन पर एक प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इस अवसर पर आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, गुजरात के कुलपति एवं आईएसएई के अध्यक्ष डॉ. एन.सी. पटेल ने आईएसएई के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भी प्रत्येक राज्य में कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय बनाए जाने का समर्थन किया। कार्यक्रम को उपरोक्त सम्मेलन के संयोजक डॉ. ए.के. गोयल तथा हकृवि के एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन डॉ. आर.के. झोरड़ ने भी संबोधित किया।
इस मौके पर राज्यपाल ने एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में श्रेष्ठ अनुसंधान करने वाले चार वैज्ञानिकों को आईएसएई की ओर से सम्मानित किया। उन्होंने प्रो. बी.एस. पाठक व प्रो. आर.के. शिवानप्पन को मेसन वाघ पायनियर अवार्ड तथा डॉ. आर.टी. पाटिल व डॉ. सुरेन्द्र सिंह को लाईफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड प्रदान किए। उन्होंने एक स्मारिका तथा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए विज़न-2030 डॉक्युमैंट का भी विमोचन किया।
तीन दिवसीय इस सम्मेलन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के शोध संस्थानों के अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया तथा जापान से आए लगभग 30 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में फार्म मशीनरी एण्ड पॉवर इंजीनियरिंग, प्रोसैसिंग एण्ड फूड इंजीनियरिंग, सॉयल एण्ड वॉटर इंजीनियरिंग तथा रिन्यूवेबल एनर्जी इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में हाल ही में हुए अनुसंधानों पर चर्चा होगी। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों को ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में अनुसंधान के नए पहलुओं की पहचान करने का भी अवसर मिलेगा।
राज्यपाल ने उपरोक्त कार्यक्रम के पश्चात विश्वविद्यालय में इंजिन टैस्टिंग लैब तथा इंडस्ट्रियल एग्ज़ीबीशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक सचिव डॉ. एम.के. गर्ग, आईएसएई के महासचिव प्रो. इन्द्र मणी, एएमए जरनल के मुख्य संपादक प्रो. योशी किसिदा, उपायुक्त, हिसार श्री निखिल गजराज, पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र मीणा, जीजेयू के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, लुवास के कुलपति मेजर जनरल डॉ. श्रीकान्त आदि उपस्थित थे।
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