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फरीदाबाद के तीन पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे को अदालत ने किया खारिज, पत्रकारों ने किया फैसले का स्वागत

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:: राजनैतिक दबाव में एक भाजपा  नेत्री  की शिकायत पर शहर के तीन पत्रकारों के खिलाफ जबरन बनाए गए झूठे मुकदमे को न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने पर फरीदाबाद सहित पूरे हरियाणा के पत्रकारों ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है।  चीफ ज्यूडीशियल मजिस्टे्रट (सीजेएम)  संदीप चौहान की अदालत ने उक्त मुकदमे में चार्जशीट पर सभी पक्षों के वकीलों की बहस सुनने के बाद केस को सिरे से खारिज कर दिया। 

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर भाजपा की एक महिला नेत्री एवं एक विधायक को लेकर चल रही चर्चाओं के आधार पर फरीदाबाद के तीन पत्रकारों ने अपने-अपने न्यूज पोर्टल पर एक खबर प्रकाशित की थी। इन खबरों में ना तो किसी राजनैतिक दल, महिला नेत्री और विधायक के नाम व पहचान उजागर नहीं की गई थी। परंतु सत्ताधारी दल के चंद नेताओं के दबाव में थाना सूरजकुंड पुलिस ने 16 अप्रैल, 2018 को तीन वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ आईटी एक्ट 67ए, 354 डी एवं 499 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया, जबकि तीनों पत्रकारों द्वारा प्रकाशित खबरों में किसी व्यक्ति, महिला एवं राजनैतिक दल का नाम तक नहीं था। इसके बावजूद पुलिस ने बिना किसी जांच के ही मुकदमा दर्ज कर उन्हें गैर-कानूनी तरीके से हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से उस समय गिरफ्तार किया, जब ये तीनों पत्रकार धार्मिक स्थल पर जा रहे थे। इस संदर्भ में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तीनों पत्रकारों द्वारा संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दायर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा भी विचाराधीन है। परंतु इससे पहले जिला अदालत ने तीनों पत्रकारों सहित 6 लोगों पर दर्ज किए गए मुकदमे को खारिज कर दिया है।



काबिले गौर रहे कि इस मामले में पृथला विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा ने भी पुलिस कमिश्रर को लिखित शिकायत दी थी लेकिन मुकदमा टेकचंद शर्मा की बजाए भाजपा नेत्री  की शिकायत पर दर्ज किया गया था। अदालत में पत्रकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी त्रिखा, आर.के. भारद्वाज, शेखर आनंद गुप्ता एवं अशोक कौशिक ने बहस की। वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिखा ने अदालत के समक्ष उपरोक्त सभी धाराओं के तहत सिलसिलेवार अपना पक्ष रखा। इसी प्रकार से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. भारद्वाज ने हाईकोर्ट का एक पूर्व का फैसला दिखाया, जिसके तहत पत्रकार सहित सभी आरोपियों पर किसी प्रकार का मुकदमा बनता ही नहीं था।  पुलिस ने राजनैतिक दवाब में यह मुकदमा दर्ज किया था। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हुए मुकदमे को खारिज कर दिया। अदालत के इस निर्णय के बाद सिटी प्रैस क्लब के संरक्षक उत्तमराज,महेन्द्र सिंह ढुल व राकेश चौरसिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश शर्मा उर्फ नीटू, उपाध्यक्ष अनिल अरोड़ा, कोषाध्यक्ष पी.एस. माटा, संगठन सचिव दीपक गौतम, खेमचंद गर्ग, एनसीआर मीडिया क्लब के अध्यक्ष अमित नेहरा व उपाध्यक्ष सरोज अग्रवाल,वर्किंग जनर्लिस्ट ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी, अजीत सिन्हा आदि पदाधिकारियों व पत्रकारों ने खुशी व्यक्त की और कहा कि आखिर जीत सच्चाई की होती है। पत्रकारों का कहना है कि उन्हें अदालत के फैसले पर पूरा भरोसा था। 

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