जूही खान : केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि वह विधि आयोग की सिफारिशों के मुताबिक चुनाव सुधारों पर विचार कर रही है और दो या उससे अधिक वर्ष के लिए दोषी ठहराये जाने पर चुनाव लड़ने पर छह साल तक की रोक के प्रावधान को खत्म करने के लिए दायर याचिका पर ‘कुछ कार्रवाई’ निश्चित है।
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ के समक्ष सरकार ने अपना पक्ष रखा। पीठ चुनाव सुधार से जुड़े कई कदम उठाये जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।केंद्र ने पीठ को सूचित किया कि विधि आयोग ने अपनी दो रिपोर्ट में ‘चुनाव सुधार..राजनीतिक पार्टियों के विनियमन और पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को लेकर सिफारिश की है।केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘कानून और न्याय मंत्रालय ने सिफारिशों की जांच और इसके क्रियान्वयन का खाका तैयार करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों का एक कार्यदल गठित किया है।’’ सरकार अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका का जवाब दे रही थी। उपाध्याय ने अपनी याचिका में दावा किया है कि किसी जन प्रतिनिधि को छह वर्ष के लिए अयोग्य घोषित किया जाना संविधान के अनुरूप नहीं है।केंद्र सरकार ने न्यायालय से इस आधार पर याचिका को खारिज करने का आग्रह किया कि याचिकाकर्ता ने लोगों से जुड़े किसी व्यापक मुद्दे के लिए काम नहीं किया है।न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख मुकर्रर की है।