अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
साइबर अपराधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर निजी बैंक के प्रोजेक्ट मैनेजर को एक हफ्ते तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 52 लाख 50 हजार रुपये ठग लिए। आरोपितों ने पीड़ित से 10 खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर कराई। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है, पुलिस इसकी जांच कर रही है। एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि नोएडा के सेक्टर- 36 थाने में स्थित साइबर थाने में झारखंड निवासी जय राज शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई है कि गत 11 अगस्त को घर पर थे तभी उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया का कर्मचारी बताया।
उसने कहा कि उनका मोबाइल नंबर किसी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया है। दो घंटे में नंबर बंद हो जाएगा। ज्यादा जानकारी के लिए मोबाइल में एक बटन दबाने के लिए कहा गया। ऐसा करते ही कथित रूप से मुंबई के साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी से बात हुई। उस अधिकारी ने कहा कि आप मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल हैं। आप जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के सात करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग केस में लिप्त हैं। इससे वह डर गए। फिर जालसाजों ने कहा कि आपके खिलाफ कोलाबा मुंबई में मुकदमा दर्ज है। यह कहते हुए जालसाजों ने स्काइप कॉल पर उनको ले लिया।
जय राज शर्मा साइबर ठग मुंबई पुलिस के अधिकारियों बन कर उनसे पूछताछ शुरू की और कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। किसी से भी इसको लेकर बात की तो 20 साल से अधिक की जेल होगी और जुर्माना भी लगेगा। लगातार कैमरे और मोबाइल के सामने बैठने को कहा गया। इसी क्रम में यह भी जानकारी दी गई कि मामले की सुनवाई डिजिटल तौर पर अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में होगी। अगले दिन डिजिटल सुनवाई पूरी होने के बाद जज ने कहा कि सारी रकम सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट में ट्रांसफर की जाए ताकि आरबीआई इसकी जांच कर सके। ठगों ने कहा कि आईबीआई से क्लीन चिट मिलते ही रकम फिर से पीड़ित के मूल खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। इसके बाद 29 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद पीड़ित पर जेल जाने से बचने के लिए और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया जाने लगा। 52 लाख 50 हजार रुपये ट्रांसफर करने के बाद भी जब ठगों की मांग बढ़ती गई तो शिकायतकर्ता को शक हुआ और उसने रकम ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद ठगों ने पूरी तरह से पीड़ित से संपर्क तोड़ दिया। कुल सात दिन तक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया।
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