अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद :एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर अब्दुल सईद को आज एसआईटी सदस्य विमल राय ने आज जज शिवानी की अदालत में पेश किया जहां से एसआईटी ने अगले 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया हैं। इस दौरान पुलिस उससे गहनता से पूछताछ करेंगीं। पिछले 24 घंटों में आरोपी से जो भी पूछताछ एसआईटी टीम ने की हैं उनमें से एक भी शब्द मीडिया को अभी तक नहीं बताया गया हैं, जबकि अभी तक की जांच में जो भी बातें आई हैं उसे मीडिया से शेयर अवश्य करना चाहिए था.क्यूंकि इस केस के बारे में बारिकी से शहर की जनता जानना चाहती हैं.क्यूंकि एक आईपीएस स्तर अधिकारी के आत्म हत्या का मामला हैं, इस लिए कोई भी संबंधित अधिकारी एक भी शब्द अपने मुहं से बोलने को तैयार नहीं हैं। दूसरे एंगल से यह भी कह सकतें हैं कि आरोपी इंस्पेक्टर अब्दुल सईद से महकमें के लोग सहमें हुए हैं,क्यूंकि उसकी राजनितिक पहुंच और कई आईपीएस अधिकारीयों से मधुर संबंध होने का पता चला हैं।
एसआईटी सदस्य विमल राय ने आज दोपहर बाद आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल सईद को जज शिवानी की अदालत में पेश किया और वहां से 5 दिनों के पुलिस रिमांड मांगा पर अदालत ने उन्हें सिर्फ 4 दिनों के पुलिस रिमांड दिया हैं। आपको बतादें कि 14 अगस्त की सुबह तक़रीबन पौने छह बजे के आसपास एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर ने अपने सरकारी फ्लैट के ड्राइंग रूम के सोफे पर सर्विस रिवॉल्वर से अपने सिर में खुद को गोली मार ली जिससे उनकी वहीँ पर मौत गई थी। मौके से पुलिस को एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें भूपानी थाने के एसएचओ अब्दुल सईद व एक पत्रकार सतीश मलिक के द्वारा ब्लैक मेल करने का जिक्र किया गया था। ऐसी कौन सी बात थी जिसकी वजह से इस्पेक्टर अब्दुल सईद व पत्रकार सतीश मलिक आपस में मिलकर डीसीपी स्तर के अधिकारी को ब्लैकमेल कर रहे थे और वह उनसे डर कर आत्महत्या कर ली। यह खुलासा पुलिस ने अभी तक नहीं किया हैं। खबर मिली हैं कि काफी पहले इंस्पेक्टर अब्दुल सईद एनआईटी थाने में एसएचओ रहा था। उस दौरान उसकी मुलाकात सतीश मलिक नामक एक पत्रकार से अच्छी खासी जान पहचान हो गई।
बताया गया हैं कि निलंबित इंस्पेक्टर अब्दुल सईद ने एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर के खिलाफ खबरें एकत्रित करके पत्रकार सतीश मलिक को देता था.वह अपने अखबार में उस खबर को छाप देता था। सवाल हैं कि पत्रकार को तो कोई भी इंसान खबर देगा वह तो खबर छपेगा। क्यूंकि यह तो उसके अधिकार क्षेत्र का मामला हैं,इसमें तो कोई ब्लेकमेलिंग करने की बात तो हैं ही नहीं। यदि ब्लैक मेलिंग से जुड़े कोई और तथ्य पुलिस के पास हैं तो उसको मीडिया के सामने पुलिस रखे.वो तो अभी बताने की स्थिति में हैं नहीं। इसके लिए थोड़ा बहुत और इंतजार कर लेते हैं। क्यूंकि आरोपी इंस्पेक्टर अब्दुल सईद भी शातिर खोपड़ी हैं,धीरे-धीरे उसकी खोपड़ी खुलेगी। फिर सच सामने आएगा। इस खबर से आरोपी पत्रकार को सहायता करने के एंगल से बिल्कुल न पढ़े यदि वो गलत हैं तो गलत ही रहेगा। सवाल यह भी उठता हैं कि उसने एक खबर तक़रीबन दो महीने पहले अपने अख़बार में एनआईटी डीसीपी विक्रम कपूर के खिलाफ छापी थी,उसका असर दो महीने के बाद क्यों दिखा,इस बीच में पूरा पुलिस विभाग कर क्या रहा था। यदि उसकी खबर गलत थी तो उसको नोटिस करके पूछा जा सकता था छपी हुई खबर संबंध में। यदि यह भी उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था तो अदालत में इस मसले को ले जाते पर ऐसा उन्होनें कुछ भी नहीं किया।
इसका मतलब कोई न कोई गड़बड़ झाला तो था। जिसे दो लोगों के बीच में हैं एक था डीसीपी विक्रम कपूर जोकि अब रहे नहीं, दूसरा इंस्पेक्टर अब्दुल सईद जिसे एसआईटी ने गिरफ्तार किया हैं। अभी तक ब्यान जो पुलिस की तरफ से आए हैं वह हैं कि डीसीपी विक्रम कपूर आत्महत्या केस में अब्दुल सईद को गिरफ्तार कर लिया हैं और उसे 4 दिनों के रिमांड पर लिया हैं। अरे भाई अगले 24 घंटों से अधिक समय तक गिरफ्तार हैं इस दौरान जो भी खुलासा हुआ हैं वह तो मीडिया के सामने रखो,ताकि जनता के बीच असलियत पहुंचे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता। जानकारी यह भी मिली हैं कि जल्द ही पत्रकार सतीश मलिक के अख़बार के रजिस्टेशन रद्द कराने के लिए आरएनआई विभाग को पत्र लिखेगी पुलिस। पुलिस प्रशासन ज्यादा समय तक खामोश रही तो समझों बहुत बड़ा गड़बड़ झाला हैं, जो कि पुलिस अपने कमियों को छुपाने की कोशिश कर रही हैं। क्यूंकि एक इंस्पेक्टर के ब्लैकमेल करने से डीसीपी स्तर का अधिकारी मौत को गले लगा लेता हैं। पुलिस को असली राज उगलना चाहिए। ताकी जनता के सामने पुलिस प्रशासन की छबि ठीक रहे। इस घटना से धूमिल हुई हैं।