अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंड़ीगढ़:चालू पिराई सीजन के लिए गन्ना मूल्य निर्धारण को लेकर प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसानों में प्रदेश में शासित गठबंधन की सरकार के प्रति रोष पनप रहा है। जिस के चलते भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले आगामी 11 दिसंबर को पंचकूला के 21 सेक्टर स्थित कृषि विभाग के केन कमिश्नर के कार्यालय के समक्ष विरोध स्वरूप गन्ने की होली जलाने का निर्णय लिया गया है। इससे पूर्व माजरी चौंक से केन कमिश्नर के कार्यालय तक सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में पैदल रोष मार्च भी निकाला जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेशभर की सभी शुगर मिले करीब 2 सप्ताह से चली हुई है।
लेकिन प्रदेश की किसान विरोधी गठबंधन सरकार 2019-20 के चालू पिराई सीजन के लिए गन्ना मूल्य निर्धारण के मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है। जबकि गन्ना उपज लागत खर्च के साथ साथ खेतिहर मजदूरों की मजदूरी बढऩे से गन्ना खेती की लागत में लगातार वृद्वि हो रही है। जिसको लेकर किसानों में भारी रोष पनप रहा है। प्रदेशा ध्यक्ष मान ने सरकार से 340 से मात्र 400 रूपए प्रति किवंटल किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व गत 8 नवंबर को कृषि विभाग के एसीएस अजीत बाला जोशी को गन्ने का 400 रूपए प्रति किवंटल किए जाने का पंचकूला स्थित उनके कार्यालय में भाकियू की ओर से ज्ञापन भी सौंपा जा चुका है। लेकिन सरकार व कृषि विभाग की ओर से कोई जवाब नही मिला है।
उन्होंने कहा कि गत वर्ष के भाजपा सरकार के शासनकाल में गन्ने के मूल्य में मात्र 30 रूपए प्रति किवंटल की बढ़ौतरी की गई थी। जो नाकाफी रही है। सरकार की खामोशी से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार इस वर्ष के गन्ना खरीद मूल्य में बढ़ौतरी करने के पक्ष में नही है। रतनमान ने कहा कि सरकार की चुप्पी को तौडऩे के लिए 11 दिसंबर को प्रदेश भर से आने वाले आंदोलित किसान अपने अपने जिलों से गन्ना लेकर आएंगे। जिसे विरोध स्वरूप जला कर रोष जाहिर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गन्ना आंदोलन को लेकर प्रदेश में किसान तैयारियों में जुटे हुए है।