अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
रियल एस्टेट दिग्गज कंपनी सुपरटेक को बड़ा झटका लगा है. नेशनल लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की दिल्ली बेंच ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की याचिका पर बकाया का भुगतान न करने पर दिवालिया घोषित करने का फैसला लिया. इस फैसले से करीब 25 हजार होम बायर्स प्रभावित हो सकते हैं. जो कई वर्षों से डेवलपर के पास बुक किए गए अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं. नोएडा में सुपरटेक पर दोहरी मार पड़ी है इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में सुपरटेक के ट्विन टॉवर को गिराने के आदेश दिए थे। यह फैसला खरीदारों और बिल्डर के बीच 9 साल लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद आया था।
सुपरटेक के ट्विन टावर भी 22 मई को गिरा दिए जाएंगे। इससे पहले 10 अप्रैल को एक ब्लास्ट ट्रायल लिया जाएगा। इस झटके से सुपरटेक उभर नही पाइ थी, उस दिवालिया होने का पहाड टूट पड़ा एनसीएलटी ने हितेश गोयल को दिवाला समाधान पेशेवर (IRP) नियुक्त किया है। रियल एस्टेट के विशेषज्ञ अधिवक्ता प्रणव गुप्ता ने बताया, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 कानून के अंतर्गत एक बार जब कोई कंपनी कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में भर्ती हो जाती है तो समाधान प्राप्त होने तक निष्पादन सहित सभी लंबित सिविल, उपभोक्ता, रेरा मामलों पर धारा 14 मोरेटोरियम के तहत रोक लगा दी जाती है। प्रणव गुप्ता ने सुझाव दिया, होम बॉयर्स को तुरंत नियुक्त IRP के साथ अपना क्लेम फॉर्म CA व ऑपरेशनल क्रेडिटर्स (सपलायर व कॉन्ट्रैक्टर्स) को फॉर्म बी तत्काल दाखिल करना चाहिए। इससे IRP कंपनी में आपके द्वारा दिए गए पैसे, आपके द्वारा किए गए काम का खाका तैयार कर सके और क्रेडिटर्स जिसमें होम बॉयर्स आदि लोग COC (कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) का हिस्सा बन सकें।
एनसीएलटी के फैसले पर सुपरटेक की ओर से जारी की गई एक प्रेस रिलीज में कहा गया, इस फैसले के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील करेंगे। उन्होंने कहा, इस फैसले से उनके चल रहे प्रोजेक्ट सुपरनोवा, ओआरबी, गोल्फ कंट्री, ह्यूस, अजेलिया, इसक्यार वैली, बसेरा, मेट्रोपोलिस मॉल, पेंटागन मॉल और होटल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ये सभी प्रोजेक्ट दिल्ली NCR के हैं।
इस बीच नोएडा में प्राधिकरण ने बिल्डरों पर बकाए की ताजा सूची जारी की है। इसमें रजिडेंसियल परियोजनाओं सुपरटेक पर 645 करोड़ रुपए का बकाया है। हालांकि बकायेदारों की सूची में पहले स्थान पर यूनिटेक है। इस पर 8 हजार करोड़, आम्रपाली पर 3 हजार करोड़, एम्स मैक्स गार्डेनिया पर 1,123 करोड़, ग्रेनाइट गेट प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड पर 780 करोड़ बकाया है। इन सभी की प्रॉपर्टी सीज की जा रही है। हाल ही में 114 करोड़ बकाया होने पर जिला प्रशासन ने सुपरटेक के कमर्शियल ऑफिस को सीज किया था।
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