अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों। ये बात शाह और शहंशाह दोनों जानते हैं कि राहुल गांधी माफी तो मांगेंगे नहीं। लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से बड़ा खेद होता है, जब भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुबह-सुबह नींद भरी आंखों में बिना नहाए, बिना तैयारी किए आप लोगों को परेशान करने आ जाते हैं। क्योंकि जो परंपरा रही है भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं की, वो तो ये रही है कि दिन में व्हाट्सऐप को रिचार्ज करते हैं और शाम को अपना अधकचरा ज्ञान टीवी पर आकर बांट देते हैं। चलिए कुछ भी करते हों बेचारे, मेहनत तो करते हैं, अपने बॉस की तरह प्रेस वार्ता से बचकर भागते तो नहीं हैं, प्रेस वार्ता तो करते हैं कम से कम।
लंदन के वफादार, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ़ मुखबिरी करने वाले, 9 बार नाक रगड़ कर इंग्लैंड से माफी मांगने वाले, वाइसरॉय से पेंशन लेने वाले हमें देशभक्ति का ज्ञान देते हैं… वो भी सुबह-सुबह आकर तो हंसी आती है, रोना भी आता है, दुख भी होता है कि इस लोकतंत्र के क्या हाल कर दिए हैं। अब मैं ये लोकतंत्र के हाल पर यहाँ कुछ बोल रहा हूं तो ये लंदन में भी जा रही होगी बात, अमेरिका में भी जा रही होगी बात। लेकिन हमारे व्हाट्सऐप नर्सरी के छात्रों को शायद इसका ज्ञान नहीं है। सरकार के कामों की आलोचना करना देश की आलोचना करना नहीं होता। सरकार देश से बनती है, देश सरकार से नहीं बनता… यह बात शाह और शहंशाह और उनके तमाम वजीरों को अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए और उनके जो भोंपू मित्र हैं, उनको भी समझ लेनी चाहिए।
लोकतंत्र पर, देश की स्थिति पर अगर ये तमाम चर्चाएं यहाँ हिंदुस्तान में खुली हवा में होती रहें, यूट्यूब व ट्विटर के माध्यम से प्रसारित होती रहें, उससे लोकतंत्र मज़बूत ही होगा, कमजोर नहीं होगा। जैसा कि मैंने पिछले हफ्ते आपसे कहा था… चर्चा से लोकतंत्र कमजोर नहीं होता, चर्चा बंद कर देने से लोकतंत्र कमजोर होता है और हम चर्चा करना चाहते हैं। शाह और शहंशाह, दोनों को मैं एक सलाह दे दूं कि आप लोकतंत्र के किराएदार हैं, मकान मालिक नहीं है। मकान मालिक देश की जनता होती है तो आप अपने आपको किराएदार मानकर चलिए। आपसे बड़े-बड़े लोगों को, आपसे कहीं बड़े… कद में कहीं बड़े लोगों को इस पद पर बैठाया है जनता ने और पद से उतारा भी है जनता ने। तो हाथ जोड़कर आपसे नम्र निवेदन है कि किराएदार की तरह रहिए, मकान मालिक बनने की कोशिश मत कीजिए।
वैसे ये ड्रामा क्यों हो रहा है भारतीय जनता पार्टी का… आप तो जानते ही हैं क्यों हो रहा है, लेकिन आपके माध्यम से लोगों को भी हम बता दें कि ये ड्रामा हो रहा है क्योंकि राहुल गांधी जी प्रधानमंत्री के दोस्त के कारनामों पर प्रधानमंत्री से जवाब मांग रहे हैं और घबराई हुई भाजपा रोज़ नया-नया शिगूफा छोड़ रही है, रोज़ आपका ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है, रोज़ सवालों से बचने की कोशिश कर रही है और ऐसी स्थिति ना पैदा हो जाए कि संसद में प्रधानमंत्री बैठे हों और राहुल गांधी जी खड़े होकर फिर से अडानी जी का नाम ले लें… ये घबराहट है। असली ड्रामा जो हो रहा है, वो इस वजह से हो रहा है।हम फिर जानना चाहते हैं आप जेपीसी का गठन क्यों नहीं करते? हम फिर जानना चाह रहे हैं कि जब राहुल गांधी जी गौतम अडानी का नाम लेते हैं संसद में, हमारे मल्लिकार्जुन खरगे जी जब नाम लेते हैं तब आप वो शब्द एक्सपंज क्यों कर देते हैं, तब आप कार्यवाही से वो शब्द क्यों निकाल देते हैं? लोकतंत्र का जयचंद बनना है… बनिए, फिर ये मत कहिएगा बाद में कि इतिहास में हमें जयचंद क्यों कहा जा रहा है। इतिहास में आपको जयचंद ही कहा जाएगा अगर आप इस तरह से अपने दोस्त को ज्यादा तवज्जो देंगे और देश को नहीं देंगे। हम फिर से आपसे निवेदन करते हैं, आग्रह करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अब आप देश की सोचेंगे, दोस्त की नहीं।