अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने यूएसएआईडी फंड के बारे में फैलाए गए झूठ का पर्दाफाश करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला है। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा है कि भाजपा-आरएसएस इकोसिस्टम द्वारा फैलाई गई 21 मिलियन डॉलर की पूरी कहानी भारत में कांग्रेस सरकारों को अस्थिर करने के लिए विदेशी फंड का इस्तेमाल करने के अपने पापों से ध्यान हटाने के लिए बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते से एक कहानी चलाई रही है कि यूएसएआईडी ने मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए। लेकिन, जब इस बारे में मोदी सरकार से सवाल पूछा गया तो कहा गया कि ये पैसा 2012 में यूपीए के समय आया था। अब यह सच सामने आया है कि यूएसएआईडी की 21 मिलियन डॉलर की राशि भारत को नहीं, बल्कि बांग्लादेश को दी गई थी।
उन्होंने कहा, एक समय भारत के प्रधानमंत्री के पद की ऐसी साख होती थी कि अमेरिका तक को पीछे हटना पड़ता था, लेकिन आज अमेरिका से बांग्लादेश में 21 मिलियन डॉलर आ गए, पर नरेंद्र मोदी को कुछ पता ही नहीं। उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार का ये कैसा खुफिया तंत्र है। क्या बांग्लादेश में आई अस्थिरता का असर भारत पर नहीं पड़ेगा। यूएसएआईडी और मोदी सरकार के संबंधों को उजागर करते हुए खेड़ा ने बताया कि मोदी सरकार के मंत्री लगातार यूएसए आईडी के अधिकारियों से मुलाकात करते हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारत व यूएसएआईडी के बीच समझौता ज्ञापन की घोषणा की थी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यूएसएआईडी के साथ सहयोग पर चर्चा की थी। 2016 में नोटबंदी से ठीक पहले मोदी सरकार ने यूएसएआईडी से कैशलेस इकोनॉमी पर समझौता किया था। कोविड काल में नरेंद्र मोदी ने यूएसएआईडी से 100 मिलियन डॉलर लिया। 21 जनवरी 2025 को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने यूएस-भारत रणनीतिक भागीदारी मंच के तहत यूएसएआईडी द्वारा आयोजित पैनल चर्चा में भाग लिया था।
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खेड़ा ने कहा, श्रीमती इंदिरा गांधी सही थीं, जब उन्होंने भाजपा के वैचारिक पूर्वजों और जनता पार्टी के विदेशी हाथ की ओर इशारा किया था। आरएसएस हमेशा से अमेरिका की कठपुतली रहा है। इंदिरा गांधी जी जब प्रधानमंत्री थीं, तब अमेरिका ने जयप्रकाश नारायण के पूरे आंदोलन की खूब तारीफ की थी। आरएसएस के दो प्रमुख नेता अमेरिका जाकर इंदिरा गांधी जी के खिलाफ उल्टी-सीधी बातें अखबारों में छपवाते थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका, इंदिरा गांधी जी से बांग्लादेश के गठन के समय हुए अपमान का बदला लेना चाहता था। ऐसे में आरएसएस अमेरिका के हाथ की कठपुतली बन गया। उससे पहले जब आरएसएस ने नेहरू जी के खिलाफ आंदोलन किया, उसकी फंडिंग भी अमेरिका कर रहा था। सीआईए के एक एजेंट ने बताया था कि आरएसएस दशकों से अमेरिका से पैसे ले रहा है, ताकि कांग्रेस की सरकारों को अस्थिर किया जा सके। आरएसएस ने उस समय कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कामराज जी की हत्या की साजिश भी रची।
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पवन खेड़ा ने 2012 में केंद्र में यूपीए सरकार को अस्थिर करने के लिए अन्ना हजारे-केजरीवाल के नेतृत्व में किए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान फोर्ड फाउंडेशन द्वारा की गई भारी फंडिंग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और विवेकानंद फाउंडेशन की उस आंदोलन में भूमिका सार्वजनिक है। खेड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि मोदी बिना बुलाए अमेरिका गए थे। ट्रंप जब भारत पर टैरिफ थोपने की धमकी दे रहे थे और अपमान कर रहे थे, तब मोदी मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी, ट्रंप से एकतरफा रिश्ता निभाते हुए देश की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। खेड़ा ने मोदी सरकार से यूएसएआईडी फंडिंग के मामले में श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि वैश्विक भागीदारी में ग्लोबल फंडिंग एजेंसियों को गलत नहीं माना जा सकता, लेकिन उनका दुरुपयोग या सदुपयोग हो रहा है, ये श्वेत पत्र से पता चलेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी एक ब्लैक पेपर लेकर आएगी और आरएसएस के इन एजेंसियों के साथ रिश्तों को उजागर करेगी।