अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:राज्यसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने आरोप दोहराते हुए कहा कि विपक्षी सदस्यों को सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभापति एक अंपायर की तरह होते हैं, जिन्हें निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए। लेकिन सभापति और सरकार नहीं चाहते कि विपक्षी सदस्य सदन में अपनी बात रखे।
उन्होंने कहा कि सदन में विपक्षी सदस्य जन सरोकार के मुद्दे उठाना चाहते थे और उनका समाधान चाहते थे। लेकिन विपक्ष को वक़्त ही नहीं दिया जा रहा है। सत्ता पक्ष के लोग अगर कानून के खिलाफ भी बात करते हैं तो उन्हें मौका दिया जाता है। यह दुख की बात है कि जो लोग किसी विषय पर नहीं बोलना चाहते, सिर्फ दूसरों पर टीका-टिप्पणी करने में लगे रहते हैं, उन्हें सरकार और सभापति की ओर से प्रोत्साहन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वे अपनी बात कहने के लिए कई बार उठे, लेकिन सभापति ने उनके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने आगे कहा कि सभापति को किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए। दोनों पक्षों को बराबरी का दर्जा देना चाहिए।खरगे ने कहा कि एक तरफ नेता सदन को बात करने के लिए मौका दिया जाता है, दूसरी तरफ विपक्ष में बैठे हुए लोगों को मौका ही नहीं मिलता। इस बारे में विपक्ष ने कई बार अपील की, लेकिन वे सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं।
आज तक ऐसा नहीं हुआ कि सत्ता पक्ष ही सदन स्थगित करने के लिए आगे आता हो। विपक्ष के नेता शांति से सुनना चाहते हैं, बहस करना चाहते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष के लोग वेल के नजदीक आकर चिल्लाते हैं। उन्होंने कहा कि सभापति हमेशा कहते हैं कि वह किसान के बेटे हैं। हम भी किसान और मजदूर के बेटे हैं। मैं कभी डरने वाला नहीं हूं। मैं अपने स्वाभिमान के लिए लड़ता रहूंगा। हम लड़ते आए हैं और ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक हमें समान अधिकार नहीं मिल जाते। संविधान के तहत विपक्ष को जो मिलना चाहिए, वह अगर नहीं मिला तो विपक्ष लड़ता रहेगा। सदन में जब विपक्ष के नेता खड़े होते हैं तो पूरा सत्ता पक्ष खड़ा हो जाता है। उन्हें शांत कराना और विपक्षी नेताओं को बोलने देना सभापति का काम है और पूर्व में कई सभापति यह करते आए हैं।खरगे ने कहा कि आजकल सदन में ऐसा माहौल हो गया है कि टीवी चैनल भी सत्ता पक्ष का, दिखाने वाले भी उनके, यानी सब कुछ उनके कंट्रोल में है। विपक्षी नेता जब बोलते हैं, तब उन्हें दिखाया नहीं जाता। ऐसा पहले नहीं था। पहले सभापति को भी दिखाया जाता था और जो बोलते थे, उनको भी दिखाया जाता था। लेकिन अब विपक्षी नेताओं को न दिखाकर देशवासियों के बीच ऐसा दर्शाने की कोशिश की जाती है कि सदन में विपक्ष के लोग ही हंगामा करते हैं।खरगे ने कहा कि असलियत में हंगामा सत्ता पक्ष करता है। सदन में हमारे बोलने के समय सत्ता पक्ष के लोग हंगामा करने लगते हैं, ऐसे में हमें जोर से बोलना पड़ता है, जो कि हमें पसंद नहीं है, लेकिन ये सब मजबूरी में करना पड़ता है। अगर सत्ता पक्ष अपनी गलतियां नहीं सुधारेगा और दूसरों को बात करने के लिए मौका नहीं देगा, तो लोकतांत्रिक तरीके से सदन कैसे चल पाएगा।
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