अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
महान स्वर साम्राज्ञी, हर संगीत प्रेमी के हृदय में निवास करने वाली स्वरकोकिला, दिव्य एवं अलौकिक व्यक्तित्व की धनी भारत रत्न लता मंगेशकर जी का निधन अत्यंत ही दुःखद एवं हृदय विदारक है। मैं इस दुःखद खबर से मर्माहत हूँ। यह न केवल संपूर्ण कला जगत के लिए बल्कि समग्र राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।आत्मा के तारों को झंकृत कर देने वाली आवाज के आज यूं खामोश हो जाने से मन अत्यंत ही व्यथित है। लता दीदी देश की आवाज थीं और संगीत जगत की सिरमौर थी। वे सभी संगीत साधकों के लिए प्रेरणा थी। बेहद शांत स्वभाव की लता दीदी एक प्रखर देश भक्त थीं। उन्होंने देशवासियों को सदैव ही अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित किया। वह हमारे बीच ऐसी शून्यता छोड़ गई हैं जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी।
लता दीदी ने 36 भाषाओं में लगभग 50 हजार गाने गाए, जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1,000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। उनके बिना संगीत की कल्पना नहीं की जा सकती। 13 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने गायन आरंभ कर दिया था। लता दीदी को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया था। इससे पहले उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। गायन के लिए लता दीदी को कई राष्ट्रीय पुरस्कार सहित कई अवार्ड मिले। लता दीदी अपनी सुरों और अपने व्यक्तित्व के माध्यम से हम सबके बीच रहेंगी और हमारे दिलों में धड़कती रहेंगी।
मैं परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे महान दिवंगत आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दें और शोकाकुल परिजनों व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें। मैं अपनी ओर से और भारतीय जनता पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से उनकी चरणों में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। ॐ शांति!
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments