अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने तीन सिद्धांतों को अपना कर दिल्ली में आज कोरोना को काबू किया है। हमारे तीन सिद्धांत, कोरोना की लड़ाई अकेले नहीं जीत सकते, बुराई करने वालों का हमने बुरा नहीं माना और एकजुटता व टीम वर्क थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के फार्मूले के मुताबिक, 15 जुलाई तक दिल्ली में कुल 2.25 लाख केस होने का अनुमान था, जिसमें 1.34 लाख केस एक्टिव होने और 34 हजार बेड की जरूरत पड़ने की संभावना थी, लेकिन आज (15 जुलाई तक) दिल्ली में कुल 1.15 लाख केस है, जिसमें 18600 एक्टिव केस है और सिर्फ 4 हजार बेड की जरूरत पड़ी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जून के मुकाबले आज हमारी स्थिति काफी बेहतर है, लेकिन अभी कोरोना की जंग जीती नहीं है और रास्ता अभी काफी लंबा है। हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेंगे। हम अपनी तैयारी जारी रखेंगे। सभी को मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और बार-बार हाथ धोते रहना जरूरी है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि आज से डेढ़ माह पहले, लगभग एक जून के आसपास जब लाॅकडाउन खत्म हुआ, तब दिल्ली में कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे थे। केंद्र सरकार ने एक फार्मूला बनाया है कि जो केस बढ़ या घट रहे हैं, उसके मुताबिक अगले महीने कितने केस हो जाएंगे और उसके अगले महीने कितने केस हो जाएंगे, इसका अनुमान लगाया जाता है, ताकि उसके मुताबिक आगे की तैयारी की जा सके। केंद्र सरकार के फार्मूले के हिसाब से हम लोगों ने जून के पहले सप्ताह में अनुमान लगया था कि इसी रफ्तार से केस बढ़ते रहे, तो 30 जून, 15 और 31 जुलाई को कितने केस हो जाएंगे और यह अनुमान हम लोगों ने दिल्ली की जनता के सामने भी रखा था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उस अनुमान के मुताबिक 15 जुलाई तक दिल्ली में 2.25 लाख केस होने की संभावना थी। उसमें से 1 लाख 34 हजार केस एक्टिव होने चाहिए थे और इन एक्टिव केस के लिए लगभग 34 हजार बेड की जरूरत थी। लेकिन पिछले डेढ़ महीने से जिस तरह से दिल्ली के 2 करोड़ लोगों, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के साथ विभिन्न संस्थाओं समेत हम सबने मिल कर जो प्रयास किए, अब उसके नतीजे अच्छे आ रहे हैं। 15 जुलाई तक अनुमान था कि दिल्ली में 2.25 लाख केस हो जाएंगे, लेकिन हकीकत यह है कि आज उस अनुमान से आधे ही केस हैं। आज की तारीख में 1 लाख 15 हजार केस हैं। 15 जुलाई तक 1 लाख 34 हजार केस एक्टिव होने का अनुमान था, लेकिन आज केवल 18 हजार 600 केस एक्टिव हैं। अनुमान था कि अस्पतालों में 34 हजार बेड की जरूरत पड़ेगी, लेकिन आज दिल्ली में केवल 4 हजार बेड की जरूरत पड़ रही है। आज की तारीख में दिल्ली सरकार ने करीब 15 हजार बेड का इंतजाम कर लिया है और अभी 11 हजार से अधिक बेड खाली हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में आज स्थिति काफी नियंत्रण में नजर आ रही है। लेकिन मैं हमेशा कहता हूं कि हमें यह मान कर नहीं बैठना है कि सब ठीक हो गया है। कभी भी कोरोना बढ़ सकता है और हमें इसकी तैयारी जारी रखनी है। पिछले डेढ़ महीने तक हम लोगों ने दिन-रात मिल कर मेहनत करके स्थिति को ठीक किया है, इसके लिए मैं सभी लोगों का धन्यवाद करता हूं। खास कर दिल्ली के 2 दो करोड़ लोगों और उन सभी लोगों का, जिन्होंने कोरोना को काबू में करने के लिए मेहतन की है। मेरा मानना है कि यह सिर्फ केजरीवाल और हमारे मंत्रियों की वजह से नहीं हुआ है। यह सब हमारे लोगों, डाॅक्टर, नर्स, कोरोना योद्धाओं की वजह से हो सका है,जो अपनी जान दांव पर लगा कर रात दिन काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में हमने तीन सिद्धांतों पर काम किया है। पहला, हमने यह महसूस किया और हमारा निष्कर्ष निकला कि कोरोना इतनी बड़ी महामारी है कि इसे अकेले नहीं जीता जा सकता है। अगर दिल्ली सरकार यह सोचती कि इसे अकेले जीत लेंगे, तो हम असफल हो जाते। इसीलिए हमने सबका साथ मांगा। हम केंद्र सरकार, होटल, प्राइवेट अस्पताल, बैंक्वेट, एनजीओ और धार्मिक संस्थाओं समेत सभी के पास गए। पहला हमारा सिद्धांत था कि इस लड़ाई को अकेले नहीं जीता जा सकता है। इसमें हमने सभी राजनीतिक पार्टियों का भी साथ लिया। आज मैं सभी पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस सभी का शुक्रिया करना चाहता हूं। दूसरा, जब चीजें गलत चल रही थीं, तब हर व्यक्ति गलतियां निकाल रहा था। हमने उस पर नाराजगी जाहिर नहीं की। हमने उस पर गुस्सा नहीं किया। चाहे मीडिया हो या कोई और वीडिया शूट करके सोशल मीडिया पर डालता रहा हो, कोई भी हमें हमारी गलती बताता था, हम उसे नोट करके उस गलती को सुधारने की कोशिश करते थे। यही कारण है कि जिस एलएनजेपी अस्पताल के बारे में जून के पहले सप्ताह में इतनी कमियां निकाली जा रही थी, हमने एक-एक कमियों को नोट करके ठीक किया। जिन-जिन पत्रकारों ने स्टोरी की, उनसे और संपादकों को काॅल करके पूछा कि आप बताइए, कहां कमियां है और कैसे ठीक करें। मुझे बहुत खुशी है कि जिस एलएनजेपी अस्पताल की बुराई की जा रही थी, आज उसी की इतनी तारीफ की जा रही है। इसका सारा श्रेय मैं एलएनजेपी अस्पताल के डाॅक्टर, नर्स, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, डायरेक्टर और अस्पताल प्रशासन को देता हूं, जिन्होंने बहुत मेहनत की। हमारा दूसरा सिद्धांता था कि जिन्होंने हमारी बुराई की, हमने उनका कभी बुरा नहीं माना।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सब लोगों ने कभी हार नहीं मानी। ऐसा कोई पल नहीं आया, जब हमें लगा हो कि अब स्थिति नियंत्रण में नहीं है और अब हम कुछ नहीं कर सकते हैं। यदि हम हार मान लेते तो पता नहीं कितनी मौतें हो जाती। हम लगे रहे और हमें यकीन था कि मेहनत अंत में काम आएगी। सब लोगों की जुबां पर अब दिल्ली माॅडल है। प्रधानमंत्री जी खुद दिल्ली माॅडल की तारीफ की है। उनका कहना है कि बाकी राज्यों में दिल्ली माॅडल लागू होने चाहिए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आखिर यह दिल्ली माॅडल है क्या? इस दिल्ली माॅडल की बुनियाद एकजुटता और टीम वर्क, सबको साथ लेकर चलना है। हम सभी ने बैठ कर पूरी योजना बनाई कि कहां-कहां, क्या-क्या करने की जरूरत है। उस योजना में हमें जहां लगा कि किसी चीज की जरूरत है और वह हमारे पास नहीं है, तो वह किसके पास है, हम उसके पास गए। हमने उससे मिन्नतें की और मदद लेकर आए। मसलन, टेस्टिंग कम हो रही थी। हम जांच बढ़ाना चाहते थे, लेकिन हमारी एक सीमित क्षमता थी। दिल्ली के अंदर अधिकतम 10 हजार टेस्ट हो सकते थे। हमने केंद्र सरकार से मदद मांगी। केंद्र सरकार ने हमारी मदद की। दिल्ली में सबसे पहले एंटीजन टेस्ट शुरू किए गए। केंद्र सरकार ने शुरूआती टेस्टिंग किट हमें दी और हमने एकाएक 20 से 22 हजार प्रतिदिन जांच करनी शुरू कर दी। एकजुटता और टीम वर्क हमारा तीसरा सिद्धांत था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण होम आइसोलेशन था। लोगों के मन में डर था। आज भी पूरी दुनिया और देश के लोगों में यह डर है कि कोरोना हो गया, तो पता नहीं क्या होगा? लोगों को एक और डर है कि कोरोना पाॅजिटिव आ गया, तो सरकार उठा कर क्वारंटीन सेंटर, आइसोलेशन या अस्पताल में डाल देगी। जब हमने होम आइसोलेशन शुरू किया, तो हमने इसे लोगों के लिए काफी आरामदायक कर दिया। हमारी डाॅक्टरों की टीम होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के घर जाती है, उन्हें सभी ऐहतियात बताती है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है? हम उनको एक आॅक्सी मीटर देते हैं, ताकि वो दो-दो घंटे के अंतराल पर अपना आॅक्सीजन स्तर मापते रहें। यदि आॅक्सीजन का स्तर कम हो जाए, तो आप हमें फोन कर दें, हम आपको अस्पताल लेकर जाएंगे। किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगले 10 से 12 दिनों तक, जब तक कोरोना ठीक नहीं हो जाता है, तब तक प्रतिदिन उन लोगों को डाॅक्टर का फोन जाता है। डाॅक्टर उनके तबीयत के बारे में पूछते रहते हैं। उनकी टेली काउंसलिंग की जाती है। आज होम आइसोलेशन में करीब 80 से 9़0 प्रतिशत लोगों का इलाज चल रहा है। दिल्ली के अंदर होम आइसोलेशन इतनी शानदार तरीके से लागू किया गया कि इसकी चर्चा आज चारों तरफ हो रही है। इस होम आइसोलेशन का फायदा यह हुआ कि पहले लोग अपनी जांच कराने से डरते थे। उनको लगता था कि टेस्ट में रिपोर्ट पाॅजिटिव आई, तो उन्हें उठा कर क्वारंटीन सेंटर में डाल दिया जाएगा। आज भी कई राज्यों में लोग इसीलिए जांच नहीं करा रहे हैं, क्योंकि वहां पर होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं है। वहां पर जो भी पाॅजिटिव आता है, चाहे वह बिना लक्षण वाला हो या हल्के लक्षणों वाला हो, उसे उठा कर क्वारंटीन सेंटर में डाल दिया जाता है। इसलिए कोई भी जांच नहीं कराना चाहता है। जब तक तबीयत अधिक गंभीर नहीं हो जाए और अस्पताल जाने की मजबूरी नहीं हो जाए, तब तक कोई जांच नहीं कराना चाहता है। तब तक वह समाज में धूमता रहता है और 10 अन्य लोगों को कोरोना कर देता है। हमने होम आइसोलेशन किया, लोगों का डर खत्म हुआ। इसलिए लोगों ने खूब जांच कराई। अब हम बहुत ही अक्रामक स्तर पर जांच कर रहे हैं। पहले 5 हजार टेस्ट होते थे, लेकिन अब 20 से 22 हजार प्रतिदिन टेस्ट हो रहे हैं। जिसको कोरोना मिलता है, उसे आइसोलेट कर देते हैं।