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दिल्ली

आईएएस राजशेखर के खिलाफ विभिन्न शिकायतों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी दिल्ली सरकार

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली सरकार आईएएस वाईवीवीजे राजशेखर के खिलाफ कई शिकायतें मिलने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने जा रही है। सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दागी आईएएस अधिकारी वाईवीवीजे राजशेखर के तत्काल तबादले की मांग करते हुए सीएम  अरविंद केजरीवाल को एक अनुरोध पत्र सौंपा है। इस पत्र में राजशेखर के भ्रष्टाचार और कदाचार के इतिहास से जुड़ी शिकायतों के बारे में विस्तृत विवरण है। वाईवीवीजे राजशेखर वर्तमान में दिल्ली सरकार में सतर्कता और सर्विसेज विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं। सर्विसेज मंत्री ने कहा है कि आधिकारिक रिकॉर्ड और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

मुख्यमंत्री को सौंपे गए विस्तृत ब्योरे में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भ्रष्टाचार और कदाचार के विभिन्न कार्यों में राजशेखर की संलिप्तता की शिकायतों पर प्रकाश डाला है। मंत्री ने सतर्कता विभाग में राजशेखर की मौजूदगी के चलते पड़ रहे नकारात्मक असर को लेकर भी गंभीर चिंता व्यक्त की है। साथ ही इनके आधार पर उनके स्थानांतरण या निष्कासन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। मंत्री ने निजी हित के लिए झूठी, तुच्छ और मनगढ़ंत गलत सूचनाओं के लगातार प्रसार के लिए राजशेखर की कड़ी निंदा की है। एआईएस (आचरण) नियम-1968 के उल्लंघन की ओर इशारा करते हुए मंत्री ने राजशेखर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया है, ताकि उनके अपराधों को संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, मंत्री ने सिफारिश की है कि राजशेखर से जुड़ी भ्रष्ट आचरण और कदाचार की कई शिकायतों की जांच एक एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए। राजशेखर के खिलाफ घोर अवज्ञा, अनुशासनहीन व्यवहार, भौतिक तथ्यों का मिथ्याकरण समेत अन्य गंभीर अपराध के आरोप लगे हैं। सर्विस मंत्री द्वारा सीएम अरविंद केजरीवाल को सौंपे गए नोट के मुताबिक, एक शिकायत के बाद 13 मई 2023 को वाईवीवीजे राजशेखर को दिए गए सभी कार्यों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया था। आरोप था कि वह जबरन वसूली का रैकेट चला रहे थे और प्रोटेक्शन मनी की मांग कर रहे थे। सेवा मंत्री द्वारा 13 मई 2023 को जारी एक अन्य नोट में उन्हीं निर्देशों को दोहराया गया था, जिसमें ये भी निर्देश दिया गया था कि सतर्कता विभाग के सभी सहायक निदेशक सीधे सचिव (सतर्कता) को फाइलें प्रस्तुत करें। सचिव (सतर्कता) को विशेष सचिव (सतर्कता) द्वारा रखी जा रही सभी फाइलों को कब्जे में लेने का निर्देश दिया गया था, ताकि बाद में आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ या उनको नष्ट न किया जा सके। पत्र में कहा गया है कि जैसा कि उपरोक्त संदर्भित आदेशों से स्पष्ट है कि किसी भी स्तर पर सचिव (सतर्कता) को मंत्री के कार्यालय में फाइलें रखने के लिए या सौंपने के कोई निर्देश जारी किए गए हों। आदेश स्पष्ट थे – फाइल राजशेखर से लेकर किसी भी अन्य अफ़सर को दे दी जायें । इन लिखित आदेशों के बावजूद वाईवीवीजे राजशेखर ने जानबूझकर और अवैध रूप से सतर्कता विभाग से संबंधित कई फाइलों को गलत उद्देश्यों के चलते कब्जे में रख लिया। इसके अलावा, अपने वरिष्ठों के निर्देशों का पालन करने और खुद को निष्पक्ष जांच के लिए प्रस्तुत करने के बजाय उन्होंने झूठी व मनगढ़ंत कहानियों का सहारा लिया और दिल्ली के प्रभारी मंत्री और सचिव (सतर्कता) के कामकाज की विश्वसनीयता को भंग करने के लिए उनको मीडिया से साझा किया।
ऐसा करके राजशेखर ने निम्न बातों का घोर उल्लंघन किया है-
ए- एआईएस नियम-3(1)(1ए), 3(2)(2ए),(2बी)(vi)(vii)(x)(xii) और नियम-3(3)(1)(i) अधिकारियों के आचरण की सत्यनिष्ठा व कर्तव्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए कई सामान्य और विशिष्ट व्यवहार निर्धारित करता है।

बी- एआईएस नियम-7 के तहत सभी एआईएस अधिकारियों को सरकार की आलोचना पर रोक है। नियम-7, अन्य बातों के साथ-साथ यह कहता है कि सेवा का कोई भी सदस्य, किसी रेडियो प्रसारण या किसी भी सार्वजनिक मीडिया पर संचार या गुमनाम रूप से छद्म नाम से या अपने नाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से प्रकाशित किसी दस्तावेज़ में या प्रेस को कोई सूचना या किसी सार्वजनिक बयान में तथ्य या राय का कोई बयान देना, (i) जिसका केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी मौजूदा या हालिया नीति या कार्रवाई की प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव हो या (ii) जो केंद्र सरकार और किसी भी राज्य सरकार के बीच संबंधों को शर्मसार करने में सक्षम है या (iii)…।

सी- एआईएस नियम-9 जो सूचना के अनधिकृत संचार से संबंधित है। यह नियम निर्धारित करता है कि सेवा का कोई भी सदस्य सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश के अनुसार या उसे सौंपे गए कर्तव्यों के अच्छे विश्वास के प्रदर्शन के अलावा, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी आधिकारिक दस्तावेज या उसके भाग या सूचना को किसी भी सरकार को संप्रेषित नहीं करेगा, जब तक कि वो कर्मचारी या कोई अन्य व्यक्ति इस तरह के दस्तावेज़ या सूचना को संप्रेषित करने के लिए अधिकृत नहीं है।

डी- एआईएस नियम-17 में अन्य बातों के साथ-साथ ‘सेवा के सदस्यों के कार्यों और चरित्र की पुष्टि’ का उल्लेख किया गया है। सेवा का कोई भी सदस्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना किसी भी आधिकारिक कार्य के लिए किसी कोर्ट या प्रेस की मदद नहीं लेगा, जो प्रतिकूल आलोचना या मानहानिकारक चरित्र का विषय रहा हो…।

ई- एआईएस नियम-18 में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी उल्लेख है कि सेवा का कोई भी सदस्य, सरकार के अधीन उनकी सेवा से संबंधित किसी भी वरिष्ठ अधिकारी पर कोई राजनीतिक या अन्य प्रभाव डालने का प्रयास नहीं करेगा।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पत्र में खुलासा किया है कि राजशेखर का पूरे कार्यकाल का इतिहास विभिन्न भ्रष्टाचार संबंधी मामलों के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और दिल्ली की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) की जांच के दायरे में रहा है। मेरे मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद ऐसे कई मौके आए, जब राजशेखर के गैरकानूनी, झूठा और गुंडागर्दी करने के आरोप मेरे संज्ञान में आए। इस वजह से जनहित में यह उचित माना गया कि पारदर्शी तरीके से इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए। और तब तक उनके पास कोई जाँच से जुड़े काम ना दिए जायें। इसी तरह सर्विसिज़ के काम भी उनसे ले लिए गए थे। 
 
गौरतलब है कि अभी पिछले सप्ताह राजशेखर के खिलाफ एक और गंभीर आरोप लगे हैं। इसमें राजशेखर पर सेवा विभाग में 15 करोड़ रुपए का ‘कैश फॉर कम्पैशनेट जॉब्स घोटाले’ के पीछे मास्टर माइंड होने का आरोप है। उक्त शिकायत में दावा किया गया है कि राजशेखर अनुकंपा के आधार पर हर नियुक्ति के लिए 5 लाख रुपए की मांग करते हुए एक संगठित रैकेट चला रहे हैं। ऐसे 300 उम्मीदवारों से 15 करोड़ रुपए लिए गए। इनमें एक शिकायतकर्ता भी है। यह गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या राजशेखर ने वास्तव में दिल्ली सरकार के उन कर्मचारियों के आश्रितों से करोड़ों रुपए वसूलने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किए, जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सीट का प्रभार नहीं सौंपने के लिए दबाव बनाने के इरादे से राजशेखर ने अपने दो अधिकारिक पत्रों की सामग्री को मीडिया में लीक किया,  ताकि वे अपने कुकर्मों में हेरफेर कर सकें और सनसनीखेज माहौल बना सकें। उन्होंने इन दोनों पत्रों को 15 मई 2023 और 16 मई 2023 को सचिव (सतर्कता) को भेजा था।पत्र में कहा गया है कि 15 मई 2023 के पत्र में राजशेखर ने उन्हें सौंपे गए सभी कार्यों को वापस लेने के मंत्री के निर्देशों को सतर्कता विभाग द्वारा जांच किए जा रहे एक विशिष्ट मामले के साथ जोड़ने की कोशिश की। इसमें बिना कोई साक्ष्य या तथ्य पेश किए गलत उद्देश्यों का सुझाव दिया गया था। एक निष्पक्ष जांच के लिए खुद को प्रस्तुत करने के बजाय उन्होंने बार-बार अपने प्रभारी मंत्री के कार्यों में दखल दिया। बाद में उन्होंने इस पत्र में प्रभारी मंत्री के सचिव पर भी हमला बोला, जो तुरंत मीडिया में लीक हो गया था। यह प्रत्यक्ष अवज्ञा और अनैतिक व्यवहार का कार्य है। यह सवाल भी पैदा होता है कि अगर उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था तो उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए खुद को पेश करने के बजाय अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर हमला क्यों किया?इसके अलावा, 16 मई 2023 के पत्र में राजशेखर ने आरोप लगाया है कि 15 मई 2023 और 16 मई 2023 की मध्यरात्रि में कुछ व्यक्ति अवैध रूप से उनके कार्यालय में घुस आए और संवेदनशील फाइलों की प्रतियां ले लीं। उन्होंने इस पत्र में दावा किया है कि इन फाइलों को मंत्री को भेजने के लिए कॉपी किया जा रहा था। जबकि वे ख़ुद जानते हैं कि ऐसा कोई निर्देश कभी जारी नहीं किया गया था। हालांकि, अगले दिन 16 मई 2023 को , उनके की बॉस सचिव (सतर्कता) सुधीर कुमार द्वारा मंत्री को स्पष्ट रूप पत्र लिखकर सूचित किया गया था कि शैडो फाइलें सचिव (सतर्कता) के निर्देश पर बनाई गई थीं। ये बात राजशेखर भली भाँति जानते हैं ।गौरतलब है कि सतर्कता सचिव ने मंत्री के समक्ष कहा था और पत्र लिखकर बताया कि उन्होंने अपनी सूझबूझ/बुद्धिमत्ता से विचार किया है कि अगर फाइल के कुछ कागजात गुम हो गए तो इस मामले में सीबीआई केस सहित बहुत गंभीर केस हो सकते हैं। इसलिए सीबीआई द्वारा दस्तावेजों को जब्त करने की तर्ज पर शैडो फाइलें बनाई जाती हैं। सचिव (सतर्कता) ने 16 मई 2023 को सुबह लगभग 8ः00 बजे राजशेखर को व्यक्तिगत रूप से फोन करके यह पुष्टि की कि उन्होंने अपने स्टाफ को कुछ महत्वपूर्ण विजिलेंस फाइलों की शैडो-फाइलें बनाने का निर्देश दिया था। इसके अलावा ये सारा मामला मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ख़ुद सतर्कता सचिव ने बताया है । इसके अलावा, मंत्री ने अपने नोट में यह कहते हुए जांच की मांग की है कि उक्त निर्देशों के अनुपालन में राजशेखर को यह पता था कि 15-16 मई 2023 की रात को सचिव (सतर्कता) के आधिकारिक कर्मचारी सदस्य थे, जो शैडो फाइलों को बनाने के लिए फाइलों की कॉपी कर रहे थे। इसके बावजूद राजशेखर ने इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और अपने पत्र 16 मई 2023 के जरिए मीडिया को झूठी, ओछी और मनगढ़ंत जानकारी लीक कर दी। अपने 16 मई 2023 के पत्र के जरिए राजशेखर ने यह भी स्वीकार किया है कि उनको मौजूद सभी फाइलों को अपने वरिष्ठअधिकारी यानी सचिव (सर्तकता) सुधीर कुमार को सौंपने के निर्देश दिए गए थे। अपने पत्र में ही उन्होंने क़ुबूल लिए है कि इसके बाद भी उन्होंने कथित तौर पर सरकारी अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ करने और उन्हें नष्ट करने के लिए जानबूझकर और सोच-समझकर इन आदेशों की अवहेलना की और कुछ संवेदनशील और चुनिंदा फाइलों को अपने पास रख लिया।नोट में कहा गया है कि यह सवाल उठता है कि किस कानून या नियम के तहत एक अधीनस्थ अधिकारी ये तय कर सकता है कि कुछ फाइलें उसके वरिष्ठ अधिकारी के लिए बहुत संवेदनशील हैं और लिखित निर्देश के बावजूद वो खुद ही उन फाइलों को अपने पास रखने के लिए सक्षम है? इसका मतलब यह है कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करने की कोशिश की और आधिकारिक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ या नष्ट करके अपने निजी हितों की रक्षा के लिए चुनिंदा फाइलों को अपने पास रखा। इसलिए इसकी विस्तृत जांच की जरूरत है।नोट में यह भी उल्लेख किया गया है कि राजशेखर 11 मई 2023 तक विशेष सचिव (सेवा) के पद पर भी कार्यरत थे। उपरोक्त कारणों से 15 मई 2023 को एक नोट के जरिए यह निर्देशित किया गया था कि सेवा विभाग में उनके सभी कार्य उनके समकक्ष (अन्य विशेष सचिव (सेवा) सुश्री किन्नी सिंह) को स्थानांतरित किए जाएं। हालांकि, सेवा विभाग में भी कई मौखिक और लिखित निर्देशों के बावजूद सेवा विभाग से संबंधित कई फाइलों को राजशेखर ने अपने समकक्षों को नहीं सौंपी। किन्नी सिंह और अमिताभ जोशी द्वारा लिखित नोट 16 मई 2023 के माध्यम से मंत्री को यह बताया गया कि राजशेखर के पास तब तक  भी सेवा विभाग की फाइलें थी।इस संबंध में, यह ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि यह पहला अवसर नहीं है, जब राजशेखर ने इस तरह की कार्य प्रणाली में लिप्त मिले है। उपरोक्त पैरा-1 और नियम-3 (1) (1 ए) के रूप में एआईएस नियमों के 3(2)(2ए),(28)(vi)(vii)(x)(xii) और नियम-3(3)(i)(ii) में उल्लिखित नियमों का उल्लंघन करना उनकी आदत में है। जब एनडीएमसी में तैनात थे तब उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण फाइलों को सौंपने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश/निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की थी। तत्कालीन सचिव (एनडीएमसी) द्वारा दिनांक 08 अगस्त 2019 को जारी शिकायत/निर्देशों में एनडीएमसी में गुप्त उद्देश्यों के लिए संवेदनशील फाइलें रखने के उनके आदतन आचरण के बारे में चिंता व्यक्त की थी। इससे उनके भ्रष्टचार में लिप्त होने के दुर्भावनापूर्ण इरादे और नापाक मंसूबे स्पष्ट रूप से साबित होते हैं। फिर उनको दिल्ली सरकार में भेज दिया गया था। नोट की कापी शिकायत कि साथ लगाई गई है ।सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि तथ्यों, परिस्थितियों और घटनाओं के कालक्रम से यह स्पष्ट है कि एक संवेदनशील पद पर आसीन एक वरिष्ठ अधिकारी एआईएस नियमों के नियमों का सीधा उल्लंघन कर रहा है और व्यक्तिगत लाभ के लिए झूठ, तुच्छ और मनगढ़ंत गलत सूचना फैला रहा है। नोट में लिखा है कि इससे यह सवाल भी उठता है कि संबंधित अधिकारी कुछ फाइलों को अपने पास क्यों रख रहा है और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसे एक्सेस करने से रोक रहा है, और क्या वह खुद फाइलों के साथ छेड़छाड़ या उसको नष्ट करने में लिप्त है?
आधिकारिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए मंत्री ने विशेष सचिव (सतर्कता) राजशेखर पर ये कार्रवाई करने की सिफारिश की है-
ए- सतर्कता विभाग से तत्काल प्रभाव से स्थानान्तरित/हटाने का आदेश दिया जाए।
बी- एआईएस (आचरण) नियम 1968 नियम-3(1)(1ए), नियम 3(2)(2ए),(28) (vi)(vii), (x)(xii), नियम-3(3)(1)(u), नियम-7, नियम-9, नियम-17 और नियम-18 के उल्लंघन के लिए उसके खिलाफ एआईएस (डी एंड ए) नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। 
सी- आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में भ्रष्ट आचरण और उसके कृत्यों/कर्मों की विभिन्न शिकायतों की जांच एक एजेंसी को भेजी जाए।

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