अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय मंत्री, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय और अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री दिल्ली ने आज दिनांक 06 अगस्त 2021 को पिंक लाइन के त्रिलोकपुरी-संजय लेक तथा मयूर विहार पॉकेट-1 मेट्रो स्टेशनों के बीच कनेक्टिंग लिंक का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से औपचारिक उद्घाटन कर दिया। इस सेक्शन पर यात्री सेवाएं दोपहर 3 बजे से शुरू कर दी गईं। इस महत्वपूर्ण कनेक्शन के चालू हो जाने से 59 कि.मी. लंबी पिंक लाइन दिल्ली के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों के महत्वपूर्ण बाजारों, अस्पतालों, ट्रांसपोर्ट हब और दक्षिणी तथा मध्य दिल्ली के प्रमुख आवासीय क्षेत्रों को निर्बाध रूप से आपस में जोड़ेंगी। इस सेक्शन के खुलने से 285 स्टेशनों के साथ (नोएडा ग्रेटर-नोएडा मेट्रो कॉरिडोर और रैपिड मेट्रो, गुरुग्राम सहित) दिल्ली मेट्रो नेटवर्क अब लगभग 390 कि.मी. लंबा हो जाएगा।
त्रिलोकपुरी संजय लेक-मयूर विहार पॉकेट-1 सेक्शन के विवरण :
पिंक लाइन के त्रिलोकपुरी-संजय लेक और मयूर विहार पॉकेट-1 स्टेशनों के बीच इस मिसिंग लिंक पर 290 मीटर लंबे खंड पर निर्माण कार्य किया गया है।इस कॉरिडोर के द्वारा महत्वपूर्ण ट्रांसपोर्ट सेंटर जैसे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, सराय काले खाँ आईएसबीटी,आनंद विहार रेलवे स्टेशन, आनंद विहार आईएसबीटी, दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन और प्रमुख बाजार जैसे दिल्ली हाट-आईएनए, सरोजनी नगर और लाजपत नगर को सीधे कनेक्टिविटी मिल सकेगी। फेज-IV में इस कॉरिडोर को आगे मजलिस पार्क से मौजपुर तक बढ़ाया जाएगा जिससे लगभग 70 कि.मी. लंबा यह कॉरिडोर भारत का सबसे लंबा सिंगल मेट्रो कॉरिडोर बन जाएगा। फेज-IV के पूरा होने के बाद पिंक लाइन देश में मेट्रो का एकमात्र रिंग कॉरिडोर भी बन जाएगी।
इस खंड का निर्माण कार्य डीएमआरसी के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि महामारी के कारण लॉकडाउन लगने तथा श्रमशक्ति के उपलब्ध ना होने जैसे मुद्दों के कारण कार्य बार-बार बाधित हुआ। यह कार्य पूर्ण होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी क्योंकि बाधाओं के चलते भी इस खंड पर सिविल निर्माण कार्य जारी रहा और निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा हुआ।
डीएमआरसी त्रिलोकपुरी वायाडक्ट के नीचे एक इंटरनल रोड भी विकसित कर रही है, जो वसुंधरा रोड और त्रिलोक पुरी रोड को आपस में जोड़ेगा। यह रोड 140 मीटर लंबा होगा। इससे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम होने में मदद मिलेगी और यातायात में भी सुधार होगा। पिंक लाइन के वर्तमान सेक्शन जबकि 2019 में चालू हो गए थे, इस छोटे से खंड में बाधामुक्त भूमि की अनुपलब्धता के कारण देरी हुई। अपेक्षित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद भूमि अधिग्रहण किया जा सका और निर्माण कार्य की शुरुआत करने तथा उसे पूरा करने के लिए परियोजना से प्रभावित लोगों के रीहैबिलिटेशन और रीसेटेलमेंट का काम पूरा किया गया। अक्टूबर 2019 में ही इस साइट पर निर्माण के लिए आंशिक रूप से उपलब्धता मिल सकी और दिसंबर 2020 में ही यह पूरी तरह से उपलब्ध हो पाया।
विशेष उपलब्धियां
कार्य में तेजी लाने और साइट के निकट कास्टिंग यार्ड के लिए स्थान उपलब्ध न होने के कारण पारंपरिक कंक्रीटगर्डरों के बजाय स्टील गर्डरों के इस्तेमाल से निर्माण का एक अनूठा तरीका अपनाया गया। 10 स्पैनों पर कुल 40 गर्डर रखे गए हैं। इन स्टील गर्डरों को तैयार करके हरियाणा स्थित अंबाला में एक वर्कशॉप से लाया गया। इन गर्डरों की लंबाई 16 से लेकर 38 मीटर तक है। वायाडक्ट की ऊंचाई लगभग 8 से 9.5 मीटर तक है। 200 मीटर
व्यास वाला एक घुमावदार स्पैन भी इस खंड का हिस्सा है। इस वजह से एक साल से भी कम के रिकॉर्ड समय में इसका निर्माण पूरा हो सका।
ट्रेन ऑपरेशन प्लान
मयूर विहार पॉकेट-1 से त्रिलोकपुरी-संजय लेक स्टेशनों के बीच वाले खंड की कनेक्टिविटी के बाद पूरी पिंक लाइन (मजलिस पार्क से शिव विहार) पर निम्नलिखित ऑपरेशनल प्लान के अनुरूप ट्रेन सेवाएं
उपलब्ध होंगी :-
1. मजलिस पार्क से सराय काले खाँ, निजामुद्दीन और शिव विहार से आईपी एक्सटेंशन सेक्शनों पर ट्रेन सेवाएं 5 मिनट 12 सेकेंड की फ्रीक्वेंसी के साथ उपलब्ध होंगी, जिनमें पीक घंटों के दौरान 43 (स्टेंडबाई सहित) ट्रेनें भी शामिल होंगी।
2. सराय काले खाँ निजामुद्दीन से आईपी एक्सटेंशन सेक्शन पर ट्रेन सेवाएं 10 मिनट 24 सेकेंड की फ्रीक्वेंसी के साथ उपलब्ध होंगी जिनमें प्रत्येक आल्टरनेट/दूसरी ट्रेन निजामुद्दीन से आईपी एक्सटेंशन की ओर तथा इसकी विपरीत दिशा में चलेंगी।
3. मयूर विहार पॉकेट-1 और त्रिलोकपुरी-संजय लेक स्टेशनों (दूरी लगभग 1.5 कि.मी.) के खंड के बीच ऑटोमेटिड सिगनलिंग सिस्टम न होने के कारण ट्रेनें 25 कि.मी.प्र.घं. की अस्थायी प्रतिबंधित गति से चलेंगी क्योंकि सिगनलिंग सिस्टम अभी स्थापित किया जा रहा है।
4. इस खंड विशेष पर सिगनलिंग सिस्टम स्थापित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि यह लाइन पहले से ही ऑपरेशनल है, इस सिस्टम के अगले दो माह में स्थापित कर लिए जाने की संभावना है। इसके बाद, इस खंड पर भी ट्रेनें नियमित गति से चलने लगेंगी और गति सीमा का प्रतिबंध समाप्त हो जाएगा।