अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अंतरराज्यीय अवैध हथियार सप्लाई करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हैं, अभी इस गिरोह के छह सदस्यों को अरेस्ट किया गया हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से एक आई -20 कार , टाटा मंजा कार, मोबाइल फोन, सिम कार्ड व 4500 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं।
पुलिस के मुताबिक विशेष सेल, उत्तरी रेंज की टीम ने इंएसपी विवेकानंद पाठक व आईएनएसपी के नेतृत्व में एसपी कुलदीप सिंह ने जसबीर सिंह की देखरेख में अवैध गोला-बारूद सप्लाई करने वाले सिंडिकेट के छह प्रमुख सदस्यों रमेश कुमार , निवासी करनाल, हरियाणा ,(उम्र-46 वर्ष) को गिरफ्तार किया है। दीपांशु मिश्रा (उम्र-35 वर्ष) निवासी कचहरी रोड, न्यू कॉलोनी, चौगुरजी, जिलाइटावा,यूपी और अमित राव (उम्र-33 वर्ष) सेक्टर- 3, रेवाड़ी ,हरियाणा , इकराम (उम्र-40 वर्ष) के पास डबर स्वीट्स, कलंदर चौक, पीएस किला, जिला पानीपत, हरियाणा, अकरम (उम्र-42 वर्ष ), निवासी न्याजुपुरा, शाहबुदीनपुर, जिला मुजफ्फर नगर, यूपी, मनोज कुमार चौहान (उम्र-39 वर्ष), निवासी, नसरूलगढ़, पीएस नकुड़, जिला शाहरानपुर, यूपी, इनके पास से बड़ी मात्रा में 4500 कारतूस बरामद किए गए हैं।एक हुंडई कार नंबर एचआर26सीआर2072 और एक टाटा मंज़ा कार कारतूस की आपूर्ति के लिए प्रयुक्त यूपी78बीएक्स7674 भी बरामद किया गया है। इनके पास से अवैध कारतूस सप्लाई करने वाले मोबाइल हैंडसेट और सिम कार्ड भी बरामद किए गए हैं। दिल्ली में जब्त कारतूस की यह सबसे बड़ी खेप है। पुलिस की माने तो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अवैध आग्नेयास्त्रों और गोला-बारूद के आपूर्ति कर्ताओं के खिलाफ लगातार धर्मयुद्ध में, दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने अतीत में कई अंतरराज्यीय बन्दूक गिरोहों का भंडाफोड़ किया है । और सतत प्रयासों के कारण, अवैध आग्नेयास्त्रों और गोला-बारूद गिरोहों की गतिविधियों पर निगरानी की गई, जिसके दौरान एक नए सिंडिकेट की पहचान की गई जो देश के अन्य क्षेत्रों के अलावा हरियाणा और यूपी के आसपास के क्षेत्रों से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में कारतूस पंप करने में शामिल था । गुप्त और विचारशील घड़ी इस सिंडिकेट के सदस्यों की गतिविधियों पर रखा गया।
कार्रवाई बीते 14 फरवरी -2021 को एएसआई संजीव कुमार के माध्यम से मिली गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए एक छापामार पार्टी का गठन किया गया और दिल्ली के बाहरी रिंग रोड स्थित मुकुंदपुर फ्लाईओवर के पास एक जाल बिछाया गया । शाम करीब 03:10 बजे रमेश कुमार अपनी हुंडई आई20 कार नं.एचआर-26सीआर-2072 और 05 मिनट बाद दीपांशु मिश्रा अपनी रेड कलर की टाटा मंजा कार नं.यूपी-78बीएक्स-7674, रमेश कुमार ने दीपांशु मिश्रा को एक सफेद प्लास्टिक बैग सौंपा। थोड़ी देर पीछा करने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों आरोपियों के पास से 4000 अवैध कारतूस बरामद किए गए। प्रत्येक आरोपी व्यक्ति की कार से 2000 कारतूस मिले। दिल्ली के पीएस स्पेशल सेल में कानून की उचित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच के दौरान, इन दोनों आरोपियों के प्रकटीकरण बयानों के अनुपालन में, विशेष सेल एनआर की एक टीम जयपुर, राजस्थान गई और अमित राव और दिनकर राव नाम के इस सिंडिकेट की आपूर्ति के मुख्य स्रोत को 16 फरवरी 2021 को मानसरोवर औद्योगिक क्षेत्र, जयपुर, राजस्थान से गिरफ्तार किया गया । मौके पर पूछताछ के दौरान उसने दीपांशु मिश्रा समेत विभिन्न लोगों को अवैध रूप से कारतूस सप्लाई करने में अपना रोल कबूल किया। बीते 17 फरवरी 2021 को आरोपी रमेश कुमार के प्रकटीकरण बयान के अनुपालन में हरियाणा के विभिन्न जिलों में अवैध कारतूस के रिसीवर का पता लगाने/गिरफ्तार करने के लिए फिर से छापे मारे गए।आरोपियों के कहने पर स्पेशल सेल/एनआर की टीम ने हरियाणा के पानीपत से एक अन्य प्रमुख सदस्य इकराम को पकड़ा। इकराम रमेश से अवैध कारतूस का नियमित प्राप्तकर्ता है। इसके बाद जिला करनाल, हरियाणा में एक और छापा मारा गया और हरियाणा के शामली रोड, करनाल से अकरम नाम के प्रमुख सदस्य को पकड़ा गया और उसके कब्जे से 500 कारतूस बरामद किए गए।इसके बाद हरियाणा के पंचकूला में छापा मारा गया और आरोपी रमेश कुमार के कहने पर मनोज कुमार चौहान नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया।मनोज को रमेश के पास से नियमित रूप से अवैध कारतूस भी मिल रहे हैं। उपरोक्त सभी आरोपियों से लगातार पूछताछ की गई, जिस पर उन्होंने खुलासा किया कि वे अवैध कारतूस सप्लाई सिंडिकेट का हिस्सा हैं । उन्होंने आगे खुलासा किया कि वे रमेश कुमार से अवैध रूप से कारतूस की आपूर्ति प्राप्त करते थे और आगे हरियाणा और यूपी के अपराधियों सहित विभिन्न व्यक्तियों को इसकी आपूर्ति करते थे ।
आरोपी प्रोफाइल और पूछताछ आरोपी रमेश कुमार 2018 से अंबाला गन हाउस में कार्यरत है।इससे पहले वह अंबाला.गन हाउस से कम आय के कारण एक अन्य गन हाउस में काम करता था। रमेश कुमार ने अमित राव (अंबाला गन हाउस के मालिक) को ग्रे मार्केट में अवैध रूप से कारतूस बेचने का लालच दिया ताकि वे जल्दी पैसे कमा सकें। अमित राव कारतूस कंपनी से कारतूस खरीदते थे लेकिन रिकॉर्ड बुक में सही एंट्री नहीं करते थे। इसके बाद रमेश कुमार और अमित राव अंबाला गन हाउस में गोला-बारूद के भंडार से अवैध रूप से साइफन करने के बाद इन कारतूसों को दीपांशु मिश्रा और गिरफ्तार किए गए अन्य तीन लोगों सहित विभिन्न व्यक्तियों को अधिक दरों पर बेचते थे ।प्रति कारतूस 125 रुपये की दर से, आरोपी दीपांशु मिश्रा ने मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री की और यूपी के नोएडा में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था।उनके पिता का यूपी के इटावा में गन हाउस था जो साल 2015 में अपने पिता की मौत के बाद बंद हो गया था।
दीपांशु मिश्रा अपने पिता के साथ करनाल घूमने जाया करते थे और वहां उनकी मुलाकात रमेश कुमार से हुई।लॉकडाउन के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। उन्होंने रमेश कुमार से संपर्क किया और जल्दी पैसे कमाने के लिए उसे अवैध रूप से कारतूस सप्लाई करने को कहा।रमेश कुमार ने दीपांशु मिश्रा को अवैध रूप से कारतूस सप्लाई करना शुरू कर दिया। – दीपांशु मिश्रा ने रमेश कुमार से 125 रुपए प्रति कारतूस की दर से कारतूस खरीदे और आगे 10 हजार रुपए की दर से इन कारतूसों की सप्लाई की।यूपी और दिल्ली में उसके संपर्कों को 200 से 250 रुपये प्रति कारतूस।दिल्ली और यूपी में उसके द्वारा सप्लाई किए गए कारतूस आखिरकार दिल्ली और आसपास के राज्यों के खूंखार अपराधियों के हाथ में चले जाते हैं ।वह 01 साल से अधिक समय से आग्नेयास्त्रों की आपूर्ति के इस अवैध कारोबार में लिप्त है ।
आरोपी अमित राव हरियाणा के रेवाड़ी का मूल निवासी है।उन्होंने होटल मैनेजमेंट भी किया था और अलग-अलग कैपेसिटी में कुछ नामी होटलों के साथ काम किया था।उनके मामा अंबाला गन हाउस के मालिक थे और उनकी मौत के बाद अमित ने अंबाला गन हाउस का लाइसेंस अपने नाम पर ट्रांसफर करवा लिया और गन हाउस का प्रबंध करने लगा। वह जयपुर के एक इंस्टीट्यूट में एडमिनिस्ट्रेशन हेड के तौर पर जॉब भी कर रहे हैं। गन हाउस के सुचारू संचालन के लिए उन्होंने रमेश कुमार को अंबाला गन हाउस में नौकरी दी। क्योंकि वह गन हाउस के कामकाज में पर्याप्त समय नहीं दे सकते।रमेश कुमार ने उन्हें बताया कि वे ग्रे मार्केट में अवैध रूप से कारतूस बेचकर जल्दी पैसे कमा सकते हैं। अमित ने प्रस्ताव पर सहमति जताई और उन्होंने बेचना शुरू कर दिया। विभिन्न व्यक्तियों को अवैध रूप से कारतूस जल्दी पैसे पाने के लिए, वे गन हाउस में प्राप्त वास्तविक की तुलना में कम संख्या में कारतूस के लिए प्रविष्टि करते थे और कई बार उनके पास उपलब्ध शस्त्र लाइसेंस के खिलाफ झूठी बिक्री प्रविष्टियां करते थे ।उन्होंने आगे खुलासा किया कि वह पुणे की एक निर्माता कंपनी से 80 रुपये प्रति कारतूस की दर से कारतूस खरीदते थे लेकिन गन हाउस की रिकॉर्ड बुक में उचित प्रविष्टि नहीं करते थे और इसके बदले वे इन कारतूसों को अवैध रूप से विभिन्न व्यक्तियों को उच्च दरों पर यानी विभिन्न व्यक्तियों को बेच देते थे ।@ 125 प्रति कारतूस।
आरोपी इकराम और अकरम असली भाई और यूपी के मुजफ्फर नगर के मूल निवासी हैं।दोनों ने अपने पिता से बंदूक रिपेयरिंग सीखी जो बंदूकों की मरम्मत का काम करते थे।दोनों हरियाणा के पानीपत आए और कमीशन के आधार पर अलग-अलग गन हाउस में एयर गन रिपेयर का काम करने लगे और 10 लाख रुपए कमा लिए।10000 से 15000 प्रतिमाह। उस दौरान वे रमेश कुमार के संपर्क में आए जो उन्हें कारतूस की अवैध सप्लाई के क्षेत्र में लालच देते थे।उन्होंने रमेश कुमार से 125 रुपये प्रति कारतूस की दर से कारतूस खरीदना शुरू किया और उन्हें हरियाणा के मुजफ्फर नगर, यूपी और पानीपत, करनाल में विभिन्न व्यक्तियों को 200 से 250 रुपये प्रति कारतूस की दर से बेचना शुरू कर दिया।आरोपी इकराम को पहले हरियाणा में एक्साइज एक्ट में गिरफ्तार किया गया था।
आरोपी मनोज कुमार चौहान तिरुपति रोडवेज में गार्ड के पद पर कार्यरत है।उसके पास पिस्टल का शस्त्र लाइसेंस है। उसने खुलासा किया कि वह पिछले कुछ वर्षों से अवैध कारतूस आपूर्ति सिंडिकेट का हिस्सा है ।वह रमेश कुमार से अवैध रूप से कारतूस खरीदता था और आगे हरियाणा और यूपी में विभिन्न व्यक्तियों को इसकी आपूर्ति करता था ।गिरफ्तार किए गए सभी 06 आरोपियों को अदालत में पेश किया गया।